राज्य, राजा और एक प्राचीन गणराज्य CBSE Class 6 History Chapter 5 Notes in Hindi

TextbookNCERT
BoardCBSE Board, UP board, JAC board, HBSE Board, Bihar Board, PSEB board, RBSE Board, UBSE Board
Class6th Class
SubjectHistory | Social Science
ChapterChapter 5
Chapter Nameराज्य, राजा और एक प्राचीन गणराज्य
Topicराज्य, राजा और एक प्राचीन गणराज्य CBSE Class 6 History Chapter 5 Notes in Hindi
MediumHindi
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राज्य, राजा और एक प्राचीन गणराज्य

कुछ लोग शासक कैसे बने ?

  • लगभग पचास वर्षों से हम अपने शासकों का चुनाव मतदान के जरिए करते आ रहे हैं। कुछ राजा संभवतः जन यानी लोगों द्वारा चुने जाते थे।
  • परन्तु करीब 3000 साल पहले राजा बनने की इस प्रक्रिया में कुछ परिवर्तन दिखाई दिए।
  • लोग बड़े- यज्ञों को आयोजित कर राजा के रूप में प्रतिष्ठित हो गए।
  • अश्वमेध यज्ञ एक ऐसा ही आयोजन था।
  • इसमें एक घोड़े को राजा के लोगों की देखरेख में स्वतंत्र विचरण के लिए छोड़ दिया जाता था।
  • इस घोड़े को किसी दूसरे राजा ने रोका तो उसे वहाँ अश्वमेध यज्ञ करने वाले राजा से लड़ाई करनी पड़ती थी।
  • अगर उन्होंने घोड़े को जाने दिया तो इसका मतलब यह होता था कि अश्वमेध यज्ञ करने वाला राजा उनसे ज़्यादा शक्तिशाली था।
  • इसके बाद उन राजाओं को यज्ञ में आमंत्रित किया जाता था। यह यज्ञ विशिष्ट पुरोहितों द्वारा सम्पन्न किया जाता था। इसके लिए उन्हें उपहारों से सम्मानित किया जाता था।
  • अश्वमेध यज्ञ करने वाला राजा बहुत शक्तिशाली माना जाता था। यज्ञ में आमंत्रित सभी राजा उसके लिए उपहार लाते थे।

विशेष अनुष्ठान

  • इन सभी आयोजनों में राजा का मुख्य स्थान होता था । उसे राजसिंहासन या बाघ की खाल के एक विशेष आसन पर बिठाया जाता था।
  • युद्ध क्षेत्र में राजा का सारथी ही उसका सहचर होता था। यज्ञ के अवसर पर वह राजा की विजयों तथा अन्य गुणों का गान करता था।
  • राजा के सगे-संबंधी खासकर उसकी रानियों तथा पुत्रों को भी कई छोटे-छोटे अनुष्ठान करने होते थे।
  • अन्य सारे आमंत्रित राजाओं का काम सिर्फ़ बैठकर यज्ञ की पूरी प्रक्रिया को देखना भर था।
  • राजा के ऊपर पुरोहित पवित्र जल के छिड़काव के साथ-साथ अन्य कई अनुष्ठान करता था ।
  • विश् अथवा वैश्य जैसे सामान्य लोग उपहार लाते थे।
  • जिन्हें पुरोहित शूद्र मानते थे उन्हें कई अनुष्ठानों में शामिल नहीं किया जाता था।

जनपद

  • महायज्ञों को करने वाले राजा अब जन के राजा न होकर जनपदों के राजा माने जाने लगे।
  • जनपद का शाब्दिक अर्थ जन के बसने की जगह होता है।
  • पुरातत्त्वविदों ने इन जनपदों की कई बस्तियों की खुदाई की है। दिल्ली में पुराना किला, उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास हस्तिनापुर और एटा के पास अतरंजीखेड़ा इनमें प्रमुख हैं।
  • खुदाई से पता चला है कि लोग झोपड़ियों में रहते थे और मवेशियों तथा अन्य जानवरों को पालते थे। वे चावल, गेहूँ, धान, जौ, दालें, गन्ना, तिल तथा सरसों जैसी फ़सलें उगाते थे।

मिट्टी के बर्तन

  • लोग मिट्टी के बर्तन भी बनाते थे।
  • इनमें कुछ धूसर और कुछ लाल रंग के होते थे।
  • इन पुरास्थलों में कुछ विशेष प्रकार के बर्तन मिले हैं, जिन्हें ‘चित्रित-धूसर पात्र’ के रूप में जाना जाता है।
  • इन बर्तनों पर चित्रकारी की गई है। ये आमतौर पर सरल रेखाओं तथा ज्यामितीय आकृतियों के रूप में हैं।

महाजनपद

  • 2500 साल पहले, कुछ जनपद अधिक महत्वपूर्ण हो गए। इन्हें महाजनपद कहा जाने लगा।
  • अधिकतर महाजनपदों की एक राजधानी होती थी। कई राजधानियों में किलेबंदी की गई थी अर्थात् इनके चारों ओर लकड़ी, ईंट या पत्थर की ऊँची दीवारें बनाई गई थीं।
  • ऐसा लगता है कि लोगों ने अन्य राजाओं के आक्रमण से डरकर अपनी सुरक्षा के लिए इन किलों का निर्माण किया।
  • कुछ राजा अपनी राजधानी के चारों ओर विशाल, ऊँची और प्रभावशाली दीवार खड़ी कर अपनी समृद्धि और शक्ति का प्रदर्शन भी करते थे।
  • इस तरह से किले के अंदर रहने वाले लोगों और उस क्षेत्र पर नियत्रण रखना भी सरल हो जाता होगा।
  • इस तरह की विशाल दीवार बनाने के लिए व्यापक योजना की आवश्यकता थी और लाखों की संख्या में ईंटों तथा पत्थरों का इंतज़ाम करना पड़ता था ।
  • हज़ारों स्त्री-पुरुषों तथा बच्चों ने इसके लिए अथक परिश्रम किया होगा। इनके लिए संसाधनों की आवश्यकता पड़ती होगी ।
  • अब राजा सेना रखने लगे थे। सिपाहियों को नियमित वेतन देकर पूरे साल रखा जाता था। कुछ भुगतान संभवतः आहत सिक्कों के रूप में होता था।

कर

  • महाजनपदों के राजा विशाल किले बनवाते थे और बड़ी सेना रखते थे, इसलिए उन्हें प्रचुर संसाधनों की आवश्यकता होती थी। इसके लिए उन्हें कर्मचारियों की भी आवश्यकता होती थी।
  • अतः महाजनपदों के राजा लोगों द्वारा समय-समय पर लाए गए उपहारों पर निर्भर न रहकर अब नियमित रूप से कर वसूलने लगे।
    • फ़सलों पर लगाए गए कर सबसे महत्वपूर्ण थे क्योंकि अधिकांश लोग कृषक ही थे ।
      • प्रायः उपज का 1/6वां हिस्सा कर के रूप में निर्धारित किया जाता था जिसे भाग कहा जाता था
    • कारीगरों के ऊपर भी कर लगाए गए जो प्रायः श्रम के रूप में चुकाए जाते थे।
      • जैसे कि एक बुनकर, लोहार या सुनार को राजा के लिए महीने में एक दिन काम करना पड़ता था।
    • पशुपालकों को जानवरों या उनके उत्पाद के रूप कर देना पड़ता था।
    • व्यापारियों को सामान खरीदने-बेचने पर भी कर देना पड़ता था।
    • आखेटकों तथा संग्राहकों को जंगल से प्राप्त वस्तुएँ देनी होती थी।

कृषि में परिवर्तन

इस युग में कृषि के क्षेत्र में दो बड़े परिवर्तन आए ।

  • हल के फाल अब लोहे के बनने लगे। अब कठोर ज़मीन को लकड़ी के फाल की तुलना में लोहे के फाल से आसानी से जोता जा सकता था। इससे फ़सलों की उपज बढ़ गई।
  • दूसरे, लोगों ने धान के पौधों का रोपण शुरू किया अर्थात् खेतों में बीज छिड़ककर धान उपजाने के बजाए धान की पौध तैयार कर उनका रोपण शुरू किया गया।

ये काम ज़्यादातर दास, दासी तथा भूमिहीन खेतिहर मज़दूर (कम्मकार) करते थे।

सूक्ष्म निरीक्षण

(क) मगध

  • लगभग दो सौ सालों के भीतर मगध सबसे महत्वपूर्ण जनपद बन गया।
  • गंगा और सोन जैसी नदियाँ मगध से होकर बहती थीं।
    • (क) यातायात
    • (ख) जल – वितरण और
    • (ग) ज़मीन को – उपजाऊ बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण थीं।
  • मगध का एक हिस्सा जंगलों से भरा था।
  • इन जंगलों में रहने वाले हाथियों को पकड़ कर और उन्हें प्रशिक्षित कर सेना के काम में लगाया जाता था।
  • यही नहीं, जंगलों से घर, गाड़ियाँ, तथा रथ बनाने के लिए लकड़ी मिलती थी। इसके अलावा इस क्षेत्र में लौह अयस्क की खदाने हैं। मज़बूत औज़ार और हथियार बनाने के लिए ये बहुत उपयोगी थे।
  • मगध में दो बहुत क्तिशाली सक बिम्बिसार तथा अजातसत्तु (अजातशत्रु) हुए। अन्य जनपदों को जीतने के लिए ये हर संभव साधन अपनाते थे।

महापद्मनंद

  • महापद्मनंद एक और महत्वपूर्ण शासक थे।
  • उन्होंने अपने नियंत्रण का क्षेत्र इस उपमहाद्वीप के -पश्चिमी भाग तक फैला लिया था।
  • बिहार में राजगृह (आधुनिक राजगीर) कई सालों तक मगध की राजधानी बनी रही।
  • बाद में पाटलिपुत्र (आज का पटना ) को राजधानी बनाया गया ।

सिकन्दर

  • 2300 साल से भी पहले की बात है, मेसिडोनिया का राजा सिकन्दर विश्व-विजय करना चाहता था।
  • पूरी तरह सफल न होने पर भी वह मिस्र और पश्चिमी एशिया के कुछ राज्यों को जीतता हुआ भारतीय उपमहाद्वीप में व्यास नदी के किनारे तक पहुँच गया।
  • जब उसने मगध की ओर कूच करना चाहा, तो उसके सिपाहियों ने इंकार कर दिया।
  • वे इस बात से भयभीत थे, कि भारत के शासकों के पास पैदल, रथ और हाथियों की बहुत बड़ी सेना थी।

(ख) वज्जि

  • मगध एक शक्तिशाली राज्य बन गया था। उसके नज़दीक ही वज्जि राज्य था, जिसकी राजधानी वैशाली (बिहार) थी।
  • यहाँ एक अलग किस्म की शासन व्यवस्था थी जिसे गण या संघ कहते थे।
  • गण या संघ में कई शासक होते थे।
  • कभी-कभी लोग एक साथ शासन करते थे, जिसमें से प्रत्येक व्यक्ति राजा कहलाता था
  • ये सभी राजा विभिन्न अनुष्ठानों को एक साथ सम्पन्न करते थे।
  • सभाओं में बैठकर ये बातचीत, बहस और वाद-विवाद के जरिए तय करते थे कि क्या करना है और किस तरह करना है।
  • शत्रुओं के आक्रमण से निपटने के लिए वे मिलकर चर्चाएँ करते थे।
  • स्त्रियाँ, दास तथा कम्मकार इन सभाओं में हिस्सा नहीं ले सकते थे।
  • बुद्ध तथा महावीर दोनों ही गण या संघ से संबंधित थे।
  • बौद्ध साहित्य में संघ के जीवन का बहुत ही सजीव वर्णन मिलता है।
  • कई शक्तिशाली राजा इन संघों को जीतना चाहते थे।
  • इसके बावजूद उनका राज्य अब से लगभग 1500 साल पहले तक चलता रहा।
  • उसके बाद गुप्त शासकों ने गण और संघ पर विजय प्राप्त कर उन्हें अपने राज्य में शामिल कर लिया।

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