Hindi Sanchayan Chapter 3 Summary कल्लू कुम्हार की उनाकोटी
Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 3 Summary कल्लू कुम्हार की उनाकोटी, (Hindi) exam are Students
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Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 3 Summary कल्लू कुम्हार की उनाकोटी
पाठ का सार
‘ कल्लू कुम्हार की उनाकोटी ‘ के ० विक्रम सिंह का एक यात्रा वृत्तांत है । एक टी ० वी ० कार्यक्रम की शूटिंग करने पहुँचे लेखक ने त्रिपुरा की यात्रा करते हुए वहाँ की भौगोलिक स्थिति , संस्कृति वहाँ के जनजातीय समाज , संगीत , वाद्य यंत्र , रीति – रिवाज , उद्योग और मान्यताओं का वर्णन संक्षिप्त परंतु अत्यंत रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है ।
त्रिपुरा भारत के छोटे राज्यों में से है । 34 प्रतिशत से ज्यादा इसकी जनसंख्या वृद्धि दर भी खासी ऊँची है । त्रिपुरा तीन तरफ से बांग्लादेश से घिरा हुआ है , शेष भाग भारत के उत्तरी – पूर्वी सीमा से सटे मिजोरम और असम से जुड़ा है । सोनमुरा , बेलोनिया , सबरूम और कैलासशहर जैसे त्रिपुरा के महत्त्वपूर्ण शहर बांग्लादेश के साथ उसकी सीमा के करीब हैं । यहाँ बांग्लादेश के लोग अवैध रूप से आते हैं । यही जनसंख्या वृद्धि का मुख्य कारण है । यहाँ असम और पश्चिम बंगाल से भी लोग आते हैं । इसी आने वाली जनसंख्या में त्रिपुरा में आदिवासी असंतोष को जन्म दिया है ।
त्रिपुरा में बाहरी लोगों के आने से कुछ समस्याएँ पैदा हुई हैं । इससे यह राज्य बहुधार्मिक समाज का उदाहरण भी बना है । त्रिपुरा में 19 अनुसूचित जनजातियाँ और विश्व के चार बड़े धर्मों का प्रतिनिधित्व मौजूद है । यहाँ सुंदर बौद्ध मंदिर है । यहाँ के मंदिर में रखी मुख्य बुद्ध की प्रतिमा 1930 के दशक में रंगून से लाई गई थी ।
लेखक अगरतला में शूटिंग के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग -44 से टीलियामुरा कस्बा जा पहुँचा । यहाँ इसकी मुलाकात हेमंत कुमार से हुई जो यहाँ के एक प्रसिद्ध लोकगायक हैं और 1996 में संगीत नाटक अकादमी से पुरस्कार भी प्राप्त कर चुके है । हेमंत कोकबारोक बोली में गाते हैं । यह त्रिपुरा की कबिलायी बोली है । हेमंत चुनाव लड़कर जिला परिषद् के सदस्य बन गए थे । जिला परिषद् ने लेखक की शूटिंग यूनिट के लिए एक भोज का आयोजन किया । भोज के बाद हेमंत ने एक गीत गाया । त्रिपुरा में संगीत की जड़े काफी गहरी हैं । यहीं से फ़िल्मी संगीतकार एस ० डी ० बर्मन भी आए थे ।
टीलियामुरा शहर के वार्ड नं ० 3 में लेखक की भेंट एक और गायक मंजु ऋषिदास से हुई । मंजु ऋषिदास एक आकर्षक महिला थीं । ऋषिदास मोचियों के एक समुदाय का नाम है ये लोग जूते बनाने के अलावा तबला , ढोल आदि बनाते हैं तथा इनकी मरम्मत का काम भी करते हैं । वे रेडियो कलाकार होने के साथ – साथ नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व करती थीं । वे निरक्षर थीं पर उन्होंने अपने वार्ड में नल का साफ पानी पहुँचाने तथा गलियों में ईंटें बिछवाने के लिए काफी प्रयास किए थे । लेखक के लिए उन्होंने दो गीत गाए । उन्हें स्वयं चाय बनाकर भी पिलाई त्रिपुरा में हिंसाग्रस्त भाग में प्रवेश करने से पहले लेखक का अंतिम पड़ाव टीलियामुरा ही था । इस यात्रा के दौरान सी ० आर ० पी ० एफ ० की सुरक्षा मिलती रही । काफिला दिन में 11 बजे के आसपास चलना शुरू हुआ । लेखक अपनी शूटिंग में व्यस्त था । वहाँ बंदूकें लिए हुए विद्रोही भी छिपे हो सकते थे । त्रिपुरा की मुख्य नदियों में से एक मनु नदी के किनारे एक छोटा – सा कस्बा है । उस समय डूबता सूर्य जल में सोना उड़ेलते प्रतीत हो रहा था । अब वे उत्तरी त्रिपुरा जिले में आ गए थे । यहाँ अगरबत्तियों के लिए बाँस की पतली सींकें तैयार की जाती हैं । यहाँ का मुख्यालय कैलाशनगर है , जो बांग्लादेश की सीमा के काफी पास है । यहाँ लेख की मुलाकात जिस जिलाधिकारी से हुई वे केरल से आए थे । वे उत्साही व्यक्ति थे । उन्होंने लेखक की यूनिट को मुराई गाँव ले जाने के लिए एक अन्य अधिकारी को भेजा । वहाँ टी ० पी ० एस ० की खेती की जाती थी । फिर जिलाधिकारी ने पूछा ” क्या आप उनाकोटी में शूटिंग करना पसंद करेंगे ? लेखक इसके लिए तैयार हो गए । जिलाधिकारी ने सुरक्षा के सारे इंतजाम कर दिए । उनाकोटी का अर्थ है – कोटि ( करोड़ ) से एक कम । दंत कथा के अनुसार उनाकोटी में शिव की एक कोटि से एक कम मूर्तियाँ हैं । पहाड़ी को काटकर यहाँ शिव की विशाल आधार मूर्तियाँ बनी हैं । यहाँ भागीरथ की प्रार्थना पर स्वर्ग से पृथ्वी पर गंगा के अवतरण को चित्रित किया गया है । शिव को इसके लिए तैयार किया गया है कि वे गंगा को अपनी जटाओं में उलझा लें और फिर धीरे – धीरे पृथ्वी पर बढ़ने दें । भारत में यह शिव की सबसे बड़ी आधार मूर्ति है । यहाँ के आदिवासियों का मानना है कि उन मूर्तियों का निर्माता कल्लू कुम्हार था । वह पार्वती का भक्त था और शिव – पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर जाना चाहता था । पार्वती के अनुरोध पर शिव कल्लू को कैलाश ले जाने के लिए तैयार हो गए लेकिन शर्त यह रखी कि उसे एक रात में शिव की एक कोटि मूर्तियाँ बनानी होंगी । शर्त के अनुसार कल्लू ने एक रात में शिव की एक कोटि मूर्तियाँ बनाईं पर एक कम निकलीं । इससे कल्लू कुम्हार वहीं रह गया ।
पाठ के शब्दार्थ
अद्भुत – विचित्र
सोहबत – संगति
सूर्योदय – सूर्य का उदित होना
अलसायी- आलस्यपूर्ण
ऊर्जादायी – शक्ति देनेवाली
दृढ़ – पक्का
असमर्थ – असहाय
खलल – बाधा
कानफाडू- तेज़ आवाज़ जो कान फोड़ डाले
आतंक – भय
विक्षिप्त – पागल
तड़ित – बिजली
अल्ससुबह – बिलकुल सुबह
तांडव – भयानक नज़ारा
पृष्ठभूमि – पीछे का नज़ारा
मुहैया – उपलब्ध
बुनियादी – मुख्य
दुर्गम- जहाँ पहुँचना कठिन हो
अवैध – ग़ैर कानूनी
आवक – आना
प्रवास – दूसरी जगह से आकर रहना
असंतोष – सहमत न होना
सत्ता – शासन
हस्तांतरण – एक व्यक्ति के हाथ से दूसरे व्यक्ति के हाथ में जाना
प्रतीकित – अभिव्यक्त करना
क्रमिक – लगातार
प्रतिनिधित्व – प्रमुख रूप से मौजूद
महायान – बौद्ध धर्म की एक शाखा
प्रतिमा – मूर्ति
लोकगायक – किसी क्षेत्र विशेष में प्रचालित परंपरागत गीत गानेवाला
पुरस्कृत – जिसे पुरस्कार मिला हो
पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन – एक तरह का दल
कार्यकर्ता- सदस्य
लगाव – प्रेम
मुँहजोर – जिद्दी
संस्कृति – परिमार्जित , परिष्कृत
अनुरोध – प्रार्थना
बॉलीवुड – भारतीय सिनेमा का नाम जो मुंबई से निकला है
मौलिक- असली
समुदाय – समूह
विशेषज्ञ – जानकार
वाद्य – ऐसा यंत्र जिससे संगीत की धुन निकले
निरक्षर – अनपढ़
आश्वस्त – विश्वास होना
हिंसाग्रस्त – जहाँ मार – काट की घटनाएँ होती हैं
पड़ाव – ठहराव
सी ० आर ० पी ० एफ०- केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल
काफिला – दल
जोखिम – खतरा
गुंजाइश – जगह
आकृष्ट – ध्यान दिलाना
विद्रोही- विद्रोह करनेवाला
झुरझुरी- कँपकँपी
ड्रैगन – एक तरह का जानवर
सींक – तीली
तेजतर्रार- बहुत तेज
मिलनसार – प्रेम से मिलनेवाला
उत्साह – जोश
टी ० पी ० एस०- एक प्रकार का आलू का बीज
मीट्रिक – मापने की इकाई
बरक्स – विपरीत
निर्यात – विक्रय के लिए बाहर भेजे जानेवाले माल
कलेक्टर – जिलाधीश
शैव- भगवान शिव से संबंधित
उत्सुकता – अधिक जानने की इच्छा
इंतज़ाम – प्रबंध
दंतकथा- लोगों में प्रचलित कहानी
कोटि – करोड़
सदी – सौ वर्ष का समय
भगीरथ – एक प्राचीन राजा
अवतरण- उतरना
मिथक- पौराणिक कथा
जटा- सिर के बाल
जल प्रपात – झरना
शब्दश : – प्रत्येक शब्द के अनुसार
स्थानीय – उसी क्षेत्र का
भयावना – डरावना
गर्जन- तर्जन – चमक के साथ तेज़ आवाज
कहर- संकट
बरपाना- बरसाना