लेखन कला और शहरी जीवन NCERT Notes For Class 11 History Chapter 2 In Hindi

Class 11 History Chapter 2 In Hindi लेखन कला और शहरी जीवन

TextbookNCERT
BoardCBSE Board, UP board, JAC board, HBSE Board, Bihar Board, PSEB board, RBSE Board, UBSE Board
Class11th Class
SubjectHistory
ChapterChapter 2
Chapter Nameलेखन कला और शहरी जीवन
Topicलेखन कला और शहरी जीवन NCERT Notes For Class 11 History Chapter 2 In Hindi
MediumHindi
Especially Designed Notes forCBSE, ICSE, IAS, NET, NRA, UPSC, SSC, NDA, All Govt. Exam

NCERT Notes For Class 11 History Chapter 2 In Hindi लेखन कला और शहरी जीवन, (History) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

Notes for class 11 history chapter 2 in hindi: लेखन कला और शहरी जीवन Pdf

परिचय

विश्व में सबसे पहले शहरी जीवन की शुरुआत वर्तमान इराक गणराज्य की दजला (Tigris) और फरात (Euphrates) नामक दो नदियों के बीच स्थित मेसोपोटामिया में हुई थी। अपनी संपन्नता, शहरी जीवन, विशाल एवं समृद्ध साहित्य, गणित और खगोलविद्या जैसी विधाओं के लिए मेसोपोटामिया की सभ्यता पूरी दुनिया में प्रसिद्ध थी। इस अध्याय में शहरी जीवन और लेखन कला के संबंधों को समझने का प्रयास किया जाएगा। यहाँ लेखन कला की सतत परंपरा ने इतिहास को जानने-समझने हेतु महत्त्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध कराया है।

Notes for class 11 history chapter 2 in hindi: लेखन कला और शहरी जीवन Notes

मेसोपोटामिया

  • मेसोपोटामिया नाम यूनानी भाषा के दो शब्दों मेसोस ( Mesos ) यानी मध्य और पोटैमोस be ( Potamos ) यानी नदी से मिलकर बना है ।
  • मेसोपोटामिया फ़रात ( Euphrates ) और दज़ला ( Tigris ) नदियों के बीच स्थित यह प्रदेश आजकल इराक गणराज्य का हिस्सा है ।
  • मेसोपोटामिया की सभ्यता अपनी संपन्नता , शहरी जीवन , विशाल एवं समृद्ध साहित्य , गणित और खगोलविद्या के लिए प्रसिद्ध है ।
  • मेसोपोटामिया की लेखन प्रणाली और उसका साहित्य पूर्वी भूमध्यसागरीय प्रदेशों और उत्तरी सीरिया तथा तुर्की में 2000 ई.पू. के बाद फैला |
  • इसके शहरीकृत दक्षिणी भाग को ( नीचे विवरण देखें ) सुमेर ( Sumer ) और अक्कद ( Akkad ) कहा जाता था ।
  • 2000 ई.पू. के बाद जब बेबीलोन एक महत्त्वपूर्ण शहर बन गया तब दक्षिणी क्षेत्रको बेबीलोनिया कहा जाने लगा ।
  • लगभग 1100 ई.पू. से , जब असीरियाइयों ने उत्तर में अपना राज्य स्थापित कर लिया , तब उस क्षेत्र को असीरिया ( Assyria ) कहा जाने लगा ।
  • उस प्रदेश की प्रथम ज्ञात भाषा सुमेरियन यानी सुमेरी थी । धीरे – धीरे 2400 ई.पू. के आसपास जब अक्कदी भाषी लोग यहाँ आ गए तब अक्कदी ने सुमेरी भाषा का स्थान ले लिया ।
  • 1400 ई.पू. से धीरे – धीरे अरामाइक ( Aramaic ) भाषा का भी प्रवेश शुरू हुआ ।
  • इतिहास के स्रोतों के रूप में सैकड़ों की संख्या में इमारतों , मूर्तियों , आभूषणों कब्रों औज़ारों और मुद्राओं का ही नहीं बल्कि हज़ारों की संख्या में लिखित दस्तावेज़ों का भी अध्ययन कर सकते हैं ।

मेसोपोटामिया और उसका भूगोल

  • इराक भौगोलिक विवधता का देश है ।
  • इसके पूर्वोत्तर भाग में हरे – भरे , ऊँचे – नीचे मैदान हैं जो धीरे – धीरे वृक्षाच्छादित पर्वत शृंखला के रूप में फैलते गए हैं ।
  • साथ ही यहाँ स्वच्छ झरने तथा जंगली फूल हैं । यहाँ अच्छी फ़सल के लिए पर्याप्त वर्षा हो जाती है ।
  • यहाँ 7000 से 6000 ई.पू. के बीच खेती शुरू हो गई थी ।
  • उत्तर में ऊँची भूमि है जहाँ ‘ स्टेपी ‘ घास के मैदान हैं , यहाँ पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अधिक अच्छा साधन है ।
  • सर्दियों की वर्षा के बाद , भेड़ – बकरियाँ यहाँ उगने वाली छोटी – छोटी झाड़ियों और घास से अपना भरण – पोषण करती हैं ।
  • पूर्व में दज़ला की सहायक नदियाँ ईरान के पहाड़ी प्रदेशों में जाने के लिए परिवहन का अच्छा साधन हैं ।
  • दक्षिणी भाग एक रेगिस्तान है और यही वह स्थान है जहाँ सबसे पहले नगरो और लेखन प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ ।

मेसोपोटामिया में शहरीकरण

  • लगभग 3000 ई. पू. (काँस्य युग) के आस-पास मेसोपोटामिया में नगर निर्माण प्रारंभ हो गया था। इतिहासकारों का मानना है कि मेसोपोटामिया में सत्ता, व्यापारिक मार्गों तथा जमीन के लिए संघर्ष करने वाले नगर- राज्यों की संख्या बढ़ गई थी, हालाँकि यहाँ जनसंख्या अधिक नहीं थी, फिर भी बड़े शहरी केंद्रों में अपवाद रूप से आबादी एक स्थान पर ही केंद्रित थी।
  • उर, सुमेर, बेबीलोन आदि मेसोपोटामिया के प्रमुख नगर थे। काँसा, ताँबे और राँगे का मिश्रण प्रमुख धातुएँ थीं। इनका प्रयोग बढ़ई के काम करने, मनकों में छेद करने, पत्थर की मुद्राएँ उकेरने, फर्नीचर में जड़ने तथा सीपियाँ (Shells) काटने के लिए औजारों के निर्माण में होता था। अधिकांश मेसोपोटामियाई हथियार; जैसे-भाले की नोक इत्यादि काँसे से ही निर्मित होते थे।

मेसोपोटामिया में कृषि और सिंचाई व्यवस्था

  • दजला और फरात नदियों के द्वारा लाई गई उपजाऊ मिट्टी (Fertile Soil) शहरों के लिए लाभदायक होती थी, क्योंकि जब इन नदियों में बाढ़ आती थी तब इसके पानी को सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता था, जिससे उपजाऊ मिट्टी खेतों तक आसानी से पहुँच जाती थी।
  • फरात नदी की धाराएँ सिंचाई के लिए नहरों का कार्य करती थीं, क्योंकि फरात नदी रेगिस्तान में प्रवेश करने के बाद विभिन्न धाराओं में बँट जाती थी, हालांकि इन धाराओं में कभी-कभी बाद भी आ जाती थी। गेहूं, जौ, मटर तथा मसूर की फसल की सिंचाई इन नहरों द्वारा की जाती थी।
  • दक्षिणी मेसोपोटामिया में खेती से ज्यादा उपज होने के कारण इसकी चर्चा रोम सहित सभी पुरानी सभ्यताओं में हुआ करती थी, हालाँकि वहाँ फसल के लिए आवश्यक वर्षा का अभाव था।
  • प्राकृतिक कारणों से दजला, फरात नदी में अत्यधिक बाढ़ आ जाने से दक्षिणी मेसोपोटामिया फसलें डूब जाती थीं तथा कभी-कभी धाराओं का रास्ता बदल जाने से भी खेत सूख जाते थे।
  • स्टेपी घास के मैदानों, पूर्वोत्तरी मैदानों और पहाड़ों के ढालों पर खेती के साथ-साथ भेड़-बकरियाँ भी पाली जाती थीं, क्योंकि ये उपजाऊ स्थान बाढ़ की नदियों से काफी ऊँचाई पर स्थित थे।
  • पशुओं से दूध, मांस, ऊन तथा वृक्षों से खजूर (पिंड खजूर) आदि प्राप्त होते थे, लेकिन इससे यह बात सिद्ध नहीं होती है कि शहरों का विकास पूरी तरह ग्रामीण समृद्धि पर निर्भर था, इसके विकास में अन्य कारकों ने भी सकारात्मक भूमिका निभाई है।

शहरीकरण का महत्त्व

  • मेसोपोटामिया में शहरीकरण के परिणामस्वरूप शहर न केवल बड़ी संख्या में लोगों के रहने का स्थान बन गया, बल्कि अर्थव्यवस्था के अतिरिक्त अन्य गतिविधियाँ सहायक स्थल की भूमिका निभाने लगीं।
  • अर्थव्यवस्था में खाद्य उत्पादन के अतिरिक्त अन्य आर्थिक गतिविधियों का विकास होने से जनसंख्या का घनत्व बढ़ने लगा तथा धीरे-धीरे कस्बों का निर्माण होने लगा।
  • कस्बों में इकट्ठा होने से लोगों को खाद्य उत्पादन के अतिरिक्त व्यापार एवं अन्य क्रियाकलापों का अवसर मिलने लगा।
  • मेसोपोटामिया सभ्यता के लोगों की विशेषता पत्थर पर नक्काशी उकेरने तक सीमित थी। वे व्यापार करना नहीं जानते थे, परंतु शहरीकरण के पश्चात् उन्हें श्रम विभाजन (Division of Labour) का लाभ मिला। श्रम विभाजन वर्तमान में भी शहरी जीवन की एक महत्त्वपूर्ण कार्य प्रणाली है।
  • शहरी अर्थव्यवस्था के अंतर्गत विनिर्माताओं के लिए ईंधन, धातु, विभिन्न प्रकार के पत्थर एवं लकड़ी जैसी आवश्यक वस्तुएँ, विभिन्न स्थानों से आती थीं, जिनके संग्रह और वितरण के लिए अनाज एवं अन्य खाद्य पदार्थ, सामाजिक संगठन, संगठित व्यापार और भंडारण की आवश्यकता थी, ये सब शहरीकरण के कारण ही संभव हुआ।
  • शहरीकरण के पश्चात् संपूर्ण हिसाब-किताब को लिखित रूप में रखा जाने लगा। शहरों में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति गाँवों से होती थी, जिसके लिए शहरों को मुख्यतः संग्रह तथा वितरण की व्यवस्था करनी पड़ती थी।

शहरों में माल की आवाजाही

  • दक्षिण के अधिकांश भागों में औज़ार , मोहरें ( मुद्राएँ ) और आभूषण बनाने के लिए पत्थरों की कमी थी । इराकी खजूर और पोपलार के पेड़ों की लकड़ी , गाड़ियाँ , गाड़ियों के पहिए या नावें बनाने के लिए कोई खास अच्छी नहीं थी ; और औज़ार , पात्र , या गहने बनाने के लिए कोई धातु वहाँ उपलब्ध नहीं थी ।
  • मेसोपोटामियाई लोग संभवत : लकड़ी , ताँबा , राँगा , चाँदी , सोना , सीपी और विभिन्न प्रकार के पत्थरों को तुर्की और ईरान अथवा खाड़ी – पार के देशों से मंगाते थे |
  • इन वस्तुओं का नियमित रूप से आदान – प्रदान तभी संभव होता जब इसके लिए कोई सामाजिक संगठन हो जो विदेशी अभियानों और विनिमयों को निर्देशित करने में सक्षम हो ।
  • शिल्प , व्यापार और सेवाओं के अलावा , कुशल परिवहन व्यवस्था भी शहरी विकास के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती है । भारवाही पशुओं की पीठ पर रखकर या बैलगाड़ियों में डालकर शहरों में अनाज या काठ कोयला लाना ले जाना बहुत कठिन होता है | शहरी अर्थव्यवस्था इसका बोझ उठाने के लिए सक्षम नहीं होती ।
  • परिवहन का सबसे सस्ता तरीका सर्वत्र जलमार्ग ही होता है । अनाज के बोरों से लदी हुई नावें या बजरे , नदी की धारा अथवा हवा के वेग से चलते हैं , जिसमें कोई खर्चा नहीं लगता ,
  • पुराने मेसोपोटामिया की नहरें और प्राकृतिक जलधाराएँ छोटी – बड़ी बस्तियों के बीच माल के परिवहन का अच्छा मार्ग थीं ।

दक्षिणी मेसोपोटामिया का शहरीकरण- मंदिर और राजा

  • 5000 ई.पू. से दक्षिणी मेसोपोटामिया में बस्तियों का विकास होने लगा था ।
  • इन बस्तियों में से कुछ ने प्राचीन शहरों का रूप ले लिया । ये शहर कई तरह के थे । पहले वे जो मंदिरों के चारों ओर विकसित हुए ; दूसरे जो व्यापार के केंद्रों के रूप में विकसित हुए ; और शेष शाही शहर थे |
  • अन्य स्थानों से आकर बसने वाले लोगों ने गाँव के कुछ चुने हुए स्थानों पर मंदिर के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू किया। यहाँ पहले देवालय कच्ची ईंटों के होते थे, जिनमें विभिन्न देवी-देवताओं के निवास स्थल विद्यमान थे। साथ ही इनमें चंद्र देवता अर्थात् उर प्रेम एवं युद्ध की देवी इन्नाना आदि की पूजा होती थी।
  • इन मंदिरों के आँगन के चारों ओर कमरे बनाए जाते थे, जो साधारण घरों के समान ही प्रतीत होते थे, क्योंकि मंदिर भी किसी देवता का घर ही माना जाता था। साधारण घरों की अपेक्षा मंदिर की दीवारें कुछ खास अंतरालों के बाद भीतर और बाहर की ओर मुड़ी हुई थीं।
  • मंदिरों में देवी-देवताओं को अन्न, दही, यहाँ तक कि मछली चढ़ाए जाने के साक्ष्य भी मिले हैं। इन आराध्य देवताओं को सैद्धांतिक स्तर पर खेतों, मत्स्य क्षेत्रों एवं पशुधन का स्वामी माना जाता था तथा यहाँ पर आवश्यकता होने पर तेल निकालना, अनाज पीसना, कातना और ऊनी कपड़ों को बुनने जैसे कार्य भी किए जाते थे। धीरे-धीरे मंदिरों ने नए स्तर के व्यापारियों की मदद से शहरी संस्था का रूप ले लिया था।
  • मेसोपोटामिया के विभिन्न क्षेत्रों में जब लंबे समय तक लड़ाइयाँ (Warfare) चलती थीं तो मुखिया (Chiefs) इसका नेतृत्व करते थे तथा जीतने के पश्चात् वह लूट का माल अपने सैनिकों में बाँटते तथा हारे हुए लोगों को बंदी (Captive) बनाकर अपने साथ ले जाते थे, जिन्हें बाद में ये अपना चौकीदार या नौकर बना लेते थे। इस प्रकार मुखिया का प्रभाव क्षेत्र में बढ़ने लगा था।
  • कुछ समय पश्चात् इन मुखियाओं ने समुदाय के कल्याण पर ध्यान देना प्रारंभ कर दिया, जिससे इनकी लोकप्रियता बढ़ने लगी। अब विजेता मुखियाओं ने कीमती भेंटों को देवी-देवताओं को अर्पित करना प्रारंभ कर दिया था, जिससे मंदिरों की भव्यता बढ़ने लगी।
  • इस प्रकार एनमर्कर की कविताओं के अनुसार मुखियाओं की स्थिति सुदृढ़ होने के साथ-साथ समुदाय पर भी उनका नियंत्रण स्थापित हो गया। आवश्यकता पड़ने पर अपनी सेना बनाने तथा उनकी सुरक्षा के लिए मुखियाओं ने ग्रामीणों को अपने पास रहने के लिए प्रोत्साहित किया।

मेसोपोटामिया में शहरी जीवन

  • नगरों में उच्च या संभ्रांत (Elite) वर्ग का उदय हो चुका था। उर के राजाओं एवं रानियों की कब्रों से मिले बहुमूल्य रत्न; जैसे – आभूषण, सोने के पात्र, सफेद सीपियाँ, लाजवर्द, जड़े हुए लकड़ी के वाद्य यंत्र, सोने के सजावटी खंजर (Daggers) आदि इस बात के प्रमाण हैं। मेसोपोटामिया के उर एवं मारी नगरों के जीवन का वर्णन निम्न प्रकार है

उर नगर

  • उर नगर में सर्वप्रथम खुदाई का कार्य प्रारंभ हुआ। मेसोपोटामिया का यह एक ऐसा शहर था, जिसमें साधारण घरों की खुदाई 1930 के दशक में सुव्यवस्थित ढंग से की गई ।
  • यहाँ टेढ़ी-मेढ़ी व संकरी गलियों (Narrow Streets) के कारण पहिए वाली गाड़ियाँ वहाँ के मकानों तक नहीं पहुँच पाती थीं। अनाजों एवं ईंधन को घर तक ले जाने के लिए गधों का प्रयोग किया जाता था। नगर नियोजन पद्धति का यहाँ अभाव था।
  • समकालीन मोहनजोदड़ो’ के समान सड़कों के किनारे जल निकासी के लिए नालियों का अभाव था तथा छतों का ढलान भीतर की ओर था। वर्षा का पानी नालियों के माध्यम से भीतरी आँगनों में बने हुए हौज में ले जाया जाता था
  • दहलीजों (Threshold) को ऊँचा उठाकर बनाया जाता था, जिससे वर्षा के बाद कीचड़ बहकर अंदर न आ जाए।
  • परिवार में गोपनीयता (Privacy) बनाए रखने के लिए रोशनी खिड़की के अतिरिक्त दरवाजे से होकर आँगन में आती थी।
  • इसके अतिरिक्त उर में पाई गई शकुन-अपशकुन (Superstitions) संबंधी अनेक बातें पट्टिकाओं पर अंकित मिली हैं। उर में नगरवासियों के लिए कब्रिस्तान (Cemetery) के अंतर्गत शासकों व जनसाधारण की समाधियों के साक्ष्य भी मिले हैं, परंतु कुछ लोग साधारण घरों के फर्शो के नीचे भी दफनाए हुए प्राप्त हुए हैं।

मारी नगर

  • मारी, फरात नदी की ऊर्ध्वधारा ( Upstream) पर स्थित मेसोपोटामिया का एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक नगर था। 2000 ई. पू. के बाद इसका विकास शाही राजधानी के रूप में हुआ।
  • इस नगर में किसान तथा पशुचारक (Pastoralists) दोनों साथ-साथ रहते थे, लेकिन उस प्रदेश के अधिकांश लोग भेड़-बकरी चराने का कार्य करते थे। पशुचारक समाज के लोग पशुओं तथा चमड़ा, मांस आदि के बदले अनाज, धातु के औजार आदि प्राप्त करते थे।
  • मारी नगर की संपन्नता का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक व्यापार एवं फरात नदी की अनुकूल दशा होना था।
  • फरात नदी की सहायता से लकड़ी, ताँबा, राँगा, तेल, मदिरा तथा अन्य सामान गाड़ी से होकर तुर्की, सीरिया एवं लेबनान तक पहुँचाया जाता था, जौ लाने के लिए एक विशेष प्रकार की नौका का प्रयोग किया जाता था।
  • घिसाई पिसाई के पत्थर, चक्कियाँ, लकड़ी एवं शराब तथा तेल के डिब्बे ले जाने वाले जहाज मारी में रुकते थे तथा वहाँ से दक्षिणी नगरों की ओर प्रस्थान करते थे।
  • विदेश व्यापार के लिए मारी के अधिकारी अन्य देशों में भी जाते थे। वे कार्गो पर लादे गए सामान की जाँच करते और नौका पर लदे माल के मूल्य का लगभग 10% प्रभार वसूल करके ही इसे आगे बढ़ने की अनुमति देते थे। मारी में ताँबा और टिन, साइप्रस के द्वीप अलाशिया (Alashiya) से उन्नत था, जो उस समय ताँबे और टिन के लिए प्रसिद्ध था।
  • काँसा (Bronze) औजार एवं हथियार बनाने की प्रमुख धातु थी। राजा एवं पदाधिकारियों के मध्य पत्र व्यवहार के संकेत भी प्राप्त हुए हैं। इन पत्रों में पदाधिकारी संदेहास्पद गतिविधियों के विषय में राजा को बताते थे।

मेसोपोटामिया संस्कृति में शहरोंका महत्त्व

मेसोपोटामिया निवासियों के जीवन में शहरों का अधिक महत्त्व था। यहाँ अनेक समुदायों और संस्कृतियों के लोग आपस में मिल-जुलकर एकसाथ रहते थे। युद्ध में किसी शहर का विनाश हो जाने पर इन्हें काव्यों द्वारा याद रखा जाता था। इसका प्रमाण गिल्गेमिश (Gilgamesh) महाकाव्य के अंत में मिलता है। यह महाकाव्य 12 पट्टिकाओं पर लिखा गया था। ‘गिल्गेमिश’ एनमर्कर के कुछ समय बाद उरुक नगर राज्य का शासक बना।

मेसोपोटामिया की सांस्कृतिक परंपराएँ

  • मेसोपोटामिया के समाज में एकल परिवार (Nuclear Family) को ही आदर्श माना जाता था, परंतु एक शादीशुदा बेटा और उसका परिवार हमेशा अपने माता-पिता के साथ ही रहता था। पिता परिवार का मुखिया होता था। विवाह करने की इच्छा व्यक्त करने पर कन्या के परिवार की ओर से घोषणा की जाती थी।
  • मेसोपोटामिया की संस्कृति बहुसंस्कृतिवादी थी। यहाँ के उपजाऊ क्षेत्र यायावर (घुमंतू) समूह (Nomadic Communities) के लोग अनेक रूपों में पश्चिमी मरुस्थल से आते थे और समृद्ध होकर यहीं बस जाते थे। ये घुमंतू समूह अक्कदी, एमोराइट, असीरियाई और आर्मीनियन जाति के थे।
  • मारी के राजा एमोराइट समुदाय से संबंधित थे, जिनकी पोशाक वहाँ के मूल निवासियों से अलग थी। ये मेसोपोटामिया के देवी-देवताओं को मानने की जगह स्टेपी क्षेत्र के देवता डैगन (Dagan) को पूजने लगे तथा मारी नगर में भी इनके मंदिर का निर्माण कराया।
  • इस प्रकार मेसोपोटामिया का समाज और वहाँ की संस्कृति भिन्न-भिन्न समुदायों के लोगों और संस्कृतियों के लिए खुली थी। यही कारण है कि मिश्रित समाज का विकास हुआ।

लेखन कला का विकास

  • सभी समाजों के पास अपनी एक भाषा होती है जिसमें उच्चरित ध्वनियाँ अपना अर्थ प्रकट करती हैं । इसे मौखिक या शाब्दिक भावाभिव्यक्ति कहते हैं । लिखना , मौखिक भावाभिव्यक्ति से उतना अलग नहीं है जितना हम अकसर समझ बैठते हैं ।
  • मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ ( Tablet ) पाई गई . हैं वे लगभग 3200 ई.पू. की हैं । उनमें चित्र जैसे चिह्न और संख्याएँ दी गई हैं । वहाँ बैलों , मछलियों और आदि की लगभग 5000 सूचियाँ मिली हैं , जो वहाँ के दक्षिणी शहर उरुक के मंदिरों में आने वाली और वहाँ से बाहर जाने वाली चीज़ों की होंगी ।
  • मेसोपोटामिया के लोग मिट्टी की पट्टिकाओं पर लिखा करते थे । लिपिक चिकनी मिट्टी को गीला करता था और फिर उसको गूंध कर और थापकर एक ऐसे आकार की पट्टी का रूप दे देता था जिसे वह आसानी से अपने एक हाथ में पकड़ सके ।
  • वह सावधानीपूर्वक उसकी सतहों को चिकना बना लेता था फिर सरकंडे की तीली की तीखी नोक से वह उसकी नम चिकनी सतह पर कीलाकार चिह्न ( cuneiform * ) बना देता था । जब ये पट्टिकाएँ धूप में सूख जाती थीं तो पक्की हो जाती थीं और वे मिट्टी के बर्तनों जैसी ही मज़बूत हो जाती थीं ।
  • ऐसी पट्टी जब एक बार सूख जाती थी तो उस पर कोई नया चिह्न या अक्षर नहीं लिखा जा सकता था । इस प्रकार प्रत्येक सौदे के लिए चाहे वह कितना ही छोटा हो , एक अलग पट्टिका की जरूरत होती थी ।

लेखन प्रणाली

  • जिस ध्वनि के लिए कीलाक्षर या कलाकार चिह्न का प्रयोग किया जाता था वह एक अकेला व्यंजन या स्वर नहीं होता था ( जैसे अंग्रेजी वर्णमाला में m या a ) लेकिन अक्षर ( Syllables ) होते थे ( जैसे अंग्रेजी में put , या la- या in ) ।
  • इस प्रकार , मेसोपोटामिया के लिपिक को सैकड़ों चिह्न सीखने पड़ते थे और उसे गीली पट्टी पर उसके सूखने से पहले ही लिखना होता |
  • लेखन कार्य के लिए बड़ी कुशलता की आवश्यकता होती थी , इसलिए लिखने का काम अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता था । इस प्रकार किसी भाषा विशेष की ध्वनियों को एक दृश्य रूप में प्रस्तुत करना एक महान बौद्धिक उपलब्धि माना जाता था ।

लेखन का प्रयोग

  • लगभग 2600 ई.पू. के आसपास वर्ण कीलाकार हो गए और भाषा सुमेरियन थी । अब लेखन का इस्तेमाल हिसाब किताब रखने के लिए ही नहीं , बल्कि शब्द – कोश बनाने , भूमि के हस्तांतरण को कानूनी मान्यता प्रदान करने , राजाओं के कार्यों का वर्णन करने और कानून में उन परिवर्तनों को उद्घोषित करने के लिए किया जाने लगा जो देश की आम जनता के लिए बनाए जाते थे ।
  • मेसोपोटामिया की सबसे पुरानी ज्ञात भाषा सुमेरियन का स्थान , 2400 ई . पू . के बाद , धीरे – धीरे अक्कदी भाषा ने ले लिया । अक्कदी भाषा में कीलाकार लेखन का रिवाज ईसवी सन् की पहली शताब्दी तक अर्थात् 2000 से अधिक वर्षों तक चलता रहा ।
  • अक्कदी का विकास सिकंदर के समय में (336-323 ई. पू.) अधिक हुआ था। 1400 ई. पू. से अरामाइक (Aramaic) भाषा भी प्रकाश में आई, जो हिब्रू भाषा से मिलती-जुलती थी, जिसका 1000 ई. पू. के बाद व्यापक रूप से बोलचाल में प्रयोग किया जाने लगा। .पू. यह भाषा इराक के कुछ भागों में आज भी प्रयुक्त की जाती है।
  • अक्कदी भाषा में कीलाकार लेखन की परंपरा 2000 से भी अधिक वर्षो (ईसवी सन् की पहली शताब्दी) तक चलती रही।
  • शहरी जीवन, व्यापार और लेखन कला के बीच के संबंधों को उरुक के एक प्राचीन शासक एकमर्कर के बारे में लिखे गए एक सुमेरियन महाकाव्य में स्पष्ट किया गया है। मेसोपोटामिया की परंपरागत कथाओं में उरुक को एक सुंदर शहर कहा गया है तथा इसे केवल ‘शहर’ कहकर ही संबोधित किया गया है।

लेखन कला की देन

लेखन कला ने विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया। लेखन कला की देन को निम्नलिखित रूप से देखा जा सकता है।

  • मेसोपोटामिया अपनी कालगणना और गणित की विद्वतापूर्ण परंपरा के कारण दुनिया में प्रसिद्ध है। 1800 ई. पू. के आस-पास कुछ पट्टिकाएँ प्राप्त हुई हैं, जिनमें गुणा और भाग की तालिकाएँ, वर्ग तथा वर्गमूल और चक्रवृद्धि ब्याज की सारणियाँ दी गई हैं।
  • पृथ्वी के चारों ओर चंद्रमा की परिक्रमा (Revolution) के अनुसार, एक पूरे वर्ष का 12 महीनों में विभाजन, एक महीने का 4 सप्ताह में विभाजन, एक दिन का 24 घंटों में विभाजन और एक घंटे का 60 मिनट में विभाजन, लेखन कला की एक महत्त्वपूर्ण देन है। समय के इस विभाजन को पहले सिकंदर के उत्तराधिकारियों ने अपनाया, बाद में यह रोम और इस्लामी दुनिया को प्राप्त हुआ।
  • सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण (Solar and Lunar Eclipses) के दिन-रात पर पड़ने वाले प्रभाव से परिचित कराया।

साक्षरता

  • मेसोपोटामिया के बहुत कम लोग पढ़ – लिख सकते थे । न केवल प्रतीकों या चिह्नों की संख्या सैकड़ों में थी , बल्कि ये कहीं अधिक पेचीदा थे |
  • अधिकतर लिखावट बोलने के तरीके को दर्शाती थी । ” मेरे ‘ अमुक ‘ मालिक को …. उनका ‘ अमुक ‘ सेवक निवेदन करता है |
  • उस समय साक्षर होना इतना प्रशंसनीय था कि राजा स्वयं प्रशस्तिपूर्ण अभिलेखों में इस बात को उल्लेखित करवाना चाहता था कि वह स्वयं पढ़ सकता है।

Notes for class 11 history chapter 2 in hindi: लेखन कला और शहरी जीवन टाइमलाइन

7000-6000 ई. पू.उत्तरी मेसोपोटामिया के मैदानों में खेती की शुरुआत |
5000 ई. पू.दक्षिणी मेसोपोटामिया में सबसे पुराने मंदिरों का बनना ।
3200 ई. पू.मेसोपोटामिया में लेखन कार्य की शुरुआत ।
3000 ई. पूका एक विशाल नगर के रूप में विकास तथा काँसे के औजारों के इस्तेमाल में बढ़ोतरी ।
2700-2500 ई. पू.आरंभिक राजाओं का शासनकाल, जिनमें गिल्गेमिश जैसे पौराणिक राजा भी शामिल हैं ।
2600 ई. पू.कीलाकार लिपि का विकास ।
2400 ई. पू.सुमेरियन के स्थान पर अक्कदी भाषा का प्रयोग
2370 ई. पू.सारगोम, अक्कद सम्राट ।
2000 ई. पू.सीरिया, तुर्की और मिस्र तक कीलाकार लिपि का प्रसार, महत्वपूर्ण शहरी केंद्रों के रूप में मारी और बेबीलोन का उद्भव
1800 ई. पू.गणितीय मूलपाठों की रचना, अब सुमेरियन बोलचाल की भाषा नहीं रही। असीरियाई राज्य की स्थापना ।
1100 ई. पू.असीरियाई सा राज्य की स्थापना ।
1000 ई. पू.लोहे का प्रयोग ।
720-610 ई. पू.असीरियाई साम्राज्य ।
668-627 ई. पू.असुरबनिपाल का शासन ।
331 ई. पू.सिकंदर ने बेबीलोन को जीत लिया।
पहली शताब्दी (ईसवी)अक्कदी भाषा और कीलाकार लिपि प्रयोग में रही।
1850 ई.कीलाकार लिपि के अक्षरों को पहचाना व पढ़ा गया।

Notes for class 11 history chapter 2 in hindi: लेखन कला और शहरी जीवन notes

मेसोपोटामिया और उसका भूगोल

  • इराक भौगोलिक विवधता का देश है ।
  • इसके पूर्वोत्तर भाग में हरे – भरे , ऊँचे – नीचे मैदान हैं जो धीरे – धीरे वृक्षाच्छादित पर्वत शृंखला के रूप में फैलते गए हैं ।
  • साथ ही यहाँ स्वच्छ झरने तथा जंगली फूल हैं । यहाँ अच्छी फ़सल के लिए पर्याप्त वर्षा हो जाती है ।
  • यहाँ 7000 से 6000 ई.पू. के बीच खेती शुरू हो गई थी ।
  • उत्तर में ऊँची भूमि है जहाँ ‘ स्टेपी ‘ घास के मैदान हैं , यहाँ पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अधिक अच्छा साधन है ।
  • सर्दियों की वर्षा के बाद , भेड़ – बकरियाँ यहाँ उगने वाली छोटी – छोटी झाड़ियों और घास से अपना भरण – पोषण करती हैं ।
  • पूर्व में दज़ला की सहायक नदियाँ ईरान के पहाड़ी प्रदेशों में जाने के लिए परिवहन का अच्छा साधन हैं ।
  • दक्षिणी भाग एक रेगिस्तान है और यही वह स्थान है जहाँ सबसे पहले नगरो और लेखन प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ ।

मेसोपोटामिया में शहरीकरण

  • लगभग 3000 ई. पू. (काँस्य युग) के आस-पास मेसोपोटामिया में नगर निर्माण प्रारंभ हो गया था। इतिहासकारों का मानना है कि मेसोपोटामिया में सत्ता, व्यापारिक मार्गों तथा जमीन के लिए संघर्ष करने वाले नगर- राज्यों की संख्या बढ़ गई थी, हालाँकि यहाँ जनसंख्या अधिक नहीं थी, फिर भी बड़े शहरी केंद्रों में अपवाद रूप से आबादी एक स्थान पर ही केंद्रित थी।
  • उर, सुमेर, बेबीलोन आदि मेसोपोटामिया के प्रमुख नगर थे। काँसा, ताँबे और राँगे का मिश्रण प्रमुख धातुएँ थीं। इनका प्रयोग बढ़ई के काम करने, मनकों में छेद करने, पत्थर की मुद्राएँ उकेरने, फर्नीचर में जड़ने तथा सीपियाँ (Shells) काटने के लिए औजारों के निर्माण में होता था। अधिकांश मेसोपोटामियाई हथियार; जैसे-भाले की नोक इत्यादि काँसे से ही निर्मित होते थे।

Notes for class 11 history chapter 2 in hindi: लेखन कला और शहरी जीवन सारांश

  • मेसोपोटामिया
  • मेसोपोटामिया नाम यूनानी भाषा के दो शब्दों मेसोस ( Mesos ) यानी मध्य और पोटैमोस be ( Potamos ) यानी नदी से मिलकर बना है ।
  • मेसोपोटामिया और उसका भूगोल
  • इराक भौगोलिक विवधता का देश है । इसके पूर्वोत्तर भाग में हरे – भरे , ऊँचे – नीचे मैदान हैं, उत्तर में ऊँची भूमि है जहाँ ‘ स्टेपी ‘ घास के मैदान हैं , यहाँ पशुपालन खेती की तुलना में आजीविका का अधिक अच्छा साधन है । पूर्व में दज़ला की सहायक नदियाँ ईरान के पहाड़ी प्रदेशों में जाने के लिए परिवहन का अच्छा साधन हैं । दक्षिणी भाग एक रेगिस्तान है और यही वह स्थान है जहाँ सबसे पहले नगरो और लेखन प्रणाली का प्रादुर्भाव हुआ ।
  • मेसोपोटामिया में शहरीकरण
  • लगभग 3000 ई. पू. (काँस्य युग) के आस-पास मेसोपोटामिया में नगर निर्माण प्रारंभ हो गया था। मेसोपोटामिया में सत्ता, व्यापारिक मार्गों तथा जमीन के लिए संघर्ष करने वाले नगर- राज्यों की संख्या बढ़ गई थी, उर, सुमेर, बेबीलोन आदि मेसोपोटामिया के प्रमुख नगर थे।
  • मेसोपोटामिया में कृषि और सिंचाई व्यवस्था
  • दजला और फरात नदियों के द्वारा लाई गई उपजाऊ मिट्टी (Fertile Soil) शहरों के लिए लाभदायक होती थी, क्योंकि जब इन नदियों में बाढ़ आती थी तब इसके पानी को सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता था, जिससे उपजाऊ मिट्टी खेतों तक आसानी से पहुँच जाती थी।
  • शहरीकरण का महत्त्व
  • मेसोपोटामिया में शहरीकरण के परिणामस्वरूप शहर न केवल बड़ी संख्या में लोगों के रहने का स्थान बन गया, बल्कि अर्थव्यवस्था के अतिरिक्त अन्य गतिविधियाँ सहायक स्थल की भूमिका निभाने लगीं।
  • शहरों में माल की आवाजाही
  • मेसोपोटामियाई लोग संभवत : लकड़ी , ताँबा , राँगा , चाँदी , सोना , सीपी और विभिन्न प्रकार के पत्थरों को तुर्की और ईरान अथवा खाड़ी – पार के देशों से मंगाते थे |
  • दक्षिणी मेसोपोटामिया का शहरीकरण- मंदिर और राजा
  • 5000 ई.पू. से दक्षिणी मेसोपोटामिया में बस्तियों का विकास होने लगा था । इन बस्तियों में से कुछ ने प्राचीन शहरों का रूप ले लिया । ये शहर कई तरह के थे । पहले वे जो मंदिरों के चारों ओर विकसित हुए ; दूसरे जो व्यापार के केंद्रों के रूप में विकसित हुए ; और शेष शाही शहर थे |
  • मेसोपोटामिया में शहरी जीवन
  • नगरों में उच्च या संभ्रांत (Elite) वर्ग का उदय हो चुका था। उर के राजाओं एवं रानियों की कब्रों से मिले बहुमूल्य रत्न; जैसे – आभूषण, सोने के पात्र, सफेद सीपियाँ, लाजवर्द, जड़े हुए लकड़ी के वाद्य यंत्र, सोने के सजावटी खंजर (Daggers) आदि इस बात के प्रमाण हैं।
  • उर नगर
  • उर नगर में सर्वप्रथम खुदाई का कार्य प्रारंभ हुआ। मेसोपोटामिया का यह एक ऐसा शहर था, जिसमें साधारण घरों की खुदाई 1930 के दशक में सुव्यवस्थित ढंग से की गई । यहाँ टेढ़ी-मेढ़ी व संकरी गलियों (Narrow Streets) के कारण पहिए वाली गाड़ियाँ वहाँ के मकानों तक नहीं पहुँच पाती थीं। 
  • मारी नगर
  • मारी, फरात नदी की ऊर्ध्वधारा ( Upstream) पर स्थित मेसोपोटामिया का एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक नगर था। 2000 ई. पू. के बाद इसका विकास शाही राजधानी के रूप में हुआ।
  • मेसोपोटामिया संस्कृति में शहरोंका महत्त्व
  • मेसोपोटामिया निवासियों के जीवन में शहरों का अधिक महत्त्व था। यहाँ अनेक समुदायों और संस्कृतियों के लोग आपस में मिल-जुलकर एकसाथ रहते थे।
  • मेसोपोटामिया की सांस्कृतिक परंपराएँ
  • मेसोपोटामिया के समाज में एकल परिवार (Nuclear Family) को ही आदर्श माना जाता था, परंतु एक शादीशुदा बेटा और उसका परिवार हमेशा अपने माता-पिता के साथ ही रहता था।
  • लेखन कला का विकास
  • मेसोपोटामिया में जो पहली पट्टिकाएँ ( Tablet ) पाई गई . हैं वे लगभग 3200 ई.पू. की हैं । उनमें चित्र जैसे चिह्न और संख्याएँ दी गई हैं । लिपिक चिकनी मिट्टी को गीला करता था और फिर उसको गूंध कर और थापकर एक ऐसे आकार की पट्टी का रूप दे देता था जिसे वह आसानी से अपने एक हाथ में पकड़ सके ।
  • लेखन प्रणाली
  • जिस ध्वनि के लिए कीलाक्षर या कलाकार चिह्न का प्रयोग किया जाता था वह एक अकेला व्यंजन या स्वर नहीं होता था ( जैसे अंग्रेजी वर्णमाला में m या a ) लेकिन अक्षर ( Syllables ) होते थे ( जैसे अंग्रेजी में put , या la- या in ) ।
  • लेखन का प्रयोग
  • लगभग 2600 ई.पू. के आसपास वर्ण कीलाकार हो गए और भाषा सुमेरियन थी । अब लेखन का इस्तेमाल हिसाब किताब रखने के लिए ही नहीं , बल्कि शब्द – कोश बनाने , भूमि के हस्तांतरण को कानूनी मान्यता प्रदान करने , राजाओं के कार्यों का वर्णन करने और कानून में उन परिवर्तनों को उद्घोषित करने के लिए किया जाने लगा जो देश की आम जनता के लिए बनाए जाते थे ।
  • लेखन कला की देन
  • मेसोपोटामिया अपनी कालगणना और गणित की विद्वतापूर्ण परंपरा के कारण दुनिया में प्रसिद्ध है। 1800 ई. पू. के आस-पास कुछ पट्टिकाएँ प्राप्त हुई हैं, जिनमें गुणा और भाग की तालिकाएँ, वर्ग तथा वर्गमूल और चक्रवृद्धि ब्याज की सारणियाँ दी गई हैं।
  • साक्षरता
  • मेसोपोटामिया के बहुत कम लोग पढ़ – लिख सकते थे । न केवल प्रतीकों या चिह्नों की संख्या सैकड़ों में थी , बल्कि ये कहीं अधिक पेचीदा थे | उस समय साक्षर होना इतना प्रशंसनीय था कि राजा स्वयं प्रशस्तिपूर्ण अभिलेखों में इस बात को उल्लेखित करवाना चाहता था कि वह स्वयं पढ़ सकता है।

Notes for class 11 history chapter 2 in hindi : मुख्य बिंदु

  • मेसोपोटामिया : यह ग्रीक शब्द मेसोस से लिया गया है, जिसका अर्थ है मध्य और पोटामोस का अर्थ है नदी।
  • पट्टिकाएँ : पत्थर, मिट्टी या लकड़ी का एक सपाट टुकड़ा जिस पर लिखा होता है।
  • श्रम विभाजन : एक ऐसी व्यवस्था जिसमें कोई भी आत्म निर्भर न रहे। दरअसल, लोग अपनी जरूरतों के लिए एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं।
  • क्यूनिफ़ॉर्म : लैटिन शब्द ‘क्यूनस’ से लिया गया है जिसका अर्थ है ‘पच्चर। वेज के आकार के प्रतीक एक शब्द के शब्दांश और ध्वनि का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  • स्टेल : ये शिलालेख या नक्काशी के साथ पत्थर के स्लैब हैं।
  • एकल परिवार : संयुक्त परिवार जिसमें पति, पत्नी और उनके बच्चे शामिल हैं।
  • नाबदान : यह जमीन में एक ढका हुआ बेसिन है जिसमें पानी और सीवेज बहता है।
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Notes for class 11 history chapter 2 in hindi: लेखन कला और शहरी जीवन FAQs

प्रश्न. लेखन और शहरी जीवन क्या है?

उत्तर. शहर मंदिर के आसपास विकसित हुए थे और लंबी दूरी के व्यापार के महत्वपूर्ण केंद्र थे। पुरानी बस्तियों के पुरातात्विक साक्ष्य अवशेष हैं, और यहां रहने वाले लोगों के इतिहास के पुनर्निर्माण के लिए विशाल लिखित सामग्री का उपयोग किया गया है। हम नगरों के विकास में पशुपालकों, स्थायी कृषि और लेखन की भूमिका का अध्ययन करेंगे। महत्वपूर्ण विकास जैसे बसे हुए समुदाय, धातुओं का उपयोग और दूर देशों के अन्य लोगों के साथ व्यापार और वाणिज्य में वृद्धि।

प्रश्न. कक्षा 11 में इतिहास क्या है?

उत्तर. इतिहास एक महत्वपूर्ण अनुशासन है जो ऐतिहासिक घटनाओं के अध्ययन पर जोर देता है। इसमें विभिन्न महत्वपूर्ण अतीत की घटनाओं को याद करने के लिए महत्वपूर्ण तिथियां भी शामिल हैं। इसलिए, उपयुक्त पाठ्यपुस्तक से तैयारी करना आवश्यक है।

प्रश्न. मेसोपोटामिया से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर. मेसोपोटामिया दो ग्रीक शब्दों से बना है, जिसका अर्थ है मध्य और पोटामास का अर्थ है नदी मेसोपोटामिया का अर्थ है दो नदियों-यूफ्रेट्स और टाइग्रिस के बीच की भूमि। आज यह इराक गणराज्य का हिस्सा है।

प्रश्न. मेसोपोटामिया सभ्यता में साक्षरता की क्या स्थिति थी ?

उत्तर. मेसोपोटामिया में सीखने के लिए सैकड़ों चिह्न थे लेकिन उनमें से अधिकांश जटिल थे। इस कारण से, बहुत कम मेसोपोटामियावासी पढ़ और लिख सकते थे। यदि कोई राजा पढ़ सकता था, तो उसने यह सुनिश्चित किया कि यह उसके एक शेखी बघारने वाले शिलालेख में दर्ज है।

प्रश्न. मेसोपोटामिया सभ्यता में साक्षरता की क्या स्थिति थी ?

उत्तर. मेसोपोटामिया में सीखने के लिए सैकड़ों चिह्न थे लेकिन उनमें से अधिकांश जटिल थे। इस कारण से, बहुत कम मेसोपोटामियावासी पढ़ और लिख सकते थे। यदि कोई राजा पढ़ सकता था, तो उसने यह सुनिश्चित किया कि यह उसके एक शेखी बघारने वाले शिलालेख में दर्ज है।

प्रश्न. कौन से कारक बताते हैं कि आपका शहर अनियोजित था?

उत्तर. उर उन शुरुआती शहरों में से एक था जिसकी व्यवस्थित रूप से 1930 के दशक में खुदाई की गई थी। संकरी टेढ़ी-मेढ़ी गलियां संकेत करती हैं कि पहिए वाली गाड़ियां बहुत से घरों तक नहीं पहुंच सकती थीं। अनाज और जलावन की बोरियाँ गधे की पीठ पर पहुँच जाती। संकरी घुमावदार गलियां और अनियमित आकार के घर के भूखंड भी नगर नियोजन के अभाव का संकेत देते हैं। उर में मोहनजोदड़ो की तरह गली की नालियां नहीं थीं। और उर में सड़क नालियां अनुपस्थित थीं।

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