NCERT Solutions of Hindi for Class 11 Chapter 1 प्रेमचंद

Class 11 Chapter 1 प्रेमचंद

NCERT Solutions of Hindi for Class 11 Chapter 1 प्रेमचंद , (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है । के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है । छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल ।

कई बारछात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं  छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिएहमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी 

NCERT Solutions of Hindi for Class 11 Chapter 1 प्रेमचंद

Class 11 Chapter 1 प्रेमचंद

Question 1:

‘ईदगाह’ कहानी के उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए जिनसे ईद के अवसर पर ग्रामीण परिवेश का उल्लास प्रकट होता है।

ANSWER:

इस प्रसंग में ईद के अवसर पर ग्रामीण परिवेश का उल्लास प्रकट होता है-

रमज़ान के पूरे तीस रोज़ों के बाद ईद आई है। कितना मनोहर, कितना सुहावना प्रभात है। वृक्षों पर कुछ अजीब हरियाली है, खेतों में कुछ अजीब रौनक है, आसमान पर कुछ अजीब लालिमा है। आज का सूर्य देखो, कितना प्यारा, कितना शीतल है मानो संसार को ईद की बधाई दे रहा है। गाँव में कितनी हलचल है। ईदगाद जाने की तैयारियाँ हो रही हैं। किसी के कुरते में बटन नहीं है, पड़ोस के घर से सुई-तागा लेने दौड़ा जा रहा है। किसी के जूते कड़े हो गए है, उनमें तेल डालने के लिए तेली के घर भागा जाता है। जल्दी-जल्दी बैलों को सानी-पानी दे दें। ईदगाह से लौटते-लौटते दोपहर हो जाएगी।

रोज़ ईद का नाम रटते थे आज वह आ गई। अब जल्दी पड़ी है कि लोग ईदगाह क्यों नहीं चलते। इन्हें गृहस्थी की चिंताओं से क्या प्रयोजन। सेवैयों के लिए दूध और शक्कर घर में है या नहीं, इनकी बला से, ये तो सेवैयाँ खाएँगे। वह क्या जानें कि अब्बाजान क्यों बदहवास चौधरी कायमअली के घर दौड़े जा रहे हैं। उन्हें क्या खबर की चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए। उनकी अपनी जेबों में तो कुबेर का धन भरा हुआ है। बार-बार जेब से अपना खज़ाना निकालकर गिनते हैं और खुश होकर फिर रख लेते हैं।

Question 2:

‘उसके अंदर प्रकाश है, बाहर आशा। विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए, हामिद की आनंद भरी चितवन उसका विध्वंस कर देगी।’- इस कथन के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि आशा का प्रकाश मनुष्य को विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।

ANSWER:

जीवन में आशा का प्रकाश सदैव फैला रहता है। आशा रूपी प्रकाश हमें निराशा के क्षणों से बाहर ले जाता है और हमें जीवन में आगे बढ़ाता है। कई बार ऐसी विषम परिस्थितियाँ सामने आ खड़ी होती हैं कि मनुष्य की सोचने-समझने की शक्ति समाप्त हो जाती है। ऐसे में आशा की किरण उसे विषम परिस्थतियों से बाहर निकाल लेती है। जो व्यक्ति निराशावादी है, वह आगे नहीं बढ़ सकता है। वह हार मान जाता है और लड़ना छोड़ देता है। मगर जिस मनुष्य ने आशा का दामन थाम लिया है, वह कभी हार नहीं मानता और निरंतर आगे बढ़ता चला जाता है। वह जानता है कि उसकी मेहनत रंग अवश्य दिखाएगी। बस यही आशावादी सोच उसे बाहर निकाल लेती है और वह जीवन में निरंतर प्रेरणा स्रोत पाता है। हामिद के माता-पिता उसके संग नहीं हैं। उसके पास यह आशा है कि एक दिन उसके माता-पिता अवश्य लौटकर आएँगे। यही किरण उसे सदैव प्रसन्न रखे हुए है। वह अभावों की जिंदगी जी रहा है मगर उससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। वह जानता है कि एक दिन उसके दिन अवश्य बदलेंगे। उसका यही विश्वास विपत्ति को उसके आगे घुटने टेकने पर विवश कर देता है।

Question 3:

‘उन्हें क्या खबर कि चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए।‘- इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।

ANSWER:

गाँव के सभी चौधरी से पैसे उधार लेते हैं। चौधरी से उधार लेकर ही उनके घर में त्यौहार मनाया जाता है। यदि चौधरी किसी बात पर नाराज़ हो जाए, तो उन्हें वह पैसे उधार देने से इनकार कर सकता है। उसकी नाराज़गी उनके त्योहार को नष्ट कर सकती है। घर में शोक का वातावरण छा सकता है। अतः चौधरी के इनकार को बताने के लिए लेखक ने यह कथन लिखा है कि चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए।

Question 4:

‘मानो भ्रातृत्व का एक सूत्र इन समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है।’ इस कथन के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है।’

ANSWER:

ईद में नमाज़ अदा करते हुए सभी लोग एक पंक्ति में बैठकर नमाज़ पढ़ रहे हैं। प्रत्येक पंक्ति के पीछे उसी तरह अन्य और पंक्तियाँ हैं। जब सभी नमाज़ पढ़ते हुए एक साथ झुकते और उठते हैं, तो लगता है कि मानो भ्रातृत्व का एक सूत्र समस्त आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है। नमाज पढ़ने का एक ही समय और तरीका सभी मनुष्यों को आपस में जोड़ देता है। वे एक साथ मिलकर प्रार्थना करते हैं। किसी के मन में किसी दूसरे को लेकर शत्रुता का भाव नहीं है। कोई किसी से नफरत नहीं करता, सबके मन अहंकार से रहित और श्रद्धा से युक्त हैं। सब उस समय भाई-भाई हो जाते हैं। इस आधार पर हम कह सकते हैं कि धर्म तोड़ता नहीं जोड़ता है। वह कभी किसी को लड़ने तथा शत्रुता रखने का संदेश नहीं देता है। उसकी हर रीति तथा उपदेश में मनुष्यों को आपस में जोड़े रखने का प्रयास किया जाता है।

Question 5:

‘ईदगाह’ कहानी के शीर्षक का औचित्य सिद्ध कीजिए। क्या इस कहानी को कोई अन्य शीर्षक दिया जा सकता है?

ANSWER:

प्रस्तुत पूरी कहानी ‘ईद’ तथा ‘ईदगाह’ के सम्मुख घूमती है। हामिद के गाँव में ईदगाह जाने का उल्लास बच्चे से लेकर बूढ़े तक के हृदय में है। सभी वहाँ जाने की तैयारी करते हैं। हामिद के गुणों पर प्रकाश ईदगाह में ही चलता है। अतः इस कहानी का नाम ईदगाह सही दिया गया है। वैसे इसका नाम ‘हामिद और उसकी दादी’ भी हो सकता था।

Question 6:

निम्नलिखित गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(क) कई बार यही क्रिया होती है …………. आत्माओं को एक लड़ी में पिरोए हुए है।
(ख) बुढ़िया का क्रोध ……… स्वाद से भरा हुआ।

ANSWER:

(क) प्रसंग- यह गद्यांश प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी ‘ईदगाह’ से लिया गया है। इस गद्यांश में सामूहिक रूप से नमाज़ अदा करने का दृश्य दिखाया गया है। लेखक ने नमाज अदा करने की प्रणाली का बड़े ही आकर्षक ढंग से वर्णन किया है।

व्याख्या- नमाज़ अदा करते समय एक साथ असंख्य लोग अपने सिर सिजदे में एक साथ झुकाते हैं। वे एक साथ खड़े होते हैं और फिर एक साथ झुक जाते हैं। सभी के द्वारा यह क्रिया कई बार दोहराई जाती है। इस क्रिया को देखकर लगता है मानो बिजली के बल्ब एक साथ जलते व बुझते हैं। उनकी यह क्रिया चलती रहती है। यह दृश्य बहुत ही मनोहर है। लोगों की एक साथ इस प्रकार की क्रिया मन को श्रद्धा और आनंद से भर देती है। यह क्रिया सभी के अंदर भाईचारे की भावना का निर्माण करती है। ऐसा लगता है मानो सभी मानवों की आत्माओं को एकता के धागे में ऐसे पिरो दिया गया है, जैसे माला के धागे में मोती के दाने को।

विशेष- 1. लेखक ने ईदगाह में नमाज़ अदा करने के दृश्य का वर्णन बहुत सुंदर किया है।

2.  रूपक तथा उपमा का प्रयोग अद्भुत है।

(ख) प्रसंग- यह गद्यांश प्रेमचंद द्वारा लिखित कहानी ‘ईदगाह’ से लिया गया है। इस गद्यांश में अमीना अपने पोते हामिद के हाथ में चिमटा देखकर हैरत और शोक में पड़ जाती है। एक छोटा-सा बच्चा खाने-खिलौने के लालच को छोड़कर उसके लिए एक चिमटा खरीद लाया है।

व्याख्या- दादी ने जब हामिद से चिमटा लाने का कारण पूछा, तो उसका जवाब बहुत ही मासूम और समझदारी भरा था। अपनी दादी के हाथों को रोटी सेकते समय जलने से बचाने के लिए वह चिमटा ले आया। दादी, हामिद की बातें सुनकर भावुक हो गई। यह बात सुनकर उसका सारा गुस्सा जाता रहा और वह स्नेह तथा ममता से भर गई। वह प्रसन्नता के कारण कुछ बोल नहीं पा रही है। वह बस हामिद को देखे जा रही है। दादी स्नेह रस से भर गई थी, जो मजबूत, स्वादिष्ट और रस से पूर्ण था। वे हैरान थी कि इतने छोटे बच्चे की भावना कितनी सत्य और समझदारी से युक्त है।

विशेष- 1. लेखक ने दादी के मनोभावों का सुंदर चित्रण किया है।
2.  गद्य की भाषा बहुत सरल है।

Question 7:

हामिद के चिमटे की उपयोगिता को सिद्ध करते हुए क्या-क्या तर्क दिए?

ANSWER:

हामिद ने चिमटे की उपयोगिता को सिद्ध करने के लिए निम्नलिखित तर्क दिए-
(क) खिलौने जल्दी नष्ट हो जाते हैं मगर चिमटे का कुछ नहीं बिगड़ेगा। यह चलता रहेगा।
(ख) दादी चिमटा देखकर उसको लाखों दुआएँ देगीं। उसे स्नेह से गले से लगा लेगीं और लोगों के पास उसकी तारीफ करेगीं।
(ग) गर्मी, सर्दी, बारिश इत्यादि में इसका कुछ नहीं बिगड़ेगा।
(घ) चिमटे का प्रयोग कई रूप में हो सकता है। यह खिलौने के रूप में, रोटियाँ सेकने के लिए तथा हाथ में मजीरे के समान प्रयोग में लाया जा सकता है।

Question 8:

गाँव से शहर जानेवाले रास्ते के मध्य पड़नेवाले स्थलों का ऐसा वर्णन लेखक ने किया है मानो आँखों के सामने चित्र उपस्थित हो रहा हो। अपने घर और विद्यालय के मध्य पड़नेवाले स्थानों का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए।

ANSWER:

मेरे घर और विद्यालय के मध्य 5 किलोमीटर का फासला है। मैं सरकारी कॉलोनी में रहता हूँ। ये दो मंजिला वाली छोटी इमारतों का समूह हैं। इसके मध्य में हमारे इलाके का मुख्य बाज़ार पड़ता है। हम अपने मकान की गली से निकलकर इस मुख्य बाज़ार की सड़क पर पहुँच जाते हैं। इसके दोनों ओर आमवाले तथा केलेवाले ठेला लगाकर बैठे रहते हैं। गली से दाँई और मुड़ने पर मुख्य सड़क आती है। इसकी एक ओर छोटे-छोटे ढाबे बने हुए हैं। जहाँ पर बाज़ार में काम करने वाले मज़दूर दोपहर के समय खाना खाने आते हैं। हम जब सुबह जाते हैं, तो यह सब सुनसान होता है। लेकिन विद्यालय से लौटते समय यहाँ पर बहुत भीड़ होती है। कुछ दूरी पर जाने पर हमें फिर दाँई और जाना पड़ता है, जिससे एक और मुख्य सड़क आती है। यह मुख्य सड़क बहुत लंबी है। इसके दोनों और सरकारी कॉलोनियों की कतारें हैं। इसी सड़क पर आगे चलकर बाँई और एक माता का गुलाबी रंग का मंदिर है। उस मंदिर के बाहर पानी का बरमा बना हुआ है। बच्चे प्रायः इसे चलाकर भाग जाते हैं। आगे चलने पर इसी सड़क के ऊपर एक बहुत बड़ा पुल बना हुआ है, जिस पर से  गड़ियाँ गुजकर जाती हैं। यहाँ पर दोनों ओर कचौरी तथा रसगुल्ले वाले साइकिल पर अपना सामान लेकर खड़े मिलते हैं। यहाँ पर छाया होती है। अतः यह स्थान उनके आराम से बैठने के लिए उचित है। उसके 100 कदमों की दूरी पर हमारा विद्यालय आता है। यही मेरे घर से विद्यालय तक का मार्ग है।

Question 9:

‘बच्चे हामिद ने बूढ़े हामिद का पार्ट खेला था। बुढ़िया अमीना बालिका अमाना बन गई।’ इस कथन में बूढ़े ‘हामिद’ और ‘बालिका अमीना’ से लेखक का क्या आशय है? स्पष्ट कीजिए।

ANSWER:

हामिद बहुत छोटा था। वह अन्य बच्चों के समान ही था। उसकी उम्र पैसे की अहमियत और घरवालों की जरूरतों को समझने की नहीं थी। उसने फिर भी यह समझा और उन पैसों को व्यर्थ में नष्ट नहीं किया। अपनी दादी के काम को सरल बनाने के लिए चिमटा खरीदा। प्रायः बच्चे खाने-पीने तथा खिलौने खरीदते समय पैसों की बर्बादी करते हैं। हामिद ने ऐसा नहीं किया। एक बड़े व्यक्ति के समान घर की ज़रूरत पर ही पैसा खर्च किया। तब वह एक बूढ़ा हामिद बन गया था। उसे अपनी ज़िम्मेदारियों का तथा घर की हालत के विषय में पता था। इधर दूसरी ओर अपने पोते द्वारा किए गए कार्य से दादी प्रसन्न हो गई। वह जहाँ दुखी थी, वहीं एक बच्चे के समान हैरान थी। अतः वह बच्चों के समान रोने लगी। वह भूल गई कि वह उम्र में हामिद से बहुत बड़ी है।

Question 10:

‘दामन फैलाकर हामिद को दुआएँ देती जाती थी और आँसू की बड़ी-बड़ी बूँदें गिराती जाती थी। हामिद इसका रहस्य क्या समझता!’ – लेखक के अनुसार हामिद अमीना की दुआओं और आँसुओं के रहस्य को क्यों नहीं समझ पाया? कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

ANSWER:

अमीना ने हामिद को उसके माता-पिता के संबंध में झूठ बोला था। हामिद को यही पता था कि उसके पिता व्यापार के लिए बाहर गए हैं तथा उसकी माँ अल्लाह मियाँ के यहाँ गई हैं। वहाँ से वह उसके लिए अच्छी चीज़ें लाने गई है। अतः जीवन के हर तंग हाल में वह यही तर्क देकर स्वयं को सतुंष्ट कर देता कि वे दोनों लौटकर आएँगे, तो वह भी अन्य बच्चों के समान मज़े से रहेगा। जब हामिद ने अमीना को चिमटा दिया, तो अमीना का दिल भर आया। वह उस बच्चे के उज्जवल भविष्य के लिए अल्लाह से दुआएँ करने लगी और रोने लगी। वह जानती थी कि हामिद के सिर से माता-पिता का साया हट गया है। यदि उसके माता-पिता होते, तो उसका भविष्य ऐसा नहीं होता। अतः वह अल्लाह से दुआएँ करने लगी और रोने लगी। यही कारण था कि हामिद इस रहस्य से अनजाना था।

Question 11:

हामिद के चरित्र की कोई तीन विशेषताएँ बताइए।

ANSWER:

हामिद के चरित्र में वैसे तो विशेषताएँ ही विशेषताएँ हैं परन्तु उसकी तीन विशेषताएँ बहुत विशेष हैं। वे इस प्रकार हैं-

(क) समझदार- हामिद अपनी उम्र के बच्चों से अधिक समझदार है। वह दादी के दिए पैसों को समझदारी से खर्च करता है। इसके अतिरिक्त जब उसके मित्रों द्वारा उसे चिढ़ाया जाता है, तो वह न घबराता है और न भागता है। वह सबका उत्तर बहुत समझदारी से देता है।
(ख) चुतर- हामिद चतुर बच्चा है। वह अपनी कमी को चतुराईपूर्ण बातों से ढक देता है। उसके पास अपने अन्य मित्रों के समान पैसा नहीं है। अतः जब वे खिलौने खरीदते हैं और मिठाई खातें हैं, तो वे उनके अवगुण बताकर स्वयं को बचा लेता है।
(ग) भावुक और अपनो से प्रेम करने वाला- हामिद भावुक और अपनो से प्रेम करने वाला है। वह अपनी दादी की सुविधा के लिए चिमटा खरीदता है। यह उसकी भावुकता और प्रेम का प्रमाण है।

Question 12:

हामिद के अतिरिक्त इस कहानी के किस पात्र ने आपको सर्वाधिक प्रभावित किया और क्यों?

ANSWER:

इस पाठ मे हमें हामिद के बाद दादी के पात्र ने सबसे अधिक प्रभावित किया। दादी ऐसा पात्र है, जिसमें ममता, बचपना, समझदारी, कर्तव्यनिष्ठा इत्यादि गुण भरे हुए हैं। यदि बच्चों की दादी इतनी ममतामयी है, तो बच्चे स्वयं ही ज़िम्मेदार और सद्गुणों से युक्त हो जाएँगे। यही कारण है कि हमें यह पात्र सबसे अधिक प्रभावित करने वाला लगा।

Question 13:

बच्चों में लालच एवं एक दूसरे से आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है। कहानी से कोई दो प्रसंग चुनकर इस मत की पृष्टि कीजिए।

ANSWER:

यह कथन सत्य है कि बच्चों में लालच एवं आगे निकल जाने की होड़ के साथ-साथ निश्छलता भी मौजूद होती है। पाठ के दो प्रसंग इस प्रकार हैं-

(क) मोहसिन- अच्छा, अबकी ज़रूर देंगे हामिद, अल्ला कसम, ले जा।
हामिद- रखे रहो। क्या मेरे पास पैसे नहीं है?
सम्मी- तीन ही पैसे तो हैं। तीन पैसे में क्या-क्या लोगे?
महमूद- हमसे गुलाब-जामुन ले जाव हामिद। मोहसिन बदमाश है।
हामिद- मिठाई कौन बड़ी नेमत है। किताब में इसकी कितनी बुराइयाँ लिखी हैं।
मोहसिन- लेकिन दिल में कह रहे होंगे कि मिले तो खा लें। अपने पैसे क्यों नहीं निकालते?
महमूद- हम समझते हैं, इसकी चालाकी जब हमारे सारे पैसे खर्च हो जाएँगे, तो हमें ललचा-ललचाकर खाएगा।

(ख) हामिद ने हारने वालों के आँसू पोंछे- मैं तुम्हें चिढ़ा रहा था, सच! यह चिमटा भला इन खिलौनों की क्या बराबरी करेगा; मालूम होता है, अब बोले, अब बोले। लेकिन मोहसिन की पार्टी को इस दिलासे से संतोष नहीं होता। चिमटे का सिक्का खूब बैठ गया है। चिपका हुआ टिकट अब पानी से नहीं छूट रहा है।
महमूद- लोकिन इन खिलौनों के लिए कोई हमें दुआ तो न देगा?
महमूद- दुआ को लिए फिरते हो। उलटे मार न पड़े। अम्माँ ज़रूर कहेंगी कि मेले में यही मिट्टी के खिलौने तुम्हें मिले?

(नोटः यह अंतरा भाग 1 से लिया गया है।)

Question 14:

‘प्रेमचंद की भाषा बहुत सजीव, मुहावरेदार और बोलचाल के निकट है।’ कहानी के आधार पर इस कथन की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।

ANSWER:

प्रेमचंद शब्दों के जादूगर कहे जाते हैं। उनकी प्रभावी भाषा ही पाठकों को आरंभ से लेकर अंत तक बाँधे रखती है। उनकी भाषा में बनावटीपन के स्थान पर सजीवता है। मुहावरों का प्रयोग करके वे भाषा में जान डाल देते हैं। उनकी भाषा आम बोलचाल की भाषा है, जो इसका विशेष गुण है। वे इसमें मुहावरे, हिन्दी, अंग्रेज़ी तथा ग्राम भाषा के शब्दों का प्रयोग करके उसे सजीव बना देते हैं। पढ़ने वाले को उनके द्वारा कही गई हर बात सरलतापूर्वक समझ आ जाती है।
उदाहरण के लिए देखिए-
• उन्हें क्या खबर कि चौधरी आज आँखें बदल लें, तो यह सारी ईद मुहर्रम हो जाए।
• सैकड़ों आदमियों से मिलना-भेंटना दोपहर के पहले लौटना असंभव है।
• विपत्ति अपना सारा दलबल लेकर आए।
• अमीना का दिल कचोट रहा है।
• अच्छा, अबकी ज़रूर देंगे हामिद, अल्ला कसम, ले जा।
• तो बताते क्यों नहीं, कै पैसे का है?
•  ऐसा छा गई कि तीनों सूरमा मुँह ताकते रह गए, मानो कोई धेलचा कंकौआ किसी गंडेवाले कंकौए को काट गया हो।
• हामिद ने मैदान मार लिया।
• कानून की गरमी दिमाग पर चढ़ जाएगी की नहीं।
इन सब वाक्यों को पढ़कर स्पष्ट हो जाता है कि प्रेमचंद की भाषा बहुत सजीव, मुहावरेदार और बोलचाल के निकट है।

Question 1:

प्रेमचंद की कहानियों का संग्रह ‘मानसरोवर’ नाम से आठ भागों में प्रकाशित है। अपने पुस्तकालय से लेकर उसे पढ़िए।

ANSWER:

कृपया इस कार्य को स्वयं करें।

Question 2:

इस कहानी में लोक प्रचलित मुहावरों की भरमार है, जैसे- नानी मरना, छक्के छूटना आदि। इसमें आए मुहावरों की एक सूची तैयार कीजिए।

ANSWER:इस पाठ में प्रयोग मुहावरे इस प्रकार हैं-
• आँखें बदलना- मुकर जाना या धोखा देना
• राई का पर्वत बनाना- छोटी बात को बड़ा बना देना
• दिल के अरमान निकालना- सारी इच्छाएँ पूरी करना
• दिल कचोटना- दुखी होना
• सिर पर सवार होना- परेशान करना
• बेड़ा पार होना- समस्या हल होना
• मुँह चुराना- उपेक्षा करना
• पैरों में पर लगना- अत्यधिक खुश होना
• उल्लू बनाना- बुद्धू बनाना
• काम से जी चुराना- काम न करना
• आँखों तले अँधेरा छाना- कुछ समझ न आना
• धावा बोलना- हमला करना
• मुँह छिपाना- लज्जित होना
• गरदन पर सवार होना- अत्यधिक परेशान करना
• पैरों पड़ना- खुशामद करना
• आग में कूदना- जान की परवाह न करना
• मुँह ताकते रहना- हैरान रह जाना
• गर्मी दिमाग में चढ़ना- घमंड हो जाना
• माटी में मिल जाना- समाप्त हो जाना
• छाती पीटना- विलाप करना
• गद्गद् होना- प्रसन्न होना

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