NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 10 नीतिनवनीतम्

Class 8 Sanskrit Chapter 10 नीतिनवनीतम्

NCERT Solutions For Class 8 Sanskrit Chapter 10 नीतिनवनीतम्, (संस्कृत)परीक्षा के छात्रों को राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की पुस्तकों के माध्यम से पढ़ाया जाता है ।  के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है ।  छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल । 

कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं ।  छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं।  इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधान की सहायता के साथ बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी ।

NCERT Solutions for Class 8 Sanskrit Chapter 10 नीतिनवनीतम्

Class 8 Sanskrit Chapter 10 नीतिनवनीतम्

1. अधोलिखितानि प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत –
(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में लिखो)

(क) नृणां संभवे कौ क्लेशं सहेते?
उत्तराणि:
मातापितरौ

(ख) कीदृशं जलं पिबेत्?
उत्तराणि:
वस्त्रपूतम्

(ग) नीतिनवनीतं पाठः कस्मात् ग्रन्थात् सङ्कलित?
उत्तराणि:
मनुस्मृतेः

(घ) कीदृशीं वाचं वदेत्?
उत्तराणि:
सत्यपूताम्

(ङ) उद्यानं कैः निनादैः रम्यम्?
उत्तराणि:
खगानाम्

(च) दु:खं किं भवति?
उत्तराणि:
परवशम्

(छ) आत्मवशं किं भवति?
उत्तराणि:
सुखम्

(ज) कीदृशं कर्म समाचरेत्?
उत्तराणि:
मनःपूताम्

2. अधोलिखितानि प्रश्नानाम् उत्तराणि पूर्णवाक्येन लिखत –
(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक वाक्य में लिखो)

(क) पाठेऽस्मिन् सुखदुःखयोः किं लक्षणम् उक्तम्?
उत्तराणि:
परवशं दु:खम्, आत्मवशं सुखम्।

(ख) वर्षशतैः अपि कस्य निष्कृतिः कर्तुं न शक्या?
उत्तराणि:
मातापितरौः यं क्लेशं सहेते, तस्य निष्कृतिः कर्तुं न शक्या।

(ग) “त्रिषु तुष्टेषु तपः समाप्यते”-वाक्येऽस्मिन् त्रयः के सन्ति?
उत्तराणि:
माता पिता आचार्यः एते त्रयः सन्ति।

(घ) अस्माभिः कीदृशं कर्म कर्तव्यम्?
उत्तराणि:
अस्माभिः मन:पूतं कर्म कर्त्तव्यम्।

(ङ) अभिवादनशीलस्य कानि वर्धन्ते?
उत्तराणि:
अभिवादनशीलस्य आयुर्विद्यायशोबलं वर्धन्ते।

(च) सर्वदा केषां प्रियं कुर्यात्?
उत्तराणि:
सर्वदा मातापित्रोः गुरोश्च प्रियं कुर्यात्।

(घ) सत्यपूताम्
उत्तराणि:

3. स्थूलपदान्यवलम्बय प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(मोटे छपे शब्दों के लिए प्रश्न निर्माण कीजिए)

(क) वृद्धोपसेविनः आयुर्विद्या यशो बलं न वर्धन्ते।
उत्तराणि:
कस्य आयुर्विद्या यशो बलं न वर्धन्ते?

(ख) मनुष्यः सत्यपूतां वाचं वदेत्।
उत्तराणि:
मनुष्यः सत्यपूतां किम् वदेत्?

(ग) त्रिषु तुष्टेषु सर्वं तपः समाप्यते?
उत्तराणि:
त्रिषु तुष्टेषु सर्वं किम् समाप्यते?

(घ) मातापितरौ नृणां सम्भवे भाषया क्लेशं सहेते।
उत्तराणि:
कौ नृणां सम्भवे भाषया क्लेशं सहेते?

(ङ) तयोः नित्यं प्रियं कुर्यात्।
उत्तराणि:
तयोः नित्यं किं कुर्यात्?

4. संस्कृतभाषायां वाक्यप्रयोगं कुरुत
(संस्कृत भाषा में वाक्य प्रयोग कीजिए)

(क) विद्या
(ख) तपः
(ग) समाचरेत्
(घ) परितोषः
(ङ) नित्यम्
उत्तराणि:
(क) विद्या- विद्या मनुष्यस्य बलम् अस्ति।
(ख) तपः- पित्रोः सेवा एव तपः अस्ति।
(ग) समाचरेत्- सर्वथा प्रियं समाचरेत्।
(घ) परितोष:- परितोषः मनुष्यस्य धनम् अस्ति।
(ङ) नित्यम्- नित्यं सत्यं वदेत्।

5. शुद्धवाक्यानां समक्षम् ‘आम्’ अशुद्धवाक्यानां समक्षं च ‘नैव’ इति लिखत
(शुद्ध वाक्य के सामने ‘हाँ’ तथा अशुद्ध वाक्य के सामने ‘ना’ लिखो)

(क) अभिवादनशीलस्य किमपि न वर्धते।
उत्तराणि:

(ख) मातापितरौ नृणां सम्भवे कष्टं सहेते।
उत्तराणि:
आम्

(ग) आत्मवशं तु सर्वमेव दु:खमस्ति।
उत्तराणि:

(घ) येन पितरौ आचार्यः च सन्तुष्टाः तस्य सर्वं तपः समाप्यते।
उत्तराणि:
आम्

(ङ) मनुष्यः सदैव मनः पूतं समाचरेत्।
उत्तराणि:
आम्

(च) मनुष्यः सदैव तदेव कर्म कुर्यात् येनान्तरात्मा तुष्यते।
उत्तराणि:
आम्

6. समुचितपदेन रिक्तस्थानानि पूरयत
(कोष्ठक से सही शब्द चुनकर रिक्तस्थान पूरा कीजिए)

(क) मातापित्रोः तपसः निष्कृतिः ………………. कर्तुमशक्या। (दशवर्षैपि/षष्टिः वर्षैरपि वर्षशतैरपि)
उत्तराणि:
वर्षशतैरपि

(ख) नित्यं वृद्धोपसेविनः ……………….. वर्धन्ते। (चत्वारि/पञ्च/षट्)
उत्तराणि:
चत्वारि

(ग) त्रिषु तुष्टेषु . … सर्वं समाप्यते। (जपः/तप:/कर्म)।
उत्तराणि:
तपः

(घ) एतत् विद्यात् ……….. लक्षणं सुखदु:खयोः। (शरीरेण! समासेन/विस्तारेण)
उत्तराणि:
समासेन

(ङ) दृष्टिपूतम् न्यसेत् .. । (हस्तम्/पादम्/मुखम्)
उत्तराणि:
पादम्

(च) मनुष्यः मातापित्रोः आचार्यस्य च सर्वदा …… कुर्यात्। (प्रियम्/अप्रियम्/अकार्यम)
उत्तराणि:
प्रियम्।

7. मञ्जूषातः चित्वा उचिताव्ययेन वाक्यपूर्ति कुरुत
(मञ्जूषा से उचित शब्द चुनकर वाक्य पूर्ति कीजिए)

तावत्,      अपि,      एव,      यथा,      नित्यं,       यादृशम्

(क) तयोः .. .. प्रियं कुर्यात्।।
उत्तराणि:
तयोः नित्यं प्रियं कुर्यात्।

(ख) …. … कर्म करिष्यसि। तादृशं फलं प्राप्स्यसि।
उत्तराणि:
यादृशम् कर्म करिष्यसि। तादृशं फलं प्राप्स्यसि।

(ग) वर्षशतैः ………. निष्कृतिः न कर्तुं शक्या।
उत्तराणि:
वर्षशतैः अपि निष्कृतिः न कर्तुं शक्या।

(घ) तेषु …………. त्रिषु तुष्टेषु तपः समाप्यते।
उत्तराणि:
तेषु एव त्रिषु तुष्टेषु तपः समाप्यते।

(ङ) ………………. राजा तथा प्रजाः।
उत्तराणि:
यथा राजा तथा प्रजाः।।

(च) यावत् सफलः न भवति ……………… परिश्रमं कुरु।
उत्तराणि:
यावत् सफलः न भवति, तावत् परिश्रमं कुरु।

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