Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 Summary धर्म की आड़

Hindi Sparsh Chapter 7 Summary धर्म की आड़

Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 Summary धर्म की आड़, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

Sometimes, students get stuck inside the exercises and are not able to clear up all of the questions.  To assist students, solve all of the questions, and maintain their studies without a doubt, we have provided a step-by-step NCERT Summary for the students for all classes.  These answers will similarly help students in scoring better marks with the assist of properly illustrated Notes as a way to similarly assist the students and answer the questions right.

Class 9 Hindi Sparsh Chapter 7 Summary धर्म की आड़

 

पाठ का सार

‘ धर्म की आड़ ‘ गणेशशंकर विद्यार्थी द्वारा रचित निबंध है । इस पाठ में लेखक ने धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़ाकर अपना स्वार्थ सिद्ध करनेवालों पर कटाक्ष किया है । लेखक का मानना है कि इस समय देश में धर्म की धूम है । धर्म और ईमान के नाम पर उत्पात किए जाते हैं । रमुआ पासी और बुद्धू मियाँ धर्म और इमान को न जानें पर उनके नाम पर मरने मारने को तैयार हो जाते हैं । देश के सभी शहरों की यही दशा है । आम आदमी बिना कुछ समझे – बूझे कुछ स्वार्थी तत्वों के संकेतों पर उत्पात मचाने लग जाता है । इससे उन स्वार्थी लोगों को नेतृत्व मिल जाता है । वे अपना स्वार्थ सिद्ध कर लेते हैं । आम आदमी धर्म के तत्वों को जानता नहीं है । वह तो यही समझता है धर्म और ईमान की रक्षा के लिए अपने प्राण तक दे देना उचित है । इसी का लाभ उठाकर कुछ चालाक स्वार्थी लोग उन्हें भड़का देते हैं ।

पाश्चात्य देशों में धनी और गरीब के संघर्ष के कारण साम्यवाद का जन्म हुआ था । हमारे देश में ऐसी स्थिति तो नहीं है परंतु धर्म के नाम पर करोड़ों लोगों की शक्ति का दुरुपयोग हो रहा है । इसका लाभ कुछ स्वार्थी लोग उठा रहे हैं । धर्म और ईमान के नाम पर किए जानेवाले भीषण व्यापार को रोकने के लिए जब तक साहस और दृढ़ता के साथ प्रयास नहीं किया जाएगा तब तक भारतवर्ष में ऐसे झगड़े बढ़ते ही जाएँगे ।

लेखक का विचार है कि देश में प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म की उपासना अपने ढंग से करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए । धर्म और ईमान मन का सौदा हो ईश्वर और आत्मा के बीच संबंध हो , आत्मा को शुद्ध करने और ऊँचा उठाने का साधन हो । इससे किसी दूसरे की स्वाधीनता को हानि नहीं पहुँचनी चाहिए । दो भिन्न धर्मों को माननेवालों में टकराव नहीं होना चाहिए । यदि कोई ऐसा कार्य करता है तो यह कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाएगा ।

लेखक ने स्वाधीनता संग्राम के दिनों में उस दिन को सबसे बुरा दिन माना है जिस दिन इस आंदोलन में मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान दिया गया है । इसी के परिणामस्वरूप मौलाना अब्दुल बारी तथा शंकराचार्य जैसे लोगों ने देश में मज़हबी पागलपन , प्रपंच और उत्पात का राज्य स्थापित कर दिया था । महात्मा गाँधी ने धर्म को सर्वत्र महत्त्व दिया है । उनके अनुसार धर्म का अर्थ ऊँचे तथा उदार विचारों से था । वे अजाँ देने , शंख बजाने के स्थान पर शुद्धाचरण और सदाचार को धर्म म थे । लेखक भी पाँच समय नमाज़ पढ़ने अथवा दो घंटे पूजा करने के बाद दिन भर बेईमानी करने को उचित नहीं मानता । वह आचरण को सुधारने पर बल देता है । ऐसे आडंबरी धार्मिक दीनदार व्यक्तियों से वह उन नास्तिकों को अच्छा और ऊँचा मानता है जिनका आचरण अच्छा है , जो दूसरों के सुख – दुख का ध्यान रखते हैं और धर्म ईमान के नाम पर उत्पात मचाना गलत समझते हैं । ईश्वर भी ऐसे ही नास्तिकों को प्यार करता है , जो मानवता को आदर देते हैं तथा पशुता को त्याग देते हैं ।

पाठ के शब्दार्थ

उत्पात – उपद्रव , खुराफात

ईमान – नीयत

उबल पड़ना – गुस्सा करना

जोत देना – किसी काम में लगाना

चलता पुरजा- चालाक आदमी

दुरुपयोग – गलत उपयोग करना

जाहिल – मूर्ख

नेतृत्व – अगुवाई

बड़प्पन – बड़े होने का भाव

कायम – मौजूद

वाज़िब – उचित

लकीर पीटते रहना- रूढ़ि का पालन करना

बेजा- अनुचित

अट्टालिका – ऊँचे मकान

आकाश से बातें करना – बहुत ऊँचाई तक जाना

साम्यवाद – कार्लमार्क्स द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत

बोल्शेविज़्म – सोवियत क्रांति के बाद लेनिन की अगुवाई में स्थापित व्यवस्था

धनपति – जिसके पास पैसा अधिक हो

स्वार्थ – अपना मतलब

धनाढ्य – दौलतमंद

परदा डालना- छुपाना

स्वार्थ सिद्धि – अपना स्वार्थ पूरा करना

दुहाई देना – नाम लेकर काम करवाना

दीन – दीन चिल्लाना- धर्म का नाम लेना

प्राणों की बाजी लगाना – जान न्योछावर करना

अनिमंत्रित – जो निमंत्रण में न हो

धूर्त- पाखंडी

भीषण- भयानक

दृढ़ता – अपने मत पर स्थिर रहना

उपासना – पूजा

टाँग अड़ाना- रुकावट पैदा करना

खिलाफ़त – खलीफा का पद

जड़ उखाड़ना- समूल नष्ट करना

मज़हबी – धर्म – विशेष से संबंध रखनेवाला

प्रपंच – छल धोखा

उदार – दयालु

एतराज़ – आपत्ति

अजाँ देना- पूजा – पाठ की मुस्लिम पद्धति

नाक दाबना प्राणायाम करने की एक क्रिया

सदाचार – अच्छा व्यवहार

पंच वक्ता – पाँचों समय की

भलमनसाहत- सज्जनता

कसौटी – परख

कीचड़ उछालना – बदनाम करना

दीनदार – धार्मिक

ला- मज़हब – जिसका कोई धर्म या मज़हब न हो

नास्तिक – जो किसी धर्म या भगवान को न मानता हो

उकसाना – भड़काना

Leave a Comment