NCERT Notes For Class 9 Economics Chapter 1 In Hindi ­­­पालमपुर गाँव की कहानी

Class 9 Economics Chapter 1 In Hindi ­­­पालमपुर गाँव की कहानी

NCERT Notes For Class 9 Economics Chapter 1 In Hindi ­­­पालमपुर गाँव की कहानी, (History) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

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NCERT Notes For Class 9 Economics Chapter 1 In Hindi ­­­पालमपुर गाँव की कहानी

 

अवलोकन –­­­­­­

  • इस कहानी का उद्देश्य उत्पादन से संबंधित मूल विचारों से परिचय कराना है
  • ऐसा हम एक काल्पनिक गाँव- पालमपुर की कहानी के माध्यम से कर रहे हैं ।
  • पालमपुर गाँव की कहानी पालमपुर में खेती मुख्य क्रिया है , जबकि अन्य कई क्रियाएँ जैसे , लघु – स्तरीय विनिर्माण , डेयरी , परिवहन आदि सीमित स्तर पर की जाती हैं ।

 

पालमपुर गाँव का परिचय

  • पालमपुर आस – पड़ोस के गाँवों और कस्बों से भलीभाँति जुड़ा हुआ है ।
  • प्रत्येक मौसम में यह सड़क गाँव को रायगंज और उससे आगे निकटतम छोटे कस्बे शाहपुर से जोड़ती है ।
  • इस सड़क पर गुड़ और अन्य वस्तुओं से लदी हुई बैलगाड़ियाँ , भैंसाबग्घी से लेकर अन्य कई तरह के वाहन जैसे , मोटरसाइकिल , जीप , ट्रैक्टर और ट्रक तक देखे जा सकते हैं ।
  • इस गाँव में विभिन्न जातियों के लगभग 450 परिवार रहते हैं । गाँव में अधिकांश भूमि के स्वामी उच्च जाति के 80 परिवार हैं ।
    • उनके मकान , जिनमें से कुछ बहुत बड़े हैं , ईंट और सीमेंट के बने हुए हैं ।
    • अनुसूचित जाति ( दलित ) के लोगों की संख्या गाँव की कुल जनसंख्या का एक तिहाई है और वे गाँव के एक कोने में काफ़ी छोटे घरों में रहते हैं , जिनमें कुछ मिट्टी और फूस के बने हैं ।
  • अधिकांश के घरों में बिजली है ।
    • खेतों में सभी नलकूप बिजली से ही चलते हैं और इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के छोटे कार्यों के लिए भी किया जाता है ।
  • पालमपुर में दो प्राथमिक विद्यालय और एक हाई स्कूल है । गाँव में एक राजकीय प्राथमिक स्वास्थ केंद्र और एक निजी औषधालय भी , जहाँ रोगियों का उपचार किया जाता है

 

उत्पादन का संगठन

  • उत्पादन का उद्देश्य वस्तुएँ और सेवाएँ उत्पादित करना है
  • वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन के लिए चार चीजें आवश्यक हैं ।
  1. पहली आवश्यकता है भूमि तथा अन्य प्राकृतिक संसाधन , जैसे- जल , वन , खनिज ।
  2. दूसरी आवश्यकता है श्रम अर्थात् जो लोग काम करेंगे ।
    • उत्पादन क्रियाओं में जरूरी कार्यों को करने के लिए बहुत ज्यादा पढ़े – लिखे कर्मियों की ज़रूरत होती है ।
  3. तीसरी आवश्यकता भौतिक पूँजी है , अर्थात् उत्पादन के प्रत्येक स्तर पर अपेक्षित कई तरह के आगत ।

भौतिक पूँजी के अंतर्गत कौन – कौन सी वस्तु आती हैं

( क ) औजार , मशीन , भवन : औज़ारों तथा मशीनों में अत्यंत साधारण औज़ार जैसे किसान का हल से लेकर परिष्कृत मशीनें जैसे- जेनरेटर , टरबाइन , कंप्यूटर आदि आते हैं ।

  • औज़ारों , मशीनों और भवनों का उत्पादन में कई वर्षों तक प्रयोग होता है और इन्हें स्थायी पूँजी कहा जाता है ।

( ख ) कच्चा माल और नकद मुद्रा : उत्पादन में कई कच्चे माल की आवश्यकता होती है , जैसे बुनकर द्वारा प्रयोग किया जाने वाला सूत और कुम्हारों द्वारा प्रयोग में लाई जाने वाली मिट्टी ।

  • कच्चा माल तथा नकद पैसों को कार्यशील पूँजी कहते हैं ।

औज़ारों , मशीनों तथा भवनों से भिन्न ये चीजें उत्पादन क्रिया के दौरान समाप्त हो जाती हैं ।

4. चौथी आवश्यकता

  • उपभोग हेतु या बाजार में बिक्री हेतु उत्पादन करने के लिए भूमि , श्रम और भौतिक पूँजी को एक साथ करने योग्य बनाने के लिए ज्ञान और उद्यम की आवश्यकता पड़ेगी ।
  • आजकल इसे मानव पूँजी कहा जाता है ।

उत्पादन भूमि , श्रम और पूँजी को संयोजित करके संगठित होता है , जिन्हें उत्पादन के कारक कहा जाता है ।

 

पालमपुर में खेती

1. भूमि स्थिर है

  • पालमपुर में खेती उत्पादन की प्रमुख क्रिया है ।
  • काम करने वालों में 75 प्रतिशत लोग अपनी जीविका के लिए खेती पर निर्भर हैं ।
  • इन लोगों का हित खेतों में उत्पादन से जुड़ा हुआ है ।
  • कृषि उत्पादन में एक मूलभूत कठिनाई है । खेती में प्रयुक्त भूमि क्षेत्र वस्तुतः स्थिर होता है । पालमपुर
  • नयी भूमि को खेती योग्य बनाकर कृषि उत्पादन को और बढ़ाने की कोई गुंजाइश नहीं है ।

 

2. क्या उसी भूमि से अधिक पैदावार करने का कोई तरीका है ?

  1. पालमपुर में समस्त भूमि पर खेती की जाती है । कोई भूमि बेकार नहीं छोड़ी जाती ।
    • बरसात के मौसम ( खरीफ़ ) में किसान ज्वार और बाजरा उगाते हैं ।
    • इसके बाद अक्तूबर और दिसंबर के बीच आलू की खेती होती है ।
  2. सर्दी के मौसम ( रबी ) में खेतों में गेहूँ उगाया जाता है ।
  3. भूमि के एक भाग में गन्ने की खेती भी की जाती है , जिसकी वर्ष में एक बार कटाई होती है ।

कारण किसान अलग-अलग फसल क्यों उगाते हैं?

  1. पालमपुर में एक वर्ष में किसान तीन अलग – अलग फसलें पैदा कर पाते हैं , क्योंकि वहाँ सिंचाई की सुविकसित व्यवस्था है ।
  2. पालमपुर में बिजली जल्दी ही आ गई थी ।
    • उसका मुख्य प्रभाव यह पड़ा कि सिंचाई की पद्धति ही बदल गई ।
  3. तब तक किसान कुँओं से रहट द्वारा पानी निकालकर छोटे – छोटे खेतों की सिंचाई किया करते थे ।
  4. लोगों ने देखा कि बिजली से चलने वाले नलकूपों से ज्यादा प्रभावकारी ढंग से अधिक क्षेत्र की सिंचाई की जा सकती थी ।

बहु फसल क्या है?

  1. एक वर्ष में किसी भूमि पर एक से ज्यादा फसल पैदा करने को बहुविध फसल प्रणाली कहते है ।
    • यह भूमि के किसी एक टुकड़े में उपज बढ़ाने की सबसे सामान्य प्रणाली है ।
  2. एक ही ज़मीन के टुकड़े से उत्पादन बढ़ाने का एक तरीका बहुविध फसल प्रणाली है ।

दूसरा तरीका अधिक उपज के लिए खेती में आधुनिक कृषि विधियों का प्रयोग करना है ।

  1. 1960 के दशक के अंत में हरित क्रांति ने भारतीय किसानों को अधिक उपज वाले बीजों ( एच . वाई.वी. ) के द्वारा गेहूँ और चावल की खेती करने के तरीके सिखाए ।
  2. परंपरागत बीजों की तुलना में एच . वाई . वी . बीजों से एक ही पौधे से ज्यादा मात्रा में अनाज पैदा होने की आशा थी ।
  3. अति उपज प्रजातियों वाले बीजों से अधिकतम उपज पाने के लिए बहुत ज्यादा पानी तथा रासायनिक खाद और कीटनाशकों की ज़रूरत थी ।
  4. अधिक उपज केवल अति उपज प्रजातियों वाले बीजों , सिंचाई , रासायनिक उवर्रकों और कीटनाशकों आदि के संयोजन से ही संभव थी ।
  5. पालमपुर में , परंपरागत बीजों से गेहूँ की उपज 1,300 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर थी । एच.वाई.बी. बीजों से उपज 3,200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक पहुँच गई ।

भारत में पंजाब , हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने खेती के आधुनिक तरीकों का सबसे पहले प्रयोग किया ।

 

3. क्या भूमि यह धारण कर पाएगी ?

  1. भूमि एक प्राकृतिक संसाधन है , अतः इसका सावधानीपूर्वक प्रयोग करने की ज़रूरत है ।
  2. वैज्ञानिक रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि खेती की आधुनिक कृषि विधियों ने प्राकृतिक संसाधन आधार का अति उपयोग किया है ।
  3. हरित क्रांति के कारण उर्वरकों के अधिक प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता कम हो गई है ।
  4. नलकूपों से सिंचाई के कारण भूमि जल के सतत् प्रयोग से भौम जल – स्तर कम हो गया है ।
  5. मिट्टी की उर्वरता और भौम जल जैसे पर्यावरणीय संसाधन कई वर्षों में बनते हैं ।
    • एक बार नष्ट होने के बाद उन्हें पुनर्जीवित करना बहुत कठिन है ।

कृषि का भावी विकास सुनिश्चित करने के लिए हमें पर्यावरण की देखभाल करनी चाहिए ।

 

4. पालमपुर के किसानों में भूमि किस प्रकार वितरित है ?

  • भूमि किसी भी प्रकार के परिवार के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है
  • पालमपुर में 450 परिवारों में से लगभग एक तिहाई अर्थात् 150 परिवारों के पास , खेती के लिए भूमि नहीं है , जो अधिकांशतः दलित हैं ।
  • 240 परिवार जिनके पास भूमि है , 2 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल वाले छोटे भूमि के टुकड़ों पर खेती करते हैं ।
  • पालमपुर में मझोले और बड़े किसानों के 60 परिवार हैं , जो 2 हेक्टेयर से अधिक भूमि पर खेती करते हैं ।
  • कुछ बड़े किसानों के पास 10 हेक्टेयर या इससे अधिक भूमि है ।

 

5. श्रम की व्यवस्था कौन करेगा ?

  1. श्रम उत्पादन का दूसरा आवश्यक कारक है ।
  2. खेती में बहुत ज्यादा परिश्रम की आवश्यकता होती है ।
  3. मझोले और बड़े किसान अपने खेतों में काम करने के लिए दूसरे श्रमिकों को किराये पर लगाते हैं ।
  4. खेतों में काम करने के लिए श्रमिक या तो भूमिहीन परिवारों से आते हैं या बहुत छोटे प्लॉटों में खेती करने वाले परिवारों से ।
  5. खेतों में काम करने वाले श्रमिकों का उगाई गई फसल पर कोई अधिकार नहीं होता
    • बल्कि उन्हें उन किसानों द्वारा मज़दूरी मिलती है जिनके लिए वे काम करते हैं ।
  6. मज़दूरी नकद या वस्तु जैसे- अनाज के रूप में हो सकती है । कभी – कभी श्रमिकों को भोजन भी मिलता है ।
  7. मज़दूरी एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र , एक फसल से दूसरी फसल और खेत में एक से दूसरे कृषि कार्य ( जैसे बुआई और कटाई ) से के लिए अलग – अलग होती है ।
  8. खेत में काम करने वाले श्रमिक या तो दैनिक मज़दूरी के आधार पर कार्य करते हैं या उन्हें कार्य विशेष जैसे कटाई या पूरे साल के लिए काम पर रखा जा सकता है ।

 

6. खेतों के लिए आवश्यक पूँजी

आधुनिक तरीकों के खेती लिए बहुत अधिक पूँजी की आवश्यकता होती है

  1. अधिसंख्य छोटे किसानों को पूँजी की व्यवस्था करने के लिए पैसा उधार लेना पड़ता है ।
    • वे बड़े किसानों से या गाँव के साहूकारों से या खेती के लिए विभिन्न आगतों की पूर्ति करने वाले व्यापारियों से कर्ज लेते हैं ।
    • ऐसे कर्जों पर ब्याज की दर बहुत ऊँची होती है ।
    • कर्ज चुकाने के लिए उन्हें बहुत कष्ट सहने पड़ते हैं ।
  2. छोटे किसानों के विपरीत , मझोले और बड़े किसानों को खेती से बचत होती है ।
    • इस तरह वे आवश्यक पूँजी की व्यवस्था कर लेते हैं ।

 

7. अधिशेष कृषि उत्पादों की बिक्री

  1. वे परिवार के उपभोग के लिए कुछ गेहूँ रख लेते हैं और अधिशेष गेहूँ को बेच देते हैं ।
  2. छोटे किसानों के पास बहुत कम अधिशेष गेहूँ होता है , क्योंकि उनका कुल उत्पादन बहुत कम होता है तथा इसमें से एक बड़ा भाग वे परिवार की आवश्यकताओं के लिए रख लेते हैं ।
  3. बाज़ार में व्यापारी गेहूँ खरीदकर उसे आगे कस्बों और शहरों के दुकानदारों को बेच देते हैं ।
  4. बड़े और मझोले किसान भी खेती के अधिशेष कृषि उत्पादों को बेचते हैं ।
  5. कमाई के एक भाग को अगले मौसम के लिए पूँजी की व्यवस्था के लिए बचा कर रखा जाता है ।

 

पालमपुर में गैर – कृषि क्रियाएँ

पालमपुर में काम करने वाले केवल 25 प्रतिशत लोग कृषि के अतिरिक्त अन्य कार्य करते हैं ।

1. डेयरी: अन्य प्रचलित क्रिया

  • पालमपुर के कई परिवारों में डेयरी एक प्रचलित क्रिया है ।
  • लोग अपनी भैंसों को कई तरह की घास और बरसात के मौसम में उगने वाली ज्वार और बाजरा ( चरी ) खिलाते हैं ।
  • दूध को निकट के बड़े गाँव रायगंज में बेचा जाता है ।
  • दूध दूर – दराज के शहरों और कस्बों में भेजा जाता है ।

 

2. पालमपुर में लघुस्तरीय विनिर्माण का एक उदाहरण

  • पालमपुर में 50 से कम लोग विनिर्माण कार्यों में लगे हैं ।
  • पालमपुर में विनिर्माण में बहुत सरल उत्पादन विधियों का प्रयोग होता है और उसे छोटे पैमाने पर ही किया जाता है ।
  • विनिर्माण कार्य पारिवारिक श्रम की सहायता से अधिकतर घरों या खेतों में किया जाता है ।

 

3. पालमपुर के दुकानदार

  • पालमपुर में ज़्यादा लोग व्यापार ( वस्तु विनिमय ) नहीं करते ।
  • पालमपुर के व्यापारी वे दुकानदार हैं , जो शहरों के थोक बाज़ारों से कई प्रकार की वस्तुएँ खरीदते हैं और उन्हें गाँव में लाकर बेचते हैं ।
  • गाँव में छोटे जनरल स्टोरों में चावल , गेहूँ , चाय , तेल , बिस्कुट , साबुन , टूथ पेस्ट , बैट्री , मोमबत्तियाँ , कॉपियाँ , पैन , पैंसिल यहाँ तक कि कुछ कपड़े भी बिकते हैं ।
  • कुछ परिवारों ने जिनके घर बस स्टैंड के निकट हैं , घर के छोटी दुकान खोल ली है । वे खाने की चीजें बेचते हैं ।

 

4. परिवहन : तेज़ी से विकसित होता एक क्षेत्रक

  • पालमपुर और रायगंज के बीच सड़क पर कई प्रकार के वाहन चलते हैं ।
  • रिक्शावाले , ताँगेवाले , जीप , ट्रैक्टर , ट्रक ड्राइवर तथा परंपरागत बैलगाड़ी और दूसरी गाड़ियाँ चलाने वाले , वे लोग हैं , जो परिवहन सेवाओं में शामिल हैं ।
  • वे लोगों और वस्तुओं को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाते हैं और इसके बदले में उन्हें पैसे मिलते हैं ।

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