NCERT Class 9 Hindi Kshitij Chapter 4 Summary साँवले सपनों की याद

Hindi Kshitij Chapter 4 Summary साँवले सपनों की याद

NCERT Class 9 Hindi Kshitij Chapter 4 Summary साँवले सपनों की याद, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

Sometimes, students get stuck inside the exercises and are not able to clear up all of the questions.  To assist students, solve all of the questions, and maintain their studies without a doubt, we have provided step-by-step NCERT Summary for the students for all classes.  These answers will similarly help students in scoring better marks with the assist of properly illustrated Notes as a way to similarly assist the students and answer the questions right.

 

NCERT Class 9 Hindi Kshitij Chapter 4 Summary साँवले सपनों की याद

 

लेखक परिचय

जीवन परिचय – साहित्यकार जाबिर हुसैन का जन्म सन 1945 में ग्राम नौनहीं राजगिर , ज़िला – नालंदा , बिहार में हुआ था । उन्होंने अंग्रेज़ी भाषा एवं साहित्य का अध्यापन कार्य किया । उन्होंने सक्रिय राजनीति में भाग लेना शुरू किया और सन 1977 में बिहार की मुंगेर विधानसभा क्षेत्र के विधायक चुने गए तथा मंत्री बने । सन 1995 में बिहार विधान परिषद् के सभापति बने तथा लंबे समय तक कार्य किया । वे राजनीतिज्ञ होने के साथ – साथ श्रेष्ठ लेखक भी हैं ।

रचना परिचय – जाबिर हुसैन हिंदी , अंग्रेज़ी तथा उर्दू- तीनों भाषाओं के जानकार हैं और तीनों भाषाओं में कुशलतापूर्वक लेखन कार्य करते हैं । उनकी हिंदी कृतियों में प्रमुख हैं –

जो आगे हैं , डोला बीबी का मज़ार , अतीत का चेहरा , लोगां , एक नदी रेत भरी आदि ।

साहित्यिक विशेषताएँ – जाबिर हुसैन ने अध्यापन के साथ – साथ सामाजिक क्षेत्रों में भी बहुत कार्य किया है । उन्होंने अपने लंबे राजनीतिक – सामाजिक जीवन में आम आदमी के संघर्ष को निकटता से महसूस किया है । इस अनुभव को उन्होंने अपने साहित्य में भी प्रकट किया है । उनके द्वारा संघर्षरत आम आदमी और विशिष्ट व्यक्तित्वों पर लिखी गई डायरियाँ काफी चर्चित और प्रशंसित हैं ।

भाषा – शैली – जाबिर हुसैन की कृतियों में प्रयुक्त भाषा आम आदमी के निकट है । उनकी भाषा कलात्मक , सरल तथा रोचक है । उन्होंने अपनी रचनाओं में आवश्यकतानुसार तत्सम शब्दों तथा उर्दू और अंग्रेज़ी भाषा के शब्दों का प्रयोग किया है । उन्होंने डायरी विधा में अभिनव प्रयोग किया है जो अपनी प्रस्तुति , शैली और शिल्प में नवीन है ।

 

पाठ का सारांश

‘ साँवले सपनों की याद ‘ जाबिर हुसैन द्वारा लिखित संस्मरण है जो प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी सालिम अली को समर्पित है । यह संस्मरण जून 1987 में सालिम अली की मृत्यु के बाद डायरी शैली में लिखा गया है । सालिम अली की मृत्यु से दुखी लेखक ने अपने दुख और अवसाद को इस पाठ के रूप में व्यक्त किया है । लेखक ने सालिम अली को पक्षी विशेषज्ञ होने के साथ – साथ पर्यावरण प्रेमी भी माना है ।

सुनहरे पक्षियों के पंखों पर साँवले सपनों का एक झुंड सवार है । यह झुंड मौत की वादी में जा रहा है , जिसमें सबसे आगे सालिम अली हैं । वे अपने कंधों पर सैलानियों की तरह अंतहीन सफर का बोझ उठाए हुए हैं । यह उनका अंतिम सफर है । वे उस वन – पक्षी की तरह विलीन हो रहे हैं जो अंतिम गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो । इस सोए पक्षी को कोई जगाना भी नहीं चाहेगा ।

सालिम अली इस बात से दुखी थे कि लोग पक्षियों को आदमियों की नज़र से देखते हैं । वे झरने , पहाड़ों , जंगलों को भी इस दृष्टि से देखते हैं । ऐसे में वे इनके मधुर संगीत का अनुभव नहीं कर पाते हैं ।

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