NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 5 हामिद खाँ

Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 5 हामिद खाँ

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 5 हामिद खाँ, (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 5 हामिद खाँ

Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 5 हामिद खाँ

पाठ्यपुस्तक के बोधप्रश्न

प्रश्न 1.
लेखक का परिचय हामिद खाँ से किन परिस्थितियों में हुआ?
उत्तर:
लेखक मालाबार से तक्षशिला (पाकिस्तान) के पौराणिक खंडहर देखने गया था। वह तेज धूप में भूख-प्यास से परेशान होकर एक गाँव की ओर चला गया। वहाँ चपातियों की महक महसूस कर एक दुकान में खाना खाने के लिए गया, जहाँ उसका हामिद खाँ से परिचय हुआ।

प्रश्न 2.
“काश में आपकं मुल्क में आकर यह सब अपनी आँखों से देख सकता।’-हामिद ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर:
लेखक ने हामिद खाँ को हिंदू-मुसलमान संबंधों के बारे में बताया, उन्हें पहले तो विश्वास नहीं हुआ क्योंकि पाकिस्तान में मुसलमानों को अत्याचार करनेवालों की संतान समझा जाता था। लेखक ने हामिद खाँ को बताया कि भारत में हिंदू मुसलमान मिलकर रहते हैं। एक-दूसरे के त्योहारों में सम्मिलित होते हैं। हिंदू-मुसलमानों के बीच दंगे न के बराबर होते हैं। मुसलमानों की मसजिद हिंदुओं के निवास स्थान के पास होती है। हामिद खाँ विश्वास ही नहीं कर पाया कि वे हिंदू हैं और इतने गौरव से एक मुसलिम से बात कर रहें है। मुसलमानी होटल में भी भारत में खाना खाने में किसी हिंदू को कोई फर्क नहीं पड़ता। लेखक द्वारा हिंदू-मुसलमान की एकता भरी बातों पर हामिद खाँ पहले तो भरोसा नहीं कर पाया इसलिए वे उनके देश में आकर ये सब देखना चाहता था।

प्रश्न 3.
हामिद को लेखक की किन बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था?
उत्तर:
हामिद को लेखक की निम्नलिखित बातों पर विश्वास नहीं हो रहा था-

  • भारत में हिंदू-मुसलमान मिल-जुलकर रहते हैं।
  • हिंदू निस्संकोच मुसलमानों के होटलों में खाना खाने जाते हैं।
  • यहाँ सांप्रदायिक दंगे न के बराबर होते हैं।

प्रश्न 4.
हामिद खाँ ने खाने का पैसा लेने से इनकार क्यों किया?
उत्तर:
हामिद खाँ पाकिस्तान का रहनेवाला था। वह एक भला आदमी था। मानवीय भावनाओं का उसके जीवन में बहुत महत्त्व था। भूख के कारण होटल ढूंढते हुए लेखक तंग गलियों में स्थित हामिद खाँ के होटल पर पहुँच गए वहाँ उनकी मेहमाननवाजी अच्छा इंसान समझ कर की गई। खाने के बदले लेखक पैसे देना चाहते थे परंतु हामिद खाँ ने उन्हें लेने से इंकार कर दिया। एक रुपये के नोट को वापिस करते हुए हामिद खाँ ने कहा कि मैंने आपसे पैसे ले लिए, लेकिन मैं चाहता हूँ कि ये पैसे आपके पास रहें। आप जब भारत पहुँचे तो उनकी मेहमाननवाजी को याद रखें। लेखक की इंसानियत व उनकी मेल-मिलाप की बातों से हामिद खाँ प्रभावित हुआ था इसलिए उसने मेहमाननवाज़ी के पैसे लेने से इंकार कर दिया।

प्रश्न 5.
मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के परस्पर संबंधों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
मालाबार में हिंदू-मुसलमानों के संबंध सद्भावपूर्ण थे। वे एक-दूसरे को शक की दृष्टि से नहीं देखते थे। वे आपस में लड़ते-झगड़ते नहीं थे। हिंदू इलाकों में भी मस्जिदें थीं। यहाँ सांप्रदायिक दंगे बहुत ही कम होते थे।

प्रश्न 6.
तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में कौन-सा विचार कौंधा? इससे लेखक के स्वभाव की किस विशेषता का परिचय मिलता है?
उत्तर:
तक्षशिला में धर्म के नाम पर धार्मिक झगड़े जन्म लेते रहते थे। इन झगड़ों की खबरें समाचार-पत्र में छपती रहती थीं। लेखक ने जब इस सांप्रदायिक झगड़े की खबर पढ़ी तो उसका सीधा ध्यान हामिद खाँ की ओर गया। उसने प्रार्थना की कि भगवान हामिद खाँ की दुकान को कोई नुकसान न पहुँचाए। हिंदू-मुसलिम भेद-भाव की आग उस तक न पहुँच पाए। इससे लेखक के स्वभाव की मानवीय भावना का परिचय मिलता है। उनकी दृष्टि में धर्म की प्रधानता नहीं थी। मानवीयता प्रमुख थी। हामिद खाँ उन्हें भला मानव लगा इसलिए उसके प्रति हमदर्दी व सहानुभूति की भावना उनके मन में थी।

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