NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 Summary बड़े भाई साहब

Hindi Sparsh Chapter 10 Summary बड़े भाई साहब

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NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 10 Summary बड़े भाई साहब

 

पाठ की रूपरेखा

प्रस्तुत पाठ में एक बड़े भाई साहब हैं और एक उनका छोटा भाई है , जो उनसे पाँच साल छोटा है । परिवार में बड़ा भाई होने के कारण उनसे बड़ी बड़ी आदर्शात्मक अपेक्षाएँ की जाती हैं , वह स्वयं भी वही कार्य करते , जो उनके छोटे भाई के लिए आदर्श बन सके । इसलिए वह हर समय पढ़ाई करते रहते और छोटे भाई पर कड़ी निगरानी रखते हैं । समय समय पर अपने छोटे भाई को पढ़ाई के प्रति गंभीर रूप से सचेत भी करते रहते हैं । इस आदर्श रूप को बनाने के लिए वह अपना बचपन भी खो बैठते हैं । इस पाठ में सार्थक पढ़ाई करने तथा शिक्षा व्यवस्था पर व्यंग्यात्मक वर्णन किया गया है ।

 

पाठ का सार

बड़े भाई साहब का व्यक्तित्व

कहानी में लेखक ने अपने बड़े भाई साहब को चौदह वर्ष का बताया है । आयु में पाँच वर्ष का अंतर होने पर भी वे लेखक से कक्षा में केवल तीन दरजा आगे हैं , क्योंकि वह शिक्षा पाने में किसी प्रकार की जल्दबाज़ी नहीं करना चाहते । वह तालीम रूपी भवन की बुनियाद खूब मज़बूत डालना चाहते थे , जिस पर आलीशान महल बन सके । एक साल का काम दो साल में करते थे । कभी – कभी तीन साल भी लग जाते थे । उनका विश्वास था कि बुनियाद ही पुख्ता न हो , तो मकान पायेदार नहीं बन सकता ।

इसके अतिरिक्त , वह लेखक की हर हरकत पर बारीक निगाह रखते थे और किसी भी गलती पर लेखक को खूब डाँटते थे । बड़े भाई साहब अधिकांश समय अपनी पुस्तकें खोले बैठे रहते थे , किंतु उनका दिमाग कहीं और होता था । कई बार लेखक ने भाई साहब की कॉपियों पर चिड़ियों , कुत्तों , बिल्लियों की तस्वीरें बनी देखी थीं । यही नहीं , वह कुछ विचित्र शब्दों को अपनी कॉपी पर लिखा करते थे , जिनका अर्थ लेखक की समझ में कभी नहीं आता था और छोटा होने के कारण लेखक उनसे उन विचित्र शब्दों का अर्थ भी नहीं पूछ पाता था ।

बड़े भाई साहब के निर्देश और नसीहतें

लेखक खेलकूद में बहुत रुचि लेता था और अवसर पाते ही होस्टल से बाहर निकलकर मैदान में अपने दोस्तों के साथ खेलने या गप्पे मारने लगता था । जब वह इन गतिविधियों से निपटकर अपने कमरे में वापस आता तो भाई साहब उससे प्रश्न पूछने को तैयार मिलते थे- कहाँ थे ? यह प्रश्न सुनते ही लेखक काँप जाता था । इसके बाद बड़े भाई साहब के उपदेश चालू हो जाते जिसमें इस बात पर ज़ोर होता था कि अंग्रेज़ी जैसे विषय को पढ़ना और समझना आसान नहीं है , यह जानते हुए भी लेखक अपना समय खेलने – कूदने और गप्पे हाँकने में लगा देता है । वह लेखक को इस बात के लिए लताड़ते ( डाँटते ) थे कि यदि उसे पढ़ने में रुचि नहीं है , तो वह क्यों यहाँ रहकर दादाजी की मेहनत की कमाई को बेकार कर रहा है ?

लेखक द्वारा पढ़ाई के संबंध में योजनाएँ बनाना

बड़े भाई साहब से डाँट खाकर लेखक को बहुत दुःख होता और वह निराश हो जाता । ऐसे में वह पढ़ाई करने की योजना बनाता । सबसे पहले पढ़ाई का टाइम – टेबिल बनाया जाता और इसमें सुबह से रात तक की हर गतिविधि को ( खेलकूद को छोड़कर ) समय दिया जाता , लेकिन पहले ही दिन से उसका टाइम – टेबिल से ध्यान हट जाता और खेलकूद शुरू हो जाता । इसका परिणाम यह होता कि उसे भाई साहब की डाँट और नसीहतें सुननी पड़तीं ।

वार्षिक परीक्षा और लेखक का परीक्षाफल

वार्षिक परीक्षाएँ हो गईं और परीक्षाफल निकला तो लेखक को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि वह कक्षा में प्रथम आया है , जबकि उसके बड़े भाई साहब फेल हो गए । ऐसे में उसका दिल किया कि वह जाकर बड़े भाई साहब से पूछे कि तुमने इतना पढ़ – लिखकर कौन – सा तीर मार लिया ? लेकिन लेखक छोटा था , इसलिए वह इन सब बातों को मन में ही सोचकर चुप रहा । अगले दिन से उसने बड़े भाई साहब की डाँट की चिंता किए बिना खेलने जाना आरंभ कर दिया ।

बड़े भाई साहब लेखक की इस निडरता को भाँप चुके थे , इसलिए एक दिन उन्होंने लेखक को खरी – खोटी सुनाते हुए कहा कि कक्षा में प्रथम आने से वह घमंडी हो गया है , उन्होंने रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि घमंड करना बुरी आदत है , घमंड व्यक्ति का सर्वनाश कर देता है । उन्होंने लेखक को घमंड त्यागकर पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहा तथा साथ ही लेखक को यह भी बताया कि वह इस बार प्रथम आ गया तो यह कोई बड़ी बात नहीं है । उसे यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि जब वह उनकी कक्षा में आएगा तो दाँतों पसीना आ जाएगा , क्योंकि इंगलिस्तान का इतिहास पढ़ना पड़ेगा , जिसमें आठ तो हेनरी हुए हैं , दर्जनों जेम्स और दर्जनों ही विलियम्स और कोड़ियों चार्ल्स । इनके नाम और काम याद करते – करते चक्कर आने लगते हैं । ज्योमेट्री छात्रों का खून चूस लेती है ।

शिक्षा के नाम पर छात्रों पर होने वाले अत्याचार

बड़े भाई साहब के अनुसार जो कुछ किताबों में लिखा है , उसे वैसा ही नहीं पढ़ा तो परीक्षा पास नहीं की जा सकती । वह ‘ समय की पाबंदी ‘ पर चार पन्नों का निबंध लिखने का उदाहरण देकर परीक्षा लेने वालों पर व्यंग्य करते हुए कहते हैं कि यदि समय की पाबंदी पर चार पन्नों का निबंध लिखा जाएगा , तो यह समय की बर्बादी ही होगी । यह छात्रों पर अत्याचार है कि संक्षेप में लिखने को कहकर चार पन्ने लिखवाए जाते हैं । लेखक को इन सब बातों के विषय में विस्तार से बताकर बड़े भाई साहब इस बात पर ज़ोर देते हैं कि बड़ी कक्षा की पढ़ाई आसान नहीं है और भले ही वह फेल हो गए हों , किंतु वह अनुभव में लेखक से बड़े हैं और सदैव बड़े ही रहेंगे ।

एक बार फिर बड़े भाई साहब फ़ेल और लेखक अपने दरज़े में अव्वल

अगले वर्ष की परीक्षाएँ हुईं और लेखक फिर अपने दरजे में अव्वल आया । बड़े भाई साहब ने दिन – रात एक करके पढ़ाई की थी , लेकिन वह फिर फ़ेल हो गए । लेखक को अपने भाई के फेल होने पर बहुत दुःख हुआ और उन पर दया आई । इस बार लेखक और बड़े भाई के बीच केवल एक कक्षा का अंतर रह गया था । एक बार लेखक को यह कुटिल ( बुरा ) विचार आया कि यदि इस बार भी बड़े भाई साहब फ़ेल और वह पास हो गया तो दोनों एक ही दरजे में पढ़ेगे और उस समय बड़े भाई उसकी बेइज़्ज़ती नहीं कर पाएँगे ।

बड़े भाई साहब के व्यवहार में परिवर्तन

इस बार भी फ़ेल होने से बड़े भाई साहब बहुत दुःखी थे । अब उनके व्यवहार में लेखक के प्रति नरमी आ गई थी । उनको यह भी लगने लगा था कि अब उन्हें लेखक को डाँटने का अधिकार नहीं रहा । इसका फ़ायदा उठाते हुए लेखक ने खेलने में अधिक समय लगाना शुरू कर दिया । अब वह पतंगबाज़ी में दोस्तों के साथ लगा रहता । इसके बाद भी वह इस बात का ध्यान अवश्य रखता था कि कहीं उसके बड़े भाई साहब उसे यह सब करते देख न लें ।

लेखक का रंगे हाथों पतंगबाज़ी में पकड़े जाना

एक दिन लेखक एक कटी हुई पतंग लूटने जा रहा था कि बड़े भाई साहब ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया और वहीं डाँटना शुरू कर दिया कि आठवीं कक्षा में आकर भी इन लड़कों के साथ पतंग लूटने में उसे शर्म नहीं आती । कम – से – कम उसे अपनी पोज़ीशन का तो ध्यान रखना चाहिए । किसी ज़माने में इतने पढ़े – लिखे लोग नायब तहसीलदार , डिप्टी , मजिस्ट्रेट या सुपरिंटेंडेंट हो जाते थे और आज भी कई मिडिल पास लोग अख़बारों के संपादक हैं । यह मान लिया कि तुम होशियार हो और यह भी हो सकता है कि तुम कल मेरी कक्षा में आ जाओ या मेरे से भी आगे निकल जाओ । इसका यह अर्थ नहीं है कि मैं तुमसे कुछ नहीं कह सकता और तुम अपनी मनमानी करते रहोगे ।

अनुभव का महत्त्व

बड़े भाई साहब ने लेखक को अनुभव का महत्त्व बताते हुए कहा कि हमारे दादा और अम्मा अधिक पढ़े – लिखे नहीं हैं , लेकिन यह उनका हक है कि वह हमें समझाएँ । उन्होंने कई स्थितियों का उदाहरण देकर बताया कि तजुर्बेकार व्यक्ति चाहे पढ़ा – लिखा न हो , फिर भी वह पढ़े – लिखे कम अनुभवी व्यक्ति से अधिक समझदार होता है । उन्होंने अपने दादाजी , अम्माजी और अपने हेडमास्टर का उदाहरण देकर लेखक को समझाया कि पढ़ा – लिखा होना एक बात है और अनुभवी होना एक अलग बात , उन्होंने लेखक को समझाते हुए फ कहा कि घमंड करना अच्छी बात नहीं है । मैं बड़ा और अनुभवी होने के नाते तुम्हें राह से भटकने नहीं दूँगा और यदि तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मैं थप्पड़ भी मार सकता हूँ ।

लेखक की सहमति

लेखक बड़े भाई साहब की इस बात से पूरी तरह सहमत है कि बड़ा और अधिक अनुभवी होने के नाते बड़े भाई साहब को उससे अधिक समझ है । उसने बड़े भाई साहब से कहा कि आपको मुझसे यह सब कहने का पूरा अधिकार है । ऐसा सुनते ही बड़े भाई साहब ने लेखक को गले से लगा लिया और बोले कि मैं तुम्हें पतंग उड़ाने को मना नहीं करता । मेरा भी दिल करता है कि मैं पतंग उड़ाऊँ , पर यदि मैं ही ऐसा करने लगा , तो तुम्हें किस प्रकार समझाऊँगा ? उसी समय एक कटी हुई पतंग ऊपर से गुज़री और बड़े भाई साहब ने लपककर उस कटी पतंग की डोर को पकड़ लिया और हॉस्टल की ओर दौड़े । लेखक भी अपने बड़े भाई के पीछे दौड़ रहा था ।

 

शब्दार्थ

दरजे- कक्षा

तालीम – शिक्षा

बुनियाद- नींव

आलीशान – शानदार , भव्य

पुख्ता- मज़बूत , ठोस

तम्बीह- डाँट – डपट

जन्मसिद्ध अधिकार – वह अधिकार जो जन्म लेते ही मिल जाता है

शालीनता- विनम्रता

हुक्म- आदेश , आज्ञा

अध्ययनशील – पढ़ाई में अधिक रुचि रखने वाला

हाशिया – पेज़ के एक ओर खाली छोड़ा गया स्थान

शेर – उर्दू कविता का एक प्रकार , जो हिंदी के छंद की भाँति होता है

सामंजस्य – ताल – मेल

मसलन- उदाहरण के तौर पर

इबारत- लेख

चेष्टा – कोशिश

पहेली- रहस्य भरी बात जिसे खेल के रूप में सुलझाया जाता है

जमात- कक्षा

मौका- अवसर

कंकरियाँ- छोटे – छोटे पत्थर

रुद्र – रूप – क्रोध से भरा कठोर रूप या भाव – भंगिमा

मौन – चुप्पी या चुप रहना

अपराध – कानूनी दृष्टि से किया गया गलत काम

इलाज – उपचार

स्नेह – प्यार या प्रेम

रोष – क्रोध

सत्कार- आदर

हर्फ़- शब्द

घोंघा – मूर्ख

सबक – सीख

मिहनत – मेहनत

कसूर – दोष

गँवाकर – खोकर

गाढ़ी – कमाई – मेहनत करके की गई आय

लताड़ – डाँट – डपट

उपदेश – शिक्षा की बातें

निपुण – कुशल

सूक्ति बाण – कठोर बातें

विविध – तरह – तरह

अवहेलना – तिरस्कार , उपेक्षा

सुखद- सुख देने वाली

अज्ञात – जाने बिना

अनिवार्य – ज़रूरी या महत्त्वपूर्ण

जानलेवा- प्राण लेने वाला

नसीहत- राय या सलाह

फ़जीहत – अपमान

नज़र – दृष्टि

सालाना इम्तिहान – वार्षिक परीक्षा

अव्वल – प्रथम

हमदर्दी – सहानुभूति

लज्जास्पद- शर्मनाक

अभिमान – घमंड या अहंकार

रौब- दबदबा

शरीक- शामिल

हेकड़ी – ऐंठ

जाहिर – आभास

आतंक – भय

भाँप – महसूस

भोर- सुबह

अभिप्राय – मतलब या अर्थ

आधिपत्य – प्रभुत्व

स्वीकार – मानना

स्वाधीन – स्वतंत्र

महीप – राजा

दास- गुलाम

कुकर्म- बुरे काम

कांड – घटना

शाहेरूम – रोम का राजा

खयाल – विचार

पनाह – आश्रय

निर्दयी – दया न होना

मुमतहिन – परीक्षक

फ़र्क – अंतर

प्रयोजन – उद्देश्य

सिफ़र – शून्य

खुराफ़ात- व्यर्थ की बातें

बटेर – एक प्रकार की चिड़िया

पन्ना- पृष्ठ

हिमाकत – बेवकूफी

किफ़ायत- बचत

अनर्थ – विपत्ति

संक्षेप – छोटे या कम

गिरह – गाँठ

निःस्वाद – बेस्वाद

ज़लील – अपमानित

लुप्त – छिपना या गायब

अचरज – आश्चर्य

प्राणांतक – प्राण लेने वाला

मुद्रा – भाव – भंगिमा

कांतिहीन- चेहरे पर चमक न होना

नतीजा – परिणाम

विधि – भाग्य

कुटिल – दुष्टता

उदय – जन्म या पैदा होना

हित – कल्याण या मंगल

दनादन – लगातार या निरंतर

स्वच्छंदता – बंधनमुक्त

सहिष्णुता – सहने की भावना

तकदीर – भाग्य

अदब – सम्मान या आदर

गुप्त – रहस्य

हल – सुलझाना

संदेह – शक

लिहाज – शर्म

बेतहाशा – सुध – बुध खोकर

आकाशगामी- आकाशरूपी मार्ग

मंद – धीरे

गति – चाल

विरक्त – उदास

समतल – समान

मुठभेड़- कहासुनी

उग्र – विद्रोह

मातहती – अधीन

अक्ली – बुद्धि

ज़हीन- प्रतिभावान

ज़ेहन – मस्तिष्क

आत्मगौरव – आत्मसम्मान

समकक्ष- एक ही कक्षा में

हक – अधिकार

तजुरबा – अनुभव

जन्मदाता – जन्म देने वाला

ब्याह – विवाह

नक्षत्र – कुछ तारों का समूह

मुहताज़- दूसरे पर आश्रित

मरज – बीमारी या तकलीफ

नेकनामी- सम्मान

कुटुंब – भरा – पूरा परिवार

इंतजाम – व्यवस्था , प्रबंध

समीप – पास

बेराह – गलत रास्ता

युक्ति- विचार या कथन

लघुता – छोटापन

सजल – जल से भरा

हरगिज़- कभी नहीं

फ़रमा- कहना

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