NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh Chapter 6 स्पीति में बारिश

Class 11 Hindi Aroh Chapter 6 स्पीति में बारिश

NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh Chapter 6 स्पीति में बारिश (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है । के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है ।छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल ।

कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं । छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी ।

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Class 11 Hindi Aroh Chapter 6 स्पीति में बारिश

 

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

पाठ के साथ

प्रश्न. 1.

इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता। क्यों?

उत्तर:

स्पीति की भौगोलिक स्थिति विचित्र है। यहाँ आवागमन के साधन नहीं हैं। यह पर्वत श्रेणियों से घिरा हुआ है। साल में आठ-नौ महीने बर्फ रहती है तथा यह क्षेत्र शेष संसार से कटा रहता है। इन दुर्गम रास्तों को लाँघने का साहस किसी राजा या शासक ने नहीं किया। यहाँ की आबादी बेहद कम है तथा जनसंचार के साधन का अभाव है। मानवीय गतिविधियों के कारण यहाँ इतिहास नहीं बना। इसका जिक्र सिर्फ राज्यों के साथ जुड़े रहने पर ही आता है। यह क्षेत्र प्राय: स्वायत्त ही रहा है।

प्रश्न. 2.

स्पीति के लोग जीवनयापन के लिए किन कठिनाइयों का सामना करते हैं?

उत्तर:

स्पीति के लोग जीवनयापन के लिए निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करते हैं –

लंबी शीत ऋतु होने के कारण ये लोग दुनिया से कटे रहते हैं।

यहाँ जलाने के लिए लकड़ी नहीं होती। इसलिए वे ठंड से ठिठुरते हैं।

साल में सिर्फ एक फ़सल होती है। गेहूँ, जौ, मटर व सरसों के अलावा अन्य फ़सल नहीं हो सकती।

किसी प्रकार का फल व सब्जी उत्पन्न नहीं होती।

रोज़गार के साधन नहीं हैं।

ज़मीन उपजाऊ है, परंतु सिंचाई के साधन अविकसित हैं।

अत्यधिक सरदी के कारण लोग घरों में ही रहते हैं?

प्रश्न. 3.

लेखक माने श्रेणी का नाम बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर करने के पक्ष में क्यों है?

उत्तर:

बौद्ध धर्म में माने मंत्र की बहुत महिमा है। ‘ओों मणि पद्मे हु’ इनका बीज मंत्र है। इसी मंत्र को संक्षेप में माने कहते हैं। लेखक का मानना है कि इस मंत्र का यहाँ इतना अधिक जाप हुआ है कि पर्वत श्रेणी को यह नाम आसानी से दिया जा सकता है। हो सकता है कि स्पीति के दक्षिण की पर्वत श्रेणी का माने नाम इसी कारण पड़ा हो।

प्रश्न. 4.

ये माने की चोटियाँ बूढ़े लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं-इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने युवा वर्ग से क्या आग्रह किया है?

उत्तर:

लेखक की मान्यता है कि माने की चोटियों पर बूढ़े लामाओं ने इतने जाप किए हैं कि उनके बुढ़ापे और जाप से ये पहाड़ियाँ उदास हो गई हैं। अतः कवि युवा वर्ग से आग्रह करता है कि वे यहाँ आकर किलोल करें तो ये पहाड़ियाँ हर्षित हों। अभी तो इन पर स्पीति का आर्तनाद जमा हुआ है, जो युवा अट्टहास की गरमी से कुछ तो पिघलेगा। लेखक की ओर से यह एक युवा निमंत्रण है।

 

प्रश्न. 5.

वर्षा यहाँ एक घटना है, एक सुखद संयोग है – लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?

उत्तर:

लेखक बताता है कि स्पीति में वर्षा बहुत कम होती है। इस कारण वर्षा ऋतु मन की साध पूरी नहीं करती। वर्षा के बिना यहाँ की धरती सूखी, ठंडी व बंजर होती है। जब कभी यहाँ वर्षा हो जाती है तो लोग इसे अपना सुखद सौभाग्य मानते हैं। वर्षा के दिन को वे सुख का संकेत मानते हैं। लेखक के आने के बाद यहाँ वर्षा हुई। लोगों ने उसे बताया कि वर्षा होने के कारण आपकी यात्रा सुखद होगी।

 

प्रश्न. 6.

स्पीति अन्य पर्वतीय स्थलों से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर:

स्पीति अन्य पर्वतीय स्थलों से बहुत भिन्न है; जैसे –

यहाँ के दरें बहुत ऊँचे व दुर्गम हैं।

यहाँ सब्ज़ी व फल उत्पन्न नहीं होते।

यहाँ वर्ष में एक ही फ़सल होती है।

साल में नौ महीने बरफ़ जमी रहने के कारण यह क्षेत्र संसार से कट जाता है।

यहाँ के पहाड़ों की ऊँचाई 13000 से 21000 फीट तक की है। यह अत्यन्त दुर्गम है।

पाठ के आस-पास

प्रश्न. 1.

स्पीति में बारिश का वर्णन एक अलग तरीके से किया गया है। आप अपने यहाँ होने वाली बारिश का वर्णन कीजिए।

उत्तर:

हमारे यहाँ तपती गरमी के बाद जब आकाश में काले बादल घुमड़-घुमड़कर आते हैं तो शरीर व मन को शांति मिलती है। वर्षा होते ही चारों तरफ प्रसन्नता फैल जाती है। प्रकृति भी प्रसन्न होकर हँसती हुई प्रतीत होती है। बच्चों की मस्ती देखते ही बनती है। पक्षी अपनी खुशी का इजहार स्वर उत्पन्न करके करते हैं। तालाब, नहरें, नदियाँ सब पर यौवन आ जाता है। ऐसा लगता है, मानी धरती फिर जवान हो गई हो।

प्रश्न. 2.

स्पीति के लोगों और मैदानी भागों में रहने वाले लोगों के जीवन की तुलना कीजिए। किन का जीवन आपको ज्यादा अच्छा लगता है और क्यों?

उत्तर:

स्पीति के लोग भयंकर शीत और विषम परिस्थितियों में जीवन-यापन करते हैं। संचार माध्यम व यातायात के साधन वहाँ हैं ही नहीं। वर्ष भर ठंडक ही रहती। अल्प समय के लिए तापमान थोड़ा कम होता है। जीवन में नीरसता और आर्तनाद भरा रहता है। तरह-तरह के फल-फूल तो दूर, वनस्पति का भी वहाँ अभाव है। इसके विपरीत, मैदानी भागों में संचार और यातायात के भरपूर साधन हैं। वर्ष में सरदी, गरमी, बरसात, वसंत, पतझड़ सभी ऋतुओं का क्रम चलता रहता है। इससे जीवन की सरसता और खुशी बनी रहती है। मैदानों में हरियाली, फल-फूल, पशुपक्षी सबकुछ भरपूर है। इसीलिए तुलनात्मक दृष्टि से मैदानी भागों में जीवन ज्यादा अच्छा है, क्योंकि यहाँ सुख-सुविधाएँ, खुशियों से भरा वातावरण है।

 

प्रश्न. 3.

स्पीति में बारिश एक यात्रा-वृत्तांत है। इसमें यात्रा के दौरान किए गए अनुभवों, यात्रा-स्थलों से जुड़ी विभिन्न जानकारियों का बारीकी से वर्णन किया गया है। आप भी अपनी किसी यात्रा का वर्णन लगभग 200 शब्दों में कीजिए।

उत्तर:

विद्यार्थी स्वयं करें।

प्रश्न, 4.

लेखक ने स्पीति की यात्रा लगभग तीस वर्ष पहले की थी। इन तीस वर्षों में क्या स्पीति में कुछ परिवर्तन आया है? जानें, सोचें और लिखें।

उत्तर:

विद्यार्थी स्वयं करें।

भाषा की बात

प्रश्न. 1.

पाठ में से दिए गए अनुच्छेद में क्योंकि, और, बल्कि, जैसे ही, वैसे ही, मानो, ऐसे, शब्दों का प्रसंग करते हुए उसे दोबारा लिखिए –

लैंप की लौ तेज़ की। खिड़की का एक पल्ला खोला तो तेज हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा। मैंने पल्ला भिड़ा दिया। उसकी आड़ से देखने लगा। देखा कि बारिश हो रही थी। मैं उसे देख नहीं रहा था। सुन रहा था। अँधेरा, ठंड और हवा का झोंका आ रहा था। जैसे बरफ़ का अंश लिए तुषार जैसी बूंदें पड़ रही थीं।

उत्तर:

लैंप की लौ तेज की और जैसे ही खिड़की का एक पल्ला खोला वैसे ही तेज हवा का झोंका मुँह और हाथ को मानो छीलने लगा। मैंने पल्ला भिड़ा दिया और उसकी आड़ से देखने लगा। देखा कि बारिश तेज हो रही थी। मैं उसे देख नहीं रहा था, बल्कि सुन रहा था, क्योंकि अँधेरा, ठंड और हवा का झोंका आ रहा था। मानो बरफ़ का अंश लिए तुषार की बूंदें पड़ रही थीं।

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