NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh Chapter 10 आत्मा का ताप

Class 11 Hindi Aroh Chapter 10 आत्मा का ताप

NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh Chapter 10 आत्मा का ताप (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है । के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है ।छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल ।

कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं । छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी ।

NCERT Solutions For Class 11 Hindi Aroh Chapter 10 आत्मा का ताप

Class 11 Hindi Aroh Chapter 10 आत्मा का ताप

 

पाठ के साथ

प्रश्न 1:

रजा ने अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी की पेशकश क्यों नहीं स्वीकार की?

उत्तर-

लेखक को मध्य प्रांत की सरकार की तरफ से बंबई के जे.जे. स्कूल ऑफ आट्र्स में दाखिला लेने के लिए छात्रवृत्ति मिली। जब वे अमरावती के गवर्नमेंट नार्मल स्कूल से त्यागपत्र देकर बंबई पहुँचा तो दाखिले बंद हो चुके थे। सरकार ने छात्रवृत्ति वापस ले ली तथा उन्हें अकोला में ड्राइंग अध्यापक की नौकरी देने की पेशकश की। लेखक ने यह पेशकश स्वीकार नहीं की, क्योंकि उन्होंने बंबई शहर में रहकर अध्ययन करने का निश्चय कर लिया था। उन्हें यहाँ का वातावरण, गैलरियाँ व मित्र पसंद आ गए। चित्रकारी की गहराई को जानने-समझने के लिए बंबई (अब मुंबई) अच्छी जगह थी। चित्रकारी सीखने की इच्छा के कारण उन्होंने यह पेशकश ठुकरा दी।

प्रश्न 2:

बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रज़ा ने क्या-क्या संघर्ष किए?

उत्तर-

बंबई में रहकर कला के अध्ययन के लिए रज़ा ने कड़ा संघर्ष किया। सबसे पहले उन्हें एक्सप्रेस ब्लाक स्टूडियो में डिजाइनर की नौकरी मिली। वे सुबह दस बजे से सायं छह बजे तक वहाँ काम करते थे फिर मोहन आर्ट क्लब जाकर पढ़ते और अंत में जैकब सर्कल में एक परिचित ड्राइवर के ठिकाने पर रात गुजारने के लिए जाते थे। कुछ दिन बाद उन्हें स्टूडियो के आर्ट डिपार्टमेंट में कमरा मिल गया। उन्हें फर्श पर सोना पड़ता था। वे रात के ग्यारह-बारह बजे तक चित्र व रेखाचित्र बनाते थे। उनकी मेहनत देखकर उन्हें मुख्य डिजाइनर बना दिया गया। कठिन परिश्रम के कारण उन्हें मुंबई आट्र्स सोसाइटी का स्वर्ण पदक मिला।

1943 ई. में उनके दो चित्र आट्र्स सोसाइटी ऑफ इंडिया की प्रदर्शनी में रखे गए, किंतु उन्हें आमंत्रित नहीं किया गया। उनके चित्रों की प्रशंसा हुई। उनके चित्र 40-40 रुपये में बिक गए। वेनिस अकादमी के प्रोफेसर वाल्टर लैंगहैमर ने उन्हें अपना स्टूडियो दिया। लेखक दिनभर मेहनत करके चित्र बनाता तथा लैंगहैमर उन्हें देखते तथा खरीद भी लेते। इस प्रकार लेखक नौकरी छोड़कर जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट का नियमित छात्र बना।

प्रश्न 3:

भले ही 1947 और 1948 में महत्वपूर्ण घटनाएँ घटी हों, मेरे लिए वे कठिन बरस थे-रजा ने ऐसा क्यों कहा?

उत्तर-

रज़ा ने इन्हें कठिन बरस इसलिए कहा, क्योंकि इस दौरान उनकी माँ का देहांत हो गया। पिता जी की मंडला लौटना पड़ा तथा अगले साल उनका देहांत हो गया। इस प्रकार उनके कंधों पर सारी जिम्मेदारियाँ आ पड़ीं।

1947 में भारत आज़ाद हुआ, परंतु विभाजन की त्रासदी भी थी, गांधी की हत्या भी 1948 में हुई। इन सभी घटनाओं ने लेखक को हिला दिया। अत: वह इन्हें कठिन वर्ष कहता है।

प्रश्न 4:

रजा के पसंदीदा फ्रेंच कलाकार कौन थे?

उत्तर-

रज़ा के पसंदीदा फ्रेंच कलाकारों में सेज़ाँ, वॉन गॉज, गोगाँ पिकासो, मातीस, शागाल और ब्रॉक थे। इनमें वह पिकासो से सर्वाधिक प्रभावित थे।

प्रश्न 5:

तुम्हारे चित्रों में रंग है, भावना है, लेकिन रचना नहीं है। तम्हें मालूम होना चाहिए कि चित्र इमारत की ही तरह बनाया जाता है-आधार, नींव, दीवारें, बीम, छत और तब जाकर वह टिकता है-यह बात

(क) किसने, किस संदर्भ में कही?

(ख) रज़ा पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर-

(क) यह बात प्रख्यात फोटोग्राफर हेनरी कार्तिए-ब्रेसाँ ने श्रीनगर की यात्रा के दौरान सैयद हैदर रज़ा के चित्रों को देखकर कही थी। उनका मानना था कि चित्र में भवन-निर्माण के समान सभी तत्व मौजूद होने चाहिए। चित्रकारी में रचना की जरूरत होती है। उसने लेखक को सेज़ाँ के चित्र देखने की सलाह दी।

(ख) फ्रेंच फोटोग्राफर की सलाह का रज़ा पर गहरा प्रभाव पड़ा। मुंबई लौटकर उन्होंने फ्रेंच सीखने के लिए अलयांस फ्रांस में दाखिला लिया। उनकी रुचि फ्रेंच पेंटिंग में पहले ही थी। अब वे उसकी बारीकियों को समझने का प्रयास करने लगे। इस कारण उन्हें फ्रांस जाने का अवसर भी मिला।

पाठ के आस-पास

प्रश्न 1:

रज़ा को जलील साहब जैसे लोगों का सहारा न मिला होता तो क्या तब भी वे एक जाने-माने चित्रकार होते? तर्क सहित लिखिए।

उत्तर-

रज़ा को जलील साहब जैसे लोगों का सहारा न मिला होता तो भी वे एक जाने-माने चित्रकार होते। इसका कारण है-उनके अंदर चित्रकार बनने की अदम्य इच्छा। लेखक बचपन से ही प्रतिभाशाली था। उसे आजीविका का साधन मिल गया था, परंतु उसने सरकारी नौकरी छोड़कर चित्रकला सीखने के लिए कड़ी मेहनत की। मेहनत करने वालों का साथ कोई-न-कोई दे देता है। जलील साहब ने भी उनकी प्रतिभा, लगन व मेहनत को देखकर सहायता की। लेखक के उत्साह, संघर्ष करने की क्षमता, काम करने की इच्छा ही उसे महान चित्रकार बनाती है।

प्रश्न 2:

चित्रकला व्यवसाय नहीं, अंतरात्मा की पुकार हैं-इस कथन के आलोक में कला के वर्तमान और भविष्य पर विचार कीजिए।

उत्तर-

लेखक का यह कथन अक्षरश: सही है। जो व्यक्ति इस कला को सीखना चाहते हैं, उन्हें व्यावसायिकता छोड़नी होती है। व्यवसाय में व्यक्ति अपनी इच्छा से अभिव्यक्ति नहीं कर सकता। वह धन के लालच में कला के तमाम नियम तोड़ देता है तथा ग्राहक की इच्छानुसार कार्य करता है। उसकी रचनाओं में भी गहराई नहीं होती। ऐसे लोगों का भविष्य कुछ नहीं होता। जो कलाकार मन व कर्म से इस कला में काम करते हैं, वे अमर हो जाते हैं। उनकी कृतियाँ कालजयी होती हैं; उन्हें पैसे की कमी भी नहीं रहती, क्योंकि उच्च स्तर की रचनाएँ बहुत महँगी मिलती हैं। वर्तमान दौर में भी चित्रकला का भविष्य उज्ज्वल है।

प्रश्न 3:

हमें लगता था कि हम पहाड़ हिला सकते हैं-आप किन क्षणों में ऐसा सोचते हैं?

उत्तर-

जब व्यक्ति में कुछ करने की क्षमता व उत्साह होता है तब वह कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाता है। मेरे अंदर इतना आत्मविश्वास तब आता है जब कोई समस्या आती है। मैं उस पर गंभीरता से विचार करता हूँ तथा उसका सर्वमान्य हल निकालने की कोशिश करता हूँ। ऐसे समय में मैं अपने मित्रों व सहयोगियों का साथ लेता हूँ। समस्या के शीघ्र हल होने पर हमें लगता है कि हम कोई भी कार्य कर सकते हैं।

प्रश्न 4:

राजा रवि वर्मा, मकबूल फिदा हुसैन, अमृता शेरगिल के प्रसिदध चित्रों का एक अलबम बनाइए। सहायता के लिए इंटरनेट या किसी आर्टगैलरी से संपर्क करें।

उत्तर-

विद्यार्थी स्वयं करें।

भाषा की बात

प्रश्न 1:

जब तक मैं बबई पहुँचा, तब तक जे जे. स्कूल में दाखिला बद हो चुका था-इस वाक्य को हम दूसरे तरीके से भी कह सकते हैं। मेरे बबई पहुँचने से पहले जे जे स्कूल में दाखिला बद हो चुका था। -नीचे दिए गए वाक्यों को दूसरे तरीके से लिखिए-

(क) जब तक मैं प्लेटफॉर्म पहुँचती तब तक गाड़ी जा चुकी थी।

(ख) जब तक डॉक्टर हवेली पहुँचता तब तक सेठ जी की मृत्यु हो चुकी थी।

(ग) जब तक रोहित दरवाजा बंद करता तब तक उसके साथी होली का रंग लेकर अंदर आ चुके थे।

(घ) जब तक रुचि कैनवास हटाती तब तक बारिश शुरू हो चुकी थी।

उत्तर-

(क) मेरे प्लेटफॉर्म पर पहुँचने से पहले गाड़ी जा चुकी थी।

(ख) डॉक्टर के हवेली पहुँचने से पहले सेठ जी की मृत्यु हो चुकी थी।

(ग) रोहित के दरवाजा बंद करने से पहले उसके साथी होली का रंग लेकर अंदर आ चुके थे।

(घ) रुचि के कैनवास हटाने से पहले बारिश शुरू हो चुकी थी।

प्रश्न 2:

‘आत्मा का ताप’ पाठ में कई शब्द ऐसे आए हैं जिनमें ऑ का इस्तेमाल हुआ है; जैसे-ऑफ, ब्लॉक, नॉर्मल। नीचे दिए गए शब्दों में यदि ऑ का इस्तेमाल किया जाए तो शब्द के अर्थ में क्या परिवर्तन आएगा? दोनों शब्दों का वाक्य-प्रयोग करते हुए अर्थ के अंतर को स्पष्ट कीजिए

हाल, काफी, बाल

उत्तर-

हाल-दशा-मोहन का हाल खराब है।

हॉल-बड़ा कमरा-हमारे स्कूल के हॉल में प्रदर्शनी लगी है।

काफी-पर्याप्त-मेरे लिए इतना खाना काफी है।

कॉफी-सर्दियों में पिया जाने वाला एक पेय-सुमन, मेरे लिए एक कप कॉफी बना देना।

बाल-केश-सुंदरमती के बाल बहुत चमकीले व बड़े हैं।

बॉल-गेंद-सचिन ने हर बॉल पर रन लिए।

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