NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 अग्नि पथ

Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 अग्नि पथ


NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 अग्नि पथ, (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है । के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है । छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल ।

कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं । छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी ।


NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 अग्नि पथ

Class 9 Hindi Sparsh Chapter 14 अग्नि पथ

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) कवि ने ‘अग्नि पथ’ किसके प्रतीक स्वरूप प्रयोग किया है?
(ख) माँग मत’, ‘कर शपथ’, ‘लथपथ’ इन शब्दों का बार-बार प्रयोग कर कवि क्या कहना चाहता है?
(ग) “एक पत्र-छाँह भी माँग मत’ इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) कवि ने ‘अग्नि पथ’ का प्रयोग मनुष्य के जीवन में आने वाली नाना प्रकार की कठिनाइयों के कारण कठिन एवं संघर्षपूर्ण
जीवन के लिए किया है। कवि का मानना है कि मनुष्य को जीवन में कठिनाइयाँ ही कठिनाइयाँ झेलनी पड़ती हैं। ऐसे में उसका जीवन किसी अग्नि पथ से कम नहीं है।
(ख) ‘माँग मत’, ‘कर शपथ’ और ‘लथपथ’ शब्दों को बार-बार प्रयोग कर कवि क्रमशः कहना चाहता है कि जीवन में संघर्ष करते हुए लोगों से सुख की माँग मत करो, संघर्ष को बीच में छोड़कर कठिनाइयों से हार मान कर वापस न लौटने की कसम लेने तथा कठिनाइयाँ से जूझते हुए कर्मशील बने रहने की प्रेरणा दे रहा है।
(ग) ‘एक पत्र-छाँह भी माँग मत’ का आशय है कि मनुष्य जब कठिनाइयों से लगातार संघर्ष करता है तो थककर, निराश होकर संघर्ष का मार्ग त्यागकर सुख की कामना करने लगता है तथा सुख पाकर लक्ष्य प्राप्ति को भूल जाता है, अतः मंजिल मिले बिना सुख की लालसा नहीं करना चाहिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
(क)  तू न थमेगा कभी तू न मुड़ेगा कभी
उत्तर:
इसका आशय यह है कि मनुष्य को कष्टों से भरे मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए कभी पीछे नहीं मुड़ना चाहिए। इस मार्ग पर केवल अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर आगे बढ़ना चाहिए। उसके जीवन में अकर्मण्यता का कोई स्थान नहीं होना चाहिए क्योंकि आगे बढ़ते रहना ही उसके जीवन का लक्ष्य है। वह संघर्षों से भी न घबराए। वह सुख त्यागकर अग्निपथ को चुनौती देता रहे।

(ख)  चल रहा मनुष्य है।अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ, लथपथ, लथपथ
उत्तर:
कवि के अनुसार मनुष्य को अपना जीवन सफल बनाने के लिए निरंतर संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते जाना चाहिए। इस मार्ग पर चलते हुए व्यक्ति को कई बार आँसू बहाने पड़ते हैं। शरीर से पसीने बहाते हुए खून से लथपथ होते हुए भी उसे निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए क्योंकि संघर्ष करनेवाला मनुष्य ही सफलता प्राप्त करता है और महान कहलाता है।

प्रश्न 3.
इस कविता का मूलभाव क्या है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
‘अग्निपथ’ कविता के माध्यम से कवि क्या संदेश देना चाहता है?
अथवा
‘अग्निपथ’ कविता मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। कैसे?
उत्तर:
‘अग्नि पथ’ कविता का मूलभाव यह है कि मानव जीवन में कठिनाइयाँ ही कठिनाइयाँ हैं। इस पथ पर बढ़ने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। जीवन पथ पर आगे बढ़ते हुए मनुष्य को सुख की कामना नहीं चाहिए। उसे कठिनाइयों से हार मानकर न रुकना चाहिए और न वापस लौटना चाहिए। जीवन में सफल होने के लिए भले ही आँसू, खून और पसीने से लथपथ होना पड़े, पर संघर्ष का मार्ग नहीं छोड़ना चाहिए।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
‘जीवन संघर्ष का ही नाम है’ इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा का आयोजन कीजिए।
उत्तर:

  1. पहला छात्र – जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है।
  2. दूसरा छात्र – मेरे विचार से, संघर्ष करना मज़बूरी है, आवश्यकता नहीं। कौन जबरदस्ती संघर्ष करना चाहेगा।
  3. तीसरा छात्र – हर आदमी संघर्ष टालना चाहता है।
  4. पहला छात्र – मेरा मतलब है, जीवन में संघर्ष के बिना काम नहीं चलता। उससे बचो नहीं जा सकता।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
‘जीवन संघर्षमय है, इससे घबराकर थमना नहीं चाहिए’ इससे संबंधित अन्य कवियों की कविताओं को एकत्र कर एक एलबम बनाइए।
उत्तर:
पढ़िए शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता-सच है महज़ संघर्ष ही।
रामधारी सिंह दिनकर की ‘कुरुक्षेत्र’।

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