NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र, (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल

कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

Class 10 Hindi Sparsh Chapter 13 तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र

पाठ्य पुस्तक प्रश्न

मौखिक

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-

प्रश्न 1.
‘तीसरी कसम’ फिल्म को कौन-कौन से पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है?
उत्तर:

‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को जिन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, वे हैं-

  • राष्ट्रपति स्वर्ण पदक।
  • बंगाल जर्नलिस्ट एसोसिएशन का सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार।
  • मास्को फ़िल्म फेस्टिवल पुरस्कार।

प्रश्न 2.
शैलेंद्र ने कितनी फिल्में बनाईं?
उत्तर:
शैलेंद्र ने मात्र एक फिल्म ‘तीसरी कसम’ बनाई।

प्रश्न 3.
राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फिल्मों के नाम बताइए।
उत्तर:
राजकपूर द्वारा निर्देशित कुछ फ़िल्में हैं- राम तेरी गंगा मैली, सत्यम् शिवम् सुंदरम्, प्रेमरोग, मेरा नाम जोकर आदि।

प्रश्न 4.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म के नायक व नायिकाओं के नाम बताइए और फिल्म में इन्होंने किन पात्रों का अभिनय किया है?
उत्तर:
नायक का नाम- राजकपूर, नायिका का नाम-वहीदा रहमान।
नायक राजकपूर ने ‘हीरामन’ का और नायिका वहीदा रहमान ने ‘हीराबाई का अभिनय किया।

प्रश्न 5.
फिल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण किसने किया था?
उत्तर:
फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का निर्माण प्रसिद्ध गीतकार शैलेंद्र ने किया।

प्रश्न 6.
राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय किस बात की कल्पना भी नहीं की थी?
उत्तर:
राजकपूर ने ‘मेरा नाम जोकर’ के निर्माण के समय शायद इसे बात की कल्पना नहीं की थी कि इस फ़िल्म के एक भाग को बनाने में छहः वर्ष का समय लग जाएगा।

प्रश्न 7.
राजकपूर की किस बात पर शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया?
उत्तर:
राजकपूर ने शैलेंद्र की फ़िल्म में काम करना स्वीकार कर लिया परंतु उन्होंने जब अपना पारिश्रमिक एडवांस माँगा तो शैलेंद्र का चेहरा मुरझा गया।

प्रश्न 8.
फ़िल्म समीक्षक राजकपूर को किस तरह का कलाकार मानते थे?
उत्तर:
समीक्षक मानते हैं कि राजकपूर एक बड़े फिल्म निर्माता, सफल अभिनेता और कुशल निर्देशक थे। उन्हें जो भी चरित्र अभिनीत करने के लिए दिया जाता था, वे उससे एकाकार हो जाते थे। उनका महिमामय व्यक्तित्व किसी भी चरित्र की आत्मा में उतर जाता था। वे जुवान से नहीं आँखों से बोलते थे। वे कला मर्मज्ञ थे।

लिखित

(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
‘तीसरी कसम’ फिल्म को ‘सैल्यूलाइड पर लिखी कविता’ क्यों कहा गया है?
उत्तर:
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म लोकतत्वों को समेटे एक संवेदना एवं एक भावना प्रधान फ़िल्म थी। फ़िल्म को देखकर लगता था कि यह अभिनेताओं द्वारा अभिनीत कोई कहानी न होकर कैमरे की रील पर लिखी कोई कविता हो, जिसका फ़िल्मांकन करके प्रस्तुत किया जा रहा हो।

प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म को खरीददार क्यों नहीं मिल रहे थे?
उत्तर:
‘तीसरी कसम’ फिल्म को खरीददार इसलिए नहीं मिल रहे थे, क्योंकि इसमें मनोरंजन सामान्य कोटि का नहीं था। यह एक साहित्यिक फ़िल्म थी। इसकी संवेदना को धन कमाने की इच्छा रखनेवाले वितरक समझ नहीं सके, लेकिन इस फ़िल्म में रची-बसी करुणा पैसे के तराजू पर तौली जा सकने वाली चीज़ नहीं थी। वितरक जोखिम नहीं लेना चाहते थे, जबकि इसमें कलाकार भी उच्च स्तर के थे।

प्रश्न 3.
शैलेंद्र के अनुसार कलाकार का कर्तव्य क्या है?
उत्तर:
शैलेंद्र के अनुसार, कलाकार का कर्तव्य है कि वह दर्शकों की रुचि का ध्यान तो रखे पर रुचि की आड़ में उथले और सस्ते मनोरंजन को उनके सामने न परोसे। उसे चाहिए कि वह दर्शकों की रुचि का परिष्कार और उसे उन्नत करे।

प्रश्न 4.
फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरीफाई क्यों कर दिया जाता है?
उत्तर:
फ़िल्मों में त्रासद स्थितियों का चित्रांकन ग्लोरीफ़ाई इसलिए कर दिया जाता है ताकि अधिकतर लोगों का रुझान नकारात्मकता, त्रासद स्थितियों एवं हिंसा की ओर अधिक होने से उनको फ़िल्म देखने के लिए आकर्षित किया जा सके। जबकि सामाजिक सुधार के लिए उनमें कुछ सद्गुणों एवं शिक्षाप्रद दृश्यों को ग्लोरीफ़ाई करना चाहिए।

प्रश्न 5.
“शैलेंद्र ने राजकपूर की भावनाओं को शब्द दिए हैं। इस कथन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक निर्माता के रूप में स्वयं राजकपूर भी तीसरी कसम के समान ही भावपूर्ण और साहित्यिक फ़िल्म का निर्माण करना चाहते थे। शैलेंद्र के इस फ़िल्म को देखकर ऐसा लगता था मानों राजकपूर जो चाहते थे वही शैलेंद्र ने कर दिया है।

प्रश्न 6.
लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा शोमैन कहा है। शोमैन से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
शोमैन ऐसे व्यक्ति को कहते हैं, जो बहुत लोकप्रिय हो, जो श्रेष्ठ कला का प्रदर्शन करके अधिक से अधिक जनसमुदाय को एकत्र कर सके और जिसके नाम से ही फिल्में बिकती हों। लेखक ने राजकपूर को एशिया का सबसे बड़ा “शोमैन’ इसलिए कहा है, क्योंकि उन्होंने अपने व्यापक विषयों को भी बड़ी संपूर्णता के साथ फिल्मी परदे पर उतारा था। साथ ही अंतर्मन की भावनाओं को भी बड़ी ही सूक्ष्मता के साथ उकेरा था। राजकपूर की फ़िल्में इन बातों की कसौटी पर खरी उतरती हैं। यही ‘शोमैन’ का आशय है, तात्पर्य है।

प्रश्न 7.
फ़िल्म ‘श्री 420′ के गीत ‘रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पर संगीतकार जयकिशन ने आपत्ति क्यों की?
उत्तर:
इस गीत के शब्द-दसों दिशाओं’ पर संगीतकार शंकर जयकिशन ने इसलिए आपत्ति की क्योंकि जन सामान्य को दस दिशाओं का ज्ञान नहीं होता। उसकी समझ में दिशाएँ चार ही होती हैं। इस शब्द के प्रयोग से गीत अधिक चर्चित एवं लोक प्रिय बन सकेगा।

(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-

प्रश्न 1.
राजकपूर द्वारा फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह करने पर भी शैलेंद्र ने यह फ़िल्म क्यों बनाई?
उत्तर:
शैलेंद्र मुख्य रूप से कवि हृदय रखने वाले गीतकार थे। वे फ़िल्मी दुनिया से जुड़े हुए थे परंतु फ़िल्म निर्माण एवं एक को दो, दो को चार बनाने की कला से अपरिचित थे। इसके अलावा तीसरी कसम फ़िल्म की कहानी, भाव प्रबलता देखकर राजकपूर ने उन्हें फ़िल्म की असफलता के प्रति सावधान किया परंतु शैलेंद्र ने यह फ़िल्म इसलिए बनाई क्योंकि वे धन-यश लिप्सा के लिए नहीं बल्कि आत्मसंतुष्टि के लिए फ़िल्म निर्माण कर रहे थे।

प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ में राजकपूर की महिमामय व्यक्तित्व किस तरह हीरामन की आत्मा में उतर गया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘तीसरी कसम’ में राजकपूर का महिमामय व्यक्तित्व हीरामन की आत्मा में उतर जाता है। हीरामन फ़िल्म कथा का मुख्य पुरुष पात्र है। उसकी अपनी विशेषताएँ ओर सीमाएँ हैं। राजकपूर के व्यक्तित्व की यह विशेषता रही कि स्वयं हीरामन न होते हुए भी अपनी उत्कृष्ट अभिनय कला से हीरामन बन जाते हैं। वे हीरामन पर हावी नहीं होते। दूसरे शब्दों में दो होते हुए एक बन जाते हैं। अर्थात् इस अभिनय में राजकपूर की अभिनय कला का चरमोत्कर्ष उभरकर सामने आता है।

प्रश्न 3.
लेखक ने ऐसा क्यों लिखा कि ‘तीसरी कसम’ ने साहित्य-रचना के साथ शत प्रतिशत न्याय किया है?
उत्तर:
प्रायः देखा जाता है कि फ़िल्म निर्माता मूल कहानी के साथ इतनी छेड़छाड़ और काट-छाँट करते हैं तथा इतने मसाले और लटके-झटके शामिल कर देते हैं कि मूल कहानी कहीं खो-सी जाती है तथा उसका स्तर गिर जाता है, परंतु ‘तीसरी कसम’ के निर्माता शैलेंद्र ने फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ की मूल रचना को यथावत बनाए रखा जिससे उसकी साहित्यिक गहराई एवं प्रभाव पर कोई असर नहीं हुआ।

प्रश्न 4.
शैलेंद्र के गीतों की क्या विशेषताएँ हैं? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
शैलेंद्र के गीतों की सबसे पहली विशेषता यह थी कि उनके गीत लोकप्रिय थे। उनके गीतों में गहराई के साथ-साथ आम जनता से जुड़ाव भी था। उनके गीत अच्छे भावों से ओत-प्रोत थे। शैलेंद्र के गीतों में कहीं भी जटिलता नहीं थी। उनके गीतों में शांत नदी की तरह गति व समुद्र की-सी गहराई थी। उनके गीतों में उनकी जिंदगी अभिव्यक्त हुई है।

प्रश्न 5.
फ़िल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
एक फिल्म निर्माता के रूप में शैलेंद्र अपना अलग स्थान एवं महत्त्व रखते हैं। वे व्यावसायिकता से कोसों दूर रहकर धन और यश लिप्सा को फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में आड़े नहीं आने दिया। उन्होंने फ़िल्म में मूल कृति से छेड़छाड़ किए बिना उसकी साहित्यिकता को बनाए रखा। इसके अलावा उन्होंने करुणा पूर्ण दृश्यों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाते हुए लोगों की भावनाओं का शोषण नहीं किया।

प्रश्न 6.
शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फ़िल्म में झलकती है-कैसे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शैलेंद्र के निजी जीवन की छाप उनकी फिल्म ‘तीसरी कसम’ में झलकती है। शैलेंद्र अपने जीवन में बेहद गंभीर, शांत, उदार और भावुक कवि हृदय के व्यक्ति थे। उनके इन सभी गुणों का समावेश फिल्म में पूरी तरह से उजागर होता है। शैलेंद्र ने कभी भी झूठे अभिजात्य को नहीं अपनाया था और फिल्म में भी इसे नहीं दर्शाया। उनका जीवन नदी के समान शांत तथा समुद्र की तरह गंभीर था। यही विशेषता उन्होंने अपनी फिल्म में भी प्रदर्शित की है।

प्रश्न 7.
लेखक के इस कथन से कि ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था, आप कहाँ तक सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘तीसरी कसम’ फ़िल्म कोई सच्चा कवि हृदय ही बना सकता था-इस कथन से मैं पूरी तरह सहमत हूँ। इस फ़िल्म के निर्माता शैलेंद्र ने यश, धन लिप्सा से दूर रहकर यह फ़िल्म बनाई थी। इसके निर्माण में आत्म संतुष्टि की अभिलाषा थी। इसके अलावा इस फ़िल्म में भावनाओं की जिस तरह से सुंदर अभिव्यक्ति हुई है उसे देखकर कहा जा सकता है कि ऐसा कोई सच्चा कवि हृदय ही कर सकता है।

(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-

प्रश्न 1.
…….वह तो एक आदर्शवादी भावुक कवि था, जिसे अपार संपत्ति और यश तक की इतनी कामना नहीं थी जितनी आत्म-संतुष्टि के सुख की अभिलाषा थी।
उत्तर:
‘तीसरी कसम’ की कहानी लोकतत्वों का समावेश, कारुणिका दृश्यों का ग्लोरीफाई न होना, सफल बनाने के लिए मसाले या लटके-झटके न होना देखकर राजकपूर ने उन्हें फ़िल्म की असफलता के प्रति चेताया पर शैलेंद्र पर इसका कोई असर न हुआ क्योंकि वे धन या यश कमाने के लिए फ़िल्में बनाने के बजाय आत्म संतुष्टि के लिए यह फ़िल्म बना रहे थे।

प्रश्न 2.
उनका यह दृढ़ मंतव्य था कि दर्शकों की रुचि की आड़ में हमें उथलेपन को उन पर नहीं थोपना चाहिए। कलाकार का यह कर्तव्य भी है कि वह उपभोक्ता की रुचियों का परिष्कार करने का प्रयत्न करे।
उत्तर:
इसका आशय है कि शिल्पकार शैलेंद्र का यह दृढ़ निश्चय था कि दर्शकों की रुचि के बहाने या उनका सहारा लेकर हमें अपने सस्ते अथवा घटिया साहित्यिक विचारों का विक्रेता नहीं बनना चाहिए। हमें कभी भी किसी भी कीमत पर अपने ओछे विचारों तथा घटिया मानसिकता को दर्शकों पर नहीं थोपना चाहिए, बल्कि एक कलाकार तथा शिल्पकार को उपभोक्ता’ की रुचियों को काट-छाँट तथा तराश कर दर्शकों के लिए पर्दे पर उतारना चाहिए, यही एक निर्माता की सच्ची उपासना है, सच्ची कर्तव्य-परायणता है।

प्रश्न 3.
व्यथा आदमी को पराजित नहीं करती, उसे आगे बढ़ने का संदेश देती है।
उत्तर:
कहा भी गया है कि दुख हमें सुख पाने के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा देते हैं। कुछ ऐसा ही करुणा या व्यथा के साथ भी है जिसके साथ सकारात्मक सोच रखने से व्यक्ति कभी निराश नहीं होता है। वह कथा से मुक्ति पाने का प्रयास करता है और सफल होता है। फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में समाहित करुणा का रूप भी कुछ ऐसा ही है।

प्रश्न 4.
दरअसल इस फिल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने वाले की समझ से परे है।
उत्तर:
इसका आशय है कि इस फ़िल्म की संवेदनाओं को समझना सभी के लिए मुश्किल है। यह फिल्म तो संवेदनाओं से परिपूर्ण है। धन की लिप्सा रखने वाले वितरक तो इसे समझ ही नहीं पाए, क्योंकि उनकी बुधि व्यावसायिक होती है। वे केवल दो से चार बनाने का गणित ही समझते हैं इसलिए तो ‘तीसरी कसम’ जैसी कलात्मक, भावनात्मक फ़िल्म के लिए वितरक बड़ी ही कठिनाई से मिल पाए थे।

प्रश्न 5.
उनके गीत भाव-प्रवण थे-दुरूह नहीं।
उत्तर:
शैलेंद्र गीतकार होने के साथ-साथ कवि हृदय व्यक्ति भी थे। उनके गीतों में की भाव प्रवणता, संवेदना को महसूस कर इसे समझा जा सकता है। इसके बाद भी ये गीत सरल, सहज और आम आदमी की समझ में आने वाले थे जो दुरूहता से कोसों दूर होते हैं।

भाषा अध्ययन

प्रश्न 1.
पाठ में आए ‘से’ के विभिन्न प्रयोगों से वाक्य की संरचना को समझिए।

  1. राजकपूर ने एक अच्छे और सच्चे मित्र की हैसियत से शैलेंद्र को फ़िल्म की असफलता के खतरों से आगाह भी किया।
  2. रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ।
  3. फ़िल्म इंडस्ट्री में रहते हुए भी वहाँ के तौर-तरीकों से नावाकिफ़ थे।
  4. दरअसल इस फ़िल्म की संवेदना किसी दो से चार बनाने के गणित जानने वाले की समझ से परे थी।
  5. शैलेंद्र राजकपूर की इस यारानी दोस्ती से परिचित तो थे।

उत्तर:
केवल छात्रों के ज्ञानार्थ।

प्रश्न 2.
इस पाठ में आए निम्नलिखित वाक्यों की संरचना पर ध्यान दीजिए

  1. ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म नहीं, सैल्यूलाइड पर लिखी कविता थी।
  2. उन्होंने ऐसी फ़िल्म बनाई थी जिसे सच्चा कवि-हृदय ही बना सकता था।
  3. फ़िल्म कब आई, कब चली गई, मालूम ही नहीं पड़ा।
  4. खालिस देहाती भुच्च गाड़ीवान जो सिर्फ़ दिल की जुबाने समझता है, दिमाग की नहीं।

उत्तर:
केवल छात्रों के अवबोधनार्थ।

प्रश्न 3.
पाठ में आए निम्नलिखित मुहावरों से वाक्य बनाइए –

  1. चेहरा मुरझाना,
  2. चक्कर खा जाना,
  3. दो से चार बनाना,
  4. आँखों से बोलना।

उत्तर:

  1. चेहरा मुरझाना – अपने अनुत्तीर्ण होने की खबर सुनकर मोहन का चेहरा मुरझा गया।
  2. चक्कर खा जाना – शहरी लड़कियों को सिगरेट पीते देखकर गाँव का होरी चक्कर खा गया।
  3. दो से चार बनाना – तुमने इतनी जल्दी उन्नति की है, उसे देखकर लगता है तुमने दो से चार बनाए हैं।
  4. आँखों से बोलना – अभिनेत्री वहीदा रहमान आँखों से अधिक बोलती थीं।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित शब्दों के हिंदी पर्याय दीजिए-

  1. शिद्दत        …………………..
  2. याराना       …………………..
  3. बमुश्किल   …………………..
  4. खालिस      …………………..
  5. नावाकिफ   …………………..
  6. यकीन        …………………..
  7. हावी          …………………..
  8. रेशा           …………………..

उत्तर:

  1. तीव्रता
  2. मित्रता
  3. बहुत कठिनाई से
  4. शुद्ध
  5. विश्वास
  6. अपरिचित
  7. छा जाना (प्रभाव में लेना)
  8. बारीक कण

प्रश्न 5.
निम्नलिखित का संधिविच्छेद कीजिए

  1. चित्रांकन   =   ……………..   +   ……………..
  2. सर्वोत्कृष्ट   =   ……………..   +   ……………..
  3. चर्मोत्कर्ष   =   ……………..   +   ……………..
  4. रूपांतरण  =   ……………..   +   ……………..
  5. घनानंद     =   ……………..   +   ……………..

उत्तर:

  1. चित्र + अंकन
  2. सर्व + उत्कृष्ट
  3. चरम + उत्कर्ष
  4. रूप + अंतरण
  5. घन + आनंद

प्रश्न 6.
निम्नलिखित को समास विग्रह कीजिए और समास का नाम भी लिखिए

  1. कला-मर्मज्ञ   …………………..
  2. लोकप्रिय      …………………..
  3. राष्ट्रपति        …………………..

उत्तर:

  1. कला के मर्मज्ञ  –   तत्पुरुष समास
  2. लोक में प्रिय    –   तत्पुरुष समास
  3. राष्ट्र का पति    –   तत्पुरुष समास

योग्यता विस्तार

प्रश्न 1.
फणीश्वरनाथ रेणु की किस कहानी पर तीसरी कसम’ फिल्म आधारित है, जानकारी प्राप्त कीजिए और मूल रचना पढ़िए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
समाचार पत्रों में फिल्मों की समीक्षा दी जाती है। किन्हीं तीन फिल्मों की समीक्षा पढ़िए और ‘तीसरी कसम’ फिल्म को देखकर इस फिल्म की समीक्षा स्वयं लिखने का प्रयास कीजिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

परियोजना कार्य

प्रश्न 1.
फिल्मों के संदर्भ में आपने अकसर यह सुना होगा-‘जो बात पहले की फिल्मों में थी, वह अब कहाँ’। वर्तमान दौर की फिल्मों और पहले की फिल्मों में क्या समानता और अंतर है? कक्षा में चर्चा कीजिए। |
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.
‘तीसरी कसम’ जैसी और भी फिल्में हैं जो किसी न किसी भाषा की साहित्यिक रचना पर बनी हैं। ऐसी फिल्मों की सूची निम्नांकित प्रपत्र के आधार पर तैयार करें।
   क्र.सं.             फिल्म का नाम           साहित्यिक              रचना                  भाषा रचनाकार

  1.                  ………………..              ………………..         ………………..                 ………………..
  2.                  ………………..              ………………..         ………………..                 ………………..
  3.                  ………………..              ………………..         ………………..                 ………………..
  4.                  ………………..              ………………..         ………………..                 ………………..

उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 3.
लोकगीत हमें अपनी संस्कृति से जोड़ते हैं। ‘तीसरी कसम’ फिल्म में लोकगीतों का प्रयोग किया गया है। आप भी अपने क्षेत्र के प्रचलित दो-तीन लोकगीतों को एकत्र कर परियोजना कॉपी पर लिखिए।
उत्तर:
छात्र स्वयं करें।

एनसीईआरटी सॉल्यूशंस के लाभ

एनसीईआरटी के कक्षा 10 समाधान में अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु हैं, और प्रत्येक अध्याय के लिए, प्रत्येक अवधारणा को सरल बनाया गया है ताकि उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम प्राप्त करने की संभावनाओं को याद रखना और बढ़ाना आसान हो सके। परीक्षा की तैयारी के संदर्भ यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं कि ये समाधान आपको परीक्षा की तैयारी में कैसे मदद कर सकते हैं ।

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  4. परीक्षा में ज्यादातर प्रश्न एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों के समान तरीके से तैयार किए जाते हैं । इसलिए, छात्रों को विषय को बेहतर ढंग से समझने के लिए प्रत्येक अध्याय में समाधानों की समीक्षा करनी चाहिए।
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कक्षा 10 परीक्षा की तैयारी के लिए टिप्स और रणनीतियां

  1. अपने पाठ्यक्रम और पाठ्यक्रम की योजना बनाएं और संशोधन के लिए समय बनाएं
  2. परीक्षा की तैयारी के लिए हर बार अपनी अवधारणाओं को स्पष्ट करने के लिए cbsestudyguru वेबसाइट पर उपलब्ध एनसीईआरटी समाधान का उल्लेख करें ।
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  4. यह अपने शिक्षकों या एलेक्स (एक अल अध्ययन बॉट) के साथ परीक्षा से पहले अपने सभी संदेहों को स्पष्ट करने के लिए महत्वपूर्ण है ।
  5. जब आप किसी चैप्टर को पढ़ते या पढ़ते हैं तो एल्गोरिदम फॉर्मूले, प्रमेय आदि लिखें और परीक्षा से पहले उनकी जल्दी समीक्षा करें ।
  6. अपनी अवधारणाओं को मजबूत बनाने के लिए पर्याप्त संख्या में प्रश्न पत्रों का अभ्यास करें।
  7. आराम और उचित भोजन लें।  ज्यादा तनाव न करें।

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