NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

Class 9 Hindi Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 11 आदमी नामा, (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है । के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है । छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल ।

कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं । छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी ।

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

Class 9 Hindi Sparsh Chapter 11 आदमी नामा

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) पहले छंद में कवि की दृष्टि आदमी के किन-किन रूपों का बखान करती है? क्रम से लिखिए।
(ख) चारों छंदों में कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक रूपों को परस्पर किन-किन रूपों में रखा है? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
(ग) “आदमीनामा’ शीर्षक कविता के इन अंशों को पढ़कर आपके मन में मनुष्य के प्रति क्या धारणा बनती है?
(घ) इस कविता का कौन-सा भाग आपको सबसे अच्छा लगा और क्यों?
(ङ) आदमी की प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
(क) पहले छंद में कवि की दृष्टि मानव के निम्नलिखित रूपों का बखान करती है

  • बादशाही रूप का
  • दीन-हीन निर्धन और फकीर का
  • मालदार आदमी का
  • एकदम कमज़ोर मनुष्य को
  • स्वादिष्ट भोग भोगते इनसान का
  • सूखी रोटियाँ चबाने वाले मनुष्य का।

(ख) कवि ने आदमी के सकारात्मक और नकारात्मक-दोनों रूपों का तुलनात्मक प्रस्तुतीकरण किया है। वे रूप इस प्रकार हैं-
          सकारात्मक                             नकारात्मक

  1. बादशाह                                 भिखारी-फकीर और गरीब
  2. मालदार                                 कमज़ोर
  3. भोग भोगता इनसान                 सूखी रोटियाँ खाता इनसान
  4. चोर पर निगाह रखने वाला        उनकी जूतियाँ चुराने वाला
  5. जान न्योछावर करने वाला         जान लेने वाला
  6. सहायता करने वाला                 अपमान करने वाला, सहायता के लिए पुकारने वाला
  7. शरीफ़ लोग                             कमीने लोग
  8. अच्छे लोग                               बुरे लोग

इनके अतिरिक्त आदमी ही सद्गुरु या पीर है और आदमी ही शिष्य है। आदमी ही इमाम है और आदमी ही नमाज़ी है।
(ग) इस कविता के इन अंशों को पढ़कर मेरे मन में मनुष्य के बारे में यह धारणा बनती है कि वह भाग्य और परिस्थितियों का दास होता है। उसकी परिस्थितियाँ ही उसे बादशाह बनाती हैं या फकीर बना देती हैं। कभी वह किसी की पगड़ी उछालता है तो कभी किसी की सहायता करता है। कभी किसी की जान का दुश्मन बन जाता है तो कभी उस पर जान तक न्योछावर कर देता है। कभी वह सहायता के लिए पुकार लगाता है तो कभी किसी की करुण पुकार सुनकर सहायता के लिए दौड़ता है। ये सब रूप उसकी परिस्थितियों के परिणाम हैं। ।
(घ) मुझे निम्नलिखित पंक्तियाँ बहुत सुंदर प्रतीत हुईं –

यां आदमी पै जान को वारे है आदमी
और आदमी पै तेग को मारे है आदमी
पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी
और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी।

क्यों-इन पंक्तियों की सरलता, रवानगी और विविधता ने मुझे छू लिया। पहली पंक्ति में जान वारने का चित्रण है तो । दूसरी पंक्ति में जान से मारने का। तीसरी पंक्ति में अपमान करने का चित्रण है तो चौथी में सहायता की पुकार लगाने वाले का। पाँचवीं पंक्ति में सहायता करने वाले का चित्रण है। ये पाँचों बिंब बहुत सजीव बन पड़े हैं।
(ङ) आदमी की प्रवृत्तियाँ भिन्न-भिन्न हैं। वह धन-संपदा का स्वामी बनना चाहता है। मालदार, भोगी और बादशाह बनना चाहता है। वह सद्गुरु बनकर लोगों को उपदेश देना चाहता है। इस प्रकार दुनिया भर का सम्मान प्राप्त करना चाहता है। वह करुणावान भी है। इसलिए वह दुखियों की सहायता भी करना चाहता है।
आदमी में पशु जैसा स्वार्थ भी होता है। कभी-कभी वह चोरी, हिंसा, हत्या, अपमान, लड़ाई-झगड़ा आदि बुराइयों में भी लिप्त होता दिखाई देता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित अंशों की व्याख्या कीजिए-
(क) दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी
उत्तर:
नज़ीर अकबराबादी कहते हैं कि मनुष्य के भिन्न-भिन्न रूप हैं। उनके भाग्य अलग-अलग हैं। कोई बादशाह है। तो कोई दीन-हीन फकीर और भिखारी है। किसी को दुनियाभर का सारा ऐश्वर्य प्राप्त है तो कोई दर-दर का भिखारी है। आदमी में दोनों संभावनाएँ छिपी हुई हैं।

(ख) अशराफ़ और कमीने से ले शाह ती वज़ीर ये आदमी ही करते हैं सब कारे दिलपज़ीर
उत्तर:
देखिए अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न ‘4’।

प्रश्न 3.
निम्नलिखित में अभिव्यक्त व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए-
(क)
पढ़ते हैं आदमी ही कुरआन और नमाज़ यां
और आदमी ही उनकी चुराते हैं जूतियाँ
जो उनको ताड़ता है सो है वो भी आदमी
उत्तर:
इन पंक्तियों में व्यंग्य यह है कि हर आदमी के स्वभाव और रुचि में अंतर होता है। वह अच्छा बनने पर आए तो कुरआन पढ़ने वाला और नमाज अदा करने वाला सच्चा धार्मिक मनुष्य भी बन सकता है। यदि वह दुष्टता पर आ जाए तो ऐसे पवित्र धार्मिक लोगों की जूतियाँ चुराने का काम भी कर सकता है। कुछ लोग बुराई पर नज़र रखने में रुचि लेते हैं। इस प्रकार अपने-अपने स्वभाव के अनुसार सबके कार्य भिन्न हो जाते हैं।

(ख) पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी |
उत्तर:
इन पंक्तियों में बताया गया है कि मनुष्य को परिस्थितियों के अनुसार भिन्न-भिन्न कार्य एवं व्यवहार करने पड़ते हैं। कभी-कभी वह औरों का अपमान करने पर उतारू हो जाता है तो कभी संकट में फँसकर दूसरों की सहायता के लिए पुकार लगाता है। कभी-कभी वह करुणावान बनकर दूसरों की रक्षा करने को तत्पर हो जाता है। आशय यह है कि मनुष्य-स्वभाव में बुराइयाँ और अच्छाइयाँ दोनों हैं। यह उस पर निर्भर है कि वह किस ओर बढ़ चले।

प्रश्न 4.
नीचे लिखे शब्दों का उच्चारण कीजिए और समझिए कि किस प्रकार नुक्ते के कारण उनमें अर्थ परिवर्तन आ गया है।

  • राज़ (रहस्य)
  • फ़न (कौशल)
  • राज (शासन)
  • फन (साँप का मुँह)
  • ज़रा (थोड़ा)
  • फ़लक (आकाश)
  • जरा (बुढ़ापा)
  • फलक (लकड़ी का तख्ता)।

ज़ फ़ से युक्त दो-दो शब्दों को और लिखिए।
उत्तर:

  1. ज़ – हाज़िर, मज़दूर
  2. फ़ – फ़ासला, रफ़्तार।

प्रश्न 5.
निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग वाक्यों में कीजिए
(क) टुकड़े चबाना
(ख) पगड़ी उतारना
(ग) मुरीद होना
(घ) जान वारना
(ङ) तेग मारना
उत्तर:
(क) टुकड़े चबाना – मैंने वह गरीबी भी भोगी है जब मुझे जैसे-तैसे टुकड़े चबाकर जीना पड़ा।
(ख) पगड़ी उतारना – आजकल के बच्चे छोटी-छोटी इच्छाओं को पूरा करने के लिए अपने बाप की पगड़ी उतार लेते हैं।
(ग) मुरीद होना – जब से मैंने भगवान रजनीश का प्रवचन सुना, तभी से मैं उनका मुरीद हो गया।
(घ) जान वारना – भगतसिंह ने देश की आज़ादी के लिए संघर्ष करते-करते अपनी जान वार दी।
(ङ) तेग मारना – यदि आदमी क्रोध में आ जाए तो वह किसी को तेग मारने से भी नहीं चूकता।

योग्यता-विस्तार

प्रश्न 1.
अगर ‘बंदर नामा’ लिखना हो तो आप किन-किन सकारात्मक और नकारात्मक बातों का उल्लेख करेंगे।
उत्तर:
सकारात्मक – संवेदनशील, पारिवारिक प्राणी, परिवार की रक्षा, समूह में रहने की कला, स्वाभिमानी स्वभाव, आक्रमण से रक्षा करने का स्वभाव।
नकारात्मक – मनमाने ढंग से विचरण, दूसरों को बिना कारण काटना।

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