NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन, (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल

कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

Class 9 Hindi Kshitij Chapter 7 मेरे बचपन के दिन

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नअभ्यास

प्रश्न 1.
‘मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है।’ इस कथन के आलोक में आप यह पता लगाएँ कि
() उस समय लड़कियों की दशा कै री थी?
() लड़कियों के जन्म के संबंध में आज कैसी परिस्थितियाँ हैं?
उत्तर:
(क) महादेवी वर्मा के बचपन के समय लड़कियों की दशा बहुत अच्छी न थी। लड़कियों के प्रति समाज की सोच अच्छी न थी। लड़कियों को बोझ समझा जाता था। उनके पैदा होने पर लोगों को दुख होता था। वे उन्हें मार देते थे। खुद लेखिका का परिवार इसका उदाहरण है जहाँ दो सौ वर्षों तक कोई लड़की पैदा नहीं हुई।

(ख) उस समय की तुलना में आज लड़कियों की दशा में बहुत बदलाव आ गया है। यद्यपि विज्ञान और तकनीक का कुछ लोग दुरुपयोग करके कन्या भ्रूणहत्या करवा देते हैं पर इसके विरुद्ध कानून बन जाने से स्थिति में सुधार आया है। विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे-लाडली योजना, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, विभिन्न स्थानों पर महिलाओं के लिए आरक्षण, बालिकाओं को मुफ्त शिक्षा, छात्रवृत्ति आदि सुलभ होने के कारण अब लड़कियों को बोझ नहीं समझा जाता है। इस तरह परिस्थितियों में सुधार आया है।

प्रश्न 2.
लेखिका उर्द-फ़ारसी क्यों नहीं सीख पाईं?
उत्तर:
लेखिका उर्दू-फ़ारसी इसलिए नहीं सीख पाई क्योंकि

  1. उसके घर में उर्दू-फारसी का माहौल न था, जिससे बचपन में उसे इस भाषा को सीखने के लिए प्रोत्साहन नहीं मिला।
  2. लेखिका के मन में यह बात बैठ गई थी कि उर्दू-फारसी सीखना उसके वश की बात नहीं।
  3.  इस भाषा को सीखने में वह रुचि नहीं लेती थी।
  4. उर्दू सिखाने वाले मौलवी के आने पर वह चारपाई के नीचे छिप जाया करती थी।

प्रश्न 3.
लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है?
उत्तर:
लेखिका ने अपनी माँ के व्यक्तित्व की अनेक विशेषताओं का उल्लेख किया है-

  • वह परिवार में हिंदी भाषा लाई
  • पूजा-पाठ में उनकी विशेष रुचि थी।
  • वे संस्कृत जानती थी और गीता पढ़ती थीं।
  • वे मीरा के पद तथा प्रभाती ‘जागिए कृपा निधान पंछी बन बोले’ गाती थी।
  • वे ब्रज भाषा में पद रचना भी करती थीं।

प्रश्न 4.
जवारा के नवाब के साथ अपने पारिवारिक संबंधों को लेखिका ने आज के संदर्भ में स्वप्न जैसा क्यों कहा है?
उत्तर:
जवारा के नवाब और लेखिका का परिवार एक ही कंपाउंड में रहता था। मुसलमान और हिंदू परिवार होने के बाद भी दोनों परिवारों के संबंध बहुत अच्छे थे। दोनों के त्योहारों को एक-दूसरे के परिवार वाले मिल-जुलकर मनाते थे। एक का जन्मदिन दूसरे के परिवार में मनाया जाता था।

रक्षाबंधन के दिन लेखिका नवाब के बेटे को राखी बाँधती थी तो मुहर्रम के दिन लेखिका के परिवार के बच्चे हरे कपड़े पहनते थे। लेखिका के छोटे भाई को मनमोहन नाम नवाब की पत्नी द्वारा ही दिया गया था।

आज हिंदू और मुसलमान के नाम पर जगह-जगह दंगे होते हैं। इसके अलावा धर्म, संप्रदाय आदि के नाम पर वैमनस्यता उत्पन्न हो गई है। उस तरह के सांप्रदायिक सद्भाव सचमुच स्वप्न बनकर रह गए हैं।

प्रश्न 5.
जेबुन्निसा महादेवी वर्मा के लिए बहुत काम करती थी। जेबुन्निसा के स्थान पर यदि आप होतीं/होते तो महादेवी से आपकी क्या अपेक्षा होती?
उत्तर:
जेबुन्निसा की जगह यदि मैं होती तो और महादेवी वर्मा का कुछ काम करती तो महादेवी से अपेक्षा भी रखती कि

  • वे पढ़ाई में मेरी मदद कर दिया करें।
  • वे मुझे तुकबंदी करना सिखाएँ।
  • वे अपने साथ मुझे भी कवि सम्मेलनों में ले जाया करें ताकि कविता पाठ का आनंद मैं भी उठा सकें।

प्रश्न 6.
महादेवी वर्मा को काव्य प्रतियोगिता में चाँदी का कटोरा मिला था। अनुमान लगाइए कि आपको इस तरह का कोई पुरस्कार मिला हो और वह देशहित में या किसी आपदा निवारण के काम में देना पड़े तो आप कैसा अनुभव करेंगे/करेंगी?
उत्तर:
देशहित में या देश पर आई किसी आपदा निवारण के लिए मैं पुरस्कार में मिली कोई वस्तु या अपनी निजी वस्तु सहर्ष दे दूंगा। पुरस्कार से प्यार तो मुझे भी है पर देशहित की बात आने पर यह प्यार देश के लिए बढ़ जाएगा। मेरे लिए व्यक्तिगत हित, देशहित के सामने कोई महत्त्व नहीं रखता है।

प्रश्न 7.
लेखिका ने छात्रावास के जिस बहुभाषी परिवेश की चर्चा की है उसे अपनी मातृभाषा में लिखिए।
उत्तर:
महादेवी क्रास्थवेट गर्ल्स स्कूल के छात्रावास में रहती थीं वहाँ कई प्रांतों से लड़कियाँ पढ़ने आती थीं। उनकी मातृभाषा और बोली-भाषा अलग थी। उनमें कुछ अवधी बोलती थी तो कुछ ब्रज और कुछ बुंदेलखंडी। सब हिंदी में पढ़ाई करती थी। सब एक ही मेस में खाती थी। एक ही प्रार्थना में खड़ी होती। वहाँ सांप्रदायिकता या वाद-विवाद जैसी कोई बात नहीं थी।

प्रश्न 8.
महादेवी जी के इस संस्मरण को पढ़ते हुए आपके मानस-पटल पर भी अपने बचपन की कोई स्मृति उभरकर आई होगी, उसे संस्मरण शैली में लिखिए।
उत्तर:
मैं जहाँ रहता हूँ वहीं पास में कुछ मुसलमानों के घर भी हैं। एक बार पाकिस्तान | भारत के साथ क्रिकेट के एक नजदीकी मुकाबले में हार गया। कुछ शरारती लड़कों ने मुसलमानों के घर के पास पटाखे फोड़ दिया। यह बात मुसलमानों को नागवार गुजरी। उन्होंने एक हिंदू लड़के को पीट दिया। बस क्या था, दंगे जैसी स्थिति बन गई।

पता चला कि दोनों ओर के दस आदमी घायल हो चुके हैं। मैं उस दिन अपनी कोचिंग की कक्षाएँ समाप्त कर दस बजे लौट रहा था कि सबसे किनारे वाले मकान के रऊफ चाचा ने मुझे अंदर खींच लिया और सारी बातों से अवगत कराया। उन्होंने मेरे घरवालों को फोन किया।
घरवाले पुलिस के साथ वहाँ आए और रऊफ चाचा को धन्यवाद देकर मुझे घर ले गए। यह घटना याद कर मैं आज भी रऊफ चाचा का कृतज्ञ हो उठता हूँ।

प्रश्न 9.
महादेवी ने कवि सम्मेलनों में कविता पाठ के लिए अपना नाम बुलाए जाने से पहले होने वाली बेचैनी का जिक्र किया है। अपने विद्यालय में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते समय आपने जो बेचैनी अनुभव की होगी, उस पर डायरी का एक पृष्ठ लिखिए।
उत्तर:
सोमवार
15 अगस्त, 2016 आज विद्यालय में प्रातः 9 बजे स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम मनाया गया। इस राष्ट्रीय पर्व के शुभ अवसर पर आगंतुकों, अध्यापकों एवं छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए विशेष व्यवस्था की गई तथा मंच सजाया गया। प्रातः 8बजे से ही देशभक्तिपूर्ण गीत बजाए जा रहे थे। मुख्य अतिथि के आते ही दीप प्रज्वलित करके सरस्वती वंदना की गई और सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हो गया।

इसी कार्यक्रम में मुझे राष्ट्र कवि दिनकर की कविता ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। का पाठ करना था। मन में भय की लहर जब-तब दौड़ जाती थी। एक उत्सुकता भी थी कि कब मेरा नाम पुकारा जाए, अंततः उद्घोषक ने मेरा नाम पुकारा। मैं सहमा-सा मंच गया। मन में सरस्वती माँ का स्मरण किया और कविता पढ़ना शुरू कर दिया। कविता होते ही जब तालियाँ बजी तब मन खुशी से भर गया। मैं खुशी मन से आकर अपनी सीट पर बैठ गया और बाकी कार्यक्रम का आनंद उठाने लगा।

भाषाअध्ययन

प्रश्न 10.
पाठ से निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द ढूँढ़कर लिखिए

  1. विद्वान,
  2. अनंत,
  3. निरपराधी,
  4. दंड,
  5. शांति।

उत्तर:

  1. विद्वान विदुषी (विपरीतलिंग)
  2. अनंत अंत
  3. निरपराधी अपराधी
  4. दंड पुरस्कार
  5. शांति बेचैनी।

प्रश्न 11.
निम्नलिखित शब्दों से उपसर्ग/प्रत्यय अलग कीजिए और मूल शब्द बताइए
निराहारी               –     निर्      +     आहार       +     ई
सांप्रदायिकता
अप्रसन्नता
अपनापन
किनारीदार
स्वतंत्रता
उत्तर:

प्रश्न 12.
निम्नलिखित उपसर्ग-प्रत्ययों की सहायता से दो-दो शब्द लिखिए
उपसर्ग अन्, अ, सत् स्व, दुर्
प्रत्यय दार, हार, व, अनीय
उत्तर:
उपसर्ग   –

  • अन् – अनधिकार, अनादर ,
  • अ – अन्याय, अकाल
  • सत् – सत्संगति, सत्पथ
  • स्व – स्वाध्याय, स्वराज्य
  • दुर – दुर्गति, दुराचार

प्रत्यय    –

  • दार – हवादार, देनदार
  • हार – तारनहार, पालनहार
  • वाला – ताँगेवाला, रिक्शावाला
  • अनीय – दयनीय, पूजनीय।

प्रश्न 13.
पाठ में आए सामासिक पद छाँटकर विग्रह कीजिए-
पूजा -पाठ                                   पूजा और पाठ
……………………..                            …………………….
…………………….                             …………………….
…………………….                             …………………….
…………………….                             …………………….
उत्तर:

पाठेतर सक्रियता

बचपन पर केंद्रित मैक्सिम गोर्की की रचनामेरा बचपनपुस्तकालय से लेकर पढ़िए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• ‘मातृभूमि : विलेज विदआउट विमेन’ (2005) फिल्म देखें। मनीष झा द्वारा निर्देशित इस फिल्म में कन्या भ्रूण हत्या की त्रासदी को अत्यंत बारीकी से दिखाया गया है।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• कल्पना के आधार पर बताइए कि लड़कियों की संख्या कम होने पर भारतीय समाज का रूप कैसा होगा? :
उत्तर:
यदि देश में लड़कियों की संख्या कम हो गई तो बहुत ही चिंताजनक स्थितियाँ बन जाएंगी। प्रत्येक पुरुष का विवाह नहीं हो सकेगा। इसलिए कुँवारे पुरुष गलत रास्तों की ओर चल पड़ेंगे। समाज में बलात्कार जैसी घटनाएँ बढ़ेगी। स्त्रियों का बाजारों में निकलना भी कठिन हो जाएगा। दूसरी ओर वेश्यावृत्ति बढ़ेगी। यह भी हो सकता है कि एक स्त्री का दो-तीन पुरुषों के साथ विवाह हो। इससे हमारी समाज-व्यवस्था में उथल-पुथल मच जाएगी।

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