NCERT Class 9 Sparsh Chapter 11 आदमी नामा Dohe Explanation

Sparsh Chapter 11 आदमी नामा Dohe Explanation (आदमी नामा कविता की व्याख्या)

NCERT Class 9 Sparsh Chapter 11 आदमी नामा Dohe Explanation (आदमी नामा कविता की व्याख्या), (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

Sometimes, students get stuck inside the exercises and are not able to clear up all of the questions.  To assist students, solve all of the questions, and maintain their studies without a doubt, we have provided step-by-step NCERT Poem Explanation for the students for all classes.  These answers will similarly help students in scoring better marks with the assist of properly illustrated Notes as a way to similarly assist the students and answer the questions right.

NCERT Class 9 Sparsh Chapter 11 आदमी नामा Dohe Explanation

 

भावार्थ

1. दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी

और मुफ़लिस – ओ – गदा है सो है वो भी आदमी

जरदार बेनवा है सो है वो भी आदमी

निअमत जो खा रहा है सो है वो भी आदमी

टुकड़े चबा रहा है सो है वो भी आदमी

शब्दार्थ-

मुफ़लिस – गरीब

गदा – भिखारी

जरदार – धनवान

बेनवा – कमज़ोर

निअमत – स्वादिष्ट भोजन

भावार्थ – कवि आदमी के भिन्न – भिन्न आचार – व्यवहार पर प्रकाश डालते हुए कहता है कि इस दुनिया में तरह – तरह के आदमी हैं । जो लोगों का बादशाह बना बैठा है , वह भी आदमी है , उसके पास दुनिया भर की दौलत और अधिकार हैं । दूसरी ओर जो बिलकुल गरीब , भिखारी है , वह भी आदमी है । जो बिलकुल कमज़ोर है , वह भी आदमी है । जो स्वादिष्ट भोजन खा रहा है , वह भी आदमी है और जिसे सूखी रोटी के टुकड़े चबाने को मिल रहे हैं , वह भी आदमी है ।

शिल्प – सौंदर्य –

1. कवि ने मनुष्य जीवन की अलग – अलग स्थितियों का चित्रण किया है ।

2. हिंदी व उर्दू भाषा का मिश्रित प्रयोग है ।

3. भाषा सरस , सरल व मर्मस्पर्शी है ।

4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है ।

5. भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है ।

6. उर्दू शब्दावली का सटीक प्रयोग द्रष्टव्य है ।

7. ‘ सो है वो भी आदमी ‘ की आवृत्ति से कविता में अद्भुत मोहकता आ गई है ।

8. मुहावरों का सुंदर प्रयोग हुआ है ।

2. मसजिद भी आदमी ने बनाई है यां मियाँ

बनते हैं आदमी ही इमाम और खुतबाख्वाँ

पढ़ते हैं आदमी हो कुरआन और नमाज़ यां

और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ

जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी

शब्दार्थ-

इमाम – नमाज़ पढ़ानेवाले धार्मिक मुसलमान

खुतबाख्याँ – कुरान शरीफ़ का अर्थ बतानेवाला

ताड़ता – भाँप लेना

भावार्थ- कवि मनुष्य के भिन्न – भिन्न स्थितियों व स्वभाव का वर्णन करते हुए कहता है कि इस दुनिया में मसजिद बनानेवाला भी आदमी है , मसजिद में बैठकर नमाज़ पढ़नेवाला भी आदमी है और जो कुरान शरीफ़ का अर्थ समझाता है , वह भी आदमी है । जो सामान्य मुसलमान उन इमामों से कुरान का अर्थ सुनते हैं और नमाज़ पढ़ते हैं , वे भी आदमी हैं । इन सबके विपरीत जो दुष्ट मसजिद में आकर इमामों , नमाजियों की जूतियाँ चुराकर ले जाते हैं , वे भी आदमी हैं , जो लोग ऐसे चोरों पर नज़र रखते हैं , वे भी आदमी हैं ।

शिल्प- सौंदर्य –

1. संसार में विभिन्न प्रकार के परस्पर विरोधी काम करनेवाले लोग हैं । वे सब आदमी के भिन्न – भिन्न रूप हैं ।

2. हिंदी व उर्दू भाषा का मिश्रित प्रयोग है ।

3. भाषा सरस , सरल व मर्मस्पर्शी है ।

4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है ।

5. भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है ।

6. उर्दू शब्दावली का सटीक प्रयोग द्रष्टव्य है ।

7. ‘ सो है वो भी आदमी ‘ की आवृत्ति से कविता में अद्भुत मोहकता आ गई है ।

8. मुहावरों का सुंदर प्रयोग हुआ है ।

3. यां आदमी पै जान को वारे है आदमी

और आदमी पै तेग को मारे है आदमी

पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी

चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी

और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी

शब्दार्थ –

वारे – न्योछावर करता

तेग- तलवार

भावार्थ – कवि कहता है कि एक आदमी दूसरे आदमी पर अपनी जान भी न्योछावर कर देता है । दूसरी ओर दुष्ट स्वभाव का व्यक्ति तलवार से वार कर उसे मार डालता है । समय पड़ने पर दूसरे आदमी की पगड़ी उतारने अर्थात् बेइज्जती करने में ज़रा भी देर नहीं लगाता । आवश्यकता पड़ने पर अपनी सुरक्षा के लिए दूसरे को चिल्लाकर पुकारनेवाला भी आदमी है जो आदमी पुकार को सुनकर उसे बचाने के लिए दौड़ता है , वह भी आदमी है । आदमी के विभिन्न आचार – व्यवहार हैं । उसकी बदलती परिस्थितियाँ उसे भिन्न – भिन्न भूमिकाओं में ला खड़ा करती हैं ।

शिल्प – सौंदर्य –

1. कवि ने मनुष्य की परस्पर विरोधी भूमिकाएँ दिखाकर अद्भुत प्रभाव उत्पन्न किया है ।

2. हिंदी व उर्दू भाषा का मिश्रित प्रयोग है ।

3. भाषा सरस , सरल व मर्मस्पर्शी है ।

4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है ।

5. भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है ।

6. उर्दू शब्दावली का सटीक प्रयोग द्रष्टव्य है ।

7. ‘ सो है वो भी आदमी ‘ की आवृत्ति से कविता में अद्भुत मोहकता आ गई है ।

8. मुहावरों का सुंदर प्रयोग हुआ है ।

4. अशराफ़ और कमीने से ले शाह ता वज़ीर

ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीर

यां आदमी मुरीद है और आदमी ही पीर

अच्छा भी आदमी ही कहाता है ए नज़ीर

और सबमें जो बुरा है सो है वो भी आदमी

शब्दार्थ-

अशराफ़ – शरीफ लोग

कमीना – तुच्छ

शाह – राजा

वज़ीर – मंत्री

दिलपज़ीर – मनचाहा

मुरीद – शिष्य

पीर – धार्मिक गुरु

भावार्थ- कवि कहता है कि कुछ आदमी शरीफ़ होते हैं तो कुछ कमीने किस्म के भी होते हैं । बादशाह से लेकर मंत्री तक सब मनमाने काम करनेवाले लोग आदमी ही तो हैं , चाहे वह भले आदमी की भूमिका हो या दुष्ट प्रवृत्ति वाले की चाहे बादशाह की भूमिका हो , चाहे मंत्री की , सबको करने वाला आदमी है । कुछ आदमी शिष्य होते हैं तो कुछ पीर – फकीर , संत किस्म के होते हैं । अच्छे काम करके अच्छा कहलानेवाला भी आदमी ही है और बुरे काम करके बुरा कहलानेवाला भी आदमी है ।

शिल्प- सौंदर्य –

1. इसमें आदमी की परस्पर विरोधी भूमिकाएँ दिखाकर अद्भुत प्रभाव उत्पन्न किया गया है ।

2. हिंदी व उर्दू भाषा का मिश्रित प्रयोग है ।

3. भाषा सरस , सरल व मर्मस्पर्शी है ।

4. भाषा में लयात्मकता व गीतात्मकता है ।

5. भावात्मक शैली का प्रयोग हुआ है ।

6. उर्दू शब्दावली का सटीक प्रयोग द्रष्टव्य है ।

7. ‘ सो है वो भी आदमी ‘ की आवृत्ति से कविता में अद्भुत मनमोहकता आ गई है ।

8. मुहावरों का सुंदर प्रयोग हुआ है ।

Leave a Comment