NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 Summary तताँरा – वामीरो कथा

Hindi Sparsh Chapter 12 Summary तताँरा – वामीरो कथा

NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 Summary तताँरा – वामीरो कथा, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

Sometimes, students get stuck inside the exercises and are not able to clear up all of the questions.  To assist students, solve all of the questions, and maintain their studies without a doubt, we have provided a step-by-step NCERT Summary for the students for all classes.  These answers will similarly help students in scoring better marks with the assist of properly illustrated Notes as a way to similarly assist the students and answer the questions right.

NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 12 Summary तताँरा – वामीरो कथा

 

पाठ की रूपरेखा

प्रस्तुत पाठ ‘ तताँरा -वामीरो कथा ‘ अंडमान निकोबार की प्रसिद्ध लोककथा है । इस द्वीप के दो टुकड़ों की कथा को तताँरा -वामीरो के प्रेम प्रसंग के माध्यम से प्रस्तुत किया गया । इस द्वीप समूह में अनेक जनजातियों का निवास था । उनके अपने रीति – रिवाज़ , पर्व तथा रूढ़ -परंपराएँ थीं । वामीरो के गाँव की एक रूढ़िवादी परंपरा के अनुसार , दूसरे गाँव के साथ विवाह संबंध बनाने की अनुमति नहीं थी । इस परंपरा को तोड़ने के लिए किस तरह तताँरा -वामीरो ने अपने प्राण त्याग दिए । प्रस्तुत पाठ में उनके उसी आत्म बलिदान का वर्णन किया गया है ।

 

पाठ का सार

लिटिल अंडमान

अंडमान द्वीपसमूह का अंतिम द्वीपसमूह लिटिल अंडमान है । इसी तरह निकोबार द्वीपसमूह के पहले द्वीप का नाम कार – निकोबार है । यह कहा जाता है कि पहले कभी ये दोनों एक हुआ करते थे और उसके विषय में यह कथा प्रचलित है ।

तताँरा : एक सुंदर एवं बलिष्ठ युवक

जब लिटिल अंडमान और कार – निकोबार द्वीप आपस में जुड़े हुए थे , उस समय वहाँ एक सुंदर एवं बलिष्ठ युवक रहता था- तताँरा । तताँरा ‘ पासा ‘ गाँव का रहने वाला था । वह बहुत अच्छे स्वभाव का था और मुसीबत में सबके काम आता था । यही कारण है कि उसे सभी लोग आदर व सम्मान की दृष्टि से देखते थे तथा उसे अपने पारिवारिक और सामाजिक कामों में बुलाया करते थे । कहते हैं कि उसके पास लकड़ी की बनी एक तलवार थी , जिसे वह सदैव अपने साथ रखता था । उसे इस तलवार को चलाते हुए किसी ने नहीं देखा था , लेकिन लोगों का मानना था कि उसकी तलवार में अद्भुत शक्ति थी ।

तताँरा – वामीरो की मुलाकात

एक शाम जब तताँरा समुद्री बालू पर बैठकर सूरज की अंतिम रंग – बिरंगी किरणों को निहार रहा था , तभी उसे पास ही एक मधुर गीत सुनाई दिया । उसे वह गीत इतना मधुर लगा कि वह मदहोश होकर गीत के स्वर की ओर बढ़ने लगा । तभी उसकी नज़र एक युवती पर पड़ी , जो एक शृंगार गीत गा रही थी । इसी समय एक समुद्री लहर ने उसे भिगो दिया और उसने गीत गाना बंद कर दिया । वह युवती वामीरो थी , जो ‘ लपाती ‘ गाँव की रहने वाली थी ।

तताँरा का वामीरो से अनुरोध

गीत रुकते ही तताँरा बेचैन हो गया और उसने वामीरो से पूछा कि उसने गीत गाना बंद क्यों कर दिया ? इस पर वामीरो ने बेरुखी से उससे पूछा कि वह छिपकर उसका गाना क्यों सुन रहा है ? तताँरा ने उसकी बात न सुनकर फिर से अपना वही प्रश्न दोहराया । इस प्रकार कई बार वामीरो ने उससे बेरुखी से बात की और तताँरा उससे गीत गाने का अनुरोध करता रहा ।

अंत में वामीरो ने उससे पूछा कि क्या वह इस गाँव का नियम नहीं जानता , जो बार – बार गीत गाने के लिए कहे जा रहा है । यह कहकर वह वापस जाने लगी तो तताँरा उससे गिड़गिड़ाते हुए बोला कि वह उसे माफ़ कर दे , क्योंकि वह उसे देखकर विचलित हो गया उसने वामीरो से उसका नाम पूछा । वामीरो ने अपना नाम बताया तो तताँरा को ऐसा लगा मानो उसके कानों में किसी ने रस घोल दिया हो । उसने वामीरो से अगले दिन फिर इसी स्थान पर आने को कहा , तो वामीरो अनमने मन से ‘नहीं’ कहकर अपने गाँव की ओर वापस भागी । इसके बाद तताँरा ने उसे अपना नाम बताया और कहा कि कल वह इसी स्थान पर उसकी प्रतीक्षा करेगा ।

वामीरो की बेचैनी

वामीरो पर तताँरा का प्रभाव जम चुका था । उसकी आँखों के सामने बार – बार तताँरा का चेहरा आ जाता । उसने तताँरा के विषय में बहुत – सी बातें सुनी थीं , किंतु वह उसे उन सब बातों से अलग लगा । उसे तताँरा ऐसा ही युवक लगा , जिसके विषय में उसने अपने जीवनसाथी के रूप में कल्पना की थी , किंतु परेशानी यह थी कि वह उसके गाँव का नहीं था और गाँव का यह नियम था कि किसी बाहरी युवक का विवाह गाँव की युवती से नहीं हो सकता था । इसी कारण वह निराश हो गई और उसे भूलने की कोशिश करने लगी ।

तताँरा – वामीरो का पुनर्मिलन

तताँरा और वामीरो दोनों एक – दूसरे से मिलने को बेचैन थे , इसलिए उनका समय काटना कठिन हो गया । अगले दिन जैसे ही शाम हुई , तताँरा उसी स्थान पर पहुँच गया और वामीरो को ढूँढने लगा , जहाँ वह उसे कल मिली थी । अचानक उसने नारियल के पेड़ों में वामीरो की छाया को देखा , जो छिपते – छिपाते उससे मिलने आई थी । दोनों एक – दूसरे को चुपचाप एकटक देखते रहे ।

तताँरा – वामीरो की मुलाकात का भेद खुलना

अब रोज़ ही दोनों उस स्थान पर मिलने लगे । दोनों एक – दूसरे को देखते रहते , एक शब्द भी नहीं कहते । एक दिन लपाती के कुछ युवकों ने दोनों को एक साथ देख लिया और यह बात सारे गाँव में फैल गई । दोनों को उनके गाँववालों ने समझाया कि दोनों अलग- अलग गाँव के हैं । अतः दोनों का संबंध संभव नहीं है , परंतु दोनों पर गाँववालों की बातों का कुछ भी असर नहीं हुआ और वे इसी प्रकार समुद्र के किनारे रोज़ मिलते रहे ।

वामीरो के अपमान पर तताँरा की प्रतिक्रिया

कुछ समय बाद पासा गाँव में पशु – पर्व का आयोजन हुआ । इस पर्व में पशुओं का प्रदर्शन और पशुओं एवं युवकों के बीच शक्ति प्रदर्शन , उत्सव , नृत्य , भोजन आदि का आयोजन होता था , किंतु तताँरा यहाँ भी वामीरो को ही तलाशता रहा । अचानक उसे लगा कि कोई उसे नारियल के झुरमुट से देख रहा है । यह वामीरो थी ।

वह तताँरा को देखकर ज़ोर से रो पड़ी और धीरे – धीरे उसके रोने का स्वर ऊँचा होता गया । उसके रोने की आवाज़ सुनकर वामीरो की माँ वहाँ आ गई और उसने तताँरा का बहुत अपमान किया । तताँरा से यह सहन नहीं हुआ । उसने क्रोध में आकर अपनी लकड़ी की तलवार निकाली और उसे पूरी शक्ति के साथ धरती में गाड़ दिया ।

इसके बाद वह उसे खींचते – खींचते दूर तक चला गया । तलवार को ज़मीन में गाड़े हुए वह द्वीप के अंतिम छोर तक पहुँच गया ।

धरती में दरार

जहाँ तक तताँरा की तलवार धरती में लगी थी , वहीं से धरती के दो भाग हो गए । अब तताँरा एक ओर खड़ा था और वामीरो दूसरी ओर यह दृश्य देखकर वह चिल्ला पड़ी – तताँरा … तताँरा … तताँरा । अब तक धरती में दरार पड़ चुकी थी और तताँरा जिस भाग पर खड़ा था , वह भाग अब धरती में धँसने लगा था । अचानक उसे होश आया और उसने छलाँग लगाकर दूसरे सिरे को पकड़ने की कोशिश की , किंतु उसकी यह कोशिश सफल नहीं हो सकी और वह समुद्र की ओर फिसलने लगा । इस समय उसके मुँह से एक ही शब्द निकल रहा था – वामीरो । इसी तरह वामीरो भी उसका नाम पुकार रही थी । तताँरा लहूलुहान होकर अचेत हो गया । वह कटे हुए द्वीप के अंतिम भूखंड पर पड़ा हुआ था , जो अभी तक दूसरे भाग से संयोगवश जुड़ा हुआ था ।

तताँरा – वामीरो का अंत

तताँरा बहता हुआ कहाँ गया और उसका क्या हुआ , यह कोई नहीं जानता । दूसरी ओर वामीरो तताँरा का वियोग सहन कर पाने में असमर्थ हो चुकी थी । वह रोज़ उसी स्थान पर जाती और तताँरा को ढूँढती । उसने खाना – पीना छोड़ दिया और अपने परिवार से अलग हो गई । लोगों ने उसे ढूँढने की कोशिश की , लेकिन वे असफल रहे ।

तताँरा – वामीरो की कथा का प्रभाव

आज दोनों ही नहीं हैं , लेकिन उनकी यह प्रेमकथा घर – घर में सुनाई जाती है । निकोबार के लोगों का मत है कि तताँरा की तलवार से कार – निकोबार के जो टुकड़े हुए , उसका दूसरा हिस्सा लिटिल अंडमान है , जो कार – निकोबार से 96 किमी की दूरी पर है । तताँरा – वामीरो के बलिदान के पश्चात् निकोबारी दूसरे गाँवों में भी वैवाहिक संबंध करने लगे हैं । वैवाहिक संबंधों में आने वाले इस परिवर्तन को शायद तताँरा – वामीरो के बलिदान ने संभव किया है ।

 

शब्दार्थ

द्वीपसमूह – समुद्री टापुओं का समूह

शृंखला – क्रम , कड़ी

आदिम – प्रारंभिक

विभक्त – बँटा हुआ

लोककथा – जन – समाज में प्रचलित कथा

नेक – भला , अच्छा

अपितु – बल्कि

आत्मीय – अपना

पारंपरिक – परंपरा से चली आ रही

दैवीय शक्ति – ईश्वरीय शक्ति

साहसिक कारनामा – साहसपूर्ण कार्य

विलक्षण – असाधारण

अथक परिश्रम – बिना थके हुए मेहनत करना

क्षितिज – धरती और आकाश के मिलन का स्थान

बयार – हवा , मंद वायु

विचारमग्न – विचार में डूबा हुआ

गायन — गाना

प्रबल वेग- तेज़ धक्का

तंद्रा – एकाग्रता

चैतन्य – चेतना , सजग

विकल- बेचैन

अततः – आखिरकार

एकटक – लगातार

शृंगार – गीत- प्रेम भरा गीत

निःशब्द – चुपचाप , बिना आवाज़ किए हुए

संचार- उत्पन्न हुआ ( भावना का )

असंगत – अनुचित

सम्मोहित – मुग्ध

झुझलाना – चिढ़ना

निश्चयपूर्वक – दृढ़ता के साथ

ढीठता – निर्लज्जता

विचलित – अपने मार्ग से भटकना

चेतना – अनुभूति

आग्रह – ज़िद करना

केंद्रित – किसी पर टिकी या लगी हुई

अन्यमनस्कतापूर्वक – जिसका चित्त कहीं और हो

बाट – जोहना- प्रतीक्षा करना

निहारना – देखते रहना

झल्लाहट – खींझ

आँखों में तैरना – आँखों में दिखाई देना

कदाचित – शायद

निर्निमेष- बिना पलक झपकाए

याचक – प्रार्थना करने वाला

व्यथित – दुःखी

आँचरहित – बिना किसी जोश के

अचंभित – चकित

रोमांचित- पुलकित

आशंका – भय

प्रतीक्षारत – प्रतीक्षा में लगा हुआ

झुरमुट – झुंड

ठिठक – चौंकना

सचेत – होश में

निश्चल – स्थिर

मूर्तिवत- मूर्ति की तरह

अनवरत – लगातार

अफ़वाह – उड़ती ख़बर

तरल – भीगना

विह्नवल – भावुक

किंकर्तव्यविमूढ़ – असमंजस में पड़ना ( क्या करूँ , क्या न करूँ )

रुदन – रोना

उफनना – उबलना

निषेध परंपरा – वह परंपरा जिस पर रोक लगी हो

असहायता- कुछ न कर सकने की विवशता

सन्नाटा – खामोशी

शमन – शांत करना

भयाकुल- भय के कारण डरना

सिहरना – काँपना

करुण – दुःख भरा

चाकता – काटता

लहूलुहान – खून से लथपथ

अचेत – बेहोश होना

विलग – अलग होना / बिछड़ जाना

त्यागमयी – बलिदान

परिवर्तन – बदलाव

Leave a Comment