Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 6 Summary दिये जल उठे

Hindi Sanchayan Chapter 6 Summary दिये जल उठे

Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 6 Summary दिये जल उठे, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

Sometimes, students get stuck inside the exercises and are not able to clear up all of the questions.  To assist students, solve all of the questions, and maintain their studies without a doubt, we have provided a step-by-step NCERT Summary for the students for all classes.  These answers will similarly help students in scoring better marks with the assist of properly illustrated Notes as a way to similarly assist the students and answer the questions right.

Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 6 Summary दिये जल उठे

 

पाठ का सार

‘ दिये जल उठे ‘ पाठ मधुकर उपाध्याय द्वारा लिखित है । इसमें उन्होंने देश की स्वतंत्र कराने में नेताओं के योगदान को दर्शाया है । सरदार वल्लभभाई पटेल , महात्मा गांधी जी और जवाहर लाल नेहरू ने देश को स्वतंत्र कराने के लिए समय – समय पर अनेक आंदोलन किए । इन आंदोलनों में एक दांडी कूच भी था । सरदार पटेल इसी दांडी कूच की तैयारी के सिलसिले में गुजरात के रास नामक स्थान पर गए थे । वहाँ उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया । उन्हें 500 रुपये के जुरमाने के साथ तीन महीने की सजा सुनाई गई । पटेल की इस गिरफ्तारी से लोगों में बड़ा रोष था । देशभर में उनकी गिरफ्तारी पर अनेक प्रतिक्रियाएँ हुईं । मदनमोहन मालवीय ने केंद्रीय सभा में एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें बिना मुकदमा चलाए पटेल को जेल भेजने के सरकारी कदम की निंदा की गई । उधर मो ० अली जिन्ना ने सरदार वल्लभभाई पटेल की गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया ।

सरदार पटेल को रास से बोरसद की अदालत लाया गया और वहाँ से साबरमती जेल भेज दिया गया । जेल का रास्ता साबरमती आश्रम के सामने से होकर जाता था । आश्रमवासी अपने प्रिय नेता पटेल की एक झलक पाने के लिए उत्सुक थे । वे सड़क के दोनों किनारे खड़े हो गए ।

वहाँ पटेल और गांधी जी की एक संक्षिप्त मुलाकात हुई । पटेल ने गाँधी जी और आश्रमवासियों से कहा , “मैं चलता हूँ अब आपकी बारी है । ” पटेल के गिरफ्तार होने के बाद गांधी ने सारी जिम्मेवारी सँभाल ली । रास पहुँचे और उन्होंने दरबार समुदाय के लोगों को देश को आजाद कराने में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया । इस बीच जवाहरलाल नेहरू ने गांधी जी से मिलने की इच्छा व्यक्त की किंतु गांधी जी ने मना कर दिया । गांधी जी ने दांडी कूच शुरू करने से पहले ही निर्णय किया था कि वे अपनी यात्रा ब्रिटिश अधिकार वाले भू – भाग से ही करेंगे । गांधी जी और अन्य सत्याग्रही गाजे – बाजे के साथ रास पहुँचे । गांधी जी ने वहाँ उपस्थित लोगों को सरकारी नौकरियाँ छोड़ने के लिए प्रेरित किया ।

गांधी जी और सत्याग्रही जब रास से चलकर कनकपुरा पहुँचे तो एक वृद्धा ने गांधी जी से देश को आजाद कराने की बात कही । उन्होंने उसे भरोसा दिलाया कि अब वे देश आजाद कराकर ही लौटेंगे । गांधी जी ने अपने दांडी यात्रा को धर्मयात्रा कहा और उसमें किसी प्रकार का आराम न करने की बात कही । गांधी जी और अन्य सत्याग्रही मही नदी के किनारे पहुँचे । वहाँ उनके स्वागत के लिए बहुत लोग खड़े थे । आधी रात के समय मही नदी के तट पर अद्भुत नजारा था । सभी लोग हाथों में दिये लेकर खड़े थे । जैसे ही महात्मा गाँधी नदी पार करने के लिए नाव तक पहुँचे महात्मा गांधी जी , नेहरू और पटेल के जयकारों से नदी के दोनों तट गूँज उठे । गाँधी जी नदी पार करके विश्राम करने के लिए झोंपड़ी में चले गए । गांधी जी के पार उतरने के बाद भी लोग हाथों में दिये लिए खड़े रहे । वे अन्य सत्याग्रहियों के पार उतरने की प्रतीक्षा कर रहे थे । उस समय मही नदी के दोनों किनारों पर हाथों में दिये लिए खड़े लोग इस बात के प्रतीक थे कि उनके हृदय में अपने देश को आजाद करानेवाले नेताओं के प्रति कितनी श्रद्धा थी । वे देश को शीघ्र आज़ाद हुआ देखना चाहते थे ।

पाठ के शब्दार्थ

दांडी कूच – दांडी यात्रा

सिलसिला – क्रम

आग्रह – हठपूर्वक प्रार्थना

सत्याग्रह – सत्य के लिए आंदोलन करना

निषेधाज्ञा – मनाही का आदेश

कबूल – स्वीकार

तहत – अनुसार

क्षुब्ध – अशांत

अभियान – सोचा – समझा कार्य

रवाना – चल देना

आश्रमवासी – आश्रम में रहनेवाला

झलक- दर्शन

संक्षिप्त मुलाकात – छोटी – सी भेंट

प्रतिक्रिया – किसी कार्य के परिणामस्वरूप होनेवाला कार्य

भर्त्सना – निंदा

पारित – स्वीकार करना

सदन – लोगों की सभा

अभिव्यक्ति – कहना

गंभीर – गहरा

अगुवाई – नेतृत्व

आश्वस्त – भरोसा रखे हुए

भव्य – शानदार

रियासतदार – किसी इलाके का मालिक

साहबी – शासक होने का सुख

ऐशो – आराम – भोग विलास

प्रयाण – चल देना

जाने – परखे – कुशल

विराम – रुकावट

पुश्तैनी- पीढ़ियों से चला आ रहा

आधिपत्य – अधिकार , स्वामित्व

रियासत – शासित क्षेत्र

गाजा – बाजा – बैंड बाजे की धुन

ज़िक्र – चर्चा

तुच्छ – छोटी – सी , घटिया

योगदान – सहयोग

आँखें खुलना- सावधान होना

राजद्रोह – राज्य के प्रति विद्रोह

बादल घिरना – वातावरण बनना

कालापानी – निर्जन टापू पर बनी जेल में बंद रखना

आशंका – डर

बयार – हवा

स्वराज- अपने लोगों के राज

निर्धारित – निश्चित

स्थगित – टाल देना

कुशासन – बुरा शासन

राक्षसी राज – अत्याचारी शासन

संघार – नाश

धर्मयात्रा – धर्म या शुभ के लिए की गई यात्रा

हुक्मरान – शासक

वरिष्ठ – बड़े

निपुण – कुशल

निषादराज – केवट

नज़ारा – दृश्य

प्रतिध्वनि – किसी शब्द के उपरांत सुनाई पड़नेवाला उसी से उत्पन्न शब्द , गूँज – अनुगूँज

दलदली – कीचड़ से भरी

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