NCERT Notes For Class 11 History Chapter 10 In Hindi मूल निवासियों का विस्थापन

Class 11 History Chapter 10 In Hindi मूल निवासियों का विस्थापन

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NCERT Notes For Class 11 History Chapter 10 मूल निवासियों का विस्थापन

 

इस में अमरीका और ऑस्ट्रेलिया के मूल निवासियों के इतिहास के कुछ पहलू पेश किए गए हैं । 18 वीं सदी से दक्षिणी अमरीका के और भी हिस्सों में , तथा मध्य , उत्तरी अमरीका , दक्षिणी अफ्रीका , ऑस्ट्रेलिया तथा न्यूज़ीलैंड के इलाकों में यूरोप से आए आप्रवासी बसने लगे । इस प्रक्रिया ने वहाँ के बहुत से मूल निवासियों को दूसरे इलाकों में जाने पर मजबूर किया । यूरोपीय लोगों की ऐसी बस्तियों को ‘ कॉलोनी ‘ ( उपनिवेश ) कहा जाता था । जब यूरोप से आए इन उपनिवेशों के बाशिंदे यूरोपीय ‘ मातृदेश ‘ से स्वतंत्र हो गए , तो उन्हें ‘ राज्य ‘ या देश का दर्जा हासिल हो गया ।

स्रोत

  • निवासियों के मौखिक इतिहास
  • मूल निवासियों द्वारा लिखे गए इतिहास और कथाकृतियों
  • संग्रहालयों में निवासियों की देसी कला

 

यूरोपीय साम्राज्यवाद

  • स्पेन और पुर्तगाल के अमरीकी साम्राज्य का सत्रहवीं सदी के बाद विस्तार नहीं हुआ ।
  • तब तक फ्रांस , हॉलैंड और इंग्लैंड जैसे दूसरे देशों ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों का विस्तार करना और अमरीका , अफ़्रीका तथा एशिया में अपने उपनिवेश बसाना शुरू कर दिया ; आयरलैंड भी कमोबेश इंग्लैंड का उपनिवेश ही था
  • मुनाफ़े की संभावना ने ही लोगों को यहाँ उपनिवेश बसाने के लिए प्रेरित किया था
  • लेकिन जो नियंत्रण स्थापित किया गया , उसकी ‘ प्रकृति ‘ में महत्त्वपूर्ण विविधताएँ थीं ।
  • दक्षिण एशिया में व्यापारिक कंपनियों ने अपने को राजनीतिक सत्ता का रूप दिया , स्थानीय शासकों को हराया और अपने इलाके का विस्तार किया ।
  • उन्होंने व्यापार को सुगम बनाने के लिए रेलवे का निर्माण किया , खदानें खुदवाई और बड़े – बड़े बाग़ान स्थापित किए ।
  • यूरोपीय मुल्कों के बीच अपने उपनिवेशों रूप में अफ़्रीका का बँटवारा करने का समझौता हुआ ।

 

उत्तरी अमरीका :

मूल निवासी

  • उत्तरी अमरीका के सबसे पहले बाशिंदे 30,000 साल पहले बेरिंग स्ट्रेट्स के फैले भूमि – सेतु के रास्ते एशिया से आए ।
  • ये लोग नदी घाटी के साथ – साथ बने गाँवों में समूह बना कर रहते थे । वे मछली और मांस खाते थे , और सब्ज़ियाँ तथा मकई उगाते थे ।
  • उन्होंने बड़े पैमाने पर खेती करने की कोई कोशिश नहीं की और चूंकि वे अपनी आवश्यकताओं से अधिक उत्पादन नहीं करते थे
  • उन्होंने केंद्रीय तथा दक्षिणी अमरीका की तरह राजशाही और साम्राज्य का विकास नहीं किया
  • वे ज़मीन पर अपनी ‘ मिल्कियत ‘ की कोई ज़रूरत महसूस किए बगैर उससे मिलनेवाले भोजन और आश्रय से संतुष्ट थे ।
  • उनकी परंपरा की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता थी औपचारिक संबंध और दोस्तियाँ कायम करना तथा उपहारों का आदान – प्रदान करना ।
  • उत्तरी अमरीका में अनेक भाषाएँ बोली जाती थीं , हालांकि वे लिखी नहीं जाती
  • वे कुशल कारीगर थे और खूबसूरत कपड़े बुनते थे ।
  • वे धरती को पढ़ सकते – जलवायु और विभिन्न थे भू – दृश्यों को समझ सकते थे , जैसे पढ़े – लिखे लोग लिखी हुई चीजें पढ़ते हैं ।
  • वहाँ के स्थानीय लोगों का व्यवहार दोस्ताना और गर्मजोशी-भरा है ।
  • देसी लोग नियमित रूप से जमा होते थे । इसका मक़सद था , ऐसे हस्तशिल्पों का आदान – प्रदान करना जो किसी खास कबीले में ही बनते थे , या ऐसे खाद्य पदार्थों का आदान – प्रदान जो अन्य इलाकों में उपलब्ध नहीं थे ।
  • स्थानीय उत्पादों के बदले में यूरोपीय लोग वहाँ के बाशिंदों को कंबल , लोहे के बर्तन , बंदूकें और शराब देते थे ।
  • वहाँ के बाशिंदों का पहले शराब से परिचय नहीं था । वे जल्दी ही इसकी आदत के शिकार हो गए , जो कि यूरोपीय लोगों के लिए अच्छा साबित हुआ , क्योंकि इसने उन्हें व्यापार के लिए अपनी शर्तें थोपने में सक्षम बनाया

 

पारस्परिक धारणाएँ

  • अठारहवीं सदी में पश्चिमी यूरोप के लोग ‘ सभ्य ‘ मनुष्य की पहचान साक्षरता, संगठित धर्म और शहरीपन के आधार पर ही करते थे ।
  • उन्हें अमरीका के मूल निवासी ‘ असभ्य ‘, और उदात्त उत्तम जंगली ‘ ( The noble savage ) प्रतीत हुए
  • विलियम वर्ड्सवर्थ ने उनका वर्णन करते हुए कहा कि वे ” जंगलों में ” रहते हैं , ” जहाँ कल्पनाशक्ति के पास उन्हें भावसंपन्न करने , उन्हें ऊँचा उठाने या परिष्कृत करने के अवसर बहुत कम हैं “
  • ” मूल बाशिंदे यूरोपीय लोगों के साथ जिन चीज़ों का आदान – प्रदान करते थे , वे उनके लिए दोस्ती में दिए गए ‘ उपहार ‘ थे ।
  • दूसरी ओर अमीरी का सपना देखने वाले यूरोपीय लोगों के लिए मछली और रोएँदार खाल ‘ माल ‘ थे , जिसे उन्हें मुनाफा कमाने के लिए यूरोप में बेचना था ,
  • मूल निवासियों में ‘ बाज़ार ‘ का ज़रा भी बोध नहीं था ।
  • यूरोपीय व्यापारी उनकी चीज़ों के बदले में कभी तो बहुत सारा सामान देते थे और कभी बहुत कम ।
  • वे यूरोपीय लोगों के लालच को देख कर भी दुखी होते थे ।
  • रोएँदार खाल हासिल करने के लिए उन्होंने सैकड़ों ऊदबिलावों को हलाल किया था
  • उन्हें डर था कि जानवर उनसे इस विध्वंस का बदला लेंगे ।
  • उन्होंने जंगलों की सफाई के लिए अपने लोहे के औज़ारों का इस्तेमाल किया , ताकि खेती की जा सके ।
  • मूल निवासियों ने उन रास्तों की पहचान की , जो यूरोपीय लोगों के लिए अदृश्य थे ।
  • यूरोपीय लोगों की कल्पना में कटे हुए जंगल की जगह मक्के के खेत उभरते थे ।

संयुक्त राज्य अमेरिका का विस्तार

  • संयुक्त राज्य अमरीका ने कई विशाल क्षेत्रों की खरीद की में उन्होंने दक्षिण में फ्रांस ( लुइसियाना परचेज़ ) और रूस ( अलास्का ) से ज़मीन खरीदी , साथ ही , उसने युद्ध में भी ज़मीन जीती- दक्षिणी सं.रा.अ. का अधिकतर हिस्सा मेक्सिको से ही जीता गया है ।

दासता ( Slavery )

  • संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तरी राज्यों ने दासता को समाप्त करने के लिए तर्क दिया क्योंकि उन्होंने इसे एक अमानवीय प्रथा के रूप में निंदा की थी
  • बागान मालिकों ने अफ्रीका से दास खरीदे ।
  • दासप्रथा विरोधी समूहों के विरोध के चलते दासों के व्यापार पर तो रोक लग गई , लेकिन जो अफ्रीकी संयुक्त राज्य अमरीका में थे , वे और उनके बच्चे दास ही बने रहे ।
  • 1861-65 में दासप्रथा को जारी रखनेवाले और उसके खात्मे की वकालत करने वाले राज्यों के बीच युद्ध हुआ | दासता विरोधियों की जीत हुई ।
  • अफ्रीकी मूल के अमरीकियों को नागरिक स्वतंत्रताओं के लिए अपने संघर्ष में विजय 20 वीं सदी में आकर ही मिल पाई और तभी स्कूलों तथा ट्रेनों बसों में उन्हें अलग रखने की व्यवस्था समाप्त हुई ।

अपनी ज़मीन से मूल बाशिंदों की बेदख़ली

  • जैसे – जैसे संयुक्त राज्य अमरीका ने अपनी बस्तियों का विस्तार किया , ज़मीन की बिक्री के समझौते पर दस्तख़त कराने के बाद मूल निवासियों को वहाँ से हटने के लिए प्रेरित या बाध्य किया गया ।
  • संयुक्त राज्य अमरीका में रहनेवाले यूरोपीय लोगों ने धोखे से उनसे ज्यादा ज़मीन ले ली या पैसा देने के मामले में वायदाखिलाफ़ी की ।
  • उच्च अधिकारी भी मूल बाशिंदों की बेदखली को गलत नहीं मानते थे ।
  • जॉर्जिया संयुक्त राज्य अमरीका का एक राज्य है । यहाँ के अधिकारियों की दलील थी कि चिरोकी कबीला राज्य के कानून से शासित तो होता है , लेकिन वे नागरिक अधिकारों का उपयोग नहीं कर सकते ।
  • 1832 में संयुक्त राज्य के मुख्य न्यायाधीश , जॉन मार्शल ने एक महत्त्वपूर्ण फैसला सुनाया । उन्होंने कहा कि चिरोकी कबीला ” एक विशिष्ट समुदाय है और उसके स्वत्वाधिकार वाले इलाके में जॉर्जिया का कानून लागू नहीं होता ” और वे कुछ मामलों में संप्रभुतासंपन्न हैं ।
  • संयुक्त राज्य के राष्ट्रपति , एंड्रिउ जैकसन , उन्होंने मुख्य न्यायाधीश की इस बात का मान रखने से इनकार कर दिया और चिरोकियों को अपनी ज़मीन से हाँक कर विस्तृत अमरीकी मरुभूमि ( Great American Desert ) की ओर खदेड़ने के लिए अमरीकी फ़ौज भेज दी ।
  • जिन 15000 लोगों को वहाँ से हटने पर मजबूर किया गया , उनमें से एक चौथाई अपने आँसुओं की राह ‘ ( Trail of Tears ) के सफर में ही मर-खप गए ।
  • जिन लोगों ने पहले से रहनेवाले कबीलों की ज़मीने ले लीं , वे इस आधार पर अपने को उचित ठहराते थे कि चूंकि मूल निवासी ज़मीन का अधिकतम इस्तेमाल करना नहीं जानते , इसलिए वह उनके कब्जे में रहनी ही नहीं चाहिए ।
  • वे मूल निवासियों की आलोचना करते कि वे आलसी हैं इसलिए बाजार हेतु उत्पादन करने में अपने शिल्प कौशल का इस्तेमाल नहीं करते हैं , अंग्रेजी सीखने और ढंग के कपड़े पहनने में उनकी दिलचस्पी नहीं है ।
  • कुल मिलाकर उनका कहना यह था कि वे ‘ मर खपने लायक ही हैं ।
  • मूल निवासी छोटे इलाकों में कैद कर दिए गए थे , जिन्हें ‘ रिज़र्वेशन्स ‘ ( आरक्षण ) कहा जाता था ।
  • संयुक्त राज्य की फ़ौज ने 1865 से 1890 के बीच विद्रोहों की एक पूरी श्रृंखला का दमन किया था । अमेरिकी सेना ने इन सभी विद्रोहों को कुचल दिया।

 

गोल्ड रश और उद्योगों की वृद्धि

  • 1840 में संयुक्त राज्य अमरीका के कैलीफोर्निया में सोने के कुछ चिह्न मिले । इसने ‘ गोल्ड रश ‘ को जन्म दिया ।
  • हजारों की संख्या में आतुर यूरोपीय लोग चुटकियों में अपनी तकदीर सँवार लेने की उम्मीद में अमरीका पहुँचे ।
  • इसके चलते पूरे महाद्वीप में रेलवे लाइनों का निर्माण हुआ जिसके लिए हजारों चीनी श्रमिकों की नियुक्ति हुई ।
  • उत्तरी अमरीका में उद्योग कई अलग तरह के कारणों से विकसित हुए जैसे रेलवे के साज़ – सामान बनाने के लिए ताकि दूर – दूर की जगहों को तीव्र परिवहन के माध्यम से जोड़ा जा सके और ऐसे यंत्रों का उत्पादन करने के लिए जिनसे बड़े पैमाने की खेती को आसान बनाया जा सके ।
  • 1860 में संयुक्त राज्य अमरीका का अर्थतंत्र अविकसित अवस्था में था । 1890 में वह दुनिया की अग्रणी औद्योगिक शक्ति बन चुका था ।
  • अब कोई ‘ फ्रंटियर ‘ नहीं रहा , जो कई दशकों तक यूरोपीय आबादकारों को पश्चिम की ओर खींचता रहा था ।

 

उत्तरी अमेरिका में संवैधानिक अधिकार

  • उनके संविधान में व्यक्ति के ‘ संपत्ति के अधिकार ‘ को शामिल किया गया , जिसे रद्द करने की छूट राज्य को नहीं थी ।
  • लेकिन लोकतांत्रिक अधिकार ( राष्ट्रपति और कांग्रेस के प्रतिनिधियों के चुनाव में वोट देने का अधिकार ) और संपत्ति का अधिकार , दोनों सिर्फ गोरे लोगों के लिए थे ।

 

बदलाव की लहर …

  • संयुक्त राज्य अमरीका की समस्त जनता को प्रभावित करनेवाली बड़ी आर्थिक मंदी से कुछ साल पहले 1928 में समाजवैज्ञानिक लेवाइस मेरिअम के निर्देशन में संपन्न हुआ एक सर्वेक्षण प्रकाशित हुआ दि प्रॉब्लम ऑफ़ इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन – जिसमें रिज़र्वेशन्स में रह रहे मूल निवासियों की स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाओं की दरिद्रता का बड़ा ही दारुण चित्र प्रस्तुत किया गया था ।
  • संयुक्त राज्य अमरीका में एक युगांतरकारी कानून को जन्म दिया 1934 का इंडियन रीऑर्गनाईज़ेशन एक्ट जिसके द्वारा रिज़र्वेशन्स में मूल निवासियों को ज़मीन खरीदने और ऋण लेने का अधिकार हासिल हुआ ।
  • 1950 और 60 के दशकों में संयुक्त राज्य और कनाडा की सरकारों ने मूल बाशिंदों के लिए किए गए विशेष प्रावधानों को खत्म करने पर इस उम्मीद से विचार किया कि इससे वे ‘ मुख्यधारा में शामिल होंगे , अर्थात वे यूरोपीय संस्कृति को अपनाएँगे ।
  • 1954 में अनेक मूल निवासियों ने अपने द्वारा तैयार किए गए ‘ डिक्लेरेशन ऑफ़ इंडियन राइट्स ‘ में इस शर्त के साथ सं.रा.अ. की नागरिकता स्वीकार की कि उनके रिज़र्वेशन्स वापस नहीं लिए जाएँगे
  • और उनकी परंपराओं में दखलंदाज़ी नहीं की जाएगी ।
  • 1982 में एक संवैधानिक धारा के तहत मूल निवासियों के मौजूदा आदिवासी अधिकारों और समझौता – आधारित अधिकारों को स्वीकृति मिल गईं ।

आस्ट्रेलिया

  • शुरुआती मनुष्य या आदिमानव जिन्हें ‘ ऐबॉरिजिनीज़ ‘ कहते हैं ऑस्ट्रेलिया में 40,000 साल पहले आने शुरू हुए । वे ऑस्ट्रेलिया के साथ एक भू – सेतु से जुड़े न्यू गिनी से आए थे ।
  • मूल निवासियों की अपनी परंपराओं के हिसाब से वे ऑस्ट्रेलिया आए नहीं थे , बल्कि हमेशा से यहीं थे ।
  • देसी लोगों का एक और विशाल समूह उत्तर में रहता है ( इसे टॉरस स्ट्रेट टापूवासी कहते हैं ।
  • ऑस्ट्रेलिया के ज्यादातर शुरुआती आबादकार इंग्लैंड से निर्वासित होकर आए थे और उनके कारावास पूरा होने पर ब्रिटेन वापस न लौटने की शर्त पर उन्हें ऑस्ट्रेलिया में स्वतंत्र जीवन जीने की इजाज़त दे दी गई
  • अपने क्षेत्र से इतने भिन्न इस इलाके में किसी भी तरह के सहारे के जीवनयापन करने के लिए उन्होंने खेती के लिए ली गई ज़मीन से मूल निवासियों को निकाल बाहर करने में कोई झिझक नहीं दिखलाई ।
  • कुछ मूल निवासी ऐसे सख्त हालात में खेतों में काम करते थे कि उसका दासप्रथा से अंतर बहुत कम था । बाद में चीनी आप्रवासियों ने सस्ता श्रम मुहैया कराया
  • 1974 तक लोगों के मन में यह भय घर कर गया था कि दक्षिण एशिया और दक्षिण – पूर्व एशिया के ‘ गहरी रंगत वाले ‘ लोग बड़ी तादाद में ऑस्ट्रेलिया आ सकते हैं , और इसीलिए ‘ गैर – गोरों को बाहर रखने के लिए सरकार ने एक नीति अपनाई ।

 

बदलाव की लहर …

  • 1968 में एक मानवशास्त्री डब्ल्यू . ई . एच . स्टैनर के एक व्याख्यान से लोगों में बिजली की तरंग – सी दौड़ गई । व्याख्यान का शीर्षक , दि ग्रेट ऑस्ट्रेलियन साइलेंस ( महान ऑस्ट्रेलियाई चुप्पी ) इतिहासकारों की मूल निवासियों के बारे में चुप्पी थी ।
  • विभिन्न संस्कृतियों वाले समुदायों के रूप में मूल निवासियों का अध्ययन करने का प्रयास किया गया था।
  • हेनरी रेनॉल्ड्स ने अपनी प्रभावशाली पुस्तक , व्हाइ वरंट वी टोल्ड ? ( हमें बताया क्यों नहीं गया ? ) में सामने रखा इस किताब में ऑस्ट्रेलियाई इतिहास लेखन के उस ढर्रे की भर्त्सना की गई थी , जिसमें कैप्टन कुक की ‘ खोज ‘ से ही इतिहास की शुरुआत मानी जाती थी ।
  • 1974 से बहुसंस्कृतिवाद ‘ ऑस्ट्रेलिया की राजकीय नीति है , जिसने मूल निवासियों की संस्कृतियों और यूरोप तथा एशिया के आप्रवासियों की की संस्कृतियों को समान आदर दिया है ।
  • ऑस्ट्रेलिया में यूरोपीय लोगों द्वारा किए गए भूमि अधिग्रहण को औपचारिक बनाने के लिए मूल निवासियों के साथ कोई समझौता पत्र तैयार नहीं किया गया है ।
  • सरकार हमेशा से ऑस्ट्रेलिया की ज़मीन को टेरा न्यूलिअस ( terra nullius ) कहती आई थी । इसका मतलब था , ‘ जो किसी की नहीं है ।
  • इसके अलावा , वहाँ अपने आदिवासी रिश्तेदारों से छीने गए मिश्रित रक्तवाले ( मूल निवासी – यूरोपीय ) बच्चों का एक लंबा और यंत्रणापूर्ण इतिहास भी था ।
  • इन सवालों पर खड़े हुए आंदोलन के कारण तहकीकातें शुरू हुई और दो महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए
  • एक इस बात को मान्यता देना कि मूल निवासियों का जमीन के साथ जो कि उनके लिए ‘ पवित्र ‘ है , मज़बूत ऐतिहासिक संबंध रहा है और इसका आदर किया जाना चाहिए ;
  • दो , पिछली गलतियों को धोया तो नहीं जा सकता , लेकिन ‘ गोरों ‘ और ‘ रंगबिरंगे लोगों को अलग – अलग रखने की कोशिश करके बच्चों के साथ जो अन्याय किया गया है , उसके लिए सार्वजनिक रूप से माफ़ी माँगी जानी चाहिए ।

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