NCERT Class 9 Hindi Kritika Chapter 4 Summary माटी वाली

Hindi Kritika Chapter 4 Summary माटी वाली

NCERT Class 9 Hindi Kritika Chapter 4 Summary माटी वाली, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

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NCERT Class 9 Hindi Kritika Chapter 4 Summary माटी वाली

 

पाठ का सारांश

माटी वाली पाठ में विस्थापन की समस्या का मर्मस्पर्शी चित्रण किया गया है । इस समस्या से मज़दूर तथा गरीब लोगों को सर्वाधिक दुख भोगना पड़ता है ।

टिहरी शहर में एक बूढ़ी स्त्री थी , जिसे लोग ‘ माटी वाली ‘ कहते थे । वह घर – घर लाल मिट्टी पहुँचाने का कार्य करती थी । इस मिट्टी से घरों में चूल्हा – चौका लीपने का काम किया जाता था । इसकी ज़रूरत प्रत्येक घर में थी । माटी वाली घर से दूर जाकर माटाखान में मिट्टी खोदती , उसे कंटर ( कनस्तर ) में भरती और शहर में यह मिट्टी घर – घर बाँटती । यही उसकी आजीविका का साधन था । घर – घर में मिट्टी पहुँचाने के कारण उसे माटी वाली कहा जाता था । वह हँसमुख थी , इसलिए लोग भी उससे खुश रहते थे ।

माटी वाली का पति बूढ़ा, अशक्त था । वह बीमार रहता था । माटी वाली जिन घरों में मिट्टी देती थी उन घरों की महिलाएँ उसकी हालत देख उसे एक – दो रोटी तथा कभी – कभार चाय भी दे देती थीं । इनमें से एक – दो रोटियाँ वह अपने पति के लिए बचाकर ले जाती । एक दिन माटी वाली को किसी घर में दो रोटियाँ और साग के नाम पर पीतल के बड़े गिलास में चाय मिली । उसने एक रोटी कपड़े में लपेटी तथा दूसरी खुद चाय के साथ गले में उतार गई । माटी वाली ने घर की मालकिन से पीतल के गिलास को देखकर कहा , “ पुरानी चीज़े बहुत कम लोगों के पास रह गई हैं । इस पर मालकिन ने कहा , ” ये पुरखों की जुटाई चीजें हैं जिन्हें पुरखों ने पता नहीं किस – किस तरह से पैसे बचाकर खरीदे थे । अब लोग इनकी कद्र नहीं करते हैं । ”

इधर टिहरी में कुछ समय से चर्चा थी कि सरकार शहर को खाली कराना चाहती है । लोग शहर छोड़कर जाने की तैयारी में हैं । माटी वाली की समस्या है कि वह इस उम्र में शहर छोड़कर कहाँ जाएगी । जो ज़मीन – जायदाद के मालिक हैं वे तो कहीं न कहीं ठिकाने पर जाएँगे पर उसका क्या होगा । उसकी तरफ़ कोई देखने वाला भी नहीं है ।

उस दिन माटी वाली को दो – तीन घरों में माटी देने के बाद तीन रोटियाँ मिल गईं जिन्हें वह बाँधकर घर ले जा रही थी । वह सोच रही थी कि आज एक पाव प्याज खरीदकर उसे कूटकर रोटी के साथ अपने पति को देगी । घर पहुँचने पर उसकी आहट से जब बुड्ढे ने उसकी ओर न देखा तो वह चौंक गई । पास जाकर छूकर देखा तो पता चला कि बुड्ढा मर चुका था । टिहरी बाँध के कारण विस्थापित होने वाले लोगों के साथ वह भी पुनर्वास अधिकारी के पास पहुँची । साहब ने उससे घर का कागज़ दिखाने को कहा । उसके पास ऐसा कोई कागज़ नहीं था । आजीवन माटाखान से मिट्टी खोदकर बेचने व के पास घर का प्रमाणपत्र कहाँ से होता । माटाखान भी उसके नाम नहीं था । ऐसे में उसे सरकारी सहायता कैसे मिलती ।

कुछ समय बाद टिहरी बाँध की दो सुरगों को बंद कर दिया गया । टिहरी शहर में पानी भरने लगा और पूरे शहर में भगदड़ मच गई । लोग अपने – अपने घर छोड़कर भाग रहे थे । निचली ज़मीन पर बने श्मशान डूबते जा रहे थे । मानसिक रूप से विक्षिप्त माटी वाली आने – जाने वाले हर व्यक्ति से एक ही बात कहती थी – “ गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए । ”

पाठ के शब्दार्थ

सेमल का तप्पड़ – एक मोहल्ले का नाम

खोली- छोटा कमरा

धरा – रखा हुआ

कंटर – कनस्तर

कुल – सारे , सभी

निवासी – रहने वाले

प्रतिद्वंद्वी – मुकाबला करने वाला

जुटाना – इकट्ठा करना

गोबरी लिपाई – गोबर से की गई पुताई

माटाखान – जहाँ से मिट्टी खोदी जाती है

भीलांगना – एक नदी का नाम

ग्राहक – खरीदने वाले

हरिजन – एक छोटी जाति से संबंधित

डिल्ला – सिर पर बोझ के नीचे रखने के लिए कपड़े की बनाई हुई गद्दी

छुलबुल- पूरी तरह भरा हुआ

उड़ेल देना – गिरा देना

भाग्यवान – किस्मत वाली

टैम – समय

धरे – रखे

हड़बड़ी – जल्दबाज़ी

इकहरा – एक परत का

प्रकट हुआ – दिखाई देना

थामी – पकड़ी हुई

दिखावा- प्रदर्शन

सद्दा – ताज़ी

साग – सब्ज़ी

निगल जा – खा लो

छोर – किनारा

सुड़कना – सू – सू की आवाज़ करते हुए चाय पीना

खरीददार – खरीदने वाला

पुरखे – पूर्वज

हराम के भाव – बहुत कम दाम पर

दिल गवाही देना – इच्छा होना

तंगी – गरीबी , कमी , अभाव

मन मसोसना- इच्छा होते हुए भी पूरी न कर पाना

दिमाग चकराना- परेशान हो जाना

काँसा- एक मिश्र धातु

पागल होना- परेशान होना

जायदाद – संपत्ति

अशक्त – लाचार , शक्तिहीन

हवाले करना – दे देना

चेहरा खिल जाना – प्रसन्न हो जाना

विभिन्न – अनेक , कई

एवज – बदले में

बेगार करना- बिना मज़दूरी लिए काम करना

कोरी – सूखी , बिना साग – सब्ज़ी के

आमदनी – कमाई

परोसना – खाने के लिए थाली आदि में रखकर देना

हद से हद – ज़्यादा से ज़्यादा

आहट – आवाज़

माटी – शरीर

पुनर्वास – दोबारा बसाना

जिनगी – जिंदगी

तय करना – निश्चित करना

आपाधापी मचना – अफरा – तफरी मचना , हर काम जल्दी में करने का प्रयास करना

श्मशान घाट – जहाँ लाशें जलाई या दफनाई जाती हैं

उजड़ना – नष्ट होना

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