Hindi A Term 2 Sample Paper 2022 (Solved)
Class 10 Hindi A Term 2 Sample Paper 2022, (Hindi) exams are Students are taught thru NCERT books in some of the state board and CBSE Schools. As the chapter involves an end, there is an exercise provided to assist students to prepare for evaluation. Students need to clear up those exercises very well because the questions inside the very last asked from those.
Sometimes, students get stuck inside the exercises and are not able to clear up all of the questions. To assist students, solve all of the questions, and maintain their studies without a doubt, we have provided a step-by-step NCERT Sample Question Papers for the students for all classes. These answers will similarly help students in scoring better marks with the assist of properly illustrated Notes as a way to similarly assist the students and answer the questions right.
Class 10 Hindi A Term 2 Sample Paper 2022
सामान्य निर्देश :
( i ) प्रश्न – पत्र में दो खण्ड है – खण्ड ‘ क और ‘ ख ‘
( ii ) सभी प्रश्न अनिवार्य है , यथासंभव सभी प्रश्नों के उत्तर क्रमानुसार ही लिखिए ।
( iii ) लेखन कार्य में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखिए ।
( iv ) खंड ‘ क ‘ में कुल 3 प्रश्न हैं दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए इनके उपप्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
( v ) खण्ड ‘ ख ‘ में कुल 4 प्रश्न है , सभी प्रश्नों के साथ विकल्प भी दिए गए हैं । निर्देशानुसार विकल्प का ध्यान रखते हुए चारों प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।
खण्ड ‘ क ‘
( पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्यपुस्तक )
[ 20 अंक ]
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए । [ 2 x 4 = 8 ]
( क ) नवाब साहब का कौन – सा भाव परिवर्तन लेखक को अच्छा नहीं लगा और क्यों ?
( ख ) ‘ परिमल ‘ की गोष्ठियों से जुडी फादर की किन स्मृतियों को लेखक याद कर रहा है ?
( ग ) ‘ सबसे अधिक छायादार , फल – फूल गंध से भरा ………. ‘ किसे और क्यों कहा गया है ?
( घ ) ‘ लखनवी अंदाज़ ‘ पाठ में लेखक और नवाब साहब की प्रथम मुलाकात का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए ।
2. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर 25-30 शब्दों में लिखिए । [ 2 × 3 = 6 ]
( क ) स्त्री जीवन के बंधन किन्हें कहा गया है और क्यों ?
( ख ) ‘ उत्साह ‘ कविता किस प्रकार की रचना है ?
( ग ) फागुन की आभा कैसी है और ‘ अट नहीं रही है ‘ कविता में उसकी स्थिति कैसी वर्णित हुई है ? स्पष्ट कीजिए ।
( घ ) कवि ने ‘ नवजीवन का प्रयोग बादलों के लिए भी किया है । स्पष्ट कीजिए ।
3. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए । [ 3 x 2 = 6 ]
( क ) लोंग स्टॉक में घूमते हुए चक्र को देखकर लेखिका को पूरे भारत की आत्मा एक – सी क्यों दिखाई दी ?
( ख ) आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है ?
( ग ) ” और देखते – ही – देखते दिल्ली की काया पलट होने लगी ” – नई दिल्ली की काया पलट के लिए क्या – क्या प्रयत्न किये गए होंगे ?
खण्ड ‘ ख ‘
( रचनात्मक लेखन )
[ 20 अंक ]
4. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 150 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए ।
( क ) यदि मैं वित्त मंत्री होता/होती
संकेत बिन्दु :- ● वित्त मंत्री की जिम्मेदारियाँ
● उनका निर्वाह
● सुझाव ।
( ख ) जीवन संघर्ष है , स्वप्न नहीं
संकेत बिन्दु :- ● जीवन संघर्ष का ही दूसरा नाम हैं
● जीवन गतिशील एवं बाधाओं से पूर्ण
● स्वप्न असत्य , जबकि जीवन सत्य
( ग ) आत्मनिर्भरता
संकेत बिन्दु :- ● अर्थ
● विभिन्न स्तरों पर आत्मनिर्भरता
● लाभ । 5
5 . वन्य जीव संरक्षण हेतु अपने सुझाव देते हुए वन्य जीव संरक्षण अधिकारी को पत्र लिखिए ।
अथवा
मोबाइल और इन्टरनेट के बिना जीवन कैसे जीएं इस विषय पर अपने मित्र को पत्र लिखिए । 5
6. ( क ) एक कंपनी आधुनिक तकनीक का प्रयोग करके अनोखी घड़ी बना रही है । लगभग 25-50 शब्दों में उस कंपनी के लिए एक विज्ञापन तैयार कीजिए ।
अथवा
आपकी बड़ी बहिन ने हॉबी क्लास शुरू की है । उसके लिए 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए । 2.5
( ख ) सव्या शैम्पू बनाने वाली कंपनी की बिक्री बढ़ाने के लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए ।
अथवा
आपकी कॉलोनी में हाइलैंड एकेडमी प्लजे स्कूल खुल गया है । इसके लिए लगभग 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए । 2.5
7. ( क ) वर्मा अंकल के आने की सूचना देते हुए अपनी माँ को संदेश 30-40 शब्दों में लिखिए ।
अथवा
अपने मित्र को नवरात्रि की बधाई देते हुए संदेश 30-40 शब्दों में लिखिए । 2.5
( ख ) आपकी बहिन के विवाह को 25 वर्ष पूरे हो चुके हैं । उसके विवाह की सालगिरह पर बधाई देते हुए लगभग 40 शब्दों में संदेश लिखिए ।
अथवा
आपकी माताजी मंदिर गई हुई हैं और आपको अपने मित्र के जन्मदिन के उत्सव में जाना है । इस संदर्भ में लगभग 40 शब्दों में संदेश लिखिए । 2.5
Solution of Sample Paper
खण्ड ‘ क ‘
1. ( क ) लेखक जब डिब्बे में चढ़े तब नवाब साहब के चेहरे पर असन्तोष के भाव स्पष्टतया नजर आ रहे थे । उन्होंने संगति के लिए कोई उत्साह नहीं दिखाया और अचानक से खीरे खाने के लिए पूछना लेखक को अच्छा नहीं लगा । एक ओर तो उन्हें लेखक से बात करना भी गँवारा नहीं था और अब अचानक खीरे के लिए पूछना उन्हें अच्छा नहीं लगा ।
( ख ) ‘ परिमल ‘ की गोष्ठियों से जुड़ी फादर की वो स्मृतियाँ लेखक को याद आती हैं , जब सभी साहित्यकार स्वयं को एक पारिवारिक संबंधों में बधा हुआ अनुभव करते थे और उस परिवार के बड़े फादर बुल्के हुआ करते थे । सभी के बीच हँसी – मजाक चलता रहता था , गंभीरता से परिपूर्ण बहस होती थी और निडर और निष्पक्ष होकर एक दूसरे की रचनाओं से सम्बंधित राय दी जाती थी ।
( ग ) ‘ सबसे अधिक छायादार , फल – फूल गंध से भरा …. ‘ फादर बुल्के को कहा गया है । वह एक ऐसे विशाल वृक्ष की भांति थे जो सर्वाधिक छायादार , फल – फूल और सुगंध से युक्त था । उन्हें ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि फादर बुल्के मानवीय करुणा के दिव्य अवतार थे । प्रेम , करुणा , वात्सल्य , अपनत्व , ममता और सहृदयता उनमें कूट – कूट कर भरी हुई थी । उनके हृदय में अपने प्रियजनों के प्रति असमी स्नेह और ममत्व का भाव था । वे अपने आशीर्वादों से सबको लबालब कर देते थे । उनका व्यक्तित्व अलौकिक छवि से युक्त था ।
( घ ) लेखक और नवाब साहब की प्रथम मुलाकात पैसेंजर ट्रेन के सेकंड क्लास बोगी में होती है । लेखक ने डिब्बे में आने से नवाब साहब को थोड़ा सा भी अच्छा नहीं लगा । नवाब साहब लेखक की ओर नहीं देख रहे थे बल्कि उन्हें देखते हुए भी वे अनजान बने रहे और खिड़की से बाहर देखने लगे । लेखक ने भी अपने स्वाभिमान को बनाए रखने के लिए अपने मन में ठान लिया कि मैं भी पहले बात नहीं करूंगा ।
2. ( क ) स्त्री जीवन के बंधन आभूषणों और वस्त्रों को कहा गया है , क्योंकि इनके आकर्षण में पड़कर स्त्री भ्रमित हो जाती है । इनकी चकाचौंध में उसका अस्तित्व खो जाता है और वह शोषण का मुकाबला नहीं कर पाती ।
( ख ) ‘ उत्साह ‘ एक आह्ववान गीत है , जिसमें कवि ने बादलों का आह्ववान किया है कि वे उत्साहपूर्वक बरसकर जन – जन की व्याकुलता दूर करें । यह आह्वान दो रूपों में अभिव्यक्त हुआ है । कवि चाहता है कि एक ओर बादल गणकार समाज में क्रांति की चेतना एवं उत्साह का संचार करें । समाज को नवजीवन प्रदान कर गतिशीलता प्रदान करें तथा दूसरे रूप में जल – वर्षा कर गर्मी से पीड़ित धरती एवं लोगों की प्यास बुझाकर उन्हें शीतलता एवं संतुष्टि प्रदान करें ।
( ग ) ‘ अट नहीं रही है ‘ कविता में फागुन मास में बसंत ऋतु की शोभा का वर्णन है । फागुन की शोभा सर्वव्यापक है । चहुँओर वह इस प्रकार व्याप्त है कि प्रकृति के तन – मन में वह समा नहीं पा रही है । नए – नए पेड़ , फूल और पत्तियों से सारा वातावरण सुगन्धित है । फागुन की शोभा सृष्टि के कण – कण में विद्यमान है ।
( घ ) कवि बादलों को कल्याणकारी मानता है । बादल विविध रूपों में जनकल्याण करते हैं । वे अपनी वर्षा से लोगों की बेचैनी दूर करते हैं और तपती धरती का ताप शीतल करके मुरझाई – सी धरती में नया जीवन फेंक देते हैं । वे धरती को फसल उगाने योग्य बनाकर संचार करते हैं ।
3. ( क ) लॉग स्टॉक में एक कुटिया में घूमता हुआ चक्र था जिसके बारे में जितेन नार्गे ने लेखिका को बताया कि यह धर्म चक्र यानि प्रेयर ह्वील है । यहाँ के लोगों की मान्यता है कि इसे घुमाने से सारे पाप धुल जाते है । जब लेखिका ने यह सुना तो उन्हें लगा कि चाहे मैदान हो या पहाड़ , तमाम वैज्ञानिक प्रगतियों के बावजूद मी इस देश की आत्मा एक – सी है । धर्म के बारे में लोगों की आस्था और विश्वास , पाप – पुण्य की अवधारणा और कल्पना सारे देश में एक समान ही है ।
( ख ) शिशु को अपने हमउम्र बच्चों के साथ खेलना अच्छा लगता है । उनके साथ वह जितनी रुचि लेकर खेलता है उतना आनन्द तो उसे कहीं भी नहीं आता । इसके अतिरिक्त बच्चों को अपने साथियों के सामने रोने में हीनता का अनुभव होता है । इन्हीं कारणों से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना भूल जाता है ।
( ग ) इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ के भारत आने की खबर मात्र से नई दिल्ली की तो काया पलट ही होने लगी । इसके लिए निम्नलिखित प्रयत्न किए गए –
( i ) सरकारी इमारतों पर रंग – रोगन किया गया ।
( ii ) रास्तों पर बल्बों और प्रकाश की व्यवस्था की गई ।
( iii ) इंडिया गेट के सामने से भिखारियों को दूसरे स्थान पर भेज दिया गया ।
( iv ) टूटी – फूटी सड़कों की मरम्मत की गई होगी ।
( v ) पूरे दिल्ली शहर की साफ – सफाई की व्यवस्था की गई ।
खण्ड – ‘ ख ‘
4. ( क ) महीने का जेबखर्च मिले या महीने भर का वेतन आए तो हम दुविधा में पड़ जाते हैं कि कितना और कैसे खर्च करें व कैसे बचत करें कि सब काम भी हो जायें व भविष्य भी सुरक्षित रहे । सोचिए , जिसे पूरे देश के वित्त का समायोजन करना है , उसके सामने कितनी दुविधा , कितनी चुनौतियाँ होती होंगी । वित्त कहाँ से व कैसे एकत्रित किया जाए व उसका सदुपयोग कैसे किया जाए कि देश का विकास भी हो तथा समाज के सभी वर्ग भी सन्तुष्ट हो सकें । यदि मैं वित्त मंत्री होता तो वित्त एकत्र करने के लिए कर इस प्रकार लगाता कि उसका बोझ किसी एक वर्ग को न झेलना पड़े तथा जो भी वित्त एकत्रित हो , उसका लाभ सभी को बराबर मिल सके । देश के समुचित विकास में उसका प्रयोग हो व सारा हिसाब – किताब जनता के साथ पारदर्शी रखता । सबको हक होता कि वे किसी एक साइट पर जाकर जाँच कर सकें कि जनता का पैसा कहाँ और कैसे खर्च किया जा रहा है । ऐसा करने से जनता का शासन व्यवस्था पर विश्वास कायम रहता तथा उनके अन्दर भी सहयोग व समर्पण का भाव पैदा होता । यदि मैं वित्त मंत्री होता तो देश की आर्थिक व्यवस्था मजबूत करने के लिए इस प्रकार योजना बनाता जिससे उसका लाभ प्रत्येक वर्ग को मिल सके । के करों की चोरी रोकने के लिए कानून बनाता और उनको कठोरता से लागू करता तथा इस बात का पूरा – पूरा ध्यान रखता कि किसी वर्ग विशेष को ही इसका लाभ न मिले । अपने देश की आर्थिक व्यवस्था को दृढ़ता प्रदान करने के लिए समुचित कदम उठाता और हर व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध करवाता । व्यर्थ के करों को हटा देता । देश में बनी हुई वस्तु पर जनता के लिए कम कर देय होते और विदेश से आने वाली वस्तु पर अधिक । इससे स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री को बढ़ावा मिलता ।
( ख ) मनुष्य का जीवन वास्तव सुख – दुःख , आशा – निराशा, खुशी – दर्द आदि का मिश्रण है । यह न तो केवल फूलों की सेज है और न ही काँटों का ताज । वस्तुतः जीवन एक अनवरत संघर्ष का नाम है ।
जीवन की तुलना एक प्रवाहमान नदी से की जा सकती है । जिस प्रकार एक सरिता अविरल बहती रहती है , समुद्र में लहरे सदा गतिशील रहती हैं , वायु एक क्षण के लिए भी नहीं रुकती , सूर्य , चन्द्रमा , तारे सभी अपने – अपने नियत समय पर उदित एवं अस्त होते हैं , ठीक उसी प्रकार जीवन की गति भी अविरल है । समय के साथ – साथ आगे बढ़ते रहने की प्रबल मानवीय लालसा ही जीवन है । इस अविरल गति से प्रवाहमान जीवन में अनेक ऊँचे – नीचे रास्ते आते हैं , अनेक बाधाएँ आती है । इन्हीं बाधाओं से संघर्ष करते हुए जीवन आगे बढ़ता रहता है । यही कर्म है , यही सत्य है जीवन में आने वाली बआधाओं से घबगराकर रुक जाने वाला या पीछे हट जाने वाला वक्त भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता । जीवन सत्य हैं , जबकि स्वप्न असत्य । स्वप्न काल्पनिक है , अयथार्थ है । स्वप्न का महत्व केवल वहीं तक है , जहाँ तक वह मनुष्य के जीवन को आगे बढ़ाने में प्रेरक है । मनुष्य स्वप्न के माध्यम से ही ऐसी कल्पनाएँ करता है , जो अयथार्थ होती हैं , लेकिन उस काल्पनिक लोक का वह अपने परिश्रम , उमंग एवं दृढ़ इच्छाशक्ति से यथार्थ में वासतविकता में परिवर्तित कर देता है । वास्तविक जीवन एक कर्तव्य पथ है , जिसके मार्ग में अनेक शूल बिखरे पड़े हैं , लेकिन मनुष्य की इच्छाशक्ति या दृढ़ संकल्प उन बाधाओं और काँटों की परवाह नहीं करता और उन्हें रौंदकर आगे निकल जाता हैं । जीवन संघर्ष की लंबी साधना है । यह संघर्ष तब तक बना रहता है , जब तक मनुष्य के शरीर में साँस चलती है , संघर्ष से बचा नहीं जा सकता ।
( ग ) आत्मनिर्भरता का अर्थ है ‘ अपने ऊपर निर्भर होना ‘ अर्थात् अपने कार्यों के लिए दूसरों का मुँह न ताकना । किसी की सहायता की प्रतीक्षा न करके स्वयं अपने बल पर अपने कार्यों को सिद्ध करना । जिस व्यक्ति को दूसरों की मदद लेने की आदत हो जाती है , फिर धीरे – धीरे वे आत्मविश्वास खोने लगते हैं स्वयं को अपंग बना लेते हैं । परिणामस्वरूप उनकी खुशी , उनका सुख दूसरों के वश में हो जाता है । कोई उनका काम कर दे तो ठीक , अन्यथा वे दुखी रहेंगे ।
ऐसे में रिश्तों में भी कड़वाहट आने लगती है , क्योंकि जिन पर हम निर्भर रहने लगे हैं , यदि किसी कारणवश उनसे मदद नहीं मिलती तो हम उनके प्रति नकारात्मक भाव पैदा करते हैं । दूसरों पर निर्भरता , भले ही शारीरिक हो या मानसिक , व्यक्तिगत स्तर पर हो या राष्ट्रीय स्तर पर वह हमारे विकास की गति धीमा कर देती है , जबकि आत्मनिर्भरता हमें समय व परिस्थितियों के अनुकूल कार्य करना सिखाती है तथा हम पर्याप्त गति से आगे बढ़ते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त कर पाते हैं । आत्मविश्वासी व्यक्ति वीर और संकल्पी होता है । इसके विपरीत दूसरों पर आश्रित व्यक्ति उपहास का पात्र होता है । लोग उसे घृणा की दृष्टि से देखते हैं । वह परजीवी बन जाता है । आत्मनिर्भर व्यक्ति के मुकाबले कोई भी तेजस्वी और दृढ़ – प्रतिज्ञ नहीं होता । अभ्यास और परिश्रम से सहूलियत तो उत्पन्न हो सकती है , परन्तु यदि हम अपने मस्तिष्क को उसके अनुरूप ही क्रियाशील बनायेंगे तो निश्चित ही हमारे अन्दर शक्ति का संचार होगा और हम स्वनिर्भर हो जायेंगे । आत्मनिर्भर व्यक्ति पहाड़ों का सीना चीरने की ताकत रखता है । अतः मनुष्य को आत्म – सहायता रूपी मूल सिद्धान्त को अपनाकर आदर्श जीवन जीना चाहिए । दूसरों पर आश्रित व्यक्ति जीवन में कभी भी उन्नति नहीं कर सकता , क्योंकि उसका मार्ग अवरुद्ध होता है । उसकी तो उन्नति भी दूसरों पर आश्रित हो जाती है ।
5. 12 , मॉडल अपार्टमेंट
गोरखपुर
दिनांक : 25 नवंबर 20XX
सेवा में ,
श्रीमान वन्यजीव संरक्षण अधिकारी
गोरखपुर
विषय : वन्य जीव संरक्षण हेतु सुझाव ।
महोदय ,
जैसा कि आप जानते हैं कि जीव जंतु पारिस्थितिकी जैव विविधता बनाए रखने में कितने सहायक है ऐसे में इनकी सुरक्षा और अस्तित्व के बारे में सोचना प्रत्येक व्यक्ति का मूल कर्तव्य है । हालांकि सरकार द्वारा जीव जंतु की अनेक प्रजातियों के संरक्षण की दिशा में कार्य किया जा रहा है । परन्तु इस दिशा में अभी और अधिक जागरूक होने की आवश्कता है । महोदय , पिछले काफी समय से कई सारे जीव जंतुओं की संख्या में कमी आई है । साथ ही कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं । ऐसे में यदि जल्दी कोई सख्त कदम नहीं उठाए गए , तब परिस्थितिकी तंत्र को असंतुलित होने से कोई नहीं रोक पाएगा । यही कारण है कि भारत में जंगली जानवरों के शिकार पर प्रतिबंध लगा दिया गय है और जंगलों को काटने पर भी जुर्माने का प्रबंध किया गया है । साथ ही जिन जगहों पर जीव जंतुओं के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है , उन्हें रेड जोन घोषित कर दिया गया है । मेरा विचार है कि वन्य जीवों के प्राणों और प्रजातियों को बचाने के लिए हमें कृत्रिम तरीकों से इनके प्रजजन को जल्द से जल्द बढ़ाना चाहिए । साथ ही इनकी तस्करी और व्यापार पर पूर्णतया रोक लगानी चाहिए । वन्य जीवों का संरक्षण तभी संभव है , जब मानव सभ्यता के विकास के नाम पर इनका शोषण और अवैध तस्करी पर रोक लगाई जाएगी , तभी हम पर्यावरण और परिस्तिथिकी तंत्र के संतुलन में अपना सहयोग दे सकेंगे ।
आशा करती हूँ कि मेरे द्वारा बनाए गए उपरोक्त सुझात आपको अवश्य ही महत्वपूर्ण लेंगे ।
धन्यवाद ।
विनीत
सुधीर जैन
अथवा
21 , मॉडल टाउन
मानसरोवर
दिनांक : 20 नवंबर 20XX
प्रिय मित्र
मधुर स्नेह
मैं आशा करता हूं कि तुम स्वस्थ होगे और अपनी पढ़ाई में हमेशा की तरह बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे होगे । दोस्त , मैंने आज तुम्हें यह पत्र इसलिए लिखा है कि कई दिनों से मैं यह विचार कर रहा हूं कि आजकल हम एक दूसरे से सोशल मीडिया , फोन और इंटरनेट के माध्यम से जुड़े जरहते हैं । उसे में हमें सदैव ही एक दूसरे के विषय में जानकारी रहती हैं । लेकिन क्या तुमने कभी यह सोचा है कि आज 21 वीं के इस युग में यदि जीवन बिना मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से बिताना पड़ जाए , तो क्या होगा ? दोस्त आज हम प्रत्येक कार्य के लिए पूर्णतया इंटरनेट पर निर्भर हो चुके हैं । फिर चाहे वह सरकारी हो या प्राइवेट संस्थान । हर जगह सारे कार्य इंटरनेट के द्वारा ही किए जा रहे हैं । आज दूर बैठे किसी भी व्यक्ति से संपर्क साधना हो , तो मोबाइल और इंटरनेट का ही सहारा लेना पड़ता है । ऐसे में बिना तकनीक के आज मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है । लेकिन मित्र जहां विज्ञान के आविष्कार मानव सभ्यता के विकास के लिए जरूरी हैं , तो वहीं इसके कई नुकसान भी हैं । इसलिए मेरा मानना है कि हमें तकनीक को अपनी सुविधानुसार प्रयोग में लाना चाहिए । ताकि वह हमारे जीवन को विकास के मार्ग पर ले जाए ।
चाचाजी और चाचीजी को मेरा प्रणाम कहना । शीघ्र ही तुमसे मिलूँगा ।
तुम्हारा मित्र
सुशील
6. ( क )
अथवा
( ख )
अथवा
7. ( क )
अथवा
( ख )
अथवा