NCERT Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 Summary रीढ़ की हड्डी

Hindi Kritika Chapter 3 Summary रीढ़ की हड्डी

NCERT Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 Summary रीढ़ की हड्डी, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

Sometimes, students get stuck inside the exercises and are not able to clear up all of the questions.  To assist students, solve all of the questions, and maintain their studies without a doubt, we have provided step-by-step NCERT Summary for the students for all classes.  These answers will similarly help students in scoring better marks with the assist of properly illustrated Notes as a way to similarly assist the students and answer the questions right.

 

NCERT Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 Summary रीढ़ की हड्डी

 

पाठ का सारांश

‘ रीढ़ की हड्डी ‘ नामक पाठ एक एकांकी है , जिसमें नारी को सम्मानजनक स्थान न दिए जाने की समस्या का प्रभावी चित्रण है । इसका पात्र परिचय इस प्रकार है ।

उमा – बी.ए. पास चरित्रवान लड़की । आकर्षक चेहरा पर आँखों पर चश्मा ।

रामस्वरूप – उमा के पिता जी ।

प्रेमा – उमा की माता जी ।

शंकर – उमा को देखने आनेवाला लड़का |

गोपाल प्रसाद – शंकर के पिता , जो पेशे से वकील हैं ।

रतन – नौकर ।

रामस्वरूप की पुत्री उमा को देखने लड़के वाले आने वाले हैं । उनके स्वागत की तैयारी चल रही है । रामस्वरूप अपने नौकर के साथ तख्त और उस पर बिछाई जाने वाली चादर को ठीक करते हैं । प्रेमा रामस्वरूप से कहती है कि उमा मुँह फुलाए बैठी है । तुम्हीं ने उसे पढ़ा – लिखाकर सिर पर चढ़ा रखा है । इससे तो अच्छा हमारा ही ज़माना था जब लड़कियाँ कम पढ़ा – लिखा करती थीं । उमा को देखने आने वालों के स्वागत का रामस्वरूप ने पूरा प्रबंध कर रखा है । वे अपनी पत्नी प्रेमा से कहते हैं कि गोपाल प्रसाद को हरगिज़ यह पता नहीं चलना चाहिए कि उमा बी ० ए ० पास है , उसे मैट्रिक पास बताना । लड़के वाले दकियानूसी विचारों वाले हैं । उन्हें अधिक पढ़ी – लिखी लड़की नहीं चाहिए । वे बताते हैं कि उमा को देखने गोपाल प्रसाद और उनका बेटा शंकर आ रहे हैं । गोपाल प्रसाद पेशे से वकील हैं तथा सभा – सोसाइटियों में अच्छी इज़्ज़त रखते हैं और उनका बेटा बी ० एस ० सी ० कर मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहा है , फिर भी वह अधिक पढ़ी – लिखी बहू नहीं चाहते हैं । वे अपनी पत्नी से कहते हैं कि तुम उमा को ठीक से समझा देना । प्रेमा उनसे कहती है कि मुझे तो विश्वास नहीं कि उमा झूठ बोल सकेगी फिर भी वे कोशिश करेंगी ।

गोपाल प्रसाद अपने बेटे शंकर के साथ समय पर आते हैं । रामस्वरूप विनम्रतापूर्वक उनका स्वागत करते हैं और दोनों अपने – अपने ज़माने की बातों में खो जाते हैं । इसी बीच नाश्ता लाया जाता है । बातें जारी रहती हैं , जिनका सार यह है कि लड़कियों को अधिक पढ़ा – लिखा नहीं होना चाहिए । उनका अधिक पढ़ना – लिखना अच्छा नहीं होता है । लड़कियाँ घर के लिए तथा लड़के बाहर के लिए होते हैं । आखिर लड़कियाँ घर में काम करने के लिए ही तो होती हैं । उन्हें अपने बेटे शंकर के लिए कम पढ़ी – लिखी यानी मैट्रिक पास लड़की चाहिए । रामस्वरूप भी गोपाल प्रसाद की बात का समर्थन करते हैं कि ऊँची शिक्षा सिर्फ पुरुषों को ही प्राप्त करनी चाहिए ।

इस बीच उमा तश्तरी में पान रखकर उस कमरे में आती है । गोपाल प्रसाद अब तक लड़कियों के विरुद्ध बातें करते रहते हैं । वे उमा की चाल और चेहरा देखने की बात करते हैं । उमा जब अपना चेहरा उठाती है तो चश्मा लगा हुआ चेहरा देख गोपाल प्रसाद चौंक जाते हैं । अब गोपाल प्रसाद को उमा की शिक्षा पर संदेह होता है । वे दुबारा उससे उसकी शिक्षा के विषय में जानना चाहते हैं । अब उमा सब्र नहीं कर पाती है । वह उनसे कहती है कि वह फर्नीचर से भी बदतर है क्योंकि फर्नीचर खरीदने आनेवाला फर्नीचर को देखता है । वह फर्नीचर से कोई प्रश्न नहीं पूछता है । अब गोपाल प्रसाद का उमा की शिक्षा के प्रति संदेह विश्वास में बदल जाता है । वे समझ जाते हैं कि उमा कम पढ़ी – लिखी नहीं है । वह पुनः रामस्वरूप से उमा की शिक्षा के बारे में पूछते हैं । रामस्वरूप कुछ कहें उससे पहले ही उमा जवाब देती है कि वह बी ० ए ० पास है । वह शंकर के बारे में कहती है कि यह लड़का ( शंकर ) पिछली फरवरी में लड़कियों के होस्टल के आस – पास घूमते हुए पकड़ा गया था और अपमानित करते हुए भगाया गया था । उस समय इसने अपने प्राण बचाने के लिए नौकरानी के भी पैर पकड़े थे । मैंने बी ० ए ० किया है , कोई पाप नहीं । मुझे अपनी इज़्ज़त का ख़याल है । गोपाल प्रसाद क्रोधित होकर स्वयं को अपमानित किए जाने की बात कहते हैं और अपने बेटे के साथ दरवाज़े की ओर बढ़ जाते हैं । उमा कहती है कि घर जाकर पता कर लीजिएगा कि आपके बेटे की बैकबोन अर्थात रीढ़ की हड्डी है भी या नहीं । क्रोधित गोपालदास रुआँसा चेहरा लिए शंकर को लेकर चले जाते हैं ।

पाठ के शब्दार्थ

अधेड़ – चालीस और पचास वर्ष की उम्र वाला व्यक्ति

अक्ल – बुद्धि

पसीना बहाना – परिश्रम करना

कलसा – घड़ा

गंदुमी – गेहुँए

भीगी बिल्ली की तरह – डरा हुआ

डाट – प्लास्टिक या लकड़ी का अवरोध जो ढक्कन का काम करता है

कोठरी – छोटा कमरा

मुँह फुलाए – नाराज़ , गुस्से से भरी

सिर चढ़ाना – अधिक बढ़ावा देना

जंजाल – मुश्किलें , परेशानी

लच्छन- लक्षण , संकेत

सूझना – दिखाई देना , करना

राह पर लाना- अपने मनचाहा आचरण करवाना

टीमटाम – सुंदर दिखने के तौर – तरीके , दिखावा

नफ़रत – घृणा

बाज आना – विवश हो जाना , हार जाना

इंट्रेंस – बारहवीं से नीचे की कक्षा

हाथ रहना – नियंत्रण में रहना

उगल देना – बकना, कहना

एकाध – एक या दो या थोड़ी – सी

करीने से – उचित तरीके से

दकियानूसी खयाल – अत्यंत घिसे – पिटे पुराने विचार

सवा सेर – उससे भी बढ़कर

तालीम – शिक्षा

कोरी-कोरी – खरी – खरी , साफ़ – साफ़

चौपट करना – बर्बाद करना

लोक चतुराई – समाज द्वारा व्यवहार में लाया जाने वाला सयानापन

टपकना – दिख जाना , प्रदर्शित होना

फितरती – मतलबी होना

खींस निपोरना – बेमतलब हँसते रहना

खासियत- विशेषता

तशरीफ लाइए – बैठिए

खँखारकर – गला साफ़ करते हुए

काँटों में घसीटना मुश्किलों में डालना

मुखातिब होकर – मुँह घुमाकर उसकी ओर देखते हुए

वीक – एंड – सप्ताहांत में

मार्जिन- अंतर , फासला

उड़ा जाना – खा जाना

मजाल – ताकत , हिम्मत

सिटिंग – बैठे रहना

मैट्रिक – दसवीं

फरटि की – बिना रुके , धारा प्रवाह

जब्त करना – रोके रख पाना

रंगीन – मौजमस्ती से भरपूर

तकल्लुफ – तकलीफ उठाना

काबिल – योग्य

हैसियत- सामर्थ्य

बैकबोन – रीढ़ की हड्डी

विलायती – विदेशी

जायका – स्वाद

चूँ न करना – तनिक भी विरोध न करना

स्टैंडर्ड – स्तर

माफिक – अनुसार

बेढब होना – बिगड़ जाना , कोई मापदंड न रह जाना

निहायत – अत्यंत बहुत ही

राजी – सहमत

जायचा – जन्मकुंडली , जन्मपत्री

भनक पड़ना- किसी तरीके से थोड़ा बहुत सुनाई देना

ग्रेजुएट – बारहवीं के बाद तीन साल की पढ़ाई से मिलने वाली डिग्री

अक्ल के ठेकेदार – स्वयं को पढ़ा – लिखा समझने वाला

काबिल होना – योग्य होना

पॉलिटिक्स- राजनीति

गृहस्थी – घर परिवार संबंधी

तालीम – शिक्षा

आँखें गड़ाकर – बहुत ध्यान से देखना

अर्ज किया – प्रार्थना की , अनुरोध किया

संतुष्ट – तसल्लीयुक्त

तल्लीनता – किसी काम में रम जाने का भाव

झेंपती हुई – शर्माती हुई , लजाती हुई

अधीर होना – बेचैन होना

मुँह खोलना – बोलना

खरीदार – खरीदने वाले

बेबस – विवश , लाचार

कसाई – जानवरों को मारकर बेचने वाला

नाप – तोल करना – एक – एक चीज़ ध्यान से देखना

साहबजादे – पुत्र

होस्टल – छात्रावास

ताक – झाँक – चोरी – छिपे देखना

कायरता- डर जाने का भाव

मुँह छिपाकर भागना- शर्मिंदा होकर भागना

गजब हो जाता – बहुत बुरा हो जाता

रूलासापन – रोने का भाव

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