NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 4 सदैव पुरतो निधेहि चरणम्

Class 8 Sanskrit Chapter 4 सदैव पुरतो निधेहि चरणम्

NCERT Solutions For Class 8 Sanskrit Chapter 4 सदैव पुरतो निधेहि चरणम्, (संस्कृत)परीक्षा के छात्रों को राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की पुस्तकों के माध्यम से पढ़ाया जाता है ।  के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है ।  छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल । 

कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं   छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं।  इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधान की सहायता के साथ बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी

NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 4 सदैव पुरतो निधेहि चरणम्

Class 8 Sanskrit Chapter 4 सदैव पुरतो निधेहि चरणम्

1. पाठे दत्तं गीतं सस्वरं गायत।
(पाठ में दिए गए गीत को स्वर के साथ गाओ)

2. अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत –
(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एकपद में लिखो)

(क) स्वकीयं साधनं किं भवति?
उत्तराणि:
बलम्।

(ख) पथि के विषमाः प्रखराः?
उत्तराणि:
पाषाणाः।

(ग) सततं किं करणीयम्?
उत्तराणि:
ध्येयस्मरणम्।

(घ) एतस्य गीतस्य रचयिता कः?
उत्तराणि:
श्रीधरभास्कर वर्णेकरः।

(ङ) सः कीदृशः कविः मन्यते?
उत्तराणि:
राष्ट्रवादी।

3. मञ्जूषातः क्रियापदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(मञ्जूषा से क्रियापदों का चयन करके रिक्तस्थानों की पूर्ति करो)

मञ्जूषा- निधेहि      विधेहि      जहीहि      देहि      भज       चल        कुरु

यथा-त्वं पुरतः चरणं निधेहि।

(क) त्वं विद्यालयं …………… |
उत्तराणि:
त्वं विद्यालयं चल।

(ख) राष्ट्रे अनुरक्तिं …………… |
उत्तराणि:
राष्ट्रे अनुरक्ति विधेहि।

(ग) मह्यं जलं …………… |
उत्तराणि:
मह्यं जलं देहि।

(घ) मूढ ! …………… धनागमतृष्णाम्।
उत्तराणि:
मूढ ! जहीहि धनागमतृष्णाम् ।

(ङ) …………………. गोविन्दम्।
उत्तराणि:
भज गोविन्दम्।

(च) सततं ध्येयस्मरणं…………… |
उत्तराणि:
सततं ध्येयस्मरणं कुरु।

4.  (अ) उचितकथनानां समक्षम् ‘आम्’, अनुचितकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत
(उचित कथनों के सामने ‘आम्’ तथा अनुचित कथनों के सामने ‘न’ ऐसा लिखो)


उत्तराणि:

(आ) वाक्यरचनया अर्थभेदं स्पष्टीकुरुत
(वाक्य रचना के द्वारा अर्थ भेद स्पष्ट करो)

परितः – पुरतः
नगः – नागः
आरोहणम् – अवरोहणम्
विषमाः – समाः
उत्तराणि:
(क) परितः (चारों ओर) – ग्रामं परितः जलम् अस्ति।
पुरतः (सामने) – विद्यालयस्य पुरतः उद्यानम् अस्ति।

(ख) नगः (पर्वत) – हिमालयः महान् नगः अस्ति।
नागः (सर्प) – अत्र एकः नागः तिष्ठति।

(ग) आरोहणम् (चढ़ना) – पर्वतारोहणं दुष्करम् अस्ति।
अवरोहणम् (उतरना) – पर्वताद् अवरोहणं सुकरम् अस्ति।

(घ) विषमाः (असमान) – मार्गे विषमाः पाषाणाः तिष्ठन्ति/सन्ति।
समाः (समान) – राजमार्गाः प्रायः समाः भवन्ति।

5. मञ्जूषातः अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(मञ्जूषा से अव्यय पदों का चयन करके रिक्तस्थानों को पूरा करो)

मञ्जूषा- एव    खलु      तथा      परितः      पुरतः     सदा      विना

(क) विद्यालयस्य ………………………………. एकम् उद्यानम् अस्ति।
उत्तराणि:
विद्यालयस्य पुरतः एकम् उद्यानम् अस्ति।

(ख) सत्यम् …………. जयते।
उत्तराणि:
सत्यम् एव जयते।

(ग) किं भवान् स्नानं कृतवान् ……………………
उत्तराणि:
किं भवान् स्नानं कृतवान् खलु?

(घ) सः यथा चिन्तयति ……………. आचरति।
उत्तराणि:
सः यथा चिन्तयति तथा आचरति ।

(ङ) ग्रामं ……………. वृक्षाः सन्ति।
उत्तराणि:
ग्रामं परितः वृक्षाः सन्ति ।

(च) विद्यां … जीवनं वृथा।
उत्तराणि:
विद्यां विना जीवनं वृथा।

(छ)…………. भगवन्तं भज।
उत्तराणि:
सदा भगवन्तं भज।

6. विलोमपदानि योजयत
(विलोम पदों का मिलान करो)

पुरतः – विरक्तिः
स्वकीयम् – आगमनम्
भीतिः – पृष्ठतः
अनुरक्तिः – परकीयम्
गमनम् – साहसः

उत्तराणि:
शब्दः – विलोमशब्दः
पुरतः – पृष्ठतः।
स्वकीयम् – परकीयम्।
भीतिः – साहसः।
अनुरक्तिः – विरक्तिः ।
गमनम् – आगमनम्।

7. (अ) लट्लकारपदेभ्यः लोट-विधिलिङ्लकारपदानां निर्माणं कुरुत
(लट् लकार के पदों से लोट् और विधिलिङ् लकार के पदों का निर्माण करो)


उत्तराणि:

(आ) अधोलिखितानि पदानि निर्देशानुसारं परिवर्तयत
(निम्नलिखित पदों में निर्देशानुसार परिवर्तन करो)

यथा- गिरिशिखर (सप्तमी-एकवचने) – गिरिशिखरे
पथिन् – (सप्तमी-एकवचने) – ………………
राष्ट्र (चतुर्थी-एकवचने) – ………………
पाषाण (सप्तमी-एकवचने) – ………………
यान (द्वितीया-बहुवचने) – ………………
शक्ति (प्रथमा-एकवचने) – ………………
पशु (सप्तमी-बहुवचने) – ………………

उत्तराणि:
(क) पथि/पथिनि
(ख) राष्ट्राय
(घ) यानानि
(ङ) शक्तिः
(ग) पाषाणे
(च) पशुषु।

Leave a Comment