NCERT Notes For Class 11 History Chapter 1 In Hindi समय की शुरुआत से

Class 11 History Chapter 1 In Hindi समय की शुरुआत से

NCERT Notes For Class 11 History Chapter 1 In Hindi समय की शुरुआत से, (History) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

Sometimes, students get stuck inside the exercises and are not able to clear up all of the questions.  To assist students, solve all of the questions, and maintain their studies without a doubt, we have provided step-by-step NCERT Notes for the students for all classes.  These answers will similarly help students in scoring better marks with the assist of properly illustrated Notes as a way to similarly assist the students and answer the questions right.

NCERT Notes For Class 11 History Chapter 1 In Hindi समय की शुरुआत से

 

मानव कब और किस रूप में सर्वप्रथम अस्तित्व में आया ?

  • ऐसा समझा जाता है कि कदाचित् 56 लाख वर्ष पहले पृथ्वी पर ऐसे प्राणियों का प्रादुर्भाव हुआ जिन्हें हम मानव कह सकते हैं ।
  • आज हम जिस रूप में मानव को देखते हैं ( जिन्हें हमने आगे ‘ आधुनिक मानव ‘ कहा ) , वैसे लोग 1,60,000 साल पहले पैदा हुए थे |
  • मानव मरे प्राणियों के शरीर में से मांस निकालकर , जानवरों का शिकार करके अथवा पेड़ – पौधों से कंदमूल फल और बीज आदि बटोरकर अपना पेट भरते थे ।
  • धीरे – धीरे उन्होंने पत्थरों से औज़ार बनाना और आपस में बातचीत करना सीख लिया ।
  • मानव का विकास क्रमिक रूप से हुआ , इस बात का साक्ष्य हमें मानव की उन प्रजातियों ( species ) के जीवाश्मों से मिलता है जो अब लुप्त हो चुकी हैं ।
  • उनकी कुछ विशेषताओं या शारीरिक लक्षणों के आधार पर मानव को भिन्न – भिन्न प्रजातियों में बाँटा गया है ।
  • जीवाश्मों की तिथि का निर्धारण प्रत्यक्ष रासायनिक विश्लेषण द्वारा अथवा उन परतों या तलछटों के काल का परोक्ष रूप से निर्धारण करके किया जाता है जिनमें वे दबे हुए पाए जाते हैं ।
  • जब एक बार जीवाश्मों की तिथि यानी काल का पता चल जाता है तब मानव विकास का क्रम निर्धारित करना कठिन नहीं रहता ।
  • 24 नवम्बर 1859 को तब घटी जब मनुष्य की उत्पत्ति के विषय में चार्ल्स डार्विन की पुस्तक ऑन दि ओरिजिन ऑफ स्पीशीज़ ( On the origin of Species ) प्रकाशित हुई ।
  • डार्विन ने इस पुस्तक में दलील दी थी कि मानव बहुत समय पहले जानवरों से ही क्रमिक रूप से विकसित होकर अपने वर्तमान रूप में आया है ।

 

( क ) आधुनिक मानव के पूर्वज

  • परिवर्तन मानव के क्रमिक विकास के फलस्वरूप उत्पन्न हुए हैं ।
  • मानव के क्रमिक विकास की कहानी बहुत ज़्यादा लंबी और कुछ जटिल या उलझी हुई भी है ।
  • यह वह समय था जब एशिया तथा अफ्रीका में स्तनपायी प्राणियों की प्राइमेट ( Primates ) नामक श्रेणी का उद्भव हुआ था ।
  • ( Hominoids ) इस उपसमूह में ‘ वानर ‘ यानी ‘ एप ‘ ( Ape ) में ‘ प्राइमेट ‘ स्तनपायी प्राणियों के शामिल थे । और फिर बहुत समय बाद , लगभग 56 लाख वर्ष पहले , हमें पहले होमिनिड ( Homimids ) प्राणियों के अस्तित्व का साक्ष्य मिलता है ।

‘ होमिनिड ‘ वर्ग होमिनॉइड उपसमूह से विकसित हुए । उनमें अनेक समानताएँ पाई जाती हैं लेकिन कुछ बड़े अंतर भी हैं ।

  1. होमिनॉइडों का मस्तिष्क होमिनिडों की तुलना में छोटा होता था ।
  2. वे चौपाए थे , यानी चारों पैरों के बल चलते थे , लेकिन उनके शरीर का अगला हिस्सा और अगले दोनों पैर लचकदार होते थे ।
  3. इसके विपरीत , होमिनिड सीधे खड़े होकर पिछले दो पैरों के बल चलते थे ।
  4. उनके हाथ विशेष किस्म के होते थे जिनकी सहायता से वे औज़ार बना सकते थे और उनका इस्तेमाल कर सकते थे ।
  • होमिनिडों का उद्भव अफ्रीका में हुआ था । पहला तो यह कि अफ्रीकी वानरों ( एप ) का समूह होमिनिडों से बहुत गहराई से जुड़ा है ।
  • दूसरा , सबसे प्राचीन होमिनिड जीवाश्म , जो आस्ट्रेलोपिथिकस वंश ( Genus ) के हैं|
  • ‘ होमिनिड ‘ होमिनिडेइ ( Hominidae ) नामक परिवार के सदस्य होते हैं ; इस परिवार में सभी रूपों के मानव प्राणी शामिल हैं ।
  • होमिनिड समूह की अनेक विशेषताएँ हैं ; जैसे मस्तिष्क का बड़ा आकार , पैरों के बल सीधे खड़े होने की क्षमता , दो पैरों के बल चलना , हाथ की विशेष क्षमता
  • आस्ट्रेलोपिथिकस और होमो के बीच कुछ बड़े अंतर उनके मस्तिष्क के आकार , जबड़े और दाँतों के संबंध में पाए जाते हैं ।
  • आस्ट्रेलोपिथिकस के मस्तिष्क का आकार होमो की अपेक्षा बड़ा होता हैं , जबड़े अधिक भारी होते हैं और दाँत भी ज़्यादा बड़े होते हैं ।
  • आस्ट्रेलोपिथिकस नाम लातिनी भाषा के शब्द ‘ आस्ट्रल ‘ यानी ‘ दक्षिणी ‘ और यूनानी भाषा के शब्द ‘ पिथिकस ‘ यानी ‘ वानर ‘ से मिलकर बना है ।
  • होमो की तुलना में मस्तिष्क का अपेक्षाकृत छोटा होना , पिछले दाँत बड़े होना और हाथों की दक्षता का सीमित होना । उसमें सीधे खड़े होकर चलने – की क्षमता भी अधिक नहीं थी , क्योंकि वह अभी भी अपना बहुत सा समय पेड़ों पर गुजारता था|
  • इससे विभिन्न प्रकार के काम करने के लिए हाथ स्वतंत्र हो जाने का लाभ तो मिला ही साथ ही चार पैरों की बजाय दो पैरों पर चलने से शारीरिक ऊर्जा की खपत भी कम होने लगी|
  • लेतोली , तंजानिया में मिले होमिनिड के पदचिह्नों के जीवाश्मों और हादार , इथियोपिया से प्राप्त हड्डियों के जीवाश्मों से यह पता चलता है कि तत्कालीन मानव दो पैरों पर चलने लगे थे ।
  • ‘ होमो ‘ लातिनी भाषा का एक शब्द है जिसका अर्थ है ‘ आदमी ‘
  • इस प्रकार जीवाश्मों को होमो हैबिलिस ( औज़ार बनाने वाले ) , होमो एरेक्टस ( सीधे खड़े होकर पैरों के बल चलने वाले ) और होमो सैपियंस ( प्राज्ञ या चिंतनशील मनुष्य ) के रूप में वर्गीकृत किया गया है ।
  • होमो हैबिलिस के जीवाश्म इथियोपिया में ओमो ( Omo ) और तंज़ानिया में ओल्डुवई गोर्ज ( Olduval Gorge ) से प्राप्त किए गए हैं ।
  • होमो एरेक्टस के जीवाश्म अफ्रीका और एशिया दोनों महाद्वीपों में पाए गए हैं , यथा- कूबीफ़ोरा ( Koobi Fora ) और पश्चिमी तुर्काना , केन्या , मोड़ जोकर्ता ( Mod Jokerto ) और संगीरन ( Sangiran ) , जावा ।
  • जर्मनी के शहर हाइडलबर्ग में पाए गए जीवाश्मों को होमोहाइडल बर्गेसिस ( Homo heidel bergensis ) कहा गया जबकि निअंडर घाटी में पाए गए जीवाश्मों को होमो निअंडरथलैंसिस ( Homo neanderthalensis ) श्रेणी में रखा गया ।
  • यूरोप में मिले सबसे पुराने जीवाश्म होमो हाइडलबर्गेसिस और होमो निअंडरथलैंसिस के हैं ।

 

आदिकालीन मानव : भोजन प्राप्त करने के तरीके

  • आदिकालीन मानव कई तरीकों से अपना भोजन जुटाते थे ; जैसे- संग्रहण ( Gathering ) , शिकार ( Hunting ) , अपमार्जन * ( Scavenging ) और मछली पकड़ना ( Fishing ) । संग्रहण की क्रिया में पेड़ – पौधों से मिलने वाले खाद्य पदार्थों ; जैसे- बीज , गुठलियाँ , बेर , फल एवं कंदमूल इकट्ठा करना शामिल हैं ।
  • हमें हड्डियों के जीवाश्म तो बहुत मिल जाते हैं , पर पौधों के जीवाश्म तो दुर्लभ ही हैं ।
  • आदिकालीन होमिनिड अपमार्जन या रसदखोरी ** ( Scavanging or foraging ) के द्वारा उन जानवरों की लाशों से मांस मज्जा खुरच कर निकालने लगे जो जानवर अपने आप मर जाते या किन्हीं अन्य हिंसक जानवरों द्वारा मार दिए जाते थे । यह भी इतना ही संभव है कि पूर्व होमिनिड छोटे स्तनपायी जानवरों – चूहे , छछूंदर जैसे कृंतकों ( Rodents ) , पक्षियों ( और उनके अंडों ) , सरीसृपों और यहाँ तक कि कीड़े – मकोड़ों को खाते थे ।
  • शिकार शायद बाद में शुरू हुआ लगभग 5,00,000 साल पहले । बड़े स्तनपायी जानवरों का शिकार और उनका वध करने का सबसे पुराना स्पष्ट साक्ष्य दो स्थलों से मिलता है और वे हैं – दक्षिणी इंग्लैंड में बॉक्सग्रोव ( Boxgrove ) से 5,00,000 पहले का और जर्मनी में शोनिंजन ( Schoningen ) से 4,00,000 साल पहले का |
  • क्या खाद्य पदार्थ इकट्ठा करने , मरे हुए जानवरों से मांस निकालने , शिकार करने और मछली पकड़ने में स्त्री पुरुषों की भूमिकाएँ भिन्न – भिन्न होती थीं ?

 

प्रारंभिक मानव

पेड़ों से गुफाओं तथा खुले स्थलों पर आवास

  • केन्या में किलोंबे ( Kilombe ) और ओलोर्जेसाइली ( Olorgesaillie ) के खनन स्थलों पर हज़ारों की संख्या में शल्क उपकरण और हस्तकुठार मिले हैं । ये औज़ार 700,000 से 500,000 साल पुराने हैं ।
  • ये इतने सारे औज़ार एक ही स्थान पर कैसे इकट्ठे हुए ?
  • दक्षिण फ्रांस में स्थित लेजरेट गुफा की दीवार को 12 x 4 मीटर आकार के एक निवास स्थान से सटाकर बनाया गया है ।
  • एक और पुरास्थल , दक्षिणी फ्रांस के समुद्रतट पर स्थित टेरा अमाटा ( Terra Amata ) में घास – फूस और लकड़ी की छत वाली कच्ची – कमजोर झोपड़ियाँ , सामयिक मौसमी प्रवास के लिए बनाई जाती थीं ।
  • केन्या में चेसोवांजा ( Chesowanja ) और दक्षिणी अफ्रीका में स्वार्टक्रान्स ( Swartkrans ) में पत्थर के औज़ारों के साथ – साथ आग में पकाई गई चिकनी मिट्टी और जली हुई हड्डियों के टुकड़े मिले हैं जो 14 लाख से 10 लाख साल पुराने है ।

 

प्रारंभिक मानव: औज़ारों का निर्माण

  • पत्थर के औज़ार बनाने और उनका इस्तेमाल किए जाने का सबसे प्राचीन साक्ष्य इथियोपिया

और केन्या ( मानचित्र 1 ) के पुरा स्थलों से प्राप्त होता है ।

  • आस्ट्रेलोपिथिकस ने सबसे पहले पत्थर के औज़ार बनाए थे ।
  • जानवरों को मारने के तरीकों से प्रमाण यह है कि फेंक कर मारने वाले भालों तथा तीर – कमान जैसे नए किस्म के औज़ार बनाए जाने लगे ।
  • और भी परिवर्तन आए ; जैसे- समूरदार जानवरों को पकड़ा जाना , उनके रोएँदार खाल का कपड़े की तरह प्रयोग और सिलने के लिए सुई का अविष्कार होना ।

 

संप्रेषण एवं संचार के माध्यम: भाषा और कला

  • होमिनिड भाषा में अंगविक्षेप ( हाव – भाव ) या हाथों का संचालन ( हिलाना ) शामिल था
  • उच्चरित भाषा से पहले गाने या गुनगुनाने जैसे मौखिक या अ – शाब्दिक संचार का प्रयोग होता था
  • मनुष्य की वाणी का प्रारंभ संभवतः आह्वान या बुलावों की क्रिया से हुआ था जैसा कि नर – वानरों में देखा जाता है ।
  • एक तीसरा सुझाव यह है कि भाषा , कला के साथ – साथ लगभग 40,000-35,000 साल पहले विकसित हुई ।
  • फ्रांस में स्थित लैसकॉक्स ( Lascaux ) और शोवे ( Chauvet ) की गुफाओं में और स्पेन में स्थित आल्टामीरा की गुफा में जानवरों की सैकड़ों चित्रकारियाँ पाई गई हैं , जो 30,000 से 12,000 साल पहले के बीच में कभी बनाई गई ।
  • इनमें गौरों , घोड़ों , साकिन ( Ibex ) , हिरनों , मैमथों यानी विशालकाय जानवरों , गैंडों , शेरों , भालुओं , तेंदुओं , लकड़बग्घों और उल्लुओं के चित्र शामिल हैं ।

 

अफ्रीका में शिकारी – संग्राहकों के साथ प्रारंभिक संपर्क

  • अफ्रीका के कालाहारी ( Kalahari ) रेगिस्तान में रहने वाले ‘ कुंग सैन ‘ ( Kung San ) नाम के एक शिकारी – संग्राहक समाज के साथ 1870 में एक अफ्रीकी पशुचारक समूह के एक सदस्य का पहली बार संपर्क हुआ ।

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