NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh Chapter 8 जामुन का पेड़

Class 11 Hindi Aroh Chapter 8 जामुन का पेड़

NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh Chapter 8 जामुन का पेड़ (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है । के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है ।छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल ।

कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं । छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी ।

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Class 11 Hindi Aroh Chapter 8 जामुन का पेड़

 

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

पाठ के साथ

प्रश्न. 1.

बेचारा जामुन का पेड़। कितना फलदार था।

और इसकी जामुनें कितनी रसीली होती थीं।

(क) ये संवाद कहानी के किस प्रसंग में आए हैं?

(ख) इससे लोगों की कैसी मानसिकता का पता चलता है?

उत्तर:

(क) ये संवाद सेक्रेटेरियेट के लॉन में जामुन के पेड़ के गिरने से संबंधित हैं। रात की आँधी में सेक्रेटेरियट के लॉन में खड़ा जामुन का पेड़ गिर गया। उसके नीचे एक आदमी दब गया। सुबह माली ने उसे देखा और क्लकों को सूचना दे दी। वहाँ सभी इकट्ठे हो जाते हैं। वे सभी जामुन के पेड़ की प्रशंसा में चर्चा करते हैं किंतु उन्हें उसके नीचे दबे व्यक्ति की कोई चिंता नहीं है।

(ख) इससे लोगों की संवेदनशून्यता तथा स्वार्थपरता का पता चलता है। सरकारी अमले को जामुन के पेड़ से लाभ मिलता था, अत: वे उसके गुण गाते थे तथा उसके गिरने का दुख व्यक्त कर रहे थे। उन्हें दबे हुए जिंदा आदमी की पीड़ा से कुछ लेना-देना नहीं है।

प्रश्न. 2.

दबा हुआ आदमी एक कवि है, यह बात कैसे पता चली और इसे जानकारी का फाइल की यात्रा पर क्या असर पड़ा?

उत्तर:

जब रात को माली ने दबे हुए आदमी के मुँह में खिचड़ी डाली तो उसे यह भी बताया कि तुम्हारे लिए सेक्रेटरियों की मीटिंग होगी और मामला शीघ्र ही निपट जाएगा। इस पर दबे हुए आदमी ने मिर्जा गालिब का एक शेर कह डाला- “ये तो माना कि तगाफुल न करोगे, लेकन खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक।” यह सुनकर माली ने पूछा, “क्या तुम शायर हो?’

दबे हुए आदमी ने कहा ‘हाँ’ तो माली ने चपरासी को, चपरासी ने क्लर्क और क्लर्क ने हेडक्लर्क को बताया और पूरे विभाग में यह सूचना फैल गई। यह निर्णय लिया गया कि न एग्रीकल्चर और न ही हॉर्टीकल्चर, इस व्यक्ति की फ़ाइल कल्चरल डिपार्टमेंट को दे दी जाए। अब फ़ाइल पर नए सिरे से विचार होने लगा। इसे साहित्य अकादमी की केंद्रीय शाखा का मेंबर चुन लिया गया। पत्नी को भत्ता देने की बात भी कही गई पर पेड़ की बात वहीं की वहीं रही। उसे काटना संभव न हुआ। इस बात की फ़ाइल जहाँ की तहाँ रही।

 

प्रश्न. 3.

कृषि-विभाग वालों ने मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंपने के पीछे क्या तर्क दिया?

उत्तर:

कृषि विभाग वालों ने तर्क दिया कि कृषि विभाग को अनाज और खेती-बाड़ी से संबंधित मामलों में फैसले लेने का अधिकार है। जामुन का पेड़ फलदार वृक्ष है, इसलिए यह मामला हॉर्टीकल्चर विभाग के अंतर्गत आता है। उन्हें ही इस विषय में फैसला लेना चाहिए। उन्होंने फाइल हॉर्टीकल्चर विभाग को सौंप दी।

इस प्रकार प्रशासनिक भाषा में बात कर उन्होंने भी अपना पल्ला झाड़ लिया। दबे हुए आदमी के प्रति मानवीय संवेदना तो दूर-दूर तक न थी। कार्यालयों की कार्यप्रणाली का यथार्थ चित्रण है।

प्रश्न. 4.

इस पाठ में सरकार के किन-किन विभागों की चर्चा की गई है और पाठ से उनके कार्य के बारे में क्या अंदाजा मिलता है?

उत्तर:

इस पाठ में अनेक सरकारी कार्यालयों के नामों का उल्लेख किया गया है जिनमें से प्रथम है, सेक्रेटेरियेट जो सरकारी सचिवालय है। दूसरा हार्टीकल्चर विभाग जो उद्यानों की व्यवस्था देखता है। बाग-बगीचे लगाता है। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट जो कृषि विभाग होने के नाते फ़सल और पैदावार आदि की व्यवस्था देखता है। पुलिस विभाग कानून-व्यवस्था देखने का दावा करता है। मेडिकल डिपार्टमेंट जो रोगियों और बीमारों का इलाज करता है। कल्चरल डिपार्टमेंट जो कि सांस्कृतिक मामलों से संबंध रखता है; कवि, कलाकार, चित्रकार आदि को प्रोत्साहन देता है। इस पाठ में इनमें से एक भी विभाग सही ढंग से अपना काम नहीं कर रहा। सभी विभाग औपचारिकताओं में पड़ गए हैं। वे संवेदन शून्य होकर रह गए हैं। उन्हें किसी मनुष्य के मरने-जीने का भी इतना ध्यान नहीं है जितना औपचारिकताएँ निभाने का है।

पाठ के आस-पास

प्रश्न. 1.

कहानी में दो प्रसंग ऐसे हैं, जहाँ लोग पेड़ के नीचे दबे आदमी को निकालने के लिए कटिबद्ध होते हैं। ऐसा कब-कब होता और लोगों का यह संकल्प दोनों बार किस-किस वजह से भंग होता है।

उत्तर:

पहला प्रसंग-पहली बार दबे आदमी को निकालने के लिए तैयार होने का प्रसंग कहानी के प्रारंभ में ही आता है।

जब माली की सलाह पर वहाँ इकट्ठी भीड़ पेड़ हटा कर दबे हुए आदमी को बाहर निकालने के लिए तैयार हो जाती है किंतु, सुपरिंटेंडेंट वहाँ आकर उन्हें रोक देता है तथा ऊपर के अधिकारियों से पूछने की बात कहता है। इस प्रकार पहली बार संकल्प भंग हो जाता है।

दूसरा प्रसंग-यह प्रसंग दोपहर के भोजन के समय आता है। दबे हुए व्यक्ति को बाहर निकालने के लिए बनी फाइल आधे दिन तक सेक्रेटेरियट में घूमती रही, परंतु कोई फैसला न हो सका। कुछ मनचले किस्म के क्लर्क सरकारी फैसले के इंतजार के बिना पेड़ को स्वयं हटा देना चाहते थे कि उसी समय सुपरिंटेंडेंट फाइल लेकर भागा-भागा आया और कहा कि हम खुद इस पेड़ को नहीं हटा सकते। यह पेड़ कृषि विभाग के अधीन है।

वहाँ से जवाब आने पर पेड़ हटवा दिया जाएगा। इस प्रकार दूसरी बार फाइल अन्य विभाग में भेजने के कारण लोगों का संकल्प भंग हो जाता है।

प्रश्न. 2.

यह कहना कहाँ तक युक्तिसंगत है कि इस कहानी में हास्य के साथ-साथ करुणा की भी अंतर्धारा है। अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दें।

उत्तर:

हास्य और व्यंग्य दोनों ही कहानी में निरंतर बने हुए हैं, पर करुणा भी प्रवाहित हो रही है। पाठक के समक्ष जब एक के बाद एक औपचारिकताएँ कई दिन तक चलती हैं तो उसे हर क्षण दबे हुए मनुष्य पर दया आती रहती है जो सहज और स्वाभाविक रूप से उठनेवाला भाव है। एक दूसरी स्थिति वह है जब हर रात माली उस दबे हुए आदमी के मुँह में दाल चावल, खिचड़ी आदि डालता है तो रूखे माहौल में कहीं एक संवेदना को देखकर पाठक में करुणा का संचार होता है।

प्रश्न. 3.

यदि आप माली की जगह पर होते, तो हुकूमत के फैसले का इंतज़ार करते या नहीं? अगर हाँ, तो क्यों? और नहीं, तो क्यों?

उत्तर:

यदि मैं माली की जगह होता तो मैं हुकूमत के फैसले का इंतजार नहीं करता। मैं सबसे पहले अपने सहकर्मियों को तैयार करके उस पेड़ को हटाता तथा दबे हुए व्यक्ति को निकालकर उसका इलाज करवाता। मानव जीवन सरकारी कार्रवाई से अधिक महत्वपूर्ण है। संकट के समय में मौके पर उपस्थित सरकारी कर्मचारी स्वयं ही निर्णय ले सकता है। यदि मैं माली की जगह होता तो मेरी सहानुभूति दबे हुए व्यक्ति के साथ होती, परंतु सरकारी फैसले के बिना मैं कुछ नहीं करता। सरकारी नियम इतने पेचीदा होते हैं कि उसमें उलझकर व्यक्ति का सारा जीवन नष्ट हो जाता है। सही कार्य करने पर भी सजा मिलती है।

शीर्षक सुझाइए

कहानी के वैकल्पिक शीर्षक सुझाएँ। निम्नलिखित बिंदुओं को ध्यान में रखकर शीर्षक गढ़े जा सकते हैं –

कहानी में बार-बार फ़ाइल का जिक्र आया है और अंत में दबे हुए आदमी के जीवन की फ़ाइल पूर्ण होने की बात कही गई है।

सरकारी दफ्तरों की लंबी और विवेकहीन कार्य-प्रणाली की ओर बार-बार इशारा किया गया है।

कहानी का मुख्य पात्र उस विवेकहीनता का शिकार हो जाता है।

उत्तर:

उपर्युक्त तीनों बिंदुओं को ध्यान में रखकर –

फाइलों में दबा आदमी

सरकारी मौत

मूर्यों का शिकार

कवि की मौत

साहित्यिक मृत्युदंड आदि शीर्षक हो सकते हैं।

भाषा की बात

प्रश्न. 1.

नीचे दिए गए अंग्रेजी शब्दों के हिंदी प्रयोग लिखिए –

अर्जेंट, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट, मेंबर, डिप्टी सेक्रेटरी, चीफ़ सेक्रेटरी, मिनिस्टर, अंडर सेक्रेटरी, हार्टीकल्चर डिपार्टमेंट, एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट।

उत्तर:

अर्जेंट – ज़रूरी। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट – वन विभाग। मेंबर – सदस्य। डिप्टी सेक्रेटरी – उप सचिव। चीफ़ सेक्रेटरी – प्रमुख सचिव। मिनिस्टर – मंत्री। अंडर सेक्रेटरी – अधीनस्थ सचिव। हार्टीकल्चर डिपार्टमेंट – उद्यान विभाग। एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट – कृषि-विभाग।

प्रश्न. 2.

इसकी चर्चा शहर में भी फैल गई और शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए-यह एक संयुक्त वाक्य है, जिसमें दो स्वतंत्र वाक्यों को समानाधिकरण समुच्चयबोधक शब्द और से जोड़ा गया है। संयुक्त वाक्य को इस प्रकार सरल वाक्य में बदला जा सकता है-इसकी चर्चा शहर में फैलते ही शाम तक गली-गली से शायर जमा होने शुरू हो गए। पाठ में से पाँच संयुक्त वाक्यों को चुनिए और उन्हें सरल वाक्य में रूपांतरित कीजिए।

उत्तर:

हम लोग व्यापार-विभाग से संबंधित हैं और यह पेड़ की समस्या कृषि विभाग के अधीन है। पेड़ की समस्या कृषि विभाग के अधीन है, व्यापार-विभाग के नहीं।

एक पुलिस कांस्टेबल को दया आ गई और उसने माली को दबे हुए आदमी को खाना खिलाने की इजाजत दे दी।

माली ने अचंभे से मुँह में उँगली दबा ली और चकित भाव से बोला, ‘क्या तुम शायर हो। माली अचंभित होकर मुँह में उँगली दबाते हुए बोला, ‘क्या तुम शायर हो ?’

उसकी साँस बड़ी मुश्किल से चल रही थी और आँखों से मालूम होता था कि वह घोर पीड़ा में है। घोर पीड़ा से भरी आँखों के साथ उसकी साँसें भी ठीक से नहीं चल रही थीं।

उसके लिए हमने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को लिखा है और अजेंट लिखा है। उसके लिए हमने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को अर्जेंट लिखा है।

प्रश्न. 3.

साक्षात्कार अपने-आप में एक विधा है। जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फ़ाइल बंद होने (मृत्यु) के लिए ज़िम्मेदार किसी एक व्यक्ति का काल्पनिक साक्षात्कार करें और लिखें।

उत्तर:

जामुन के पेड़ के नीचे दबे आदमी के फाइल बंद होने का जिम्मेदार सुपरिंटेंडेंट ही है। अत: उसका साक्षात्कार निम्नलिखित है-

साक्षात्कार कर्ता-आपके विभाग के लॉन में गिरे पेड़ के नीचे आदमी दब गया तो आपने उसे बचाया क्यों नहीं?

सुपरिंटेंडेंट-ऊपर के अधिकारियों की इजाजत लेनी जरूरी थी, अन्यथा वे नाराज होते।

साक्षात्कार कर्ता-आपके सामने कुछ लोग मानवीयता के नाते उसे बचाने के लिए तैयार थे, परंतु आपने उन्हें रोक दिया क्यों? |

सुपरिंटेंडेंट-यह गैर कानूनी था। हर कार्य के लिए सरकारी मंजूरी होनी चाहिए।

साक्षात्कार कर्ता-आपने फाइल एक विभाग से दूसरे विभाग भेजी यह व्यर्थ का ताना-बाना क्यों?

सुपरिंटेंडेंट-जनाब, हर काम के लिए अलग-अलग विभाग बने हैं। पेड़ का संबंध कृषि, वन, उद्यान विभाग से था, । अत: उनकी स्वीकृति जरूरी थी।

साक्षात्कार कर्ता-चाहे इस काम में कोई व्यक्ति मर जाए? सुपरिंटेंडेंट-कानून का पालन करना हमारा कर्तव्य है।

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