NCERT Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 Summary यमराज की दिशा

Hindi Kshitij Chapter 16 Summary यमराज की दिशा

NCERT Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 Summary यमराज की दिशा, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

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NCERT Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 Summary यमराज की दिशा

 

कवि परिचय

जीवन परिचय – साठोत्तरी कविता में मुख्य स्थान रखने वाले चंद्रकांत देवताले का जन्म सन 1936 में मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में जौलखेड़ा नामक गाँव में हुआ था । उन्होंने इंदौर से उच्च शिक्षा तथा सागर विश्वविद्यालय से पीएच . डी . पूरी की । श्री देवताले ने उच्च शिक्षा में अध्यापन कार्य भी किया ।

रचना परिचय – श्री देवताले की प्रमुख कृतियाँ निम्नलिखित हैं –

हड्डियों में छिपा ज्वर , दीवारों पर खून से , लकड़बग्घा हँस रहा है , भूखंड तप रहा है , पत्थर की बेंच , इतनी पत्थर रोशनी , उजाड़ में संग्रहालय आदि ।

साहित्यिक विशेषताएँ – देवताले की कविता में गाँवों , कस्बों और निम्न मध्यमवर्ग के जीवन का चित्रण है । इसमें मानव जीवन अपनी विविधता और विडंबना के साथ उपस्थित हुआ है । कविता में एक ओर व्यवस्था की कुरूपता के खिलाफ़ आक्रोश है तो दूसरी ओर मानवीय प्रेम की अभिव्यक्ति भी हुई है । इस प्रकार से देवताले जी अपनी बात को मारक ढंग से कहते हैं ।

भाषा – शैली – कवि देवताले ने अपने काव्य में सामान्य बोलचाल की सरल और सुगम भाषा का प्रयोग किया है । इसमें तत्सम शब्दों का स्वाभाविक प्रयोग है । बात को प्रभावी बनाने के लिए उन्होंने कथ्य शैली का प्रयोग किया है ।

 

कविता परिचय

‘ यमराज की दिशा ‘ नामक कविता में कवि ने भारतीय समाज में प्रचलित उस अंधविश्वास की ओर संकेत किया है जिसमें दक्षिण को यमराज की दिशा कहा जाता है । इस ओर पैर करके सोने की मनाही है । इसके अलावा कवि ने सभ्यता के विकास की खतरनाक दिशा की ओर इशारा कर कहा है कि जनविरोधी ताकतें आज हर दिशा तक फैल चुकी हैं । वे किसी एक दिशा तक सीमित नहीं रह गई हैं । चारों ओर फैलते विध्वंस , हिंसा और मृत्यु के चिह्नों की ओर इंगित कर कवि ने इसके विरुद्ध खड़ा होने का आह्वान किया है ।

 

भावार्थ

1. माँ की ईश्वर से मुलाकात हुई या नहीं

कहना मुश्किल है

पर वह जताती थी जैसे

ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है

और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार

जिंदगी जीने और दुख बरदाश्त करने के

रास्ते खोज लेती है

शब्दार्थ –

जताना – बताना , विश्वासपूर्वक कहना

बरदाश्त करना – सहन करना

भावार्थ – कवि कहता है कि उसकी माँ और यमराज की मुलाकात हुई थी या नहीं कहना कठिन है पर वह इतने विश्वास से कहती है कि जैसे वह ईश्वर से मिलकर उसकी सलाह से ही काम करती है । वह उसी सलाह के आधार पर दुख – सुख से बचने के उपाय खोज लेती है । इससे लगता है कि माँ अपने जीवन में ईश्वर के बताए रास्ते का ही अनुसरण करती है ।

2. माँ ने एक बार मुझसे कहा था –

दक्षिण की तरफ़ पैर करके मत सोना

वह मृत्यु की दिशा है

और यमराज को क्रुद्ध करना

बुद्धिमानी की बात नहीं

तब मैं छोटा था

और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था

उसने बताया था—

तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में

शब्दार्थ –

यमराज – मौत का देवता

क्रुद्ध करना – नाराज़ करना

भावार्थ – बचपन में कवि को उसकी माँ ने बताया था कि दक्षिण दिशा में पैर करके मत सोना । ऐसा माना जाता है कि दक्षिण दिशा में यमराज का वास है । यमराज मृत्यु का देवता है । यमराज को क्रुद्ध करने का अर्थ है – मौत को दावत देना । यमराज को नाराज़ करने में बुद्धिमानी की बात नहीं है । कवि उस समय छोटा था जब उसने यमराज के घर का पता पूछा था । इसे कवि की बाल सुलभ चेष्टा कह सकते हैं । माँ ने बताया था कि तुम जहाँ भी रहते हो वहाँ से दक्षिण दिशा में यमराज रहता है ।

3. माँ की समझाइश के बाद

दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नहीं सोया

और इससे इतना फ़ायदा ज़रूर हुआ

दक्षिण दिशा पहचानने में

मुझे कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा

मैं दक्षिण में दूर – दूर तक गया

और मुझे हमेशा माँ याद आई

दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था

होता छोर तक पहुँच पाना

तो यमराज का घर देख लेता

शब्दार्थ –

समझाइश – सीख , शिक्षा

फायदा – लाभ

लाँघ लेना – पार करना

छोर – किनारा

भावार्थ – कवि कहता है कि माँ की सलाह के बाद वह दक्षिण की ओर पैर करके नहीं सोया । इसके बाद कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में फिर कोई मुश्किल नहीं हुई , क्योंकि माँ की सीख हमेशा याद रही । कवि दक्षिण दिशा में दूर – दूर तक गया और माँ की कही बातें हमेशा याद रहीं । कवि का मानना है कि दक्षिण को पार करना संभव नहीं था क्योंकि दक्षिण दिशा का कोई अंत नहीं है । यदि इस दिशा का अंत होता तो कवि यमराज का घर देख लेता । उसे यमराज का पता मिल जाता ।

4. पर आज जिधर भी पैर करके सोओ

वही दक्षिण दिशा हो जाती है

सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं

और वे सभी में एक साथ

अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं

माँ अब नहीं है

और यमराज की दिशा भी वह नहीं रही

जो माँ जानती थी ।

शब्दार्थ –

आलीशान – शानदार , भव्य

दहकती – जलती हुई

बिराजना- रहना

भावार्थ – कवि सभ्यता के खतरनाक विकास की ओर इशारा करते हुए कहता है कि आज जीवन विरोधी ताकतें किसी एक दिशा तक सिमट कर नहीं रह गई हैं । आज जिधर भी पैर करके सोओ वही यमराज की दिशा बन जाती है । हर तरफ़ जिंदगी के लिए खतरा है । जीवन के लिए खतरा बने लोग हर दिशा में मौजूद हैं । ये अपनी अंगारे उगलती आँखों से आम आदमी का शोषण करने को तैयार बैठे हैं ।

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