NCERT Class 9 Hindi Kritika Chapter 1 Summary इस जल प्रलय में

Hindi Kritika Chapter 1 Summary इस जल प्रलय में

NCERT Class 9 Hindi Kritika Chapter 1 Summary इस जल प्रलय में, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

Sometimes, students get stuck inside the exercises and are not able to clear up all of the questions.  To assist students, solve all of the questions, and maintain their studies without a doubt, we have provided step-by-step NCERT Summary for the students for all classes.  These answers will similarly help students in scoring better marks with the assist of properly illustrated Notes as a way to similarly assist the students and answer the questions right.

 

NCERT Class 9 Hindi Kritika Chapter 1 Summary इस जल प्रलय में

 

पाठ का सारांश

इस पाठ में लेखक फणीश्वरनाथ रेणु ने बाढ़ की विभीषिका को प्रत्यक्ष रूप से देखा और अनुभव किया है । लेखक उस क्षेत्र का रहने वाला है , जहाँ विभिन्न नदियों के बाढ़ पीड़ित लोग शरण लेने आते हैं ।

लेखक परती क्षेत्र में जन्मा था , उसे तैरना नहीं आता था । वह दस वर्ष की उम्र से ही बाढ़ पीड़ितों के लिए कुछ न कुछ कार्य करता रहा था । जब वह दसवीं कक्षा में पढ़ रहा था तब उसने बाढ़ पर 1947 में जय गंगा , 1948 में हड्डियों का पुल रिपोर्ताज लिखें । गाँव में रहकर उसने बाढ़ की प्रलय को देखा – सुना तो था , पर 1967 में पटना में आई बाढ़ को उसने देखा और भोगा , वह भी आम आदमी की तरह । यह अनुभव उसने पटना के गोलघर इलाके में रहकर प्राप्त किया था ।

1967 में पटना में लगातार अठारह घंटे जोरदार वर्षा हुई , जिससे पटना का पश्चिमी इलाका छाती भर पानी में डूब गया । इस वर्षा से पुनपुन नदी का पानी राजेंद्र नगर , कंकड़बाग तथा निचले क्षेत्रों में भर गया । बाढ़ के समय लोग ईंधन , आलू , मोमबत्ती , दियासलाई , सिगरेट , पीने का पानी , कांपोज़ जैसी दैनिकोपयोगी वस्तुएँ एकत्र करने लगे । बाढ़ का पानी शहर में बढ़ता ही जा रहा था । सुबह तक राजभवन , मुख्यमंत्री निवास , दोपहर तक गोलघर जल से घिर चुका था । लेखक अपने मित्र के साथ बाढ़ का आकलन करने तथा कॉफ़ी पीने जाना चाहता था , परंतु कॉफी हाउस बंद था । अन्य लोग भी अपने – अपने तरीके से बाढ़ की विभीषिका देखने निकल पड़े तथा तरह – तरह के अनुमान लगाने लगे । सड़क की ओर बढ़ते पानी को देख लेखक ने अपने मित्र से कहा कि आगे जाने की ज़रूरत नहीं है । मृत्यु के तरल दूत को आता देख लेखक ने उसे प्रणाम किया और वापस मुड़ गया । लेखक ने देखा कि होटल पैलेस , इंडियन एअरलांइस के दफ़्तर और गांधी मैदान की हरियाली पर पानी फिर रहा था । यह सब देखना उसके लिए बिल्कुल ही नया अनुभव था । गांधी मैदान की रेलिंग को पकड़े लोग यूँ खड़े थे , जैसे रामलीला का रामरथ वहाँ से निकलने वाला हो । चारों ओर बाढ़ का गेरुआ पानी ही पानी दिखाई दे रहा था । रेडियो और जनसंपर्क विभाग की गाड़ियाँ लोगों को बाढ़ के लिए बार – बार सावधान कर रही थीं । लोगों में सुरक्षित स्थान पर पहुँचने की जल्दी थी । वे अपना अपना ज़रूरी सामान रिक्शा , टमटम , ट्रक और टेम्पो पर लादे चले जा रहे थे । दुकानदार अपना – अपना सामान बचाने में जुटे थे । लेखक मैगजीन कॉर्नर से कई पत्रिकाएँ खरीदकर वापस आ गया । वह राजेंद्रनगर आया ही था कि जनसंपर्क विभाग की गाड़ी ने लाउडस्पीकर से सूचना दी कि रात बाहर बजे तक राजेंद्रनगर में पानी घुस जाएगा । बाढ़ की चिंता से ग्रस्त लेखक पुरानी स्मृतियों में खो गया । उसे 1949 की महानंदा की बाढ़ , 1947 की बाढ़ पीड़ित क्षेत्र की यात्रा , 1937 में सिमरवनी – शंकरपुर की बाढ़ तथा 1967 में पुनपुन नदी के पानी का राजेंद्र नगर में घुसने से उत्पन्न स्थितियाँ एक – एक कर याद आने लगीं । ।

उस दिन भी राजेंद्र नगर के लोग रतजगा करते रहे । ढाई बजे तक पानी नहीं आया था । लेखक सोने की चेष्टा कर रहा था , पर उसे नींद नहीं आ रही थी । साढ़े पाँच बजे अचानक उठे शोर को सुनकर लेखक की तंद्रा टूट गई । चारों ओर बाढ़ के पानी के घुसने का शोर था । लेखक ने देखा कि पश्चिम की ओर थाने के सामने मोटा डोरा की शक्ल में मुँह में झाग – फेन लिए पानी आ रहा है । लेखक छत पर चला गया । वह सोचने लगा कि उसके पास यदि कैमरा या टेपरिकॉर्डर होता तो इस दृश्य को कैद कर देता । वह लिख भी नहीं सकता था , क्योंकि उसकी कलम चोरी हो चुकी थी ।

पाठ के शब्दार्थ

पीड़ित – दुखी

पनाह – शरण

विशाल – बड़ी

सपाट – समतल

परती – वह ज़मीन जिस पर खेती आदि न की जाए

झुंड – मुंड – बहुत से सिर

विभीषिका – भयंकरता , भयावहता

ब्वॉय स्काउट – स्काउट या बालचर नामक संस्था का स्वयं सेवक

रिलीफ-वर्कर – दूसरों को हर प्रकार की मदद पहुँचाने वाला

हैसियत – सामर्थ्य

छुट – पुट – छोटे – मोटे

रिपोर्ताज – किसी घटना , सहारोह आदि का अपनी विशिष्ट आंतरिक प्रतिक्रियाओं सहित दिया गया साहित्यिक विवरण

विनाश-लीला – बर्बादी का दृश्य

अंकित – छपा या लिखा हुआ

अविराम – बिना रुके , लगातार

वृष्टि – वर्षा

भोगा – सहा , पीड़ित रहा

छाती भर – सीने की ऊँचाई तक

प्लावित – जो जल में डूब गया हो

जानो – समझो

डूबे गेछे – डूब गया

अबले- अब तक

विशेषज्ञ – किसी तथ्य या विषय का विशेष ज्ञान रखने वाला

व्याख्याता – विस्तारपूर्वक बताने वाला

अनवरत – लगातार

अनर्गल – बेतुकी , विचार रहित

अनगढ़ – बेडौल , टेढ़ा – मेढ़ा

स्वगतोक्ति – अपने आप से कहा हुआ

बोर होना- अकेलापन महसूस करना

जिज्ञासा- जानने की इच्छा

इंडस्ट्रियल एरिया – वह क्षेत्र जहाँ कारखाने स्थित हों

वीमेंस कॉलेज – महिलाओं का कॉलेज

गेरुआ – गेरुए रंग का

सरकता – धीरे – धीरे बढ़ता हुआ

मृत्यु का तरल दूत – मृत्यु का संदेश लाने वाला बाढ़ का पानी

आतंक – भय

बरबस – अनायास

अस्फुट – अस्पष्ट

समय – भय सहित

करेंट – प्रवाह

अनुनय – प्रार्थना

विज्ञापन – किसी वस्तु का गुणगान करने वाली पंक्तियाँ

सृष्टि – संरचना

रेलिंग – लोहे की जाली

आवरण – परदा

आच्छादित – ढका हुआ

शनैः शनैः – धीरे धीरे

सर्वथा – एकदम , बिल्कुल

अधेड़ – जिसकी उम्र चालीस – पैंतालीस साल हो

मुस्टंड – पहलवान जैसा

गँवार – असभ्य

पटनियाँ – पटना में रहने वाले

बूझो – समझो , सामना करो

गोष्ठी – बैठक

वक्तव्य – कही हुई बातें

बाढ़ ग्रस्त – बाढ़ में डूबा हुआ

स्थानीय – क्षेत्रीय , किसी विशेष इलाके का

प्रसारित – दूर – दूर तक फैला

उत्कर्ण – सुनने को उत्सुक

दहलाने वाला – घबराहट पैदा करने वाला

कलेजा धड़कना – दिल घबरा जाना

सहजता – स्वाभाविकता

उत्साहित – उमंग से भरे हुए

आसन्न – पास आया हुआ

आदमकद – आदमी के कद के बराबर का

आईना – दर्पण

मुहर्रमी- महर्रम संबंधी , दुखी और मनहूस

ठठाकर – उन्मुक्त रूप से ठहाका मारकर

बुज़दिल – कायर , डरपोक

धनुष्कोटि- एक जगह का नाम

मुँडे – ऊपरी भाग , मुँडेर

माकूल – उचित अनुकूल

इनकम टैक्स – आय कर

काले कारबारी – काला व्यापार करने वाले या अपनी संपत्ति छिपाने वाले

छापा मारना – अचानक जाँच – पड़ताल के लिए पहुँच जाना

आसामी – मालिक

बा-माल – माल समेत

मैगज़ीन कॉर्नर – पत्र – पत्रिकाएँ बिकने की जगह

पूर्ववत – पहले जैसी ही

सिने – पत्रिका – सिनेमा जगत संबंधी पत्रिका

जनसंपर्क – लोगों का हाल लेने वाले सरकारी विभाग के लोग

लाउडस्पीकर – ध्वनि विस्तारक यंत्र

प्रतिध्वनित – टकराकर गूँजती हुई

अलमस्त – पूरी तरह से बेफिक्र

अलाप – गाने की आवाज़

ऐलान – घोषणा

गृहस्वामिनी – घर की मालकिन अर्थात पत्नी

आ धमके – पहुँच जाए

अलाव –गोले की शकल में इकट्ठा किया गया ईंधन आदि

सुलगाना – आग लगा देना

चेष्टा – कोशिश

आकुल- बेचैन

चलचित्र – फिल्म

बेतरबीत – बिना किसी क्रम के

दृश्य – नज़ारा

द्वीप- पानी के बीच में उठा हुआ भू – भाग

बालूचर – रेत का टीला

चहलकदमी करना – धीरे – धीरे पैदल चलना

शरणार्थी – असहाय या विस्थापित व्यक्ति

पनाह – शरण

हिदायत – चेतावनी

पकाही घाव – पानी से पैर की उँगलियाँ सड़ने से बना घाव

कैंप – शिविर

भीषण भयभीत – बुरी तरह से डरना

हमार- हमारा

हम हुँ – हम भी

मुसहर – एक आदिवासी जाति जो जंगल में रहकर दोने – पत्तल बनाकर जीविकोपार्जन करती है

राहत – सहायता सामग्री , जैसे- भोजन , वस्त्र , दवाइयाँ , पानी आदि

झुलसाकर – भूनकर

टोला – छोटी बस्ती

मंजीरा – पीतल या काँसे का बना वाद्ययंत्र

बलवाही- एक प्रकार का लोक नृत्य

नटुआ – नट कलाकार

धानी – दुल्हन

घरनी – घरवाली

द्रुत – तेज , तीव्र

लवपथ – सना हुआ

झिंझिर – जल – विहार , जल – क्रीड़ा

लहरें लेना – गूँजना , फैलना

परम – अत्यधिक प्रिय

अभाव- कमी

भेला – छोटी नाव , डोंगी

घर-बैठे – बिना कहीं आए गए , बिना प्रयास के

अनोखी अदा – मोहक अंदाज में

नेस्कैफे – एक प्रकार की कॉफ़ी

मनोयोग से – ध्यानपूर्वक

लग्गी – लंबी छड़ी ( छोटा पतला बाँस )

डायलॉग – संवाद

वॉल्यूम – आवाज़

ब्लॉक – गृह – समूह

किलकारी – बच्चों के मुख से अधिक हर्ष की अवस्था में निकलने वाली अस्पष्ट ध्वनि या चीख

फब्तियों – उपहासभरी बातें

वर्षा करना – खूब कहना

संयोजन – मेल

गुणी – विद्वान

निर्देशक – निर्देश देने वाला

एक्ज़विशनिज़्म – प्रदर्शनवाद

छूमंतर होना- गायब हो जाना

होश्यार- सावधान

काहो- कहिए या संबोधन

आ रहलो – आ रहा

अटक गया – फँस गया

दैवी – ईश्वरीय

चमत्कार – चकित कर देने वाली घटना

रुदन- रोना

चौप – चुप

स्वजन- अपने प्रिय लोग

अथाह – बहुत गहरे

चोंगा – रिसीवर

आसन्नप्रसवा – जिसे जल्दी ही बच्चा होने वाला हो

टुकुर – टुकुर देखना – सहायता के लिए आशा भरी निगाहों से देखना

उजले – साफ़ , सफ़ेद

ओई – अरे , ओ

द्याखो – देखो

झकझोरकर- हिलाकर

आ रहलौ है – आ रहा है

पानी आ गेलौ- पानी आ गया

डोली – छोटी पालकी

किलोल करता – खेलता – कूदता हुआ

अवरोध – रुकावट

रेला- तेज बहाव

बाएँ बाजू – बायीं ओर

कोलाहल – शोर , हल्ला

कलरव – मधुर ध्वनि

रव – स्वर

नर्तन – नृत्य

सशक्त – समर्थ

सोन- एक नदी

मूवी कैमरा – चलते – फिरते दृश्यों को कैद करने वाला कैमरा

टेप रिकॉर्डर – आवाज़ को रिकॉर्ड कर पुनः सुनाने वाला यंत्र

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