Textbook | NCERT |
Board | CBSE Board, UP board, JAC board, HBSE Board, Bihar Board, PSEB board, RBSE Board, UBSE Board |
Class | 6th Class |
Subject | History | Social Science |
Chapter | Chapter 7 |
Chapter Name | अशोकः एक अनोखा सम्राट जिसने युद्ध का त्याग किया |
Topic | अशोकः एक अनोखा सम्राट जिसने युद्ध का त्याग किया CBSE Class 6 History Chapter 7 Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
Especially Designed Notes for | CBSE, ICSE, IAS, NET, NRA, UPSC, SSC, NDA, All Govt. Exam |
अशोकः एक अनोखा सम्राट जिसने युद्ध का त्याग किया
एक बहुत बड़ा राज्य एक साम्राज्य
- हम जिन शेरों के चित्र रुपयों-पैसों पर देखते हैं उनका एक लंबा इतिहास है।
- उन्हें पत्थरों को काट कर बनाया गया और फिर उन्हें सारनाथ में एक विशाल स्तंभ पर स्थापित किया गया था।
- इतिहास के महानतम राजाओं में से एक, अशोक के निर्देश पर इसके जैसे कई स्तंभों और पत्थरों पर अभिलेख उत्कीर्ण किए गए।
- अशोक जिस साम्राज्य पर शासन करते थे उसकी स्थापना उनके दादा चन्द्रगुप्त मौर्य ने लगभग 2300 साल पहले की थी ।
चन्द्रगुप्त मौर्य
- चाणक्य या कौटिल्य नाम के एक बुद्धिमान व्यक्ति ने चन्द्रगुप्त की सहायता की थी।
- चाणक्य के कई विचार हमें अर्थशास्त्र नाम की किताब में मिलते हैं।
- साम्राज्य में बहुत-से नगर थे। इनमें साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र, उज्जैन और तक्षशिला जैसे नगर प्रमुख थे।
- तक्षशिला उत्तर-पश्चिम और मध्य एशिया के लिए आने-जाने का मार्ग था।
- दूसरी तरफ़ उज्जैन उत्तरी भारत से दक्षिणी भारत जाने वाले रास्ते में पड़ता था ।
- शायद नगरों में व्यापारी, सरकारी अधिकारी और शिल्पकार रहा करते थे।
- साम्राज्य के बहुत बड़े क्षेत्रों में किसानों और पशुपालकों के गाँव बसे हुए थे।
- मध्य भारत जैसे इलाकों में ज़्यादातर हिस्सा जंगलों से भरा हुआ था। वहाँ पर लोग फल-फूल का संग्रहण और जानवरों का शिकार करके जीविका चलाते थे।
- साम्राज्य के अलग-अलग इलाकों में लोग भिन्न-भिन्न भाषाएँ बोलते थे।
- वे लोग शायद अलग-अलग प्रकार का भोजन करते थे और यहाँ तक कि अलग-अलग किस्म की पोशाक भी पहनते थे।
राज्य साम्राज्य से कैसे भिन्न है?
- चूंकि साम्राज्य राज्यों से बड़े होते हैं और उनकी रक्षा के लिए बड़ी सेनाओं की ज़रूरत होती है, इसीलिए सम्राटों को राजाओं की तुलना में ज्यादा संसाधनों की ज़रूरत होती है।
- इसी कारण उन्हें बड़ी संख्या में कर इकट्ठा करने वाले अधिकारियों की ज़रूरत होती है।
साम्राज्य का प्रशासन
- चूंकि मौर्य साम्राज्य बहुत बड़ा था, इसलिए अलग-अलग हिस्सों पर अलग-अलग ढंग से शासन किया जाता था।
- पाटलिपुत्र और उसके आस-पास के इलाकों पर सम्राट का सीधा नियंत्रण था।
- इस इलाके के गाँवों और शहरों के किसानों, पशुपालकों, शिल्पकारों और व्यापारियों से कर इकट्ठा करने के लिए राजा अधिकारियों की नियुक्ति करता था।
- जो राजा के आदेशों का उल्लंघन करते थे, अधिकारी उनको सजा भी देते थे।
- इनमें से कई अधिकारियों को वेतन भी दिया जाता था।
- संदेशवाहक एक जगह से दूसरी जगह घूमते रहते थे और राजा के जासूस अधिकारियों के कार्य-कलाप पर नज़र रखते थे।
- इन सबके ऊपर सम्राट था जो राज-परिवार एवं वरिष्ठ मंत्रियों की सहायता से सब पर नियंत्रण रखता था ।
- मौर्य साम्राज्य के भीतर कई छोटे क्षेत्र या प्रांत थे। इन पर तक्षशिला या उज्जैन जैसी प्रांतीय राजधानियों से शासन किया जाता था।
- कुछ हद तक पाटलिपुत्र से इन क्षेत्रों पर नियंत्रण रखा जाता था और अक्सर राजकुमारों को वहाँ का राज्यपाल ( गवर्नर) बना कर भेजा जाता था।
- लेकिन ऐसा लगता है कि इन जगहों पर स्थानीय परंपराओं और नियमों को ही माना जाता था।
- प्रादेशिक केंद्रों के बीच विस्तृत क्षेत्र थे। इनके इलाकों में मौर्य शासक सिर्फ़ मार्गों और नदियों पर नियंत्रण रखने की कोशिश करते थे जो कि आवागमन के लिए महत्वपूर्ण थे ।
- यहाँ से उन्हें जो भी संसाधन कर और भेंट के रूप में मिलते थे, उसे इकट्ठा किया जाता था।
अर्थशास्त्र
- अर्थशास्त्र में यह लिखा है कि उत्तर-पश्चिम कंबल के लिए और दक्षिण भारत सोने और कीमती पत्थरों के लिए प्रसिद्ध था।
- संभव है कि संसाधन नज़राने के रूप में इकट्ठे किए जाते थे।
- और अंत में जंगल वाले इलाके आते थे, वहाँ रहने वाले लोग काफ़ी हद तक स्वतंत्र थे।
- उनसे यह उम्मीद की जाती थी कि वे मौर्य पदाधिकारियों को हाथी, लकड़ी, मधु और मोम जैसी चीजें लाकर दें।
अशोक – एक अनोखा सम्राट
- अशोक मौर्य वंश के सबसे प्रसिद्ध शासक थे।
- वह ऐसे पहले शासक थे जिन्होंने अभिलेखों द्वारा जनता तक अपने संदेश पहुँचाने की कोशिश की।
- अशोक के ज़्यादातर अभिलेख प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में हैं।
अशोक का कलिंग युद्ध
- कलिंग तटवर्ती उड़ीसा का प्राचीन नाम है अशोक ने कलिंग को जीतने के लिए एक युद्ध लड़ा।
- लेकिन युद्धजनित हिंसा और खून-खराबा देखकर उन्हें युद्ध से वितृष्णा हो गई।
- उन्होंने निर्णय लिया कि वे भविष्य में कभी युद्ध नहीं करेंगे।
अशोक का धम्म क्या था?
- अशोक के धम्म में किसी देवता की पूजा अथवा किसी कर्मकांड की आवश्यकता नहीं थी।
- उन्हें लगता था कि जैसे पिता अपने बच्चों को अच्छे व्यवहार की शिक्षा देते हैं वैसे ही यह उनका कर्तव्य था कि अपनी प्रजा को निर्देश दें। वे बुद्ध के उपदेशों से भी प्रेरित हुए थे।
- ऐसी कई समस्याएँ थीं जिनके लिए उनमें संवेदना थी। उनके साम्राज्य में अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग थे और इससे कई बार टकराव पैदा हो जाता था।
- दासों और नौकरों के साथ क्रूर व्यवहार किया जाता था। इनके अलावा परिवार में व पड़ोसियों के बीच भी झगड़े होते रहते थे।
- अशोक ने यह महसूस किया कि इन समस्याओं का निदान उनका कर्तव्य है।
- इसीलिए उन्होंने धम्म – महामात्त नाम के अधिकारियों की नियुक्ति की जो जगह-जगह जाकर धम्म की शिक्षा देते थे।
- अशोक ने अपने संदेश कई स्थानों पर शिलाओं और स्तंभों पर खुदवा दिए। अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया कि वे राजा के संदेश को उन लोगों को पढ़कर सुनाएँ जो खुद पढ़ नहीं सकते थे।
- अशोक ने धम्म के विचारों को प्रसारित करने के लिए सीरिया, मिस्र, ग्रीस तथा श्री लंका में भी दूत भेजे।
- उन्होंने सड़कें बनवाईं, कुएँ खुदवाए और विश्राम गृह बनवाए। इसके अतिरिक्त उन्होंने मनुष्यों व जानवरों की चिकित्सा की भी व्यवस्था की।