NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया, (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

Class 9 Hindi Kshitij Chapter 5 नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नअभ्यास

प्रश्न 1.
बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को कौन-कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया?
उत्तर:
बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को महल की रक्षा करने के लिए निम्नलिखित तर्क दिए-

  • यह महल जड़ पदार्थ है, जिसने अंग्रेजों के विरुद्ध कोई कार्य नहीं किया है। अतः यह दोषी नहीं है।
  • मैना को यह राजमहल अत्यंत प्रिय था।
  • अंग्रेजों के विरुद्ध हथियार उठाने वाले दोषी हो सकते हैं। अतः उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाए।

प्रश्न 2.
मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज़ उसे नष्ट करना चाहते थे। क्यों?
उत्तर:
मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी क्योंकि इस मकान में वह पल-बढ़कर बड़ी हुई थी। वह मकान उसके पिता का था जो उसे बहुत प्रिय था। मैना की दृष्टि में इस मकान ने अंग्रेज़ों का अहित नहीं किया है। इससे उसकी अनेक यादें जुड़ी हैं।
अंग्रेज़ उसे नष्ट करना चाहते थे क्योंकि नाना साहेब जिन्होंने कानपुर में अंग्रेज़ों के खिलाफ हथियार उठाए थे तथा विद्रोह का नेतृत्व किया था, यह मकान उन्हीं का था। वे नाना साहब की हर वस्तु, नष्ट करना चाहते थे। वे नाना से बदला लेने के लिए ऐसा कर रहे थे।

प्रश्न 3.
सर टामस ‘हे’ के मैना पर दया-भाव के क्या कारण थे?
उत्तर:
सर टामस ‘हे’ के मैना पर दया-भाव के निम्नलिखित कारण थे-

  • मैना और ‘हे’ की पुत्री दोनों सहचरी थीं।
  • जनरल ‘हे’ नानासाहब के पास आया-जाया करते थे।
  • जनरल ‘हे’ को अपनी मृत पुत्री ‘मैरी’ की छवि मैना में दिखाई दे रही थी।
  • वे सहृदय तथा संवेदनशील इंसान थे।

प्रश्न 4.
मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह उस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भरकर रो ले लेकिन पाषाण हृदय वाले जनरल ने किस भय से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी?
उत्तर:
मैना को अपना राजमहल बहुत ही प्रिय था। उस मकान को अउटरम ने ध्वस्त कर दिया था। वह प्रासाद के अवशेष पर बैठकर रोना चाहती थी पर अउटरम ने इसकी अनुमति नहीं दी क्योंकि उसके विलाप से सैनिकों में भी सहानुभूति पैदा हो सकती थी। यह सहानुभूति अंग्रेज़ी सेना के विरुद्ध विद्रोह की भावना भड़का सकती थी।

इसके अलावा यह भी डर था कि मैना पर सहानुभूति दिखाने पर उसे अंग्रेज़ी सरकार के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है। उसे मैना के साहसी स्वभाव ने भयभीत कर दिया था।

प्रश्न 5.
बालिका मैना के चरित्र की कौन-कौन सी विशेषताएँ आप अपनाना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर:
मैं बालिका मैना के चरित्र की निम्नलिखित विशेषताएँ अपनाना चाहूँगा-

  • साहस मैना ने जिस साहस से जनरल ‘हे’ से बात की वह अनुकरणीय है।
  • वाक्पटुता मैना वाक्पटु है। वह अपनी वाक्पटुता से ‘हे’ को महल की रक्षा करने के लिए तैयार कर लेती है।
  • निडरता मैना निडर है। वह सैनिकों से घिरी होने पर भी नहीं डरती है।
  • जन्मभूमि से प्रेम मैना अपनी जन्मभूमि से असीम प्रेम करती है। वह चाहती तो महल छोड़कर अन्यत्र भाग जाती पर उसने अपने मातृभूमि से प्रेम के कारण अपने प्राणों को न्योछावर कर दिया।

स्वगृहप्रेम – मैना को अपने राजमहल से स्वाभाविक प्रेम है। उसके टूटने पर वह दुख सहन नहीं कर पाती। इसलिए वह एक बार उस टूटे महल पर बैठकर रो लेना चाहती है। यह स्वगृह-प्रेम अनुकरणीय है। । ये दोनों ही गुण उसे महिमा प्रदान करते हैं। इसलिए इन्हें हम भी अपनाना चाहेंगे।

प्रश्न 6.
‘टाइम्स’ पत्र ने 6 सितंबर को लिखा था-बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उस दुर्दात नाना साहब को नहीं पकड़ सकी। इस वाक्य में भारत सरकार’ से क्या आशय है?
उत्तर:
6 सितंबर के टाइम्स पत्र में छपे वाक्य में प्रयुक्त भारत सरकार’ का अर्थ है-भारत में शासन चलाने वाले ब्रिटिश या ‘अंग्रेज़ी सरकार से है क्योंकि भारत में उस समय वही शासन कर रही थी।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 7.
स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की क्या भूमिका रही होगी?
उत्तर:
स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में देश प्रेम और देशभक्ति की भावना से भरपूर ऐसे लेखों की भूमिका अत्यंत महत्त्वपूर्ण रही होगी। ऐसे लेख लोगों में देश प्रेम का संचार करते हैं तथा अपनी मातृभूमि की रक्षा हेतु कुछ कर गुजरने की प्रेरणा देते हैं। इन लेखों में अंग्रेजों द्वारा किए गए अमानुषिक व्यवहार का हृदयस्पर्शी वर्णन होता है जिससे मन में त्याग, बलिदान की भावना और अत्याचार से मुकाबला करने का साहस बढ़ता है। इससे लोग एकजुट होकर अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन को तैयार हो जाते होंगे। यह आजादी पाने की दिशा में एक और कदम होता था।

प्रश्न 8.
कल्पना कीजिए कि मैना के बलिदान की यह खबर आपको रेडियो पर प्रस्तुत करनी है। इन सूचनाओं के आधार पर आप एक रेडियो समाचार तैयार करें और कक्षा में भावपूर्ण शैली में पढ़ें।
उत्तर:
मैना के बलिदान पर एक रेडियो समाचार-यह आकाशवाणी का……… चैनल है।
आज के विशेष कार्यक्रम में मैना के बलिदान पर रेडियो समाचार प्रस्तुत किया जा रहा है। इसके प्रस्तुतकर्ता हैं श्री……..।
कल अंग्रेज़ सरकार ने कानपुर के किले में ऐसा कायरतापूर्ण कृत्य किया जो इतिहास को कलंकित करता रहेगा।
नाना साहब की जिस पुत्री मैना को जनरल अउटरम ने आधी रात को गिरफ्तार किया था, उसे हथकड़ी डाल रात में ही कानपुर के किले में डाल दिया था।
समाचार यह है कि मैना को योजनाबद्ध तरीके से जलती आग में भस्म कर दिया गया।
आग की भीषण लपटों में जलती उस बालिका के बलिदान को देश की स्वतंत्रता के लिए पवित्र मानकर कानपुर की जनता शीश झुका रही है। मैना के इसे बलिदान से उसका नाम अमर हो गया है।

प्रश्न 9.
इस पाठ में रिपोर्ताज के प्रारंभिक रूप की झलक मिलती है लेकिन आज अखबारों में अधिकांश खबरें रिपोर्ताज की शैली में लिखी जाती हैं। आप
() कोई दो खबरें किसी अखबार से काटकर अपनी कॉपी में चिपकाइए तथा कक्षा में पढ़कर सुनाइए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।
() अपने आसपास की किसी घटना का वर्णन रिपोर्ताज शैली में कीजिए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

प्रश्न 10.
आप किसी ऐसे बालक/बालिका के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए जिसने कोई बहादुरी का काम किया हो।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

भाषाअध्ययन

प्रश्न 11.
भाषा और वर्तनी का स्वरूप बदलता रहता है। इस पाठ में हिंदी गद्य का प्रारंभिक रूप व्यक्त हुआ है जो लगभग 75-80 वर्ष पहले था। इस पाठ के किसी पसंदीदा अनुच्छेद को वर्तमान मानक हिंदी रूप में लिखिए।
उत्तर:
उसी दिन संध्या समय लार्ड केनिंग का एक तार आया, जिसका आशय इस प्रकार था-
“लंदन के मंत्रिमंडल का यह मत है, कि नाना की स्मृति-चिह्न तक मिटा दिया जाए। इसलिए वहाँ की आज्ञा के विरुद्ध कुछ नहीं हो सकता।”
उसी क्षण क्रूर जनरल आउटरम की आज्ञा से नाना साहब के सुविशाल राजमंदिर पर तोप के गोले बरसने लगे। घंटे भर में वह महल मिट्टी में मिला दिया गया।

पाठेतर सक्रियता

अपने साथियों के साथ मिलकर बहादुर बच्चों के बारे में जानकारी देने वाली पुस्तकों की सूची बनाइए।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

इन पुस्तकों को पढ़िएभारतीय स्वाधीनता संग्राम में महिलाएँ’-राजम कृष्णन, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली।
1857
की कहानियाँ’-ख्वाजा हसन निजामी, नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली।
उत्तर:
परीक्षोपयोगी नहीं।

• अपठित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
आज़ाद भारत में दुर्गा भाभी को उपेक्षा और आदर दोनों मिले। सरकारों ने उन्हें पैसों से तोलना चाहा। कई वर्ष पहले पंजाब में उनके सम्मान में आयोजित एक समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने उन्हें 51 हजार रुपये भेंट किए। भाभी ने वे रुपये वहीं वापस कर दिए। कहा-”जब हम आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय किसी व्यक्तिगत लाभ या उपलब्धि की अपेक्षा नहीं थी। केवल देश की स्वतंत्रता ही हमारा ध्येय था। उस ध्येय पथ पर हमारे कितने ही साथी अपना सर्वस्व निछावर कर गए, शहीद हो गए। मैं चाहती हूँ कि मुझे जो 51 हजार रुपये दिए गए हैं, उस धन से यहाँ शहीदों का एक बड़ा स्मारक बना दिया जाए, जिसमें क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास का अध्ययन और अध्यापन हो, क्योंकि देश की नई पीढ़ी को इसकी बहुत आवश्यकता है।”

मुझे याद आता है सन् 1937 का जमाना, जब कुछ क्रांतिकारी साथियों ने गाज़ियाबाद तार भेजकर भाभी से चुनाव लड़ने की प्रार्थना की थी। भाभी ने तार से उत्तर दिया-‘चुनाव में मेरी कोई दिलचस्पी नहीं है। अतः लड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता।”
मुल्क के स्वाधीन होने के बाद की राजनीति भाभी को कभी रास नहीं आई। अनेक शीर्ष नेताओं से निकट संपर्क होने के बाद भी वे संसदीय राजनीति से दूर ही बनी रहीं। शायद इसलिए अपने जीवन का शेष हिस्सा नई पीढ़ी के निर्माण के लिए अपने विद्यालय को उन्होंने समर्पित कर दिया।

  1. स्वतंत्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान किस प्रकार किया गया?
  2. दुर्गा भाभी ने भेंट स्वरूप प्रदान किए गए रुपये लेने से इंकार क्यों कर दिया?
  3. दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति से दूर क्यों रहीं?
  4. आज़ादी के बाद उन्होंने अपने को किस प्रकार व्यस्त रखा?
  5. दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व की कौन सी विशेषता आप अपनाना चाहेंगे?

उत्तर:

1. स्वतंत्र भारत में दुर्गा भाभी का सम्मान दो प्रकार से किया गया

  1. पंजाब में उनके सम्मान में एक राजनीतिक सम्मेलन आयोजित किया गया।
  2. उन्हें मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने 51000 रु. की राशि भेंट की।

2. दुर्गा भाभी ने भेंट-स्वरूप मिले 51000 रु. की राशि को लेने से इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि वे स्वतंत्रता-संघर्ष के बदले कोई मूल्य नहीं लेना चाहती थीं। उनका संघर्ष निस्वार्थ था। उस संघर्ष में कितने क्रांतिकारी अपना सर्वस्व न्योछावर करके शहीद हो गए थे। अतः उन्होंने वह राशि उनकी याद में एक स्मारक बनाने के लिए समर्पित कर दी।

3. दुर्गा भाभी संसदीय राजनीति में रुचि नहीं रखती थीं। इसलिए वे उससे दूर बनी रहीं।

4. आज़ादी के बाद उन्होंने देश की नई पीढ़ी के निर्माण के लिए एक विद्यालय खोला और उसी में समर्पित रहीं।

5. दुर्गा भाभी के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताएँ अपनाने योग्य हैं

  1. निस्वार्थ देशभक्ति
  2. लोभ, पुरस्कार और धन का देश-हित में त्याग
  3. दृढ़ निश्चय
  4. चुनावी राजनीति की दलदल से दूरी
  5. देश के भविष्य निर्माण में लगन।

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