Class 9 Hindi Sparsh Chapter 8 Summary शुक्रतारे के समान

Hindi Sparsh Chapter 8 Summary शुक्रतारे के समान

Class 9 Hindi Sparsh Chapter 8 Summary शुक्रतारे के समान, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

Sometimes, students get stuck inside the exercises and are not able to clear up all of the questions.  To assist students, solve all of the questions, and maintain their studies without a doubt, we have provided a step-by-step NCERT Summary for the students for all classes.  These answers will similarly help students in scoring better marks with the assist of properly illustrated Notes as a way to similarly assist the students and answer the questions right.

Class 9 Hindi Sparsh Chapter 8 Summary शुक्रतारे के समान

 

पाठ का सार

‘ शुक्रतारे के समान ‘ पाठ के लेखक स्वामी आनंद हैं । इस पाठ में लेखक ने गांधी जी के निजी सचिव महादेव भाई देसाई की बेजोड़ प्रतिभा और व्यस्ततम दिनचर्या का वर्णन किया है । लेखक का मानना है कि जिस प्रकार शुक्रतारा अपनी आभा दिखाकर घंटे दो घंटे में अस्त हो जाता है , उसी प्रकार गांधी जी के सचिव महादेव भाई भी भारत की स्वतंत्रता के उषाकाल में अपनी आभा दिखाकर अचानक ही अस्त हो गए । गांधी जी उन्हें अपने पुत्र से भी अधिक मानते थे । वे सन् 1917 ई ० में गांधी जी के पास आए थे । सन् 1919 ई ० में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के संदर्भ में जब गांधी जी को पंजाब हुए पलवल स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया तो उसी समय उन्होंने महादेव भाई को अपना वारिस कह दिया था । सन् 1929 ई ० में महादेव भाई ने सारे देश में यात्राएँ की थीं । इन्हीं दिनों पंजाब से फौजी शासन के अत्याचारों और नेताओं की गिरफ्तारी के समाचार आ रहे थे । गांधी जी के सामने जुल्मों और अत्याचारों की कहानियाँ पेश करने के लिए बहुत से लोग आते थे । महादेव जी उनकी संक्षिप्त टिप्पणी करके गांधी जी को सुनाया करते थे । गांधी जी मुख्य राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक ‘ बाम्बे क्रॉनिकल ‘ में इन सब विषयों पर लेख लिखा करते थे । कुछ दिनों में ‘ क्रॉनिकल ‘ के निडर अंग्रेज़ संपादक हार्नीमैन को सरकार ने देश निकाला की सज़ा देकर इंग्लैंड भेज दिया गया । उन दिनों बम्बई के तीन बड़े नेता थे- शंकरलाल वैंकट , डम्मर सोवानी और जमनादास द्वारकादास । ये नेता ‘ यंग इंडिया ‘ नाम का अंग्रेजी साप्ताहिक निकालते थे । हार्नीमैन के चले जाने से इसमें लिखनेवालों की कमी खलने लगी । फलस्वरूप इन लोगों ने गांधी जी से संपादक बनने की विनती की । तब गांधी जी ने उनकी इच्छा पूर्ण करते हुए ‘ यंग इंडिया ‘ का संपादन कार्य संभाल लिया । काम इतना बढ़ गया था कि साप्ताहि पत्र भी कम पड़ने लगा । ‘ यंग इंडिया ‘ को दो बार प्रकाशित किया गया बाद में ‘ नवजीवन ‘ नामक समाचार पत्र भी गांधी जी के पास आ गया । इन दोनों के लेख और टिप्पणियाँ आदि का काम महादेव देखने लगे थे । इन पत्रों में महादेव लेखन के अलावा गांधी जी के कार्यकलापों का विवरण भी देते थे ।

गांधी जी के संपर्क में आने से पहले महादेव भाई ने अनुवाद विभाग में नौकरी की थी । बाद में वकालत भी की । वकालत के साथ – साथ उन्होंने टैगोर और शरतचंद्र साहित्य का अनुवाद भी किया था । मगर गांधी जी के संपर्क में आने के बाद वे साहित्यिक लेखन न कर सके ।

महादेव भाई की लेखन शैली इतनी प्रभावशाली थी कि लोग चकित रह जाते थे उन्हें शार्टहैंड नहीं आती थी फिर भी मुलाकातों का पूरा पूरा विवरण उनकी डायरी में दर्ज होता था । अक्षर इतने सुंदर होते थे कि उनके लिखे पत्रों की लिखावट देखकर वाइसराय भी आह भरते थे । महादेव तेज गति के साथ अति सुंदर अक्षर लिखते थे ।

महादेव भाई का व्यक्तित्व ऐसा था कि जो भी उनसे एक बार मिलता , वह कई दिनों तक उन्हें याद करता था । इतनी व्यस्तताओं के बाद उनके लिए रात और दिन का मतलब नहीं था । वे अपना काम अच्छी तरह पूरा करना जानते थे । इस व्यस्त जीवन के बीच वे सूत भी कात लेते हैं , यह सुनकर लोग दंग रह जाते थे ।

काम की व्यस्तता और मौसम की मार की वजह से महादेव भाई का शरीर जवाब दे देता था । असहनीय गर्मी में रोजाना 11 मील पैदल चलना और सुबह से शाम तक काम करना यही उनकी अकाल मृत्यु का कारण बना । उनकी मौत का घाव गांधी जी के दिल में सदा बना रहा ।

पाठ के शब्दार्थ

शुक्र – एक तारा जो कुछ समय के लिए चमकता है

आभा – प्रभा , चमक

नक्षत्र मंडल – तारा समूह

कलगी – रूप – तेज़ चमकनेवाला तारा

तेजस्वी – चमकदार

उषाकाल – सूर्योदय से पहले का समय

मुग्ध – प्रसन्न

हम्माल- बोझ उठानेवाला

पीर – महात्मा , सिद्ध

भिश्ती – मशक से पानी ढोनेवाला व्यक्ति

खर – गधा

आसेतुहिमाचल – सेतुबंध रामेश्वर से हिमाचल तक फैला हुआ

कहर- जुल्म

ब्योरा – विवरण

कालापानी – आजीवन कैद की सजा पाए कैदियों को रखने का स्थान , वर्तमान अंडमान निकोबार द्वीप समूह

अत्याचार – जुल्म

रूबरू – आमने – सामने

श्रीमती बेसेंट ( एनीबेसेंट ) – इन्होंने भारत में थियोसोफिकल सोसाइटी की स्थापना की

प्रशंसक – प्रशंसा करनेवाला

सत्याग्रह – सत्य के लिए आग्रह

बेजोड़ – अनुपम

सार – संक्षेप – थोड़े में बहुत कुछ लिखना

व्यवस्था – प्रबंध

उग्र – तेज़

धुरंधर- प्रवीण

संवाददाता – संवाद देनेवाला

विवरण- वर्णन

अग्रगण्य – प्रमुख

टीका – टिप्पणी – व्याख्या

बेजोड़- अद्वितीय

चौकसाई – सावधानी से नज़र रखना

कट्टर – अनुदार विचारवाला

सत्यनिष्ठा – सत्य पर अडिग रहना

तालीम- शिक्षा

मतभेद – राय न मिलना

स्याह – काला

साहित्यिक- साहित्य से संबंधित

सानी – बराबरी करनेवाला

साँस उसाँस – आहें भरना

सल्तनत – साम्राज्य

मंत्रमुग्ध – आकर्षित करनेवाला

व्याख्यान – भाषण

फुलस्केप – पूरे आकार का कागज़

शॉर्टहैंड- एक प्रकार की लिपि जो शब्दों को छोटा करके लिखी जाती है

संचालक – संचालन करनेवाला

ग्रंथकार – ग्रंथ लिखनेवाला

मुकाम – पड़ाव

दाँतों अंगुली दबाना – चकित रहना

प्रवाह – बहाव

अद्यतन- अब तक का

आधुनिक – आजकल

बर्थ- सीट

झोला- थैला

हाजतें रफ़ा करना – दैनिक निजी कार्य निपटाना

गाद- तलछट

प्रभा- किरण

सराबोर – डूबा हुआ

अनवरत – लगातार

मनोहारी – मन को हरनेवाला

लेखनशैली- लेख का प्रकार

सरहद – सीमा

असह्य – सहन न होनेवाला

प्रतिकूल – विपरीत

अकाल- समय से पहले

अनायास बिना प्रयास के । अचानक ।

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