NCERT Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5 Summary नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

Hindi Kshitij Chapter 5 Summary नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

NCERT Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5 Summary नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

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NCERT Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5 Summary नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

 

लेखिका परिचय

जीवन परिचय- देश में अनेक ऐसे रचनाकार हुए हैं जिन्होंने अपने साहित्य में स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ी घटनाओं का अक्षरशः सत्य वर्णन किया है किंतु उनका व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रकाश में नहीं आ पाया । हालाँकि इनकी कृतियों ने स्वाधीनता की ज्योति को जन – जन तक पहुँचाने का काम किया । इस तरह का साहित्य जहाँ पुरुष साहित्यकार लिख रहे थे , वहीं महिलाएँ भी इनसे पीछे नहीं थीं । ऐसी ही लेखिकाओं में एक थीं चपला देवी । चपला देवी का साहित्य स्वतंत्रता सेनानियों के आंदोलन को गति देने में लगा रहा , पर उनका नाम भारतीय साहित्य के इतिहास में अंकित नहीं हो पाया । चपला देवी की गणना द्विवेदी युग के साहित्यकारों में की जाती है ।

रचना परिचय – चपला देवी की रचनाओं की जानकारी उपलब्ध नहीं है ।

साहित्यिक विशेषताएँ – चपला देवी के साहित्य में स्वतंत्रता आंदोलन के अछूते पक्ष को उठाया गया है । वह उस समय के जनमानस द्वारा किए गए संघर्ष को हमारे सम्मुख इस तरह प्रस्तुत करता है कि एक – एक पल की घटना हमारी आँखों के सामने सजीव हो उठती है ।

भाषा – शैली – चपला देवी की भाषा में हिंदी गद्य के प्रारंभिक रूप का दर्शन होता है । इनकी भाषा सरल , सजीव तथा प्रभावी है । इनकी भाषा में तत्सम शब्दावली की बहुलता है । संवाद शैली के प्रयोग से भाषा प्रभावी बन गई है ।

 

पाठ का सारांश

1857 के विद्रोह में स्वतंत्रता पाने तथा उसकी रक्षा के लिए हज़ारों वीरों ने कुर्बानी दी है । इस पाठ में नाना साहब की पुत्री मैना देवी के बलिदान की कहानी है , जिसे अंग्रेज़ों ने नाना साहब को न पकड़ पाने के बाद प्रतिशोध स्वरूप जलती आग के हवाले करके अपनी क्रूरता की सारी सीमाएँ पार कर दी थीं । अंग्रेज़ों का अपने ही सेनापति से विश्वास उठ चुका था , जिसके बारे में अंग्रेज़ी समाचार पत्रों ने लिखा था । भारतीय समाचार पत्रों ने अंग्रेज़ों के इस कुकृत्य की निंदा की । इस पाठ के माध्यम से युवाओं को वीर – वीरांगनाओं के बलिदान से अवगत कराया गया है ।

सन 1857 स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अंग्रेज़ी सेना के विरुद्ध भारतीयों का विद्रोह असफल हो गया । अंग्रेज़ों को विद्रोही नेता नाना साहब ने खूब क्षति पहुँचाई पर कानपुर में विद्रोह की असफलता के कारण उन्हें भागना पड़ा । वे जल्दी में अपनी पुत्री मैना देवी को अपने साथ न ले जा सके जिसे विद्रोह दमन के उपरांत अंग्रेज़ों ने अग्नि में भस्म कर दिया । यह वर्णन पाषाणहृदयी व्यक्ति को भी द्रवीभूत कर देता है ।

कानपुर में भीषण हत्याकांड करने के बाद अंग्रेज़ी सेना ने बिठूर में नाना के महल में खूब लूटपाट की पर वहाँ ज़्यादा संपत्ति उनके हाथ न लगी । अंग्रेज़ों ने वहाँ नाना को न पाकर उनका महल तोपों से उड़ाने का निश्चय किया । मकान को नष्ट होने की आशंका से नाना की पुत्री मैना बरामदे में आई , उसने अंग्रेज़ सेनापति से उस मकान को नष्ट न करने का अनुरोध किया । सेनापति ने बताया कि उसे नाना से संबंधित सभी वस्तुएँ नष्ट करने का निर्देश है , अतः उसे यह मकान नष्ट करना ही होगा । अपना अनुरोध विफल होता देख नाना साहब की पुत्री मैना ने अंग्रेज़ सेनापति को बताया कि मैं आपकी दिवंगत पुत्री मेरी की सहेली हूँ । उस समय आप भी यहाँ आते – जाते थे । आपकी दिवंगत पुत्री मेरी का लिखा एक पत्र अब भी मेरे ( मैना ) पास है । यह सुनकर ‘ हे ‘ ने पहचान लिया कि यह नाना साहब की पुत्री मैना है । जनरल ‘ हे ‘ ने कहा कि ब्रिटिश सरकार की आज्ञा को वह टाल नहीं सकते हैं , हाँ , इस मकान की रक्षा के लिए अवश्य प्रयास करेंगे । उसी समय वहाँ प्रधान सेनापति जनरल अउटरम आ गया और उसने अब तक नाना का महल न गिराने का कारण पूछा । जनरल ‘ हे ‘ ने अउटरम से वह मकान बचा लेने का अनुरोध किया । अउटरम ने इसे असंभव बताया और कहा कि गवर्नर जनरल की अनुमति के बिना यह संभव नहीं है । ‘ हे ‘ ने उस मकान को बचाने का आशय संबंधी पत्र गवर्नर जनरल के पास भिजवा दिया । अउटरम का मकान गिराने तथा मैना की गिरफ़्तारी की इच्छा जानकर ‘ हे ‘ वहाँ से चला गया । इसके बाद अंग्रेज़ सैनिकों ने महल का फाटक तोड़कर महल में लूटपाट की और मैना को ढूँढ़ा , परंतु वे मैना को नहीं पा सके ।

शाम के समय तक लार्ड केनिंग द्वारा भेजा गया जवाब आ गया कि नाना का प्रत्येक स्मृति चिह्न तक मिटा दिया जाए । इसके बाद घंटे भर में तोप के गोलों से महल को ध्वस्त कर दिया गया ।

ब्रिटेन से निकलने वाले टाइम्स पत्र में एक लेख छपा । उसमें लिखा था कि कानपुर में भीषण हत्याकांड करने वाले नाना से बदला लिया जाना चाहिए । उस पर दया दिखाना हास्यास्पद है । जनरल ‘ हे ‘ पर आरोप लगाते हुए कहा गया कि लगता है सर ‘ हे ‘ बुढ़ापे में उस महाराष्ट्रीयन कन्या पर मोहित हो गए । नाना साहब का कोई भी संबंधी जहाँ कहीं मिले उसे मार डाला जाना चाहिए । नाना की पुत्री को ‘ हे ‘ के सामने ही फाँसी पर लटका दिया जाना चाहिए ।

सितंबर माह की अर्धरात्रि में एक बालिका उस ध्वस्त प्रासाद के अवशेष पर बैठी रो रही थी । पास में ठहरी अउटरम की सेना के कुछ सैनिक वहाँ आ गए । वह रोने के अलावा किसी बात का जवाब नहीं दे रही थी । उसी समय जनरल अउटरम वहाँ आया । उसने मैना को पहचान लिया और मैना को गिरफ्तार कर लिया । मैना ने उससे कुछ देर का समय माँगा पर पाषाण हृदय अउटरम ने अनुमति न दी और कैद करके कानपुर के किले में लाकर बंद कर दिया ।

महाराष्ट्रीयन इतिहासकार महादेव ने अपने ‘ बाखर ‘ समाचार पत्र में लिखा- कल कानपुर के किले में भीषण हत्याकांड हो गया । नाना की पुत्री मैना को धधकती आग में जलाकर भस्म कर दिया गया । उस अनुपम बालिका को जलता देख सबने देवी समझकर उसे प्रणाम किया ।

पाठ के शब्दार्थ

विद्रोही – विद्रोह या बगावत करनेवाला

दमन करना – दबाना

क्रूरता – निर्दयता

निरीह – बेचारी

निरपराध – निर्दोष

पाषाण हृदय – अत्यंत कठोर

द्रवीभूत- करुणा से पिघला हुआ

अल्पवयस – कम उम्रवाली

वास स्थान – निवास या रहने की जगह

विध्वंस – नष्ट कर देना

जड़ – निर्जीव

अनुरोध – प्रार्थना

सहचरी – सहेली

टाल सकना – मना करना

प्रयत्न – कोशिश

विनयपूर्वक – प्रार्थना करते हुए

वंश – कुल , खानदान

विध्वंस – नष्ट

स्मृति चिह्न – याद दिलाने वाली निशानी

क्रूर – निर्दयी

सुविशाल – बहुत बड़ा

दुर्दात – खतरनाक

संहार – विनाश

वृद्धावस्था – बुढ़ापा

मोहित – मुग्ध

प्रेमालाप – प्रेमपूर्ण बातें

उज्ज्वल – सफ़ेद

भग्नावशेष – टूटे – फूटे खंडहर

आर्त – दुखी

पाषाण हृदय – पत्थर जैसे दिलवाले , कठोर

इतिहासवेत्ता – इतिहास के ज्ञाता

अनुपमा- अत्यंत सुंदर , जिसकी तुलना न हो

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