NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी, (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है । के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है । छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल ।

कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं । छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी ।

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1.
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर ‘‘एक हमारा जमाना था’. ” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?
उत्तर:
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद अधेड़ उम्र के व्यक्ति हैं जिन्होंने पुराना समय देख रखा है, उसे जिया है और अनुभव किया है। एक हमारा ज़माना था’ ऐसा बार-बार कहकर वे अपने बचपन और युवावस्था के दिनों को याद करके कहते हैं। यह सत्य कि उस समय महँगाई बहुत कम थी। हर तरह की वस्तुएँ सस्ती थीं इससे खाने-पीने का अपना एक अलग मज़ा था। इसके अलावा न इतना प्रदूषण था और न इतनी मिलावट, ऐसे में उनका ऐसा कहना ठीक था परंतु उसकी तुलना वर्तमान काल से करना तर्कसंगत नहीं है क्योंकि कुछ बातें उस समय अच्छी थी तो बहुत-सी बातें आज अच्छी हैं।

प्रश्न 2.
रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है?            

उत्तर:
उमा के पिता रामस्वरूप, आधुनिक विचारों वाले तथा स्त्री शिक्षा के समर्थक हैं। वे अपनी पुत्री उमा को बी.ए. तक पढ़ाते हैं। उसके विवाहयोग्य होने पर जब वे योग्य वर की तलाश करते हैं तब वही शिक्षा राह का रोड़ा बन जाती है।
पेशे से वकील तथा समाज में उठने-बैठने वाले गोपाल प्रसाद और बी.एस.सी. कर मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाला उनका बेटा शंकर दोनों ही कम पढ़ी-लिखी बहू चाहते हैं। उन्हें दसवीं पढ़ी बहू ही चाहिए। अधिक पढ़ी-लिखी लड़की उन्हें पसंद नहीं। अपनी बेटी की शादी के लिए रामस्वरूप इस बात को (उमो का बी.ए. पास होना) छिपा जाते हैं।
उनके आचरण का यह विरोधाभास उनकी इस विवशता को प्रकट करता है कि आधुनिक समाज का सभ्य नागरिक होने के बावजूद उन्हें रूढ़िवादी लोगों के दबाव के सामने झुकना पड़ रहा है।

प्रश्न 3.
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है?
उत्तर:
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह इसलिए उचित नहीं है क्योंकि वह उमा की उच्च शिक्षा रूपी उस तथ्य को छिपा रहे हैं जिसके लिए न उमा ने कोई पाप किया है और न चोरी। इसके अलावा आज नहीं तो कल इस सत्य का पता शंकर और उसके पिता को चलना ही है तब आज छिपाने से बात जितनी बनने की संभावना है, कल उससे अधिक बिगड़ने की। इसके अलावा विवाह जैसे मांगलिक कार्य में झूठ का सहारा लेना तनिक भी उपयुक्त नहीं क्योंकि झूठ की बुनियाद पर खड़ा महल अधिक समय तक नहीं टिकता है।

प्रश्न 4.
गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिज़नेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं? अपने विचार लिखें।
उत्तर:
आधुनिक विचार रखने वाले तथा शिक्षा के प्रति स्वस्थ दृष्टिकोण रखने वाले रामस्वरूप ने बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाई कि उच्च शिक्षा प्राप्त उनकी बेटी को विवाह अत्यंत आसानी से हो जाएगा, पर अंततः उन्हें अपनी सोच बदलनी पड़ी। उधर गोपाल प्रसाद वकील होकर भी रूढ़िवादी विचारों वाले व्यक्ति हैं।
उनका मानना है कि उच्च शिक्षा प्राप्त लड़की घर के लिए अच्छी नहीं होती। इसलिए रामस्वरूप गोपाल प्रसाद की अपेक्षाकृत कम अपराधी हैं क्योंकि परिस्थितियों से विवश होकर उन्होंने झूठ बोला। हालाँकि झूठ बोलना भी अपराध है। अगर कोई किसी कारणवश मजबूरी में चोरी करता है, तो क्या वह चोर नहीं कहलाएगा, क्या वह अपराधी नहीं होगा?
निश्चित रूप से अपराधी ही कहलाएगा। इस तरह दोनों ही अपराधी हैं।

गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिजनेस’ मानते हैं। इसलिए वे बातचीत के बीच कहते हैं-चलो, अब बिजनेस की बात कर ली जाए। शादी को व्यवसाय मानना पाप है। इससे मानव तथा मानवीय संबंधों की गरिमा कम होती है। व्यक्ति वस्तु में बदल जाता है। शादी एक व्यापार या धंधा बन जाता है। इससे विवाह में लाभ-हानि की भाषा में बातें होती हैं। संबंधों की मधुरता नष्ट हो जाती है।

प्रश्न 5.
“… आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड़ी भी है या नहीं ..” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है?
उत्तर:
आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं… उमा इस कथन द्वारा शंकर की अनेक कमियों की ओर संकेत करना चाहती है, जैसे-

  • वह शंकर के दुर्बल चरित्र की ओर संकेत करना चाहती है क्योंकि वह लड़कियों के हॉस्टल के आसपास चक्कर लगाता हुआ पकड़ा गया था।
  • वह शंकर की शारीरिक दुर्बलता की ओर संकेत करना चाहती है क्योंकि शंकर सीधा तनकर बैठने में भी असमर्थ है।
  • वह शंकर की वैचारिक दुर्बलता की ओर संकेत करना चाहती है क्योंकि शंकर स्वयं मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। परंतु चाहता है कि उसकी शादी जिस लड़की से हो वह अधिक से अधिक दसवीं तक पढ़ी हो।
  • वह शंकर के विवेकहीन तथा रुढिगत विचारों की ओर संकेत करना चाहती है।

प्रश्न 6.
शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की-समाज को कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की जरूरत है। उमा चरित्रवान है। वह शिक्षित लड़की है। उसके पिता रामस्वरूप, गोपाल प्रसाद से उमा की शिक्षा की बात छिपा जाते हैं परंतु गोपाल प्रसाद के पूछने पर वह अपनी शिक्षा के बारे में दृढ़तापूर्वक बता देती है।
इसके विपरीत शंकर स्वयं तो उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहा है, परंतु वह नहीं चाहता है कि उसकी पत्नी भी उच्च शिक्षा प्राप्त हो। अतः समाज को शंकर जैसे व्यक्तित्व की जरूरत नहीं है।
शंकर जैसे व्यक्तित्व से हमें न अच्छे समाजोपयोगी स्वस्थ विचारधारा वाले नागरिक मिलेंगे और न ही इनसे समाज और राष्ट्र की उन्नति में योगदान की अपेक्षा की जा सकती है। वास्तव में समाज को उमा जैसे साहसी, स्पष्टवादीनी तथा उच्च चरित्र वाले व्यक्तितत्व की आवश्यकता है।

प्रश्न 7.
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रायः किसी रचना के शीर्षक का निर्धारण उसके प्रमुख पात्र, घटना, समस्या, मूलभाव, संवेदना, निहित संदेश आदि के आधार पर किया जाता है परंतु कुछ शीर्षक प्रतीकात्मक होते हैं जो अपनी प्रतीकात्मकता के कारण पाठकों में उत्सुकता और जिज्ञासा जगाते हैं। शीर्षक छोटा रोचक होना चाहिए। रीढ़ की हड्डी’ यूँ तो मानव शरीर की मुख्य हड्डी है परंतु यहाँ यह चारित्रिक मज़बूती का प्रतीक हैं जो एकांकी के प्रमुख पात्र शंकर की कमियों को पूर्णतया खोल कर देती हैं। इसके साथ ही यह शीर्षक संक्षिप्त रोचक तथा जिज्ञासा जगाने वाला है। अतः ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक पूर्णतया सार्थक है।

प्रश्न 8.
कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
उत्तर:
कथावस्तु के आधार पर निःसंदेह उमा ही इस एकांकी का मुख्य पात्र है। वास्तव में इस एकांकी में रामस्वरूप, गोपाल प्रसाद, शंकर तथा उनका नौकर तथा महिला पात्रों में प्रेमा तथा उमा हैं। इनमें से रामस्वरूप तथा गोपालदास एकांकी के अधिकांश भाग में उपस्थित रहते हैं, किंतु इनमें से कोई भी चारित्रिक रूप से आकर्षित नहीं कर पाती है।

रामस्वरूप परिस्थितियों के अधीन हो समझौता कर लेते हैं तो गोपाल प्रसाद में अनुकरणीय चरित्र या गुणों का अभाव दिखता है। शंकर दोहरे व्यक्तित्व का प्रतिनिधित्व करता है। उसमें समाजोपयोगी तथा समाज का आदर्श व्यक्ति बनने की योग्यता नहीं है।

इनमें उमा बी.ए. पास सुशिक्षित लड़की है जो चरित्रवान, साहसी, अपनी बात को दृढ़तापूर्वक कहने वाली है। वह अपनी तथा समाज में नारियों की
सम्मानजनक स्थिति के लिए चिंतित दिखती है। एकांकी के कम अंश में उपस्थित रहने पर भी वही मुख्य पात्र है।

प्रश्न 9.
एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
रामस्वरूप की चारित्रिक विशेषताएँ

  • रामस्वरूप अधेड़ उम्र वाले व्यक्ति हैं जो लड़कियों की उच्च शिक्षा के पक्षधर हैं।
  • रामस्वरूप शिक्षा के साथ-साथ पेंटिंग, संगीत आदि के प्रति रुचि रखनेवाले हैं।
  • रामस्वरूप में भी मानवीय कमियाँ हैं। वे लड़केवालों की इच्छा के आगे अपनी बेटी उमा की उच्च शिक्षा छिपाने को विवश हो जाते हैं।
  • रामस्वरूप अपनी बीवी को बजता ग्रामोफ़ोन कहकर अपनी विनोदप्रियता प्रकट करते हैं।
  • वे अपने जमाने को आज के समय से बेहतर मानते हैं।

गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ

  • गोपाल प्रसाद उच्च शिक्षित वकील हैं परंतु चालाक किस्म के व्यक्ति हैं।
  • वे रूढ़िवादी विचारों वाले हैं, क्योंकि अपने बेटे के लिए वे दसवीं पास बहू ही चाहते हैं।
  • वे विवाह जैसे पवित्र संस्कार को बिजनेस समझते हैं।
  • वे अपने बेटे के विवाह में भरपूर दहेज चाहते हैं।
  • गोपाल प्रसाद अपनी तथा अपने बेटे की कमियों को सरलता से नहीं स्वीकारते हैं।

प्रश्न 10.
इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।

उत्तर:
 ‘रीढ़ की हड्डी’ नामक एकांकी के उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. समाज में लड़कियों को समुचित सम्मान न मिलने की समस्या को समाज के सामने लाना।
  2. लड़कियों के विवाह में आने वाली समस्या को समाज के सामने लाना।
  3.  लड़कियों के विवाह के समय उनकी पसंद-नापसंद, रुचि आदि को महत्त्व न दिया जाना।
  4.  लड़कियों के विवाह के समय उनके माता-पिता को दबाया जाना तथा उन्हें अनुचित समझौता करने पर विवश किया जाना
  5.  समाज के उन लोगों को बेनकाब करना जो शिक्षा के प्रति दोहरी मानसिकता रखते हैं।
  6.  उन लोगों की मानसिकता को उजागर करना जो लड़कियों को समाज में सम्मानजनक स्थान नहीं देना चाहते हैं।

प्रश्न 11.
समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?
उत्तर:
स्त्री और पुरुष जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं। इस गाड़ी के सुचारू परिचालन हेतु दोनों का समान होना आवश्यक है। इस समानता के लिए महिलाओं की शिक्षा, सम्मान और अधिकार पर ध्यान देना आवश्यक है। उन्हें समाज में गरिमामय स्थान दिलाने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं-

  • लड़कियों की शिक्षा पर पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • उन्हें शिक्षा के साथ खेल-कूद, कला, संगीत आदि में आगे बढ़ने का अवसर देना चाहिए।
  • महिलाओं को कंप्यूटर तथा कौशल विकास का प्रशिक्षण देना चाहिए।
  • नौकरियों और व्यवसाय में उनके लिए स्थान आरक्षित होना चाहिए।
  • उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए उन्हें छूट मिलनी चाहिए।
  • महिलाओं के प्रति समाज को स्वस्थ दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
  • महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

Leave a Comment