Hindi Sparsh Chapter 11 Summary डायरी का एक पन्ना
NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 11 Summary डायरी का एक पन्ना, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.
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NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 11 Summary डायरी का एक पन्ना
पाठ की रूपरेखा
पद्मश्री से सम्मानित सेकसरिया की अनेक कृतियाँ हैं , जिनमें एक कार्यकर्ता की डायरी ‘ उल्लेखनीय है । प्रस्तुत पाठ इसी का अंश है ।
इस पाठ के अंतर्गत 26 जनवरी , 1931 को नेताजी सुभाषचंद्र बोस , स्वयं लेखक तथा कलकत्ता के हज़ारों लोगों द्वारा देश का दूसरा स्वतंत्रता दिवस उत्साह से मनाने का वर्णन है । यह पाठ क्रांतिकारियों की कुर्बानियों की याद दिलाते हुए समाज की एकता को प्रदर्शित करता है ।
पाठ का सार
कलकत्ता में राष्ट्रीय ध्वजारोहण
पिछले वर्ष 26 जनवरी , 1931 को संपूर्ण भारत में स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था और आज इसी की पुनरावृत्ति हो रही है । कलकत्ता में इसका विशेष महत्त्व था और लोगों को बता दिया गया था कि इसका संपूर्ण प्रबंध उन्हें ही करना है । इसे इतने भव्य रूप में मनाया जा रहा था कि केवल प्रचार में ही दो हज़ार रुपये खर्च किए गए थे । बड़ा बाज़ार स्थित सभी मकानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा रहा था ।
कई मकान तो ऐसे थे , जिन्हें देखकर लग रहा था जैसे देश को स्वतंत्रता प्राप्त हो गई है । उधर पुलिस ने भी पूरा प्रबंध किया हुआ था । शहर के प्रत्येक मोड़ पर गोरखे और सारजेंट तैनात किए गए थे । ट्रैफिक पुलिस को भी घुड़सवार पुलिस के साथ इसी काम पर लगा दिया गया था ।
मोनुमेंट पर होने वाला संघर्ष
मुख्य सभा शाम के समय मोनुमेंट के नीचे होनी प्रस्तावित थी । इस स्थान को सुबह से ही पुलिस ने घेर लिया था । इसके बाद भी कई स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया था । श्रद्धानंद पार्क में जब बंगाल प्रांत के विद्यार्थी संघ के मंत्री अविनाश बाबू ने झंडा फहराया , तो उनको पकड़ लिया गया तथा दूसरे लोगों को मारपीट कर वहाँ से हटा दिया गया ।
इसी प्रकार तारा सुंदरी पार्क स्थित बड़ा – बाज़ार कांग्रेस कमेटी के युद्ध मंत्री हरिश्चंद्र सिंह झंडा फहराने गए तो उन्हें भीतर नहीं जाने दिया गया और वहाँ काफ़ी मारपीट हुई , जिसमें दो – चार आदमियों के सिर फट गए । उधर गुजराती सेविका संघ की ओर से जुलूस निकाला गया , जिसमें शामिल होने वाली लड़कियों को पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया ।
जुलूस निकालने में हुआ संघर्ष
ग्यारह बजे मारवाड़ी बालिका विद्यालय की लड़कियों ने अपने विद्यालय में झंडा फहराया । उन्हें उत्सव का महत्त्व समझाया गया । इसी बीच फ़ोटो आदि भी खींचे जा रहे थे । दोपहर 2-3 बजे कई आदमियों को पकड़ लिया गया , जिसमें मुख्य रूप से पूर्णोदास और पुरुषोत्तम राय आदि उल्लेखनीय थे । पूर्णोदास पर सुभाष बाबू के जुलूस का भार था ।
स्त्री- समाज जगह – जगह से अपना जुलूस निकालने की कोशिश में लगा हुआ था । एक बजे से ही मैदान में हज़ारों लोगों की भीड़ टोलियों में आने लगी । कानून भंग का काम शुरू होने के बाद से आज तक इस मैदान में ऐसी सभा नहीं हुई थी । पुलिस कमिश्नर का नोटिस निकल चुका था कि सभा नहीं की जा सकती और जो लोग ऐसा करने वाले थे , उन्हें पुलिस इंस्पेक्टरों द्वारा नोटिस दिए जा चुके थे कि यदि सभा में भाग लिया , तो दोषी माने जाएँगे । इसके बावजूद कौंसिल की ओर से निकले नोटिस में चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा फहराए जाने तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाने की बात कही गई थी ।
सुभाष बाबू का संघर्ष
ठीक चार बजकर दस मिनट पर सुभाष बाबू जुलूस लेकर आए तो उन्हें चौरंगी पर ही रोका गया पर भीड़ इतनी अधिक थी कि पुलिस इसे रोक नहीं पाई । जैसे ही जुलूस मैदान के मोड़ पर पहुँचा , पुलिस ने लाठियाँ चलानी शुरू कर दी , जिसमें बहुत – से आदमी घायल हुए । सुभाष बाबू ज़ोर – ज़ोर से वंदे मातरम् बोल रहे थे , उन पर भी लाठियाँ पड़ीं । ज्योतिर्मय गांगुली ने सुभाष बाबू से दूसरी ओर आने को कहा , किंतु सुभाष बाबू ने आगे बढ़ने पर ज़ोर दिया । पुलिस की भयानक लाठियों से क्षितिश चटर्जी का सिर फट गया ।
स्त्रियों का संघर्ष एवं सुभाष बाबू की गिरफ़्तारी
स्त्रियों ने मोनुमेंट की सीढ़ियों पर चढ़कर झंडा फहराकर घोषणा पढ़ दी । स्वयंसेवकों का उत्साह लाठियाँ खाकर भी कम नहीं हो रहा था । इसी बीच सुभाष बाबू को पकड़कर लॉकअप में भेज दिया गया । स्त्रियों का जुलूस भी निकला और पुलिस का लाठीचार्ज भी हुआ , जिसमें अनेक लोग घायल हुए । धर्मतल्ले के मोड़ पर जुलूस टूट गया और 50-60 स्त्रियाँ वहीं पर बैठ गईं , जिन्हें पुलिस ने लालबाज़ार जेल भेज दिया । इसके बाद विमल प्रतिभा के नेतृत्व में जुलूस आगे बढ़ा , तो उन्हें भी लालबाज़ार भेज दिया गया ।
वृजलाल गोयनका का संघर्ष
वृजलाल गोयनका वंदे मातरम् बोलते हुए मोनुमेंट की ओर भागा , किंतु पुलिस सावधान थी और उसने उसे पकड़कर कुछ दूर ले जाकर छोड़ दिया । इसके बाद वह स्त्रियों के जुलूस में घुस गया और वहाँ से दो सौ लोगों का जुलूस लेकर लालबाज़ार गया , जहाँ उसे गिरफ्तार कर लिया गया । यहीं पर मदालसा को भी पकड़ लिया गया और उससे मालूम हुआ कि उसे थाने में पीटा भी गया ।
घायलों की स्थिति
इस संघर्ष में कुल मिलाकर 105 महिलाएँ पकड़ी गई थीं , जिन्हें रात नौ बजे छोड़ दिया गया । कलकत्ता ( कोलकाता ) में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं की गिरफ़्तारी हुई थी । कांग्रेस के कार्यालय से फ़ोन द्वारा सूचना मिली कि वहाँ अनेक घायल पहुँचे हैं । इस पर लेखक जानकीदेवी के साथ वहाँ पहुँचा । डॉक्टर दास गुप्ता घायलों की देख – रेख करने के साथ – साथ उनके फ़ोटो भी उतरवा रहे थे । वहाँ 103 घायल पहुँचे थे । इसी प्रकार अस्पताल में भी 160 घायल पहुँचे थे । कुछ लोग अपने घर चले गए थे । पकड़े गए लोगों की संख्या का पता नहीं चल पाया । लेखक के अनुसार , यह संघर्ष अपने आप में अत्यंत महत्त्वपूर्ण है , जिसने कोलकाता के इस कलंक को धो दिया कि यहाँ स्वतंत्रता आंदोलन का काम नहीं हो पा रहा था । इससे यह आशा भी बँधी कि यहाँ भी स्वतंत्रता आंदोलन का काम हो सकता है ।
शब्दार्थ
डायरी – दैनिक अनुभवों को एक पुस्तिका में लिखना
पुनरावृत्ति — फिर से दोहराना
नवीनता – नयापन
गश्त – पुलिस कर्मचारी का पहरे के लिए घूमना
लारियाँ – एक विशेष प्रकार की खुली गाड़ियाँ
सारजेंट – सेना में एक पद
तैनात – नियुक्त
मोनुमेंट- स्मारक
भोर – सुबह
प्रांतीय – प्रांत से संबंधित
युद्ध मंत्री- संघर्ष करने में सलाह देने वाले
झंडोत्सव – झंडा फहराने का उत्सव
भार- ज़िम्मेदारी या वजन
कानून – भंग – कानून तोड़ना या कानून को न मानना
ओपन- खुला
अमुक- फलाँ
धारा – कानून
कौंसिल – परिषद्
सर्वसाधारण – सामान्य जनता
चैलेंज- चुनौती
चौरंगी – कलकत्ता शहर में एक स्थान का नाम
वॉलेंटियर- स्वयंसेवक
लॉकअप- जेल
संगीन- गंभीर