NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 Summary अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले

Hindi Sparsh Chapter 15 Summary अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले

NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 Summary अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

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NCERT Class 10 Hindi Sparsh Chapter 15 Summary अब कहाँ दूसरे के दुःख से दुःखी होने वाले

 

पाठ की रूपरेखा

प्रस्तुत पाठ में लेखक ने मानव के संवेदनहीन होने का संकेत दिया है । पाठ में विभिन्न प्रसंगों के आधार पर निदा फ़ाज़ली ने यह स्पष्ट किया है कि सभी को इस धरती पर रहने का पूरा अधिकार है । स्वार्थी प्रवृत्ति ने मानव को इतना अधिक लालची बना दिया है कि उसने अन्य जीवधारियों को इस धरती से बेदखल ही कर दिया है । अब वह मानव जाति की भी परवाह नहीं करता । दूसरों के दुःख – सुख से उसे कोई सरोकार नहीं ।

 

पाठ का सार

बाइबिल के सोलोमन

ईसा से 1025 वर्ष पूर्व एक बादशाह थे बाइबिल के सोलोमन , जिन्हें कुरान में सुलेमान कहा गया है । वे इंसानों के साथ – साथ पशु – पक्षियों की भाषा भी जानते थे । एक बार सुलेमान अपने दल – बल के साथ एक रास्ते से गुज़र रहे थे , तभी कुछ चींटियों ने घोड़ों की टापों की आवाज़ सुनी , तो डर कर एक – दूसरे से बोलीं- ” आप जल्दी से अपने बिल में चलो , फौज़ आ रही है । ” सुलेमान ने उनकी बातें सुनीं और कहा – ‘ ” घबराओ नहीं , मैं किसी के लिए मुसीबत नहीं हूँ ” सबके लिए मुहब्बत हूँ । ” यह कहकर वह मंज़िल की ओर बढ़ गए

महाकवि शेख अयाज़

सिंधी भाषा के महाकवि शेख अयाज़ ने अपनी आत्मकथा में लिखा है- ” एक दिन उनके पिता कुएँ से नहाकर लौटे और खाना खाने बैठे । तभी उन्हें अपनी बाजू पर एक च्योंटा रेंगता हुआ दिखाई पड़ा । वह भोजन छोड़कर उठ गए । ” जब माँ ने बिना भोजन किए उठने का कारण पूछा , तो वे बोले- ” मैंने एक घर वाले को बेघर कर दिया है , उसे उसके घर छोड़ने जा रहा हूँ । ”

नूह नामक पैगंबर

बाइबिल और दूसरे पावन ग्रंथों में नूह नामक एक पैगंबर का ज़िक्र मिलता है । ऐसा कहा जाता है कि एक बार नूह के सामने एक घायल कुत्ता आ गया । नूह ने उसे दुत्कार दिया । दुत्कार सुनकर कुत्ते ने जवाब दिया- ” न मैं अपनी मर्जी से कुत्ता हूँ , न ही तुम अपनी पसंद से इंसान हो । सबको बनाने वाला ईश्वर ही है । ” नूह ने जब उसकी बात सुनी तो बहुत दिनों तक रोते रहे । ‘ महाभारत ‘ में अंत तक युधिष्ठिर का साथ देने वाला भी एक कुत्ता ही था । दुनिया के अस्तित्व में आने का वर्णन विज्ञान और धार्मिक ग्रंथों में अपने – अपने तरीके से मिलता है , परंतु यह सब जानते हैं कि पशु , पक्षी , मानव , नदी , पर्वत , पहाड़ , समंदर आदि सभी का इस धरती पर समान अधिकार है ।

पहले पूरा संसार एक परिवार के समान था , परंतु अब मानव ने अपनी बुद्धि से बड़ी – बड़ी दीवारें खड़ी कर दी हैं । बढ़ती जनसंख्या ने समंदर को समेट दिया है , पेड़ों को रास्ते से हटा दिया है । फैलते प्रदूषण ने पंछियों को बस्तियों से भगा दिया है तथा वातावरण को सताना शुरू कर दिया है । प्रकृति के धैर्य की भी एक सीमा है । इसी कारण कभी – कभी प्रकृति भी आपदाओं के रूप अपना बदला लेती रहती है ।

लेखक की माँ द्वारा दी गई सीख व ग्वालियर की घटना

लेखक की माँ सदैव कहती थी कि सूरज ढलने के बाद पेड़ों से पत्ते मत तोड़ो , दीया – बाती के वक्त फूलों को मत तोड़ो । दरिया पर जाओ तो उसे सलाम करो । कबूतरों को मत सताया करो , वे हज़रत मोहम्मद के अज़ीज़ हैं । मुर्गे को परेशान मत करो , वह अज़ान देकर सबको जगाता है । ग्वालियर में लेखक का मकान था , जिसके एक रोशनदान में कबूतर के एक जोड़े ने अपना घोंसला बना रखा था । एक बार बिल्ली ने उसमें रखे अंडों में से एक अंडा तोड़ दिया । यह देखकर माँ दूसरे अंडे को बचाने का प्रयास करने लगी , तभी माँ के हाथ से वह अंडा भी गिरकर टूट गया । इस घटना से माँ बहुत दुःखी हुई और इस गुनाह को खुदा से माफ़ कराने के लिए पूरा दिन रोज़ा रखा ।

बदलता माहौल

आज सब कुछ बदल गया है । पहले जहाँ समंदर था , दूर – दूर तक घने जंगल थे , वहाँ अब बस्तियाँ बन गई हैं । इन बस्तियों ने अनगिनत परिंदों के घर छीन लिए हैं । घरों में प्रवेश करने के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं । अब न कोई सोलोमन है , न नूह और न ही मेरी माँ , जो इन जीवों के दुःख – दर्द को समझकर उसे अपना दर्द बना सके ।

 

शब्दार्थ

कुरान- मुस्लिमों का पवित्र ( पावन ) ग्रंथ

हाकिम- राजा

दफा – बार

लशकर- सेना / जत्था / विशाल जनसमूह

रखवाला – रक्षक

दुआ- प्रार्थना

मंज़िल – लक्ष्य

ज़िक्र- वर्णन

आत्मकथा- अपने बारे में लिखी गई कथा

कौर – टुकड़ा

च्योंटा- एक प्रकार का कीड़ा

पैगंबर – भगवान का दूत

लकब- एक प्रकार की पदवी

दुत्कार – गाली – गलौच / झिड़की

मुद्दत – लंबा समय

प्रतीकात्मक रूप – प्रतीक के रूप में

एकांत – अकेला जीवन

वजूद- अस्तित्व

बिंदु – स्थान

रचना – निर्माण / बनाना

दीवार खड़ी करना – भेदभाव पैदा करना

दालानों – आँगनों – घर के बड़े खुले स्थान

बस्ती- नगरी

विनाशलीला – नष्ट करने की कार्रवाई

जलजला – भूकंप

सैलाब – बाढ़

नित- रोज़ / हमेशा / प्रतिदिन

नेचर – प्रकृति

नमूना – उदाहरण

खुदा – ईश्वर

बिल्डर – भवन निर्माण

हथियाना – कब्ज़ा करना

उकहूँ बैठना- दोनों टाँगें सिकोड़कर उनके बल बैठना

औंधे मुँह – उलटे मुँह

कोशिश – प्रयत्न / प्रयास

काबिल- योग्य

दीया – बत्ती – साँझ को रोशनी दिखाना

बद्दुआ देना – भला – बुरा कहना

दरिया – नदी

सलाम – प्रणाम

अज़ीज़- प्रिय

मज़ार – कब्र

गुंबद – मस्जिद के ऊपर बना गोलनुमा निर्माण

इज़ाज़त- अनुमति

अज़ान देना- मुल्ला द्वारा उच्च स्वर में नमाज़ के समय की सूचना देना

गुनाह – अपराध

मुआफ- माफ़ / क्षमा

रोज़ा- व्रत / उपवास

परिंदा – पक्षी

चरिंदों- जानवर / चरने वाले

डेरा डालना – निवास बनाना

मचान – घास – फूस से बना छप्पर

ज़िम्मेदारी – ज़िम्मेदार ( दायित्व लेने वाला व्यक्ति ) होने की अवस्था

आशियाना – निवास

ज़ुबान – भाषा

कुतरे- चोंच मारकर खाना

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