Ncert solutions for class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम्

Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम्

Ncert solutions for class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम्, (Sanskrit) परीक्षा कई राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है ।  के रूप में अध्याय का अंत करने के लिए आता है, वहां एक व्यायाम के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार करने में मदद प्रदान की है ।  छात्रों को इन अभ्यासों को अच्छी तरह से हल करना चाहिए क्योंकि इनसे पूछे गए फाइनल में प्रश्न । 

कई बार छात्र अभ्यास में फंस जाते हैं और सभी सवालों को हल नहीं कर पाते ।  छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और बिना किसी संदेह के अपनी पढ़ाई जारी रखने में मदद करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए कदम दर कदम एनसीईआरटी समाधान प्रदान किए हैं।  ये समाधान छात्रों को अच्छी तरह से सचित्र उत्तरों की मदद से उच्च अंक प्राप्त करने में आगे सहायता करेंगे जो छात्रों की मदद करेंगे और सवालों का सही जवाब देंगे।

Ncert solutions for class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम्

Class 9 Sanskrit Shemushi Chapter 5 सूक्तिमौक्तिकम्

अभ्यासः

प्रश्न 1.
एकपवेन उत्तरं लिखत

(क) वित्ततः क्षीणः कीदृशः भवति?
(ख) कस्य प्रतिकूलानि कार्याणि परेषां न समाचरेत्?
(ग) कुत्र दरिद्रता न भवेत्?
(घ) वृक्षाः स्वयं न खादन्ति?
(ङ) का पुरा लघ्वी भवति?
उत्तर:
(क) अक्षीणः
(ख) आत्मनः
(ग) प्रियवाक्यप्रदाने
(घ) फलानि
(ङ) सज्जनमैत्री

प्रश्न 2.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत

(क) यत्नेन किं रक्षेत् वित्तं वृत्तं वा?
(ख) अस्माभिः (किं न समाचरेत्) कीदृशम् आचरणं न कर्त्तव्यम्?
(ग) जन्तवः केन तुष्यन्ति?
(घ) सज्जनानां मैत्री कीदृशी भवति?
(ङ) सरोवराणां हानिः कदा भवति?
उत्तर:
(क) यत्नेन वृत्तं रक्षेत्।
(ख) अस्माभिः आत्मनः प्रतिकूलम् आचरणं न कर्त्तव्यम्।
(ग) जन्तवः प्रियवाक्यप्रदानेन तुष्यन्ति।
(घ), सज्जनानां मैत्री पुरा लघ्वी पश्चात् च वृद्धिमती भवति।
(ड) सरोवराणां हानिः मरालैः सह विप्रयोगेन भवति।

प्रश्न 3.
स्तम्भे विशेषणानिस्तम्भे विशेष्याणि वत्तानि, तानि यथोचित योजयत

स्तम्भःस्तम्भः
(क) आस्वाद्यतोयाः – 1. खलानां मैत्री
(ख) गुणयुक्तः – 2. सज्जनानां मैत्री
(ग) दिनस्य पूर्वाद्धभिन्ना – 3. नद्यः
(घ) दिनस्य परार्द्धभिन्ना – 4. दरिद्रः
उत्तर:
स्तम्भःस्तम्भः
विशेषणम् – विशेष्यः
(क) आस्वाद्यतोयाः – 3. नद्यः
(ख) गुणयुक्तः – 4. दरिद्धः
(ग) दिनस्य पूर्वार्द्धभिन्ना – 1. खलानां मैत्री
(घ) दिनस्य पराद्धभिन्ना 2. सज्जनानां मैत्री

प्रश्न 4.
अधोलिखितयोः श्लोकद्वयोः आशयं हिन्दीभाषया आङ्ग्लभाषया वा लिखत

(क)आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण
लघ्वी पुरा वृद्धिमती पश्चात्।
दिनस्य पूर्वार्द्धपरार्द्धभिन्ना
छायेव मैत्री खलसज्जनानाम् ।।

(ख) प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्मात्तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता ।।
उत्तर:
भाव हिन्दी में –
(क) दुष्टों और सज्जनों की मित्रता में अंतर स्पष्ट करते हुए आचार्य भर्तृहरि कहते हैं कि जिस प्रकार छाया दिन में आरंभ में बड़ी होती है तथा धीरे-धीरे छोटी होती जाती है। उसी प्रकार दुष्टों की मित्रता पहले गहरी होती है और धीरे-धीरे कम होती जाती है। इसके विपरीत जिस प्रकार दोपहर में छाया छोटी होती है और धीरे-धीरे बढ़ती है, इसी प्रकार सज्जनों की मित्रता पहले कम तथा धीरे-धीरे दूसरों के गुण स्वभाव आदि समझकर बढ़ती है।

भाव अंग्रेजी में –
While explaining the difference between the wicked and the gentlemen, scholar Bharathari says that the shadow at the beginning of the day is small, and increases gradually. In a very manner, the wicked people have deep friendship in the initial stage but lose their friends slowly. On the contrary, like the shadow in the noon is smaller and develops gradually, in the same manner, the gentlemen have fewer friends in the beginning and increase their friends, comprehending the quality and nature of others.

भाव हिन्दी में –
(ख) मीठे वचन बोलने से सारे प्राणी प्रसन्न होते हैं, इसलिए हमें हमेशा मीठा ही बोलना चाहिए। मीठे वचन बोलने में कंजूसी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि मीठे वचनों की कोई कमी नहीं है।

भाव अंग्रेजी में –
All human beings become happy hearing the sweet words. Therefore, we should always speak sweet words, he should not restrain ourselves from speaking sweet words, because there is no dearth of sweet words.

प्रश्न 5.
अधोलिखितपदेभ्यः भिन्नप्राकृतिकं पदं चित्वा लिखत

(क), वक्तव्यम्, कर्त्तव्यम्, सर्वस्वम्, हन्तव्यम्।
(ख) यत्नेन, वचने, प्रियवाक्यप्रदानेन, मरालेन।
(ग) श्रूयताम्, अवधार्यताम्, धनवताम्, क्षम्यताम्।
(घ) जन्तवः, नद्यः, विभूतयः, परितः।
उत्तर:
(क) सर्वस्वम्
(ख) वचने
(ग) धनवताम्
(घ) परितः

प्रश्न 6.
स्थूलपदान्यधिकृत्य प्रश्नवाक्यनिर्माणं कुरुत

(क) वृत्ततः क्षीणः हतः भवति।
(ख) धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा अवधार्यताम्।
(ग) वृक्षाः फलं न खादन्ति।
(घ) खलानाम् मैत्री आरम्भगुर्वी भवति।
उत्तर:
(क) कस्मात् क्षीणः हतः भवति?
(ख) किं श्रुत्वा अवधार्यताम्?
(ग) के फलं न खादन्ति?
(घ) केषाम् मैत्री आरम्भगुर्वी भवति?

प्रश्न 7.
अधोलिखितानि वाक्यानि लोट्लकारे परिवर्तयतयथा

सः पाठं पठति। – सः पाठं पठतु। – ……………….
(क) नद्यः आस्वाधतोयाः सन्ति। – ……………….
(ख) सः सदैव प्रियवाक्यं वदति। – ……………….
(ग) त्वं परेषां प्रतिकूलानि न समाचरसि। – ……………….
(घ) ते वृत्तं यत्नेन संरक्षन्ति। – ……………….
(ङ) अहम् परोपकाराय कार्य करोमि। – ……………….
उत्तर:
(क) नद्यः आस्वाद्यतोयाः सन्ति। – नद्यः आस्वाद्यतोयाः सन्तु।
(ख) सः सदैव प्रियवाक्यं वदति। – सः सदैव प्रियवाक्यं वदतु।
(ग) त्वं परेषां प्रतिकूलानि न समाचरसि। – त्वं परेषां प्रतिकूलानि न समाचर।
(घ) ते वृत्तं यत्नेन संरक्षन्ति। – ते वृत्तं यत्नेन संरक्षन्तु।
(ङ) अहम् परोपकाराय कार्य करोमि। – अहं परोपकाराय कार्य करवाणि।

परियोजनाकार्यम्

(क) परोपकारविषयकं श्लोकद्वयम् अन्विष्य स्मृत्वा च कक्षायां सस्वर पठ।
(ख) नद्याः एक सुन्दरं चित्र निर्माय संकलय्य वा वर्णयत यत् तस्याः तीरे मनुष्याः पशवः खागाश्च निर्विघ्नं जलं पिबन्ति।
उत्तर:
(क) 1. परोपकाराय वहन्ति नद्यः परोपकाराय दुहन्ति गावः। परोपकाराय फलन्ति वृक्षाः परोपकारार्थमिदं शरीरम्।।
2. श्रोत्रं श्रुतेनैव न कुण्डलेन, दानेन पाणिनं तु कङ्कणेन। विभाति कायः करुणापराणा, परोपकारेण न चन्दनेन। (छात्र इन श्लोकों को याद करें तथा अध्यापक के सहयोग से इनका कक्षा में सस्वर पाठ करें।)
(ख) छात्र अध्यापक के सहयोग से नदी का चित्र बनाएँ तथा वर्णन करें कि उसके तट पर मनुष्य, पशु-पक्षी सब बिना कष्ट पानी पीते हैं।

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