NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा, (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं

छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

Class 9 Hindi Kshitij Chapter 16 यमराज की दिशा

पाठ्यपुस्तक के प्रश्नअभ्यास

प्रश्न 1.
कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल क्यों नहीं हुई?
उत्तर:
कवि को दक्षिण दिशा पहचानने में कभी मुश्किल इसलिए नहीं हुई क्योंकि उसकी माँ ने बचपन में ही दक्षिण दिशा के प्रति यमराज का भय दिखा दिया था। इसके कारण कवि को दक्षिण दिशा अविस्मरणीय हो गई।

प्रश्न 2.
कवि ने ऐसा क्यों कहा कि दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था?
उत्तर:
कवि ने दक्षिण दिशा को लाँघ सकना असंभव बताया क्योंकि कोई ऐसा निश्चित बिंदु नहीं है जहाँ जाकर यह दिशा समाप्त हो जाती हो। दक्षिण में चलकर हम जहाँ भी ठहरते हैं, उसके आगे से फिर दक्षिण दिशा शुरू हो जाती है। इस प्रकार दक्षिण को लाँघ पाना संभव नहीं था।

प्रश्न 3.
कवि के अनुसार आज हर दिशा दक्षिण दिशा क्यों हो गई है?
उत्तर:
कवि के अनुसार आज हर दिशा इसलिए दक्षिण दिशा होती जा रही है क्योंकि शोषणकारी ताकतें और शोषक अपनी शक्ति बढ़ाते हुए चारों ओर फैलाते जा रहे हैं। इन ताकतों के विस्तार के कारण आम आदमी कहीं भी सुरक्षित नहीं रह गया है।

प्रश्न 4.
भावे स्पष्ट कीजिए
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं।
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं।
उत्तर:
भाव-प्राचीन परंपरानुसार लोगों का मानना था कि यमराज दक्षिण दिशा में रहता है।
उस समय लोगों में न इतनी धनलोलुपता थी और न मानवीय मूल्यों का इतना ह्रास हुआ था। आज सभ्यता के खतरनाक विकास के साथ लोगों में स्वार्थ तथा शोषण की प्रवृत्ति बढ़ी है। ये शोषण करने वाली शक्तियाँ किसी एक दिशा तक सीमित न रहकर चारों ओर फैली हुई हैं। रचना और अभिव्यक्ति

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 5.
कवि की माँ ईश्वर से प्रेरणा पाकर उसे कुछ मार्ग-निर्देश देती है। आपकी माँ भी समय-समय पर आपको सीख देती होंगी
() वह आपको क्या सीख देती हैं?
(
) क्या उसकी हर सीख आपको उचित जान पड़ती है? यदि हाँ तो क्यों और नहीं तो क्यों नहीं?
उत्तर:
(क) कवि की माँ की ही तरह मेरी माँ भी सत्य बोलने, बड़ों का कहना मानने अत्याचार का सामना करने अपने आसपास साफ़-सफ़ाई रखने तथा ईश्वर पर भरोसा बनाए रखने की सीख देती है।

(ख) हाँ, मुझे अपनी माँ की सीख उचित जान पड़ती है। इसका कारण यह है कि दुनिया की हर माँ अपनी संतान की सदा भलाई चाहती है। उसे दुनियादारी की समझ संतान से अधिक होती है। वह अपने अनुभव की सीख संतान तक पहुँचाना चाहती है इसलिए उसकी सीख उचित होती है।

प्रश्न 6.
कभी-कभी उचित-अनुचित निर्णय के पीछे ईश्वर का भय दिखाना आवश्यक हो जाता है, इसके क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर:
ईश्वर का भय दिखाना इसलिए आवश्यक हो जाता है, जिससे

  1. हम अनैतिक कार्य न करें।
  2. हमारी ईश्वर में आस्था बनी रहे।
  3. हम असत्य तथा बुराई का दामन न पकड़े।
  4. हम मर्यादित जीवन जिएँ।

पाठेतर सक्रियता

कवि का मानना है कि आज शोषणकारी ताकतें अधिक हावी हो रही हैं।आज की शोषणकारी शक्तियाँविषय . पर एक अनुच्छेद लिखिए।
(आप शिक्षकों, सहपाठियों, पड़ोसियों, पुस्तकालय आदि से मदद ले सकते हैं।)
उत्तर:
कवि की यह बात सही है कि आज शोषणकारी शक्तियाँ बहुत अधिक हावी हो चुकी हैं। धीरे-धीरे यह शोषण बढ़ता ही जा रहा है। कहने को यह समाज सभ्य है। परंतु हमारी सभ्यता संस्कारों पर नहीं, शोषण पर टिकी है। आज उसी को श्रेष्ठ माना जा रहा है जिसके पास बंगला, कोठी, कार है; जिसके बच्चे ऊँचे स्कूलों में पढ़ते हैं। लोग यह नहीं देखते कि उसके पास यह धन कहाँ से आया है। इसलिए बड़े-बड़े धनपतियों की खूब पूजा हो रही है। वे चुनाव जीत रहे हैं और समाज के महापुरुष बने हुए हैं।
इसके विपरीत, ईमानदार व्यक्ति धक्के खा रहे हैं। उनकी मजाक उड़ाई जा रही है। यह देखकर हर आदमी अपने आदर्श बदल रहा है। वह सेवा, त्याग को आदर्श तजकर व्यवसायी बनता जा रहा है। इसी व्यावसायिकता में शोषण छिंपा है। व्यवसायी व्यक्ति सोचता है कि मैं कैसे और अधिक धन कमा लें। अधिक धन कमाने की हर युक्ति शोषण को बढ़ावा देती है। अत: आज चप्पे-चप्पे पर शोषणकर्ता मिलते हैं। न केवल हमें शोषणकर्ता मिलते हैं, बल्कि बदले में हम भी औरों का शोषण करने की सोचने लगते हैं। किसी कवि ने सच कहा है-

तल के नीचे हाल वही, जो तल के ऊपर हाल।
मछली बचकर जाए कहाँ, जब जल ही सारा जाल।

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