Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 Summary वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चंद्रशेखर वेंकट रामन्

Hindi Sparsh Chapter 5 Summary वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चंद्रशेखर वेंकट रामन्

Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 Summary वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चंद्रशेखर वेंकट रामन्, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

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Class 9 Hindi Sparsh Chapter 5 Summary वैज्ञानिक चेतना के वाहक : चंद्रशेखर वेंकट रामन्

 

पाठ का सार

प्रस्तुत पाठ में वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रामन् का जीवन संघर्ष चित्रित किया गया है । रामन् की एक मेधावी छात्र से महान वैज्ञानिक तक की संघर्षमय जीवन यात्रा और उनकी उपलब्धियों की जानकारी यह पाठ बखूबी देता है । वेंकट रामन् ग्यारह साल की उम्र में मैट्रिक विशेष योग्यता के साथ इंटरमीडिएट , भौतिकी और अंग्रेज़ी में स्वर्णपदक के साथ बी ० ए ० और प्रथम श्रेणी में एम ० ए ० करके मात्र अट्ठारह वर्ष की उम्र में कोलकाता में भारत सरकार की फाइनेंस डिपार्टमेंट में सहायक जनरल एकाउंटेंट के पद पर नियुक्त कर लिए गए थे ।

पेड़ से सेब गिरने के रहस्य को न्यूटन से पहले कोई नहीं समझ पाया । ठीक उसी प्रकार नीले समुद्र की आभा को लोगों ने देखा था , परंतु इस आभा पर पड़े पर्दे को हटाने का कार्य चंद्रशेखर वेंकट रामन् ने किया था । समुद्र के नीले रंग के कारण को जानते ही वे विश्व प्रसिद्ध हो गए ।

रामन् का जन्म 7 नवंबर सन् 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नगर में हुआ था । इनके पिता विशाखापत्तनम् में गणित और भौतिकी पढ़ाते थे । इन्हीं दोनों विषयों के ज्ञान ने इन्हें विश्वप्रसिद्ध बनाया , इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता । कॉलेज की पढ़ाई में उन्होंने बी ० ए ० और एम ० ए ० दोनों ही परीक्षाओं में काफी अच्छे अंक हासिल किए । विज्ञान के रहस्यों को सुलझाने में ये बचपन से ही प्रयत्नशील रहे । कॉलेज में इन्होंने शोध कार्यों में दिलचस्पी लेना प्रारंभ किया । उनका पहला शोधपत्र ‘ फिलॉसॉफिकल ‘ मैगजीन में प्रकाशित हुआ ।

रामन् अपने समय के अन्य सुयोग्य छात्रों की भाँति भारत सरकार के वित्त विभाग में अफसर बन गए ।

‘ इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ़ साईंस ‘ एक अनूठी संस्था थी । इस संस्था का उद्देश्य था देश में वैज्ञानिक चेतना का विकास । रामन् पहले वाद्ययंत्रों की ओर आकृष्ट हुए । वे वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्यों की परतें खोलने का प्रयास कर रहे थे । वाद्ययंत्रों पर किए जा रहे शोध कार्यों के दौरान उनके अध्ययन के दायरे में वायलिन या पियानो जैसे विदेशी वाद्य आए । उन्होंने वीणा , तानपूरा और मृदंगम पर भी कार्य किया । 1917 में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय की नौकरी में आ गए । उनके लिए सरस्वती की साधना सरकारी सुख – सुविधाओं से कहीं अधिक महत्त्वपूर्ण थी । रामन् ने ठोस , रवेदार और तरल पदार्थों पर प्रकाश की किरण के प्रभाव का अध्ययन किया । उन्होंने ने पाया कि जब एकवर्णीय प्रकाश की किरण किसी तरल या ठोस रवेदार पदार्थ से गुजरती है तो गुजरने के बाद उसके वर्ण में परिवर्तन आ जाता है ।

एकवर्णीय प्रकाश की किरण के फोटॉन जब तरल या ठोस से गुजरते हुए इनके अनेक अणुओं से टकराते हैं तो इस टकराव के परिणामस्वरूप वे या तो ऊर्जा का कुछ अंश खो देते हैं या पा जाते हैं । दोनों ही स्थितियों में प्रकाश के वर्ण में बदलाव लाती है । रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में एक क्रांति के समान थी । अणुओं और परमाणुओं के आंतरिक संरचना का अध्ययन रामन् की खोज की वजह से सरल हो गया । रामन् प्रभाव की खोज में उन्हें विश्व की चोटी के वैज्ञानिकों की पंक्ति में ला खड़ा किया । उन्हें सन् 1924 में रायल सोसाइटी की सदस्यता से सम्मानित किया गया । सन् 1929 में उन्हें ‘ सर ‘ की उपाधि प्रदान की गई । उन्हें विश्व के सर्वोच्च पुरस्कार भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।

भारतीय संस्कृति से रामन् को गहरा लगाव रहा । उन्होंने अपने भारतीय पहचान को हमेशा अक्षुण्ण रखा । उनके अंदर एक राष्ट्रीय चेतना थी और वे देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित थे । उन्हीं के नाम पर ‘ रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट ‘ और शोध संस्थान की स्थापना की गई है जो बैंगलौर में है । आज जरूरत है- रामन् के जीवन से प्रेरणा लेने की और प्रकृति के बीच छिपे वैज्ञानिक रहस्य को खोज निकालने की ।

पाठ के शब्दार्थ

विराट- विशाल

नीलवर्णीय- नीले रंग की

आभा – चमक

आदिकाल – आरंभिक काल

समक्ष- सामने

डेक- ऊपरी भाग

जिज्ञासा – जानने की इच्छा

सशक्त – शक्तिशाली

विश्वविख्यात – संसार भर में प्रसिद्ध

अतिशयोक्ति – बढ़ा – चढ़ाकर कहना ।

शोधपत्र – नई खोज की जानकारी तथा विवरण से संपन्न लेख

समर्पित – न्योछावर

प्रतिभावान – जिसमें अनोखी कला या बुद्धि हो

तैनाती – नियुक्ति

रुझान – झुकाव

चेतना – जागृति

अभाव – कमी

उपकरण – औज़ार

हठयोग – हठपूर्वक साधना करना

इच्छा – शक्ति – किसी कार्य को मन के अनुकूल करने की शक्ति

समृद्ध – संपन्न

वाद्ययंत्र – बजनेवाला उपकरण

परत खोलना – छिपी हुई बातों को उजागर करना

भ्रांति – संदेह

कंपन – काँपना

सृजित – निर्मित

प्रतिष्ठित – सम्मानपूर्ण

साधना – काम में ध्यान लगाना

शैक्षणिक – शिक्षा संबंधी

हिलोरें लेना- हलचल युक्त

एकवर्णीय – एक रंगवाला

फोटॉन- प्रकाश का अंश

ऊर्जा – शक्ति

भौतिकी – तत्वों के अध्ययन से संबंधित ज्ञान

क्रांति – महत्वपूर्ण बदलाव

पूर्ववर्ती- पहले के

तरंग – लहर

सूक्ष्म – बारीक

तीव्र धारा – तेज़ बहाव

बुलेट- गोली

धारणा – विचार

प्रत्यक्ष- आँखों के सामने

तीव्रगामी- तेज चलनेवाली

प्रवाह – बहाव

आंतरिक – भीतरी

संरचना – बनावट

इंफ्रा रेड स्पेक्ट्रोस्कोपी – अवरक्त स्पेक्ट्रम विज्ञान

आणविक – अणु संबंधी

परमाणविक – परमाणु संबंधी

संश्लेषण – मिलान करना

कृत्रिम – बनावटी

झड़ी लगाना – बहुत अधिक संख्या में होना

परहेज़- दूरी

प्रदर्शन- दिखावा

आयोजक – कार्यक्रम की योजना करनेवाला

परिहास – हँसी

आह्लादित – प्रसन्न

कसर न छोड़ना – पूरा प्रयत्न करना

चिंतन- विचार

उन्नत- नए – नए उपकरणों से सुसज्जित

शोध संस्थान – ऐसी संस्था जहाँ नई – नई खोजें की जाती हैं

अनुसंधान – खोज

संपादन – अन्य लेखकों के लेखों को छापने योग्य बनाना

साक्षात – प्रत्यक्ष

सुर – ताल- ध्वनि और लय

भेदन – जानना

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