NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 2 स्मृति

Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 2 स्मृति

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 2 स्मृति, (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं

छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 2 स्मृति

Class 9 Hindi Sanchayan Chapter 2 स्मृति

पाठ्यपुस्तक के बोधप्रश्न

प्रश्न 1.
भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में किस बात का डर था?
उत्तर:
भाई के बुलाने पर घर लौटते समय लेखक के मन में पिटाई की आशंका थी। वह पिटाई और उसके संभावित कारणों के बारे में सोच रहा था कि कहीं इस कड़ी सरदी में झरबेरी के बेर खाने चले आने के कारण बड़े भाई उसे पिटाई करने के लिए तो नहीं बुला रहे हैं।

प्रश्न 2.
मक्खनपुर पढ़ने जाने वाली बच्चों की टोली रास्ते में पड़ने वाले कुएँ में ढेला क्यों फेंकती थी?
उत्तर:
मक्खनपुर पढ़ने जानेवाले बच्चों की टोली पूरी वानर टोली थी। उन बच्चों को पता था कि कुएँ में साँप है। वे ढेला फेंककर कुएँ में से आनेवाली उसकी क्रोधपूर्ण फुफकार सुनने में मजा लेते थे। कुएँ में ढेला फेंककर उसकी आवाज़ सुनने के बाद अपनी बोली की प्रतिध्वनि सुनने की लालसा उनके मन में रहती थी।

प्रश्न 3.
‘साँप ने फुसकार मारी या नहीं, ढेला उसे लगा या नहीं, यह बात अब तक स्मरण नहीं’-यह कथन लेखक की किस मनोदशा को स्पष्ट करता है?
उत्तर:
साँप की फुफकार होने या उसे ढेला लगने या न लगने की बात लेखक को अब तक याद नहीं, क्योंकि कुएँ में ढेला मारते समय उसकी टोपी में रखी चिट्ठियाँ चक्कर काटती हुई कुएँ में गिर रही थीं। चिठियों को यूँ गिरते देखकर लेखक अपनी भावी पिटाई को सोचकर भयभीत हो गया। उक्त कथन लेखक की भयाक्रांत, निराश और घबराहट भरी मनोदशा को स्पष्ट करता है।

प्रश्न 4.
किन कारणों से लेखक ने चिट्ठियों को कुएँ से निकालने का निर्णय लिया?
उत्तर:
लेखक को चिठियाँ बडे भाई ने दी थीं। यदि वे डाकखाने में नहीं डाली जातीं तो घर पर मार पडती। सच बोलकर पिटने का भय और झूठ बोलकर चिट्ठियों के न पहुँचने की जिम्मेदारी के बोझ से दबा वह बैठा सिसक रहा था। वह झूठ भी नहीं बोल सकता था। चिट्ठियाँ कुएँ में गिरी पड़ी थीं। उसका मन कहीं भाग जाने को करता था, फिर पिटने का भय और जिम्मेदारी की दुधारी तलवार कलेजे पर फिर रही थी। उसे चिट्ठियाँ बाहर निकालकर लानी थीं। अंत में उसने कुएँ से चिट्ठियाँ निकालने का निर्णय कर ही लिया।

प्रश्न 5.
साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने क्या-क्या युक्तियाँ अपनाई?
उत्तर:
साँप का ध्यान बँटाने के लिए लेखक ने कुएँ की दीवार पर अपना पैर लगाकर कुछ मिट्टी गिराई। इससे साँप का ध्यान बँट गया और उसने मिट्टी पर जोर से मुँह मारा। लेखक ने डंडे से चिट्ठियों को सरकाया, इससे उसका ध्यान डंडे की ओर चला गया और उसने डंडे पर भरपूर वार किया। इस तरह उसने साँप का ध्यान बँटाकर चिट्ठियाँ उठाने में सफल हो गया।

प्रश्न 6.
कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकालने संबंधी साहसिक वर्णन को अपने शब्दों में लिखिए।
अथवा
चिट्ठियों को कुएँ से निकालना मौत का सामना करना था। कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लेखक की चिट्ठियाँ कुएँ में गिरी पड़ी थीं। कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को निकाल लाना साहस का कार्य था। लेखक ने इस चुनौती को स्वीकार किया और उसने छह धोतियों को जोड़कर डंडा बाँधा और एक सिरे को कुएँ में डालकर उसके दूसरे सिरे को कुएँ के चारों ओर घुमाने के बाद उसमें गाँठ लगाकर छोटे भाई को पकड़ा दिया। धोती के सहारे जब वह कुएँ के धरातल से चार-पाँच गज ऊपर था, उसने साँप को फन फैलाए देखा। वह कुछ हाथ ऊपर लटक रहा था। साँप के पास पैर लटकते थे। वह आक्रमण करने की तैयारी में था।

साँप को धोती में लटककर नहीं मारा जा सकता था। डंडा चलाने के लिए काफी जगह चाहिए थी इसलिए उसने डंडा चलाने का इरादा छोड़ दिया। उसने डंडे से चिट्ठियों को खिसकाने का प्रयास किया कि साँप डंडे से चिपक गया। साँप का पिछला भाग लेखक के हाथों को छू गया। लेखक ने डंडे को एक ओर पटक दिया। देवी कृपा से साँप के आसन बदल गए और वह चिट्ठियों को उठाने में कामयाब हो गया।

प्रश्न 7.
इस पाठ को पढ़ने के बाद किन-किन बाल-सुलभ शरारतों के विषय में पता चलता है?
अथवा
बच्चे किस प्रकार की शरारतों में आनंद लेते हैं?
उत्तर:
इस पाठ को पढ़ने के बाद अनेक बाल सुलभ शरारतों का पता चलता है; जैसे-

  • बच्चे सरदी आदि की परवाह किए बिना पेड़ से फल आदि तोड़कर खाते रहते हैं।
  • उन्हें पिटाई से डर लगता है।
  • वे काम को जिम्मेदारी से करते हुए भी शरारतों में शामिल हो जाते हैं।
  • जीव-जंतुओं को सताने में उन्हें मज़ा आता है।
  • वे नासमझी में साँप जैसे जहरीले जीव से भी छेड़छाड़ करते हैं।

प्रश्न 8.
‘मनुष्य का अनुमान और भावी योजनाएँ कभी-कभी कितनी मिथ्या और उलटी निकलती हैं’-का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मनुष्य हर स्थिति से निबटने के लिए अपना अनुमान लगाता है। वह अपने अनुसार भविष्य के लिए योजनाएँ बनाता है, पर ये योजनाएँ हर बार सफल नहीं हो पातीं। ये कई बार झूठी सिद्ध होती हैं। कई बार तो स्थिति बिलकुल उल्टी होती है। जिस प्रकार लेखक के साथ बचपन में घटित हुआ। मक्खनपुर जाते समय जब लेखक की चिट्ठियाँ गिर गईं। उस समय की स्थिति का लेखक ने अनुमान नहीं लगाया था। कुएँ में उतरकर चिट्ठियों को लाना साहस का काम था। लेखक धोती के सहारे कुएँ में उतरा था। सामने साँप फन फैलाए बैठा था। धोती पर लटककर साँप को मारना बिलकुल असंभव था।

वहाँ डंडा चलाने की भी जगह नहीं थी। लेखक ने डंडे से चिट्ठियों को खिसकाने का प्रयास किया तो साँप ने डंडे से चिपककर आसन बदल लिया और लेखक चिट्ठियाँ उठाने में सफल हुआ। लेखक इन सब बातों के लिए पहले से तैयार नहीं था, लेकिन स्थिति के साथ वह अपनी योजना में परिवर्तन करता गया।
इस प्रकार मनुष्य की कल्पना और वास्तविकता में बहुत अंतर होता है। यह बात इस घटना से सिद्ध हो जाती है।

प्रश्न 9.
‘फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर है’-पाठ के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लेखक ने अपने बड़े भाई की पिटाई से बचने एवं चिट्ठियाँ डाकखाने में पहुँचाने की जिम्मेदारी के कारण उसने कुएँ में उतरने का निर्णय किया। वह कुएँ में पड़े विषैले साँप से होने वाले भावी खतरों को भी जानता था। इस जोखिमपूर्ण कार्य में उसकी मृत्यु भी हो सकती थी। उसने परिणाम पर कम ध्यान देकर चिट्ठियाँ उठाने में अपना पूरा ध्यान लगाया। उसने अपने उद्देश्य को सामने रखकर कार्य किया, क्योंकि फल तो किसी दूसरी शक्ति पर निर्भर करता है।

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