Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 Summary दु:ख का अधिकार

Hindi Sparsh Chapter 2 Summary दु:ख का अधिकार

Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 Summary दु:ख का अधिकार, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

Sometimes, students get stuck inside the exercises and are not able to clear up all of the questions.  To assist students, solve all of the questions, and maintain their studies without a doubt, we have provided a step-by-step NCERT Summary for the students for all classes.  These answers will similarly help students in scoring better marks with the assist of properly illustrated Notes as a way to similarly assist the students and answer the questions right.

Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 Summary दु:ख का अधिकार

 

पाठ का सार

‘ दु : ख का अधिकार ‘ एक व्यंग्यपूर्ण रचना है । इसमें इस बात पर दुःख प्रकट किया गया है कि लोग गरीबों के दुःखको दुःख नहीं समझते । हमारे देश में कुछ अभागे लोग ऐसे भी हैं कि जिन्हें दुःख मनाने का भी अधिकार नहीं है ।

  • पोशाक द्वारा स्तर निर्धारण – हमारे समाज में हमारी पोशाक देखकर हमारा स्तर निर्धारित किया जाता मनुष्य की पहचान उसकी पोशाक से होती है । यही पोशाक उसे अधिकार व दर्जा दिलाती है । कीमती पोशाक अनेक बंद दरवाजे खोल देती है । जीवन में कभी – कभी ऐसे क्षण भी आते हैं जब हम अपने वर्ग – भेद से झुककर गरीबों की मनोस्थिति को भी आँकते हैं ? उन निचली श्रेणियों की अनुभूति मन को छूती है, परंतु पोशाक बंधन बनकर अड़चन डाल देती है । खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुकने से रोके रहती है ।
  • लोगों का दुर्व्यवहार – खरबूजे बेचनेवाली घुटनों में मुँह छिपाकर डलिया में कुछ खरबूजे रखकर रो रही थी । उसकी पोशाक को देखकर कोई भी खरबूज़े खरीदने के लिए आगे नहीं बढ़ रहा था । बाजार में खड़े लोग उसे धिक्कार रहे थे तथा तरह – तरह की बातें बना रहे थे । वे कह रहे थे कि सूतक लगे हुए हैं । एक आदमी ने घृणा से थूकते हुए कहा , “ क्या जमाना है । जवान लड़के को मरे पूरा दिन नहीं बीता और यह बेहया दुकान लगा के बैठी है । “

एक ने लापरवाही से कहा कि इन कमीनों का धर्म ईमान कुछ नहीं , बस रोटी का टुकड़ा ही सब कुछ है । परचून की दुकान चलानेवाले एक दुकानदार ने कहा- “ इसे अपने धर्म ईमान की चिंता नहीं है तो न सही परंतु इसे सूतक के तेरह दिनों में खरबूजे बेचकर दूसरों का धर्म ईमान नहीं बिगाड़ना चाहिए । “

बुढ़िया माँ की समस्या – लेखक ने पास पड़ोस की दुकानों से पूछकर पता लगाया कि उसका तेईस साल का जवान लड़का भगवाना साँप के काटने से मर गया । वह शहर के पास डेढ़ बीघा जमीन में खेती करके , परिवार का निर्वाह करता था । परसों सवेरे एक साँप ने उसे डस लिया । माँ ने ओझा को बुलाया । झाड़ना फूँकना हुआ । नागदेव की पूजा की । दान – दक्षिणा दी । घर में जो अनाज और आटा था , वह दान – दक्षिणा में चला गया परंतु उसका पुत्र भगवाना बच न सका ।

सुबह होते ही बच्चे भूख से बिलबिलाने लगे । दादी ने उन्हें खाने के लिए खरबूजे दिए । बहू बुखार से तप रही थी । कोई उधार देनेवाला नहीं था इसलिए वह रोते – रोते खरबूज़े लेकर बेचने चल पड़ी थी । वहीं हमारे पड़ोस की एक संभ्रात महिला पुत्र की मृत्यु के बाद अढ़ाई मास तक पलंग से उठ न सकी थी । उन्हें पंद्रह – पंद्रह मिनट बाद पुत्र वियोग से मूर्छा आ जाती थी और मूर्छा न आने की अवस्था में आँखों से आँसू न रुकते थे । दो – दो डॉक्टर हरदम सिरहाने बैठे रहते थे । हरदम सिर पर बर्फ रखी जाती थी शहर भर के लोगों के मन उस पुत्र वियोगी माँ के लिए द्रवित हो उठे थे ।

लेखक दोनों पुत्र वियोगिनी माताओं की तुलना कर रहा था । उसके मन में विचार आया कि शोक करने और दुःख मनाने के लिए भी सुविधा और अधिकार दोनों चाहिए ।

पाठ के शब्दार्थ

पोशाक – पहनावा

श्रेणी – विभाजन

दर्ज़ा – स्थान

अनुभूति – अनुभव , संवेदना

डलिया – टोकरी

अधेड़ – ढलती उम्र का

व्यथा – पीड़ा

व्यवधान – रुकावट

बेहया – बेशर्म

नीयत – इरादा

बरकत – वृद्धि

खसम – पति

लुगाई पत्नी

परचून की दुकान – आटा , चावल , दाल आदि की दुकान

सूतक – परिवार में किसी बच्चे के जन्म होने या किसी के मरने पर कुछ निश्चित समय तक की अपवित्रता

कछियारी – खेतों में तरकारियाँ बोना

निर्वाह – गुजारा

मुँह – अँधेरे – सुबह – सुबह, भोर का समय

मेंड़ – खेत के चारों ओर का घेरा

तरावट – गीलापन

ओझा – झाड़ – फूँक करनेवाला

दान – दक्षिणा – दान में दिया जानेवाला धन

बजाज – कपड़े का व्यापारी

छन्नी ककना – मामूली गहना

चूनी – भूसी – पशुओं को खिलाने का चारा

बिलबिलाना – तड़पना

दुअन्नी चवन्नी – दो – चार आने

संभ्रांत – उच्च वर्ग से संबंधित

मूर्छा – बेहोशी

द्रवित – पसीजा हुआ

नाक ऊपर उठाना – सम्मान की रक्षा करना

गम मनाना – मृत्यु का दुःख प्रकट करना

सहूलियत सुविधा

अधिकार – हक

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