NCERT Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 Summary जॉर्ज पंचम की नाक

Hindi Kritika Chapter 2 Summary जॉर्ज पंचम की नाक

NCERT Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 Summary जॉर्ज पंचम की नाक, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

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NCERT Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 Summary जॉर्ज पंचम की नाक 

 

पाठ की रूपरेखा

नाक जो कि इज़्ज़त का प्रतीक मानी जाती है । इस संदर्भ के माध्यम से लेखक ने व्यंग्य करते हुए सत्ता एवं सत्ता से जुड़े सभी लोगों की मानसिकता को प्रदर्शित किया है , जो अंग्रेज़ी हुकूमत को कायम रखने के लिए भारतीय नेताओं की नाक काटने को तैयार हो जाते हैं । लेखक ने इस रचना के माध्यम से बताया है कि रानी का भारत आगमन महत्त्वपूर्ण विषय है जिसके लिए जॉर्ज पंचम की नाक मूर्ति पर होना अनिवार्य है , क्योंकि वह रानी के आत्मसम्मान के लिए अनिवार्य है । इसके साथ यह रचना पत्रकारिता जगत के लोगों पर भी व्यंग्य करती है एवं सफल पत्रकार की सार्थकता को भी उजागर करती है । इसमें सरकारी तंत्र का लोगों द्वारा रानी के सम्मान में की गई तैयारियों का वर्णन किया गया है ।

 

पाठ का सार

रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय का भारत आगमन

इंग्लैंड की रानी एलिज़ाबेथ द्वितीय अपने पति के साथ हिंदुस्तान आने वाली थीं , जिसकी चर्चा अख़बारों में हो रही थी । उनका सेक्रेटरी और जासूस उनसे पहले इस महाद्वीप का तूफ़ानी दौरा करने वाले थे । इंग्लैंड के अख़बारों की कतरनें हिंदुस्तानी अख़बारों में हर दूसरे दिन चिपकी नज़र आती थीं , जिनमें रानी एलिज़ाबेथ एवं उनसे जुड़े लोगों के समाचार छपते । इस प्रकार की खबरों से भारत की राजधानी में तहलका मचा हुआ था । जिसके बावरची पहले महायुद्ध में जान हथेली पर लेकर लड़ चुके हैं , उसकी शान – शौकत के क्या कहने और वही रानी दिल्ली आ रही है । उसका स्वागत भी ज़ोरदार होना चाहिए ।

नई दिल्ली में जॉर्ज पंचम की नाक की समस्या

नई दिल्ली में एक बड़ी मुश्किल जो सामने आ रही थी , वह थी जॉर्ज पंचम की नाका किसी समय इस नाक के लिए बड़े तहलके मचे थे । अख़बारों के पन्ने रंग गए थे । राजनीतिक पार्टियाँ इस बात पर बहस कर रही थीं कि जॉर्ज पंचम की नाक रहने दी जाए या हटा दी जाए । कुछ पक्ष में थे , तो कुछ विरोध कर रहे थे । आंदोलन चल रहा था । जॉर्ज पंचम की नाक के लिए हथियारबंद पहरेदार तैनात कर दिए गए थे , किंतु एक दिन इंडिया गेट के सामने वाली जॉर्ज पंचम की लाट ( मूर्ति ) की नाक एकाएक गायब हो गई । बावजूद इसके कि हथियारबंद पहरेदार अपनी जगह तैनात थे और गश्त लगती रही फिर भी लाट की नाक चली गई ।

रानी के आने की बात सुनकर नाक की समस्या बढ़ गई । देश के शुभचिंतकों की एक बैठक हुई , जिसमें हर व्यक्ति इस बात पर सहमत था कि अगर यह नाक नहीं रही , तो हमारी भी नाक नहीं रह जाएगी । इसलिए एक मूर्तिकार को फ़ौरन दिल्ली बुलाकर मूर्ति की नाक लगाने का आदेश दिया गया । मूर्तिकार ने जवाब दिया कि नाक तो लग जाएगी , किंतु मुझे इस लाट के निर्माण का समय और जिस स्थान से यह पत्थर लाया गया , उसका पता चलना चाहिए । एक क्लर्क को इसकी पूरी छानबीन करने का काम सौंपा गया । क्लर्क ने बताया कि फाइलों कुछ भी नहीं है ।

एक विशेष कमेटी का गठन

नाक लगाने के लिए एक कमेटी बनाई गई और उसे काम सौंपा गया कि किसी भी कीमत पर नाक लगनी चाहिए । मूर्तिकार को फिर बुलाया गया । उसने कहा कि पत्थर की किस्म का पता नहीं चला , तो कोई बात नहीं । मैं हिंदुस्तान के हर पहाड़ पर जाकर ऐसा ही पत्थर खोजकर लाऊँगा ।

मूर्तिकार द्वारा किए जाने वाले प्रयास

मूर्तिकार ने हिंदुस्तान के पहाड़ी प्रदेशों और पत्थरों की खानों के दौरे किए , किंतु असफल रहा । उसने बताया कि इस किस्म का पत्थर कहीं नहीं मिला । यह पत्थर विदेशी है । सभापति ने कहा कि विदेशों की सारी चीज़े हम अपना चुके हैं – दिल – दिमाग , तौर – तरीके और रहन – सहन ।

जब हिंदुस्तान में बाल डांस ‘ तक मिल जाता है , तो पत्थर क्यों नहीं मिल सकता ? मूर्तिकार ने इसका हल निकालते हुए कहा कि यदि यह बात अख़बार वालों तक न पहुँचे तो मैं बताना चाहूँगा कि हमारे देश में अपने नेताओं की मूर्तियाँ भी हैं । यदि आप लोग ठीक समझें तो जिस मूर्ति की नाक इस लाट पर ठीक बैठे , उसे लगा दिया जाए । सभी को लगा कि समस्या का असली हल मिल गया ।

मूर्तिकार फिर देश – दौरे पर निकल पड़ा । उसने पूरे भारत का भ्रमण करके दादाभाई नौरोजी , गोखले , तिलक , शिवाजी , गांधीजी , सरदार पटेल , गुरुदेव रवींद्रनाथ , सुभाषचंद्र बोस , राजा राममोहन राय , चंद्रशेखर आज़ाद , मोतीलाल नेहरू , मदनमोहन मालवीय , लाला लाजपतराय , भगत सिंह आदि की लाटों को देखा , किंतु वे सब उससे बड़ी थीं । मूर्तिकार ने बिहार सेक्रेटरिएट के सामने सन् बयालीस में शहीद होने वाले बच्चों की मूर्तियों की नाक भी देखी , किंतु वे भी उससे बड़ी थीं ।

मूर्ति पर जीवित व्यक्ति की नाक लगाने का विचार

राजधानी में रानी के लिए सब तैयारियाँ पूरी हो गई थीं । जॉर्ज पंचम की लाट को मल – मलकर नहलाया गया था । रोगन लगाया गया था , किंतु नाक नहीं थी । अचानक मूर्तिकार ने एक हैरतअंगेज ( आश्चर्यचकित करने वाला ) विचार व्यक्त किया कि चालीस करोड़ लोगों में से कोई एक ज़िंदा नाक काटकर लगा दी जाए । कमेटी ने इसकी ज़िम्मेदारी मूर्तिकार को सौंप दी । अख़बारों में सिर्फ़ इतना छपा कि नाक का मसला हल हो गया है । इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की लाट को नाक लग रही है । नाक लगने से पहले फिर हथियारबंद पहरेदारों की तैनाती हुई ।

मूर्ति के आस – पास का तालाब सुखाकर साफ़ किया गया और ताज़ा पानी डाला गया ताकि मूर्ति को लगने वाली ज़िंदा नाक सूखने न पाए । इस बात की ख़बर जनता को नहीं थी । यह सब तैयारियाँ भीतर – भीतर चल रही थीं । रानी के आने का दिन नज़दीक आता जा रहा था । आखिर एक दिन जॉर्ज पंचम की नाक लग गई ।

समाचार – पत्रों की भूमिका

अगले दिन अख़बारों में ख़बरें छापी गईं कि जॉर्ज पंचम की लाट को जो नाक लगाई गई है , वह बिलकुल असली जैसी लगती है । उस दिन के अख़बारों में एक बात और गौर करने की थी— उस दिन देश में कहीं भी किसी उद्घाटन की ख़बर नहीं थी । किसी ने कोई फीता नहीं काटा था । कोई सार्वजनिक सभा नहीं हुई थी । किसी का अभिनंदन नहीं हुआ था , कोई मानपत्र भेंट नहीं किया गया था । किसी हवाई अड्डे या स्टेशन पर स्वागत समारोह नहीं हुआ था । किसी का चित्र भी नहीं छपा था ।

 

शब्दार्थ

मय के साथ पधारना – आना

सेक्रेटरी- सचिव

फ़ौज – फाटे – सेना तथा अन्य शाही कर्मचारी

कतरनें- अख़बार में से काटा

गया – अंश

तहलका मचना- खलबली मचना

बेसाख्ता – स्वाभाविक रूप से

रहमत- कृपा

कायापलट होना – बदलाव हो जाना

नाज़नीनों – कोमल स्त्री

दास्तान- कहानी

अजायबघर – पुरानी चीज़ों के संग्रह का स्थान

लाट – मूर्ति

तैनात – नियुक्त

खैरख्वाहों – भलाई चाहने वाले

मशवरा – सलाह

हुक्म – आदेश

बदहवास- घबराए हुए हुक्काम- शासक

ताका- देखा

बयान- वचन

दारोमदार – कार्यभार

हताश- उदास

चप्पा – चप्पा खोजना – हर जगह ढूँढना

तैश- जोश

ढाढस बाँधना – तसल्ली देना

खलबली मचना – हलचल मचना

कौंधा- अचानक आया

सन्नाटा – खामोशी

अचकचाया – चौंक उठना

हिदायत – निर्देश

कतई – ज़रा भी

अभिनंदन – स्वागत

बुत – मूर्ति

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