NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक, (हिंदी)परीक्षा में राज्य बोर्ड और सीबीएसई स्कूलों में से कुछ में एनसीईआरटी की किताबों के माध्यम से छात्रों को पढ़ाया जाता है के रूप में अध्याय एक अंत शामिल है, वहां एक अभ्यास के लिए छात्रों को मूल्यांकन के लिए तैयार सहायता प्रदान की है छात्रों को उन अभ्यासों को बहुत अच्छी तरह से स्पष्ट करने की जरूरत है क्योंकि बहुत पिछले उन लोगों से पूछा भीतर सवाल कई बार, छात्रों के अभ्यास के भीतर अटक जाते है और सवालों के सभी स्पष्ट करने में सक्षम नहीं हैं छात्रों को सभी प्रश्नों को हल करने और अपनी पढ़ाई को संदेह के साथ बनाए रखने में सहायता करने के लिए, हमने सभी कक्षाओं के लिए छात्रों के लिए स्टेप एनसीईआरटी सॉल्यूशंस द्वारा कदम प्रदान किए हैं। इन उत्तरों को इसी तरह छात्रों की सहायता और सवालों का सही जवाब देने के तरीके के रूप में ठीक से सचित्र समाधानों की सहायता से बेहतर अंक स्कोरिंग में छात्रों की मदद मिलेगी

NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

Class 10 Hindi Kritika Chapter 2 जॉर्ज पंचम की नाक

 

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

 

प्रश्न 1 . सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखायी देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है ?

उत्तर– सरकारी तंत्र में जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखायी देती है वह उनकी गुलाम मानसिकता को दर्शाती है । भारत को स्वतंत्र हुए कई दशक बीत चुके हैं पर भारतीय हुक्कामों की मानसिकता गुलामी से परिपूर्ण व राजनैतिक दाव पेंच को व्यक्त करने वाली है । अवसर का लाभ उठाने के लिये अगर उन्हें अपने देश की नाक काटनी पड़े तो उससे भी उन्हें कोई परहेज नहीं हैं । लेखक का मानना है कि अतिथि का सम्मान करना चाहिए लेकिन उसके लिए अपने स्वाभिमान की बलि कदापि नहीं चढ़ानी चाहिए ।

प्रश्न 2 . रानी एलिज़ाबेथ के दर्जी की परेशानी का क्या कारण था ? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्क सगंत ठहराएँगे ।

उत्तर – रानी एलिज़ाबेथ का दर्ज़ी शाही दौरे के दौरान रानी द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों को लेकर परेशान था । उसकी परेशानी थी कि रानी एलिजाबेथ हिन्दुस्तान , पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर कब क्या पहनेंगी ?

दर्जी की परेशानी स्वाभाविक थी क्योंकि रानी के दौरे की बहुत धूम और शोर – शराबा था । अतः रानी के वस्त्र उनकी शान – शौकत के अनुकूल ही होने चाहिए ।

प्रश्न 3 . ‘ और देखते ही देखते नई दिल्ली का कायापलट होने लगा ‘ – नई दिल्ली के कायापलट के लिये क्या – क्या प्रयत्न किए गये होंगे ?

उत्तर – नई दिल्ली के कायापलट के लिए अनेकों प्रयत्न किये गये होंगे –

( 1 ) नयी दिल्ली की सड़कें जवान हो गयीं ।

( 2 ) उन पर पड़ी बुढ़ापे की धूल और गंदगी हटा दी गयी ।

( 3 ) इमारतों ने नाजनीनों की तरह शृंगार किया ।

( 4 ) अनेक ऐतिहासिक इमारतों को भी सजाया गया- लाल किला , कुतुबमीनार ।

( 5 ) इंडिया गेट के सामने वाली जॉर्ज पंचम की लाट के पास वाले तालाब को साफ कर उसमें ताजा पानी डाला गया ।

( 6 ) अनेक दार्शनिक स्थलों व पार्कों को सजाया गया होगा ।

( 7 ) जॉर्ज पंचम की लाट को मल – मल कर नहलाया गया ।

( 8 ) नया रंग रोगन लगाया गया ।

प्रश्न 4. आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान – पान सम्बन्धी आदतों के वर्णन का दौर चल पड़ा है –

( क ) इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं ?

( ख ) इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है ?

उत्तर– पत्रकारिता एक माध्यम है जिसके द्वारा हम अपने मस्तिष्क में उस विश्व के बारे में समस्त सूचनाएँ संकलित करते हैं , जिन्हें हम स्वतः कभी नहीं जान सकते ।

( क ) जनता की रुचियों को ध्यान में रखते हुए आज की पत्रकारिता में राजनैतिक व चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान – पान सम्बन्धी आदतों के वर्णन का दौर जो चल पड़ा है वह ठीक नहीं है । किसी व्यक्ति के निजी जीवन में ताक – झाँक करना उचित नहीं है । इसके साथ ही इस तरह की पत्रकारिता समाज की उन्नति में बाधक है । पत्रकारिता समाज तथा राष्ट्र के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है , किन्तु इस तरह की पत्रकारिता सिर्फ समाज को हानि पहुँचाती है और यह हमारी संस्कृति के भी । अनुरूप नहीं है ।

( ख ) इस तरह की पत्रकारिता युवा पीढ़ी पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है । चर्चित व्यक्तियों की नकल करने से उन्हीं की संस्कृति में जीने की बढ़ती इच्छाएँ युवा पीढ़ी के मन में प्रबल होती जाती हैं जिसमें उलझकर युवा पीढ़ी अपने कर्त्तव्य पथ से भटककर अपराध के दल – दल में फंसती जाती है और व्यर्थ की सजावट में समय और धन का अपव्यय करने लगती है ।

प्रश्न 5. जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिये मूर्तिकार ने क्या – क्या प्रयत्न किया ?

उत्तर – जॉर्ज पंचम की लाट की नाक को पुनः लगाने के लिये मूर्तिकार ने हिन्दुस्तान के हर पहाड़ पर जाकर , जॉर्ज की लाट के पत्थर जैसा ही पत्थर खोजकर लाने का निर्णय लिया पर वह असफल हो वापस लौटा क्योंकि वह पत्थर विदेशी था । दूसरे प्रयास में मूर्तिकार जॉर्ज पंचम की नाक का नाप लेकर देश के दौरे पर निकला । वह दिल्ली से बम्बई पहुँचा वहाँ उसने गोखले , तिलक , शिवाजी , जहाँगीर , सब की नाक नापी और वह गुजरात की ओर भागा – गाँधी , पटेल , देसाई की मूर्तियों को परख और बंगाल की ओर चला – गुरुदेव , सुभाष , राममोहन राय आदि को भी देखा और बिहार की तरफ चला – वहाँ से उत्तर प्रदेश की ओर आया- आज़ाद , बिस्मिल , मदन मोहन की लाटों के पास गया । घबराहट में वह मद्रास होता हुआ , मैसूर – केरल होता हुआ पंजाब पहुँचा – भगत सिंह और लाला लाजपतराय की लाटों से भी सामना हुआ । पर इन सभी की नाके जार्ज पंचम की नाक से बड़ी निकलीं । तीसरे प्रयास में यह बिहार में सेक्रेटरिएट के सामने सन् 1942 में शहीद हुए बच्चों की मूर्तियों की नाक का नाप लेने के लिए पहुँचा , पर उन बच्चों की नाकें भी जॉर्ज की नाक से बड़ी बै- अन्तिम प्रयास का सुझाव देते हुए मूर्तिकार ने कहा- हिन्दुस्तान की चालीस करोड़ जनता में से किसी एक की जिंदा नाक काटकर लगा दी जाए । हुक्कामों ने कानाफूसी करने के बाद मूर्तिकार को इजाज़त दे दी ।

प्रश्न 6 . प्रस्तुत कहानी में जगह – जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं । उदाहरण के लिए ‘ फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी हैं । ‘ सब हुक्कामों ने एक दूसरे की तरफ ताका ‘ । पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए ।

उत्तर– मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करने वाले कथन –

( 1 ) देश के खैर – ख्वाहों की एक मीटिंग बुलायी गई ।

( 2 ) अगर वह नाक नहीं है तो हमारी भी नाक नहीं रह जाएगी ।

( 3 ) हिन्दुस्तान में जगह – जगह ऐसी नाकें खड़ी थीं ।

( 4 ) खामोश रहने वालों की ताकत दोनों तरफ थी ।

( 5 ) फाइलों के पेट चीरे गये ।

( 6 ) दिमाग खरोंचे गये ।

( 7 ) विदेशों की सारी चीजें हम अपना चुके हैं – दिल दिमाग , तौर – तरीके , रहन – सहन , जब हिन्दुस्तान में बार डांस तक मिल जाती हैं तो पत्थर क्यों नहीं मिल सकता ।

( 8 ) चपरासी को हुक्म हुआ और कमरे के सब दरवाज़े बंद कर दिये गये ।

प्रश्न 7. नाक मान – सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है । यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभर कर आई है ? लिखिये ।

उत्तर – इस पाठ में नाक मान – सम्मान और प्रतिष्ठा की परिचालक है । जॉर्ज पंचम की नीतियों को आजाद भारत में विरोधी मानकर अस्वीकार कर दिया गया । रानी एलिज़ाबेथ के आगमन पर सभी सरकारी अधिकारी उनकी अराधना में जुट गए , परन्तु उनका मान – सम्मान किसी भारतीय नेता या बलिदानी बच्चों से भी अधिक नहीं था । उनकी नाक भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की नाक से नीची थी । इसके बावजूद सरकारी अधिकारी उसकी नाक बचाने में लगे रहे । लाखों – करोड़ों रुपया बर्बाद कर दिया । यहाँ तक कि अंत में किसी जीवित व्यक्ति की नाक काटकर जॉर्ज पंचम की नाक पर बिठा दी गई । यह पूरी तरह भारतीय जनता के सम्मान पर चोट है ।

प्रश्न 8. जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता , यहाँ तक कि भारतीय बच्चों की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस और संकेत करना चाहता है ?

उत्तर – जॉर्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता , यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक संकेत करना चाहता है कि हमारे भारतीय नेताओं की मान – सम्मान व प्रतिष्ठा जॉर्ज पंचम से अधिक है क्योंकि उन्होंने अपने देश की स्वतंत्र कराने में , उसका खोया हुआ सम्मान वापस दिलाने के लिये अपने जीवन को न्यौछावर कर देश के लिए कुर्बान कर दिया । यहाँ तक कि भारतीय बच्चों ने भी स्वयं को बलिदान कर यह साबित कर दिया कि वे भी किसी से कम नहीं हैं । भारतीय बच्चों की नाक भी जॉर्ज पंचम की नाक से बड़ी है अर्थात् ये बच्चे भी मान – सम्मान और प्रतिष्ठा में जॉर्ज पंचम से आगे हैं ( अधिक हैं ) ।

प्रश्न 9. अख़बार ने जिंदा नाक लगाने की खबर को किस तरह प्रस्तुत किया ?

उत्तर– अखबार ने जिंदा नाक लगाने की खबर को इस प्रकार प्रस्तुत किया – नाक का मसला हल हो गया है और राजपथ पर इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर नाक लग रही है । सब अखबारों ने खबर छाप कि – जॉर्ज पंचम को जिंदा नाक लगायी गई है । यानी ऐसी नाक जो कि कतई पत्थर की नहीं लगती और उस दिन अख़बारों में देश में कहीं भी किसी उद्घाटन की खबर नहीं थी । कोई सार्वजनिक सभा नहीं हुई थी । किसी का स्वागत समारोह नहीं हुआ था । सब अख़बार खाली थे ।

प्रश्न 10 . ” नई दिल्ली में सब था ….. सिर्फ नाक नहीं थी । ” इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है ?

उत्तर– इस कथन के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि आज़ाद भारत में किसी प्रकार की सुख – सुविधा में कोई कमी नहीं थी , परंतु अब भी भारतीयों में आत्मसम्मान की भावना नहीं थी । देश आज तक गुलामी की मानसिकता से मुक्त नहीं हो पाया है । जॉर्ज पंचम ने उन्हें गुलाम बनाकर उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाई थी लेकिन उसे गलत ठहराने का साहस किसी में नहीं था ।

प्रश्न 11 . जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अख़बार चुप क्यों थे ?

उत्तर– जॉर्ज पंचम की नाक लगने वाले दिन सभी अख़बार चुप थे क्योंकि जिस जॉर्ज पंचम ने भारतीयों पर इतने अत्याचार किए , जिसका सम्मान बच्चों की बराबरी भी नहीं कर सकता उसकी लाट पर किसी भारतीय की नाक कटवा कर लगाना बहुत लज्जाजनक कृत्य था । इसलिए सभी अख़बार विरोध स्वरूप चुप रहे । उस घटना ने देश की प्रतिष्ठा , मान – सम्मान व शहीदों के सम्मान को मिट्टी में मिला दिया था ।

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