NCERT Solutions For Class 11 Hindi Vitan Chapter 3 आलो-आँधारि

Class 11 Hindi Vitan Chapter 3 आलो-आँधारि

NCERT Solutions For Class 11 Hindi Vitan Chapter 3 आलो-आँधारि (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है । के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है ।छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल ।

कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं । छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी ।

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Class 11 Hindi Vitan Chapter 3 आलो-आँधारि

 

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न. 1.
पाठ के किन अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं है। क्या वर्तमान समय में स्त्रियों की इस सामाजिक स्थिति में कोई परिवर्तन आया है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
पाठ में ऐसे अनेक अंश हैं जिनसे ज्ञात होता है कि पुरुष के बिना स्त्री का कोई अस्तित्व नहीं।

  1. बेबी के प्रति उसके आस-पड़ोस के लोगों का व्यवहार अच्छा नहीं था। वे सदा उससे पूछा करते कि उसका स्वामी कहाँ है? मकान मालकिन उससे पूछती कि वह कहाँ गई थी? क्यों गई थी? आदि।
  2. मकान मालकिन का बड़ा बेटा उसके द्वार पर आकर बैठ जाता है और इस तरह की बातें कहता है जिनका अर्थ था कि यदि वह चाहे तभी बेबी उस घर में रह सकती है।
  3. कुछ लोग जानबूझकर उसके स्वामी के विषय में प्रश्न पूछा करते थे, इसी बात पर उसे ताने देते या छेड़ते थे।
  4. जब झुग्गियों पर बुलडोजर चलाया गया तो सभी अपना सामान समेटकर दूसरे घरों में चले गए, पर वह अकेली बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे बैठी रही।

उपर्युक्त अंशों से स्पष्ट होता है कि पुरुष स्त्री पर ज्यादती करे तो भी पूरे समाज की ज्यादतियों से बचने का एक सुरक्षा कवच तो है ही।
वर्तमान समय में स्त्रियों की स्थिति में काफी बदलाव आया है। शिक्षा वे कानूनों के कारण स्त्रियों की आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। अब वे अकेली रहकर भी जीवन यापन कर सकती हैं।

प्रश्न. 2.
अपने परिवार से तातुश के घर तक के सफ़र में बेबी के सामने रिश्तों की कौन-सी सच्चाई उजागर होती है?
उत्तर:
बेबी के अपने परिवार में माता-पिता, भाई-भाभी, बहन आदि सभी थे, पर नाम के ही थे। बिना सोचे-समझे, एक तेरह वर्ष की लड़की को अधेड़ पुरुष के साथ बाँध दिया गया। मुसीबत के समय भी भाइयों ने उसे सहारा नहीं दिया। यहाँ तक कि माँ की मृत्यु की सूचना भी नहीं दी गई। यह खून का रिश्ता रखने वाले लोगों का हाल था। इधर तातुश जैसे सहृदय मनुष्य बेबी के दुख-दर्द को समझकर उसे अपने घर में आश्रय देते हैं। उसके बच्चों की देखरेख, उनके लिए दूध, दवा, स्कूल आदि की व्यवस्था तक करते हैं। बेबी के स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं। उसके बड़े बेटे को खोजकर लाते हैं। वास्तव में, उन्होंने जैसा व्यवहार किया ऐसे बहुत कम उदाहरण हैं। ये बताते हैं करुणा, दया और स्नेह के संबंध खून के रिश्तों से कहीं बढ़कर होते हैं।

प्रश्न. 3.
इस पाठ से घरों में काम करने वालों के जीवन की जटिलताओं का पता चलता है। घरेलू नौकरों को और किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस पर विचार करिए।
उत्तर:
इस पाठ से घरेलू नौकरों के घरों में काम करने वालों के जीवन की निम्नलिखित जटिलताओं का पता चलता है –

  1. इन लोगों को आर्थिक सुरक्षा नहीं मिलती।
  2. इन्हें गंदे व सस्ते मकान किराए पर मिलते हैं क्योंकि ये अधिक किराया नहीं दे सकते।
  3. इनका शारीरिक शोषण भी किया जाता है।
  4. इनके काम के घंटे भी अधिक होते हैं।

अन्य समस्याएँ

  1. आर्थिक तंगी के कारण इनके बच्चे अशिक्षित रह जाते हैं।
  2. चिकित्सा सुविधा व खाने के अभाव में ये अशिक्षित रहते हैं।

प्रश्न. 4.
आलो-आँधारि रचना बेबी की व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ कई सामाजिक मुद्दों को समेटे है। किंही दो मुख्य समस्याओं पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
उत्तर:
आलो-आँधारि एक ऐसी कृति है जो बेबी हालदार की आत्मकथा होने के साथ-साथ हमें एक अनदेखी दुनिया के दर्शन करवाती है। यह एक ऐसी दुनिया है जो हमारे पड़ोस में है, फिर भी हम इसमें झाँकना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। कुछ समस्याएँ निम्नलिखित हैं –
(क) परित्यक्ता स्त्री के साथ व्यवहार – यह पुस्तक एक परित्यक्ता स्त्री की कहानी कहती है। बेबी किराए के मकान में रहकर घरेलू नौकरानी का कार्य करके अपना जीवन निर्वाह कर रही है। समाज का दृष्टिकोण उसके प्रति स्वस्थ । नहीं है। स्वयं औरतें ही उस पर ताना मारती हैं। हर व्यक्ति उस पर अपना अधिकार समझता है तथा उसका शोषण करना चाहता है। उसे सदा संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। सहायता के नाम पर उसका मजाक उड़ाया जाता है।

(ख) स्वच्छता का अभाव – संसाधनों के अभाव में घरेलू नौकर गंदी बस्तियों में रहते हैं। शौचालय की सुविधा न होना, पानी की जमाव, कूड़े के ढेर आदि के कारण बीमारियाँ फैलती हैं। सरकार भी इन्हें उपेक्षित करती हैं।

प्रश्न. 5.
तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो-जेठू का यह कथन रचना संसार के किस सत्य को उद्घाटित करता है?
उत्तर:
रचना संसार और इसमें रहने वाले लोगों की अपनी एक अलग ही जीवन-शैली है। ये लोग लेखन कार्य के लिए सारी सारी रात जाग सकते हैं, जागते हैं। तुम दूसरी आशापूर्णा देवी बन सकती हो’–जेठू का यह कथन बेबी को यही बात समझाने के लिए था। जेठू ने यह भी समझाया था कि आशापूर्णा देवी भी सारा काम-काज निबटाकर रात-रात भर चोरी-चोरी लिखती थी, जब लोग सो जाते थे। यह सच है रचना संसार में लेखन का एक नशा होता है, जैसा मुंशी प्रेमचंद को भी था, जो कई मील पैदल चलकर आते, खाने-पीने का ठिकाना न था, फिर भी डिबरी की रोशनी में कई-कई घंटे बैठकर लेखन कार्य करते थे। ऐसी ही बेबी हालदार ने भी किया। जब सारी झुग्गी बस्ती सो जाती तो वह लेखन कार्य करती रहती थी।

प्रश्न. 6.
बेबी की जिंदगी में तातुश का परिवार न आया होता तो उसका जीवन कैसा होता? कल्पना करें और लिखें।
उत्तर:
बेबी के जीवन में तातुश एक सौभाग्य की भाँति हैं। तातुश जैसे लोग सबको नहीं मिलते। यदि वे बेबी के जीवन में न आते तो बेबी स्वयं कभी अपनी क्षमता को पहचान न पाती। उसी गलीच माहौल में बेबी नरक भोगती रहती, घर-घर झाड़-बरतन करती घूमती रहती। जो लोग उसे बुरी नजर से देखते थे उनका शिकार हो जाती। उसके बच्चे कभी स्कूल का मुँह न देख पाते और शायद उससे सदा के लिए बिछुड़ जाते। उसका बड़ा बेटा कहाँ काम कर रहा है, यह तातुश ही तो । खोज लाए थे। वह भी घृणास्पद अज्ञात कुचक्र के-से जीवन में कहीं खोकर रह जाती। हमें उसकी आत्मकथा पढ़ने का अवसर न मिल पाता। चर्चा करेंप्रश्न. पाठ में आए इन व्यक्तियों का देश के लिए विशेष रचनात्मक महत्व है। इनके बारे में जानकारी प्राप्त करें और कक्षा में चर्चा करें। श्री रामकृष्ण, रवींद्रनाथ ठाकुर, काज़ी नजरुल इस्लाम, शरत्चंद्र, सत्येंद्र नाथ दत्त, सुकुमार राय, ऐनि फ्रैंक। उत्तर- विद्यालय के पुस्तकालय में जाकर इन सभी लेखन कर्ता, सिद्ध लोगों के विषय में जानकारी हासिल करें और फिर सहपाठियों से चर्चा करें।

प्रश्न. 7. ‘सबसे कोई पेशाब के लिए उसमें घुसता तो दूसरा उसमें घुसने के लिए बाहर खड़ा रहता। टट्टी के लिए बाहर जाना पड़ता था लेकिन वहाँ भी चैन से कोई टट्टी नहीं कर सकता था क्योंकि सुअर पीछे से आकर तंग करना शरू कर देते। लड़के-लड़कियाँ, बड़े-बूढ़े सभी हाथ में पानी की बोतल ले टट्टी के लिए बाहर जाते। अब वे कहाँ बोतल संभालें या सुअर भगाएँ! मुझे तो यह देख-सुनकर बहुत खराब लगता’- अनुवाद के नाम पर मात्र अंग्रेज़ी से होने वाले अनुवादों के बीच भारतीय भाषाओं में रची-बसी हिंदी का यह एक अनुकरणीय नमूना है- उपर्युक्त पंक्तियों को ध्यान में रखते हुए बताइए कि इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं।

उत्तर: उत्तर जल्द ही अपलोड किया जाएगा I

चर्चा करें

प्रश्न. 8. पाठ में आए इन व्यक्तियों का देश के लिए विशेष रचनात्मक महत्त्व है। इनके बारे में जानकारी प्राप्त करें और कक्षा में चर्चा करें।
श्री रामकृष्ण, रवींद्रनाथ ठाकुर, काज़ी नज़रुल इस्लाम, शरतचंद्र, सत्येंद्र नाथ दत्त, सुकुमार राय, ऐनि फ्रैंक।

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