NCERT Class 9 Kshitij Chapter 17 Dohe Explanation बच्चे काम पर जा रहे है

Kshitij Chapter 17 Dohe Explanation बच्चे काम पर जा रहे है

NCERT Class 9 Kshitij Chapter 17 Dohe Explanation बच्चे काम पर जा रहे है, (Hindi) exam are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.

Sometimes, students get stuck inside the exercises and are not able to clear up all of the questions.  To assist students, solve all of the questions, and maintain their studies without a doubt, we have provided a step-by-step NCERT Poem Explanation for the students for all classes.  These answers will similarly help students in scoring better marks with the assist of properly illustrated Notes as a way to similarly assist the students and answer the questions right.

NCERT Class 9 Kshitij Chapter 17 Dohe Explanation बच्चे काम पर जा रहे है

 

कवि परिचय

जीवन परिचय – राजेश जोशी का जन्म सन 1946 में मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले में हुआ । उन्होंने शिक्षा पूरी करने के बाद पत्रकारिता शुरू की और कुछ सालों तक अध्यापन कार्य किया । उन्होंने कविताओं के अलावा कहानियाँ , नाटक , लेख तथा टिप्पणियाँ भी लिखीं ।

रचना परिचय – उनके प्रमुख काव्य संग्रह – ‘ एक दिन बोलेंगे पेड़ ‘ , ‘ मिट्टी का चेहरा ‘ , ‘ नेपथ्य में हँसी ‘ और ‘ दो पंक्तियों के बीच ‘ हैं ।

भाषा – शैली – राजेश जोशी की कविताओं में गहरा सामाजिक सरोकार होता है । उनकी कविता में स्थानीय बोली- बानी के शब्द होते हैं । उन्होंने अपनी रचनाओं में उर्दू शब्दों का भी प्रयोग किया है ।

 

भावार्थ

1. कोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं

सुबह सुबह

बच्चे काम पर जा रहे हैं

हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह

भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना

लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह

काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे ?

शब्दार्थ –

कोहरा- ओस

विवरण- व्याख्या

भावार्थ – अत्यधिक सर्दी में कोहरे से ढँकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं । वे मज़दूरी करने को विवश हैं । यह कैसी विसंगति है कि जिस उम्र में बच्चों को खेलना चाहिए , स्कूल जाना चाहिए , वे काम करने को विवश हैं । बच्चों का काम पर जाना कवि को अंदर तक झकझोर जाता है । यह सबसे भयानक पंक्ति है और उससे भी ज़्यादा भयानक है इसे विवरण जैसे लिखा जाना । इसे सरकार , शासन , समाज आदि से पूछा जाना चाहिए कि बच्चे काम पर क्यों जा रहे हैं ।

2. क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें

क्या दीमकों ने खा लिया है

सारी रंग बिरंगी किताबों को

क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने

क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं

सारे मदरसों की इमारतें

क्या सारे मैदान , सारे बगीचे और घरों के आँगन

खत्म हो गए हैं एकाएक

शब्दार्थ –

अंतरिक्ष – आकाश

मदरसा – उर्दू स्कूल , पाठशाला

भावार्थ – बच्चों को काम पर जाता देखकर दुखी कवि पूछता है कि आखिर बच्चे काम पर क्यों जा रहे हैं ? क्या उनकी सारी गेंदें कहीं अंतरिक्ष में गिर गईं जो मिल नहीं रही हैं या उनकी रंग – बिरंगी किताबों को दीमकों ने खा लिया है ? क्या उनके सारे खिलौने पहाड़ के नीचे दब गए हैं या स्कूल के भवन किसी भूकंप में नष्ट हो गए हैं ? कवि पुनः पूछता है कि क्या सारे मैदान , बगीचे और घरों के आँगन अचानक समाप्त हो गए हैं ? ऐसा क्या हो गया है कि उन्हें काम पर जाना पड़ रहा है ।

3. तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में ?

कितना भयानक होता अगर ऐसा होता

भयानक है लेकिन इससे भी ज़्यादा यह

कि हैं सारी चीजें हस्बमामूल

पर दुनिया की हज़ारों सड़कों से गुजरते हुए

बच्चे , बहुत छोटे छोटे बच्चे

काम पर जा रहे हैं ।

शब्दार्थ –

हस्बमामूल – पहले जैसी , यथावत

भावार्थ – कवि कहता है कि यदि बच्चों की किताबें , खेल के मैदान , पाठशाला आदि नष्ट हो गए हैं तो बचा ही क्या है ? अर्थात कुछ भी नहीं बचा है । यदि कुछ भी न बचता तो भयानक बात थी पर उससे भी अधिक भयानक बात यह है कि सब कुछ पहले जैसा ही है । कुछ भी नष्ट नहीं हुआ है । सब कुछ होने के बाद भी दुनिया की सड़कों पर हज़ारों बच्चे यह भयानक स्थिति है । काम पर जा रहे हैं , यह भयनायक स्थिति है।

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