NCERT Notes For Class 11 History Chapter 8 In Hindi संस्कृतियों का टकराव

Class 11 History Chapter 8 In Hindi संस्कृतियों का टकराव

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NCERT Notes For Class 11 History Chapter 8 In Hindi संस्कृतियों का टकराव

 

इस में पंद्रहवीं से सत्रहवीं शताब्दियों के दौरान यूरोपवासियों और उत्तरी तथा दक्षिणी अमरीका के मूल निवासियों के बीच हुए संघर्ष के कुछ पहलुओं पर विचार किया जाएगा ।

स्रोत

  • यात्रियों की पांडुलिपियां, लॉगबुक और डायरियां।
  • आधिकारिक रिकॉर्ड, स्मारक, फोटोग्राफ इत्यादि।

उत्तरी व दक्षिणी अमरीका की संस्कृतियों

उत्तरी व दक्षिणी अमरीका में दो तरह की संस्कृतियों के लोग रहते थे

  • कैरीबियन क्षेत्र तथा ब्राजील में छोटी निर्वाह अर्थव्यवस्थाएं ( subsistence economy ) थीं ।
  • विकसित खेती और खनन पर आधारित शक्तिशाली राजतांत्रिक व्यवस्थाएँ थीं । मैक्सिको और मध्य अमरीका के एजटेक और माया समुदाय और पेरू के इंका समुदाय के समान यहाँ भव्य वास्तुकला थी ।

 

कैरीबियन द्वीपसमूह और ब्राजील के जन समुदाय

आर्थिक जीवन

  • अरावाकी लुकायो ( बहामा ( Bahamas ) )समुदाय के लोग कैरीबियन सागर में रहते थे ।
  • अरावाक लोग ऐसे थे , जो लड़ने की बजाय बातचीत से झगड़ा निपटाना अधिक पसंद करते थे ।
  • वे कुशल नौका – निर्माता थे और डोंगियों खुले समुद्र में यात्रा करते थे ।
  • वे खेती , शिकार और मछली पकड़कर अपना जीवन निर्वाह करते थे ।
  • खेती में वे मक्का , मीठे आलू और अन्य किस्म के कंद – मूल और कसावा उगाते थे ।

सामाजिक धार्मिक जीवन

  • अरावाक संस्कृति के लोगों का मुख्य सांस्कृतिक मूल्याधार यह था कि वे सब एक साथ मिलकर खाद्य उत्पादन करें और समुदाय के प्रत्येक सदस्य को भोजन प्राप्त हो ।
  • वे अपने वंश के बुजुगों के अधीन संगठित रहते थे ।
  • उनमें बहुविवाह प्रथा प्रचलित थी ।
  • वे जीववादी ( Animists ) थे ।
  • अरावाक समाज में शमन लोग ( Shamans ) कष्ट निवारकों और इहलोक तथा परलोक के बीच मध्यस्थों के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते थे ।

सांस्कृतिक जीवन

  • अरावाक लोग सोने के गहने पहनते थे पर यूरोपवासियों की तरह सोने को उतना महत्त्व नहीं देते थे ।
  • उन्हें काँच का मनका ज्यादा सुंदर दिखाई देता था ।
  • उनमें बुनाई की कला बहुत विकसित थी
  • अरावाकों का व्यवहार बहुत उदारतापूर्ण होता था
  • वहाँ न कोई राजा था , न सेना और न ही कोई चर्च था जो उनकी ज़िंदगी को नियंत्रित कर सके ।

राजनीतिक जीवन

  • वहाँ न कोई राजा था ,
  • न सेना और
  • न ही कोई चर्च था जो उनकी ज़िंदगी को नियंत्रित कर सके ।

‘ तुपिनांबा ‘ ( Tupinamba ) कहे जाने वाले लोग दक्षिणी अमरीका के पूर्वी समुद्र तट पर और ब्राज़ील नामक पेड़ों के जंगलों में बसे हुए गाँवों में रहते थे ( ब्राज़ील पेड़ के नाम पर ही इस प्रदेश का नाम ब्राज़ील पड़ा ) ।

  • वे खेती के लिए घने जंगलों का सफाया नहीं कर सके क्योंकि पेड़ काटने का कुल्हाड़ा बनाने के लिए उनके पास लोहा नहीं था । लेकिन उन्हें बहुतायत से फल , सब्जियाँ और मछलियाँ मिल जाती थीं जिससे उन्हें खेती पर निर्भर नहीं होना पड़ा ।

 

मध्य और दक्षिणी अमरीका की राज्य व्यवस्थाएँ

  • मध्य अमरीका में कुछ अत्यंत सुगठित राज्य थे ।
  • वहाँ मक्के की उपज उनकी आवश्यकता से अधिक होती थी
  • इन शहरों की भव्य वास्तुकला के अवशेष आज भी आगंतुकों को मुग्ध कर देते हैं ।

 

एजटेक जन

बारहवीं शताब्दी में एज़टेक लोग उत्तर से आकर मेक्सिको की मध्यवर्ती घाटी में बस गए थे ।

( इस घाटी का यह नाम उनके मेक्सिली ( mexitli ) नामक देवता के नाम पर पड़ा था । )

  • एज़टेक समाज श्रेणीबद्ध था अभिजात वर्ग में वे लोग थे जो उच्च कुलोत्पन्न , पुरोहित थे अथवा जिन्हें बाद में यह प्रतिष्ठा प्रदान कर दी गई थी ।
  • पुश्तैनी अभिजातों की संख्या बहुत कम थी और वे सरकार सेना तथा पौरोहित्य कर्म में ऊँचे पदों पर आसीन थे ।
  • अभिजात लोग अपने में से एक सर्वोच्च नेता चुनते थे जो आजीवन शासक बना रहता था ।
  • राजा पृथ्वी पर सूर्य देवता का प्रतिनिधि माना जाता था ।
  • योद्धा पुरोहित और अभिजात वर्गों को सबसे अधिक सम्मान दिया जाता था
  • प्रतिभाशाली शिल्पियों , चिकित्सकों और विशिष्ट अध्यापकों को भी आदर की दृष्टि से देखा जाता था ।
  • एज़टेक लोगों के पास भूमि की कमी थी इसलिए उन्होंने भूमि उद्धार ( reclamation . जल में से जमीन लेकर इस कमी को पूरा करना ) किया ।
  • उन्होंने मैक्सिको झील में कृत्रिम टापू बनाये , जिन्हें चिनाम्पा ( Chinampas ) कहते थे ।
  • बीच नहरें बनाई गईं
  • 1325 में एज़टेक राजधानी टेनोक्टिटलान ( Tenochtitlan ) का निर्माण किया गया ,
  • सर्वाधिक भव्य मंदिर युद्ध के देवताओं और सूर्य भगवान को समर्पित थे ।
  • साम्राज्य ग्रामीण आधार पर टिका हुआ था ।
  • लोग मक्का , फलियाँ , कुम्हड़ा , कद्दू , कसावा , आलू और अन्य फसलें उगाते थे ।
  • खेतिहर लोग अभिजातों की जमीनों से जुड़े रहते थे
  • गरीब लोग कभी – कभी अपने बच्चों को भी गुलामों के रूप में बेच देते थे ; लेकिन यह बिक्री आमतौर पर कुछ वर्षों के लिए ही की जाती थी
  • और गुलाम आजादी फिर से खरीद सकते थे ।
  • सभी कुलीन वर्ग के बच्चे कालमेकाक ( Calmecac ) में भर्ती किए जाते थे जहाँ उन्हें सेना अधिकारी और धार्मिक नेता बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था ।
  • बाकी सारे बच्चे पड़ोस के तेपोकल्ली स्कूल ( tepochcalli ) में पढ़ते थे जहाँ उन्हें इतिहास , पुराण- मिथकों धर्म और उत्सवी गीतों की शिक्षा दी जाती थी ।
  • लड़कों को सैन्य प्रशिक्षण , खेती और व्यापार करना सिखाया जाता था और लड़कियों को घरेलू काम – धंधों में कुशलता प्रदान की जाती थी ।
  • सोलहवीं शताब्दी के शुरू के सालों में , एज़टेक साम्राज्य में अस्थिरता के लक्षण दिखाई देने लगे ।
  • यह स्थिति हाल ही में जीते गए लोगों में उत्पन्न असंतोष के कारण पैदा हुई , जो केंद्रीय नियंत्रण से मुक्त होने के अवसर खोजने लगे ।

 

माया (11 से 16वीं शताब्दी)

माया संस्कृति मेक्सिको, मध्य अमेरिका में विकसित हुई।

  • माया लोगों के पास राजनीतिक शक्ति एज़टेक लोगों की अपेक्षा कम थी ।
  • मक्के की खेती उनकी सभ्यता का मुख्य आधार थी
  • उनके अनेक धार्मिक क्रियाकलाप एवं उत्सव मक्का बोने , उगाने और काटने से जुड़े होते थे ।
  • खेती करने के तरीके उन्नत और कुशलतापूर्ण थे , जिनके कारण खेतों में बेशुमार पैदावार होती थी ।
  • इससे शासक वर्ग , पुरोहितों और प्रधानों को एक उन्नत संस्कृति का विकास करने में सहायता मिली जिसके अंतर्गत वास्तुकला , खगोल विज्ञान और गणित जैसे विषयों की अभिव्यक्ति हुई ।
  • माया लोगों के पास अपनी एक चित्रात्मक लिपि थी ।

 

पेरू के इंका लोग (बारहवीं शताब्दी)

दक्षिणी अमरीकी देशज संस्कृतियों में से सबसे बड़ी पेरू में क्वेचुआ ( Quechuas ) या इंका ( Inca ) लोगों की संस्कृति थी ।

  • प्रथम इंका शासक मैंको कपाक ( Manco Capac ) ने कुज़को ( Cuzco ) में अपनी राजधानी स्थापित की थी ।
  • नौवें इंका शासक के काल में राज्य का विस्तार शुरू हुआ
  • इंका साम्राज्य इक्वेडोर से चिली तक 3000 मील में फैल गया ।
  • साम्राज्य अत्यंत केंद्रीकृत था ।
  • राजा में ही संपूर्ण शक्ति निहित थी और वह ही सत्ता का उच्चतम स्रोत था ।
  • प्रत्येक प्रजाजन को प्रशासन की भाषा क्वेचुआ ( Quechua ) बोलनी पड़ती थी ।
  • प्रत्येक कबीला स्वतंत्र रूप से वरिष्ठों की एक सभा द्वारा शासित होता था , लेकिन पूरा कबीला अपने आप में शासक के प्रति निष्ठावान था ।
  • स्थानीय शासकों को उनके सैनिक सहयोग के लिए पुरस्कृत किया जाता था ।
  • एज़टेक लोगों की तरह इंका भी उच्चकोटि के भवन निर्माता थे ।
  • उन्होंने पहाड़ों के बीच इक्वेडोर से चिली तक अनेक सड़कें बनाई थीं ।
  • उनके किले शिलापट्टियों को इतनी बारीकी से तराश कर बनाए जाते थे कि उन्हें जोड़ने के लिए गारे जैसी सामग्री की जरूरत नहीं होती थी ।
  • राज मिस्त्री खंडों को सुंदर रूप देने के लिए शल्क पद्धति ( फ्लेकिंग ) का प्रयोग करते थे जो प्रभावकारी होने के साथ – साथ सरल होती थी ।
  • उनके पास इतने बड़े शिलाखंडों को ढोने के लिए पहियेदार गाड़ियाँ नहीं थीं ।
  • इंका सभ्यता का आधार कृषि था ।
  • उनके यहाँ जमीन खेती के लिए बहुत उपजाऊ नहीं थी इसलिए उन्होंने पहाड़ी इलाकों में सीढ़ीदार खेत बनाए
  • और जल निकासी तथा सिंचाई की प्रणालियाँ विकसित कीं ।
  • इंका लोग मक्का और आलू उगाते थे
  • उन्होंने लेखन की किसी प्रणाली का विकास नहीं किया ।
  • किंतु उनके पास हिसाब लगाने की एक प्रणाली अवश्य थी यह थी
  • क्विपु ( Quipu ) , यानी डोरियों पर गाँठें लगाकर गणितीय इकाइयों का हिसाब रखना ।

 

यूरोपवासियों की खोज यात्राएँ

  • सन् 1380 में कुतबनुमा यानी दिशासूचक यंत्र का आविष्कार हो चुका था
  • जिससे यात्रियों को खुले समुद्र में दिशाओं की सही जानकारी लेने में सहायता मिल सकती थी
  • बहुत बड़े जहाजों का निर्माण होने लगा था , जो विशाल मात्रा में माल की ढुलाई करते थे
  • पूरी पंद्रहवीं सदी के दौरान यात्रा वृत्तांतों और सृष्टि – वर्णन तथा भूगोल की पुस्तकों के प्रसार ने लोगों में व्यापक रुचि उत्पन्न की ।
  • 14 वीं शताब्दी के मध्य से 15 वीं शताब्दी के मध्य तक यूरोप की अर्थव्यवस्था गिरावट के दौर से गुजर रही थी ।
  • प्लेग और युद्धों ने यूरोप के अनेक भागों में आबादी को उजाड़ दिया , व्यापार में मंदी आती गई और वहाँ सोने तथा चाँदी की कमी आ गई , जो कि उन दिनों यूरोप में सिक्के बनाने के काम आती थी ।
  • 14 वीं शताब्दी के बाद के दशकों में लंबी दूरी के व्यापार में गिरावट आ गई और 1453 में तुर्कों द्वारा कुंस्तुनतुनिया ( Constantinople ) की विजय के बाद तो वह और भी मुश्किल हो गया ।
  • तुर्कों के साथ व्यवसाय पर उन्हें व्यापार पर अधिक कर देना पड़ता था ।
  • बाहरी दुनिया के लोगों को ईसाई बनाने की संभावना ने भी यूरोप के धर्मपरायण ईसाइयों को इन साहसिक कार्यों की ओर उन्मुख किया ।
  • पुर्तगाल के राजकुमार हेनरी जो नाविक ( Navigator ) के नाम से मशहूर था , हेनरी ने कई अभियान आयोजित किए
  • स्पेन में आर्थिक कारणों ने लोगों को महासागरी शूरवीर ( Knights of the ocean ) बनने के लिए प्रोत्साहित किया ।
  • स्पेन का शासक नए जीते हुए इलाकों पर अपनी प्रभुसत्ता जमा लेता था
  • अभियान के नेताओं को उपाधियों से सम्मानित किया गया और जीते गए देशों शासनाधिकार देता था ।

 

अटलांटिक पारगमन

  • क्रिस्टोफर कोलंबस एक स्वयं – शिक्षित व्यक्ति था , लेकिन उसमें साहसिक कार्य करने और नाम कमाने की उत्कट इच्छा थी ।
  • सौभाग्य से स्पेन के प्राधिकारियों ने उसकी एक साधारण – सी योजना स्वीकार कर ली और वह उसे पूरा करने के लिए 3 अगस्त 1492 को पालोस के पत्तन से अपने अभियान पर जहाज द्वारा रवाना हो गया ।
  • उनका बेड़ा छोटा – सा था जिसमें सांता मारिया नाम की एक छोटी नाओ ( Nao ) और दो कैरेवल ( Caravel , छोटे हलके जहाज ) ‘ पिंटा ‘ और ‘ नीना ‘ थे ।
  • सांता मारिया की कमान स्वयं कोलंबस के हाथों में थी । उसमें 40 कुशल नाविक थे ।
  • बेड़े के नाविकों का अरावाक लोगों ने स्वागत किया । अरावाक लोगों ने अपना खाने – पीने का सामान नाविकों के साथ मिल – बाँटकर खाया
  • कोलंबस ने गुआनाहानि में स्पेन का झंडा गाड़ दिया ( उन्होंने सोचा कि यह भारत था )
  • स्थानीय लोगों से बिना पूछे ही अपने – आपको वाइसराय घोषित कर दिया ।
  • उसने बड़े द्वीपसमूह क्यूबानास्कैन ( Cubanascan क्यूबा , जिसे उसने जापान समझा था ) और किस्केया ( नया नाम हिस्पानिओला , Hispaniola ) तक आगे बढ़ने के लिए इन स्थानीय लोगों का सहयोग प्राप्त किया ।
  • कोलंबस और उसके साथी का उनका यह अभियान दुर्घटनाओं में फँस गया और खुख़ार ‘ कैरिब ‘ ( Carib ) कबीलों की प्रचंडता का भी उन्हें सामना करना पड़ा ।
  • वापसी यात्रा अधिक कठिन साबित हुई क्योंकि जहाजों को दीमक लग गई थी और नाविकों को थकान व घर की याद सताने लगी थी ।
  • इस संपूर्ण यात्रा में कुल 32 सप्ताह लगे ।

कोलंबस की उपलब्धियां

  • कोलंबस की विशेष उपलब्धि यह रही कि उसने अनंत समुद्र की सीमाएँ खोज निकाली
  • और यह करके दिखा दिया कि यदि पाँच सप्ताहों तक व्यापारिक हवाओं के साथ – साथ यात्रा की जाए तो पृथ्वी के गोले के दूसरी ओर पहुँचा जा सकता है ।

अक्सर जगहों को उन्हें खोजने वालों के अनुसार नाम दिया जाता है , इसलिए यह एक अजीब बात है कि कोलंबस की स्मृति में समस्त अमरीका महाद्वीप को नहीं बल्कि संयुक्त राज्य अमरीका के एक छोटे से जिले में और दक्षिणी अमरीका के पश्मिोत्तर भाग में स्थित एक देश ( कोलंबिया ) का नामकरण किया गया है जबकि वह उन दोनों इलाकों में से किसी एक में भी नहीं गया था ।

  • उसके द्वारा खोजे गए दो महाद्वीपों उत्तरी और दक्षिणी अमरीका का नामकरण एक भूगोलवेत्ता ‘ अमेरिगो वेस्पुस्सी ” ( Amerigo Vespucci ) के नाम पर किया गया , जिसने उनके विस्तार का अनुभव किया और उन्हें ‘ नयी दुनिया ‘ ( New world ) के नाम से संबोधित किया ।
  • अमरीका ‘ ( America ) नाम का प्रयोग सर्वप्रथम एक जर्मन प्रकाशक द्वारा 1507 में किया गया ।

 

अमरीका में स्पेन के साम्राज्य की स्थापना

  • स्पेनी साम्राज्य का विस्तार बारूद और घोड़ों के इस्तेमाल पर आधारित सैन्य शक्ति की बदौलत हुआ ।
  • स्थानीय लोगों को या नज़राना देना पड़ता था या फिर सोने व चाँदी की खानों में काम करना पड़ता था
  • स्पेनी लोग लालची थे सोने के लालच से गंभीर हिंसक घटनाएँ भड़कीं , जिनका स्थानीय लोगों ने प्रतिरोध किया ।
  • सैनिक दमन और बेगार का तांडव हो रहा था तभी महामारी की विनाश लीला ने नया मोर्चा खोल दिया ।
  • चेचक ने अरावाक लोगों पर कहर ढाह दिया , क्योंकि उनमें प्रतिरोध क्षमता नहीं थी ।
  • स्थानीय लोग ये मानते थे कि इन बीमारियों का कारण स्पेनियों द्वारा चलाई जाने वाली ‘ अदृश्य ‘ गोलियाँ थीं ।

 

कोर्टेस और एजटेक लोग

  • कोटेंस और उसके सैनिकों ने मैक्सिको को रौंदते हुए उसे चुटकियों में जीत लिया ।
  • 1519 में कोर्टस क्यूबा से मैक्सिको आया था
  • जहाँ उसने टॉटानैक ( Totonacs ) समुदाय दोस्ती कर ली ।
  • टॉटानैक लोग एज़टेक शासन से अलग होना चाहते थे ।
  • एज़टेक शासक मोंटेजुमा ने कोर्टेस से मिलने के लिए अपना एक अधिकारी भेजा ।
  • वह स्पेनवासियों की आक्रमण क्षमता , उनके बारूद और घोड़ों के प्रयोग को देखकर घबरा गया ।
  • स्वयं मोंटेजुमा को भी यह पक्का विश्वास हो गया कि कोटेंस सचमुच किसी निर्वासित देवता का अवतार है जो अपना बदला लेने के लिए फिर से प्रकट हुआ है ।
  • वे टेनोक्टिटलैन ( Tenochtitlan ) की ओर बढ़े जहाँ वे 8 नवंबर 1519 को पहुँच गए ।
  • मोंटेज़ुमा अपनी जगह पर बंदी बन गया और कोर्टेस ने महीनों तक उसके ऊपर शासन किया।
  • कोर्टेस ने एजटेक मंदिरों में ईसाई प्रतिमाएँ स्थापित करवाई ।
  • इसी समय कोर्टेस को अपने सहायक ऐल्वारैडो ( Alvarado ) को सब कुछ सौंपकर जल्दी से क्यूवा लौटना पड़ा ।
  • स्पेनी शासन के अत्याचारों से और सोने के लिए उनकी निरन्तर माँगों के दबाव के कारण , आम जनता ने विद्रोह कर दिया
  • ऐल्वारैडो ने हुइजिलपोक्टली ( Huizilpochtli ) के वसंतोत्सव में कत्लेआम का हुक्म दे दिया ।
  • रहस्यमय परिस्थितियों में मोंटेजुमा की मृत्यु हो गई ।
  • कोर्टेस को नवनिर्वाचित राजा क्वेटेमोक ( Cuatemoc ) के विरुद्ध अपनी रणनीति की योजना बनाने के लिए वापस ट्लैक्सकलान में शरण लेनी पड़ी ।
  • अपशकुनों ने एज़टेकों को बता दिया कि उनका अंत दूर नहीं है । इसे वास्तविकता समझकर , सम्राट ने अपना जीवन त्याग देना ही ठीक समझा ।
  • एजटेक साम्राज्य का पतन न्यू स्पेन के निर्माण में महत्वपूर्ण घटना थी, जिसे बाद में मेक्सिको के नाम से जाना गया।
  • कोर्टेस मेक्सिको में ‘ न्यू स्पेन ‘ का कैप्टेन – जनरल बन गया

 

पिज़ारो और इंका

  • पिज़ारो ( Pizarro ) गरीब और अनपढ़ था ।
  • वह सेना में भर्ती होकर 1502 में कैरीबियन द्वीपसमूह में आया था ।
  • उसने कहानियों में इंका राज्य के बारे में यह सुन रखा था वह चाँदी और सोने का देश है ।
  • उसने प्रशांत से वहाँ पहुँचने के लिए कई प्रयत्न किए ।
  • स्पेन के राजा ने पिज़ारों को यह वचन दे दिया कि अगर वह इंका प्रदेश को जीत लेगा तो उसे वहाँ का राज्यपाल ( गवर्नर ) बना दिया जाएगा
  • 1n 1532, पिजारो इंका भूमि पर पहुंचा और राजा अतहुल्पा पर कब्जा कर लिया ।
  • राजा ने अपने आप को मुक्त कराने के लिए एक कमरा भर सोना फिरौती में देने का प्रस्ताव किया-
  • लेकिन पिज़ारो ने अपना वचन नहीं निभाया ।
  • उसने राजा का वध करवा दिया ।
  • और उसके सैनिकों ने जी भरकर लूटमार मचाई लूटपाट के बाद इंका राज्य क्षेत्र पर कब्जा कर लिया गया ।

 

कैब्राल और ब्राज़ील

  • ब्राजील की खोज कैब्राल ने 1500 में की थी।
  • 1534 में पुर्तगाल के राजा ने ब्राजील के तट को 14 आनुवंशिक कप्तानियों ( Captaincies ) में बाँट दिया ।
  • उनके मालिकाना हक उन पुर्तगालियों को सौंप दिए जो वहाँ स्थायी रूप से रहना चाहते थे और उन्हें स्थानीय लोगों को गुलाम बनाने का अधिकार भी दे दिया ।
  • 1540 के दशक में पुर्तगालियों ने बड़े – बड़े बागानों में गन्ना उगाना और चीनी बनाने के लिए मिलें चलाना शुरू कर दिया । यह चीनी यूरोप के बाजारों में बेची जाती थी ।
  • 1549 में पुर्तगाली राजा के अधीन एक औपचारिक सरकार स्थापित की गई और बहिया ( Bahia ) / सैल्वाडोर ( Salvador ) को उसकी राजधानी बनाया गया ।
  • इस समय जेसुइट पादरियों को पसंद नहीं करते थे , वे गाँवों में रहते हुए यह सिखाते थे कि ईसाई धर्म एक आनंददायक धर्म है । ये धर्मप्रचारक दासप्रथा की कड़े शब्दों में आलोचना करते थे ।

 

यात्राओं के परिणाम

विजय , उपनिवेश और दास व्यापार

  • जो अभियान अनिश्चित परिणाम वाली समुद्री यात्राओं के रूप में शुरू हुए थे , आगे चलकर उनका यूरोप , उत्तरी तथा दक्षिणी अमरीका और अफ्रीका पर स्थायी प्रभाव पड़ा ।
  • पंद्रहवीं शताब्दी में समुद्री परियोजनाओं ने एक महासागर से दूसरे महासागर तक के ‘ अटूट समुद्री मार्ग खोल दिए ।
  • सोने – चाँदी की बाढ़ ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और औद्योगीकरण का और अधिक विस्तार किया ।
  • स्पेन और पुर्तगाल की उतना नहीं मिला ।
  • इंग्लैंड , फ्रांस , बेल्जियम और हॉलैंड , ने इन ‘ खोजों ‘ का लाभ उठाया ।
  • सौदागरों ने बड़ी बड़ी संयुक्त पूंजी कंपनियाँ बनाई और अपने बड़े – बड़े व्यापारिक अभियान चलाए ,
  • उपनिवेश स्थापित किए और यूरोपवासियों को नयी दुनिया में पैदा होने वाली नयी – नयी चीजों ; जैसे- तंबाकू , आलू , गन्ने की चीनी , ककाओ और रबड़ आदि से परिचित कराया ।
  • उत्तरी तथा दक्षिणी अमरीका के मूल निवासियों के लिए इन अभियानों के अनेक तात्कालिक परिणाम हुए
  • ; जैसे मार काट के कारण मूल निवासियों की जनसंख्या कम हो गई ; उनकी जीवन – शैली का विनाश हो गया और उन्हें गुलाम बनाकर खानों , बागानों और कारखानों में उनसे काम लिया जाने लगा ।

दक्षिण अमेरिका में दास प्रथा को समाप्त करने के लिए किए गए प्रयास

  • वैसे गुलाम बनाना कोई नयी बात नहीं थी परंतु दक्षिणी अमरीका का अनुभव नया था कि इसके साथ – साथ वहाँ उत्पादन की पूँजीवादी प्रणाली का प्रादुर्भाव हो गया ।
  • काम की परिस्थितियाँ भयावह थीं लेकिन स्पेनी मालिकों का मानना था कि उनके आर्थिक लाभ के लिए इस प्रकार का शोषण अत्यंत आवश्यक है ।
  • 1601 में , स्पेन के फिलिप द्वितीय ने सार्वजनिक रूप से बेगार की प्रथा पर रोक लगा दी
  • 1609 में एक कानून बनाया गया जिसके अंतर्गत ईसाई और गैर – ईसाई , सभी प्रकार के स्थानीय पूरी स्वतंत्रता दे दी गई ।
  • दो साल के भीतर ही राजा को यह कानून हटाने के लिए मजबूर कर दिया ।
  • अफ़्रीकी गुलामों का आयात किया गया ।
  • यूरोपवासियों के अफ्रीका में आने से पहले भी वहाँ दास प्रथा मौजूद थी ।
  • यूरोपीय व्यापारियों को जवान स्त्री – पुरुषों को गुलाम बनाने में अफ़्रीकी लोगों से भी मदद मिलती थी ।
  • ये व्यापारी बदले में उन अफ़्रीकावासियों को दक्षिणी अमरीका से आयात की गई फसलें देते थे ।
  • पुस्तक कैपिटलिज्म एंड स्लेवरी ( Capitalism and Slavery ) में अफ़्रीकी गुलामों द्वारा सही गई तकलीफों का फिर से जायजा लेने की पहल की थी ।

दक्षिणी अमरीका को ‘ लैटिन अमरीका ” भी कहा जाता है

  • स्पेनिश और पुर्तगाली भाषाएं महाद्वीप की मुख्य भाषा हैं ।
  • स्पेनी और पुर्तगाली दोनों भाषाएँ लैटिन भाषा परिवार की ही हैं ।
  • वहाँ के निवासी अधिकतर देशज यूरोपीय ( जिन्हें ‘ क्रिओल ‘ Creole , कहा जाता था ) , यूरोपीय और अफ़्रीकी मूल के हैं ।
  • उनमें से अधिकांश लोग + कैथलिक धर्मावलंबी हैं ।
  • उनकी संस्कृति में यूरोपीय परंपराओं के साथ मिली हुई देशी परंपराओं के तत्त्व विद्यमान हैं ।

डोना मैरीना

बर्नार्ड डियाज़ डेल कैस्टिलो ( Bernard Diaz del Castillo , 1495-1584 ) ने अपने ट्रू हिस्ट्री ऑफ मैक्सिकों में लिखा है कि टैबैस्को ( Tabasco ) के लोगों ने कोर्टेस को डोना मैरीना नाम की एक सहायिका दी थी । वह तीन भाषाओं में प्रवीण थी और उसने कोर्टेस के लिए दुभाषिये के रूप में बहुत निर्णायक भूमिका अदा की । ” यह हमारी जीतों की जोरदार शुरुआत थी और डोना मैरीना की सहायता के बिना हम न्यू स्पेन और मैक्सिको की भाषा नहीं समझ सकते थे । ” डियाज सोचता था कि वह एक राजकुमारी थी लेकिन मैक्सिकन लोग उसे ‘ मालिंच ‘ , यानी विश्वासघातिनी कहते थे । मालिंचिस्टा ( Malinchista ) का अर्थ है वह व्यक्ति जो दूसरों की भाषा और कपड़े की हू – ब – हू नकल करता है ।

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